रघु के मन में सवालों का तूफान मच चुका था। उस रहस्यमयी आदमी के शब्द अब भी उसके कानों में गूंज रहे थे: "हम तुम्हें उस दुनिया से जोड़ने के लिए आए हैं।" क्या इसका मतलब था कि उसका कोई और रास्ता था, एक ऐसा रास्ता जिसे वह पहले कभी नहीं जानता था!? क्या उसकी शक्ति कोई साधारण शक्ति थी, या कुछ और जो उसके अस्तित्व को पूरी तरह बदलने वाली थी!?
"क्या मैं खुद को सही रास्ते पर ला सकता हूं? क्या मैं इस शक्ति का सही इस्तेमाल कर पाऊंगा?" यह सवाल अब रघु के लिए सबसे बड़ा सवाल बन चुका था। उसकी शक्ति अब उसे नियंत्रित करने के बजाय, उसे खुद को नियंत्रित करने का अभ्यास करवाने लगी थी। रघु को महसूस हो रहा था कि अगर उसने खुद को समझने और अपनी शक्ति को नियंत्रित करने का तरीका नहीं सीखा, तो वह बस खुद को ही खतरे में डाल सकता था!
रात का समय था, और रघु अपने कमरे में बैठा था, उसे कुछ समझ में नहीं आ रहा था। वह अपनी शक्ति को महसूस करता, लेकिन उसका डर उसे अंदर से खा रहा था। क्या यह शक्ति उसकी जिंदगी को बेहतर बनाएगी या उसे और अधिक खतरनाक बना देगी!?
तभी उसकी बहन पूजा की हल्की आवाज़ आई। "रघु, तुम ठीक हो? बहुत देर से कमरे में हो, क्या हुआ?"
रघु तुरंत उठ खड़ा हुआ और दरवाजा खोलते हुए बोला, "हां, पूजा, मैं ठीक हूँ। बस सोच रहा था।"
पूजा ने उसकी आँखों में एक हल्की चिंता देखी, लेकिन उसने कुछ नहीं कहा। "अगर तुम्हें कुछ चाहिए तो मुझे बताओ, मैं हमेशा तुम्हारे पास हूं!"
रघु ने मुस्कुराते हुए कहा, "धन्यवाद, पूजा। सब कुछ ठीक है। तुम आराम करो।"
पूजा चली गई, लेकिन रघु की मनस्थिति बिल्कुल भी ठीक नहीं थी। वह पूरी तरह से अकेला था, और अब उसे वह रहस्यमयी आदमी और उसकी बातें बार-बार याद आ रही थीं। क्या वह सचमुच उसे उस दुनिया से जोड़ने की कोशिश कर रहा था!? क्या वह रास्ता सही था!? या फिर यह कुछ और था, जो उसकी पूरी ज़िंदगी को उलट कर रख देगा!?
रघु ने खिड़की से बाहर देखा, आसमान में हल्की-सी धुंध छाई हुई थी। वह जानता था कि उसे इस अजनबी शक्ति का सामना करना होगा, लेकिन अब यह लड़ाई सिर्फ उसकी नहीं थी—यह उसकी बहन पूजा की भी थी। वह खुद को और अपनी बहन को सुरक्षित रखना चाहता था, लेकिन क्या वह अपनी शक्ति का सही तरीके से इस्तेमाल कर पाएगा!?
वह फिर से कमरे में घूमते हुए सोचने लगा, "अगर मैं इस शक्ति को नियंत्रित कर लूं तो क्या मैं इस दुनिया में कुछ बड़ा कर सकता हूं!? या फिर यह शक्ति मुझे नष्ट कर देगी!? मैं क्या करूँ!?"
तभी दरवाजे पर एक और दस्तक हुई, लेकिन यह पूजा नहीं थी। रघु ने चौंकते हुए दरवाजा खोला और देखा कि वही आदमी फिर से खड़ा था, वही काला सूट, वही हेलमेट! उसकी आँखों में एक रहस्यमय चमक थी!
"तुम फिर से!?" रघु ने गुस्से में कहा, उसकी आवाज़ में अब पहले जैसी घबराहट नहीं थी।
वह आदमी कुछ देर चुप रहा, फिर उसने धीरे से कहा, "तुम मुझे समझ नहीं पा रहे हो, रघु। यह शक्ति तुम्हारे लिए एक वरदान है, लेकिन तुम इसे पहचान नहीं पा रहे हो। तुम जिस रास्ते पर चल रहे हो, वह तुम्हें बचाएगा नहीं। हम तुम्हारे साथ आना चाहते हैं, तुम्हारी मदद करना चाहते हैं।"
रघु ने उसे घूरते हुए कहा, "मैं तुम्हारी मदद नहीं चाहता। मुझे अपनी राह खुद तय करनी है!"
वह आदमी मुस्कराया, और उसके चेहरे पर एक कुटिल हंसी थी। "तुम्हारे पास जितनी शक्ति है, वह इतनी आसान नहीं है, रघु। अगर तुम इसे संभाल नहीं पाओगे, तो यह तुम्हारे लिए अभिशाप बन जाएगी!"
रघु की धड़कन तेज हो गई। वह आदमी उसकी कमजोरी जानता था! "तुम क्या चाहते हो!" रघु ने फिर से पूछा।
वह आदमी गहरी आवाज़ में बोला, "हम तुम्हें रोक नहीं सकते, लेकिन हम तुम्हारी मदद करने को तैयार हैं। तुम्हारी शक्ति को समझने में, तुम्हारे साथ सच्चाई जानने में। तुम अकेले नहीं हो, रघु। बहुत लोग तुम्हारे जैसे हैं, और वे तुम्हारी तरह शक्तिशाली हो सकते हैं। तुम किसी बड़े उद्देश्य के लिए पैदा हुए हो!"
रघु ने उसकी बातों को सुना, लेकिन उसने एक गहरी सांस ली और कहा, "मैं तुम्हारी मदद नहीं लूंगा! मैं खुद ही अपनी शक्ति को समझने की कोशिश करूंगा!"
वह आदमी कुछ देर खड़ा रहा, फिर चुपचाप बाहर चला गया, और दरवाजा बंद हो गया। रघु की धड़कन अभी भी तेज थी, लेकिन अब उसे खुद पर विश्वास हो रहा था। वह जानता था कि उसके सामने एक बहुत बड़ा संघर्ष था, लेकिन वह खुद को और अपनी शक्ति को समझने के लिए तैयार था।
"यह मेरी ज़िंदगी है," रघु ने खुद से कहा। "मैं इसे अपने हिसाब से जीऊँगा, और जो भी सामने आएगा, मैं उसका सामना करूंगा!"
उस रात, रघु ने ठान लिया कि वह अपनी शक्ति को समझेगा, और वह इसे एक रास्ते पर इस्तेमाल करेगा, जो उसकी और उसकी बहन पूजा की सुरक्षा के लिए सही हो!