रघु की ज़िंदगी अब एक नए मोड़ पर थी। वह समझ नहीं पा रहा था कि जो कुछ भी हो रहा था, वह असल में क्या था!? रात की घटना से उसके भीतर जो शक्ति जागी थी, वह उसे समझ नहीं आ रही थी! यह शक्ति ऐसी नहीं थी, जिसे किसी ने पहले महसूस किया हो! वह महसूस करता था जैसे उसकी नसों में एक अजनबी ऊर्जा बह रही हो, जो उसे हर पल बदलने की कोशिश कर रही हो!
"क्या हो रहा है मुझे!? मैं... मैं क्या कर रहा हूँ!?" रघु ने अपने आप से कहा! उसकी सोच अब पूरी तरह उलझी हुई थी! वह जिस शक्ति के बारे में सोचता था, वही शक्ति उसके अंदर जाग चुकी थी! लेकिन वह इसे कैसे नियंत्रित करेगा!? क्या यह सचमुच उसके लिए सही था!?
पूजा की हल्की सी आवाज़ ने उसे फिर से अपनी जड़ें महसूस करवाईं! "रघु... तुम ठीक हो?" पूजा ने पूछा, उसकी आवाज़ में चिंता थी, "तुम बहुत परेशान लग रहे हो!"
रघु ने पूजा की ओर देखा, और फिर उसकी आँखों में झलकती चिंता ने उसे हलका सा तसल्ली दी! उसने मुस्कराकर कहा, "हाँ, मैं ठीक हूँ!" लेकिन वह जानता था, यह झूठ था! क्या यह शक्ति किसी और को भी नुकसान पहुँचा सकती थी!? क्या वह खुद को ही खो देगा!?
वह थोड़ी देर के लिए कमरे से बाहर निकला, और गहरी साँस लेते हुए बाहर की ताजगी को महसूस किया! हवा में कुछ था, जैसे खुद को फिर से खोजने की एक अनकही तावान हो! उसने अपनी आँखें बंद की और सोचा, "क्या मैं अपने अंदर की इस शक्ति को पहचान पा रहा हूँ!? क्या मुझे इसे काबू में करना आ जाएगा!? या फिर... क्या यह शक्ति मुझे ही खत्म कर देगी!?"
वह अपनी आँखें खोलते हुए कुछ निर्णय लेने की कोशिश कर रहा था! तभी, वह फिर से उस आदमी की आवाज़ सुनता है! "तुम नहीं जानते कि तुम क्या कर रहे हो!" वह आवाज़ उसकी कानों में गूंज रही थी! वह आदमी, जो कुछ देर पहले उससे मिलकर चला गया था, उसे फिर से याद आ गया! रघु अब जानता था कि वह आदमी सिर्फ एक चेतावनी देने नहीं आया था, बल्कि वह रघु को अपनी ताकत का अहसास करवा रहा था!
"क्या मुझे उस आदमी की बातों पर विश्वास करना चाहिए!?" रघु ने खुद से सवाल किया! क्या वह सचमुच जाग चुका था, जैसा कि वह आदमी कह रहा था!?
उसने खुद से कहा, "अगर मुझे अपनी शक्ति को नियंत्रित नहीं किया, तो इससे और भी बुरा हो सकता है!" उसके भीतर एक नई उम्मीद भी थी, और एक गहरी घबराहट भी! उसे अब यह समझ में आने लगा था कि यह शक्ति सिर्फ उसकी मदद नहीं करेगी, बल्कि वह खुद भी इसके असर से नहीं बच पाएगा!
चरण दर चरण, रघु अपनी शक्ति को समझने की कोशिश करता है! उसका शरीर अभी भी अजीब सा महसूस हो रहा था, जैसे हर कदम के साथ वह किसी नई दिशा में बढ़ रहा हो! कुछ ऐसा था जो उसे खींच रहा था, और वह जानता था कि उसे अब और सवाल नहीं करने चाहिए! उसे खुद को नए तरीके से ढालने की जरूरत थी!
वह वापस पूजा के पास गया, और जैसे ही उसने दरवाजा खोला, पूजा ने देखा कि रघु का चेहरा पहले से ज्यादा गंभीर था! उसकी आँखों में कुछ बदल चुका था, और वह महसूस कर रही थी कि रघु अब पहले जैसा नहीं रहा था!
"रघु... क्या हुआ!? तुम और बदले बदले लग रहे हो!" पूजा ने पूछा, लेकिन उसका सवाल जवाब से ज्यादा चिंता का संकेत था!
रघु ने उसके पास जाकर धीरे से कहा, "कुछ नहीं! मैं ठीक हूं!" लेकिन उसकी आवाज़ में कोई दम नहीं था! वह जानता था कि अब उसे और कुछ नहीं छिपाना चाहिए था! उसकी शक्ति अब जाग चुकी थी, और वह इसे काबू करने के लिए हर पल कोशिश करने वाला था!
"लेकिन रघु... तुम सचमुच ठीक हो?" पूजा ने पूछा, उसकी आँखों में एक गहरी चिंता थी! उसने रघु को देखा, लेकिन उसकी समझ में यह बात नहीं आ रही थी कि क्या हुआ था, जो रघु अब इतना बदल गया था!?
रघु ने गहरी साँस ली और कहा, "हाँ, मुझे खुद को समझने में समय लगेगा! लेकिन मुझे कुछ बदलाव दिख रहे हैं... कुछ अजीब!"
पूजा चुप हो गई, और रघु की आँखों में वह अजीब सी गहरी सोच देखी! उसे महसूस हुआ कि अब रघु के लिए यह सिर्फ एक साधारण समस्या नहीं थी! यह कुछ बड़ा था, और रघु को इस बदलाव के साथ जीने की आदत डालनी थी!