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Chapter 2 - अध्याय 2: जागृति

रघु की आँखें सुबह की हल्की रोशनी में खुली! सूरज की किरणें खिड़की से होकर कमरे में घुस रही थीं, और कमरे में फैली निस्तब्धता को तोड़ते हुए, उसकी नज़र पूजा पर पड़ी! पूजा, जो अपनी बिस्तर पर लेटी थी, मशीनों से जुड़ी हुई, उसकी स्थिति में कोई सुधार नहीं दिख रहा था! रघु के मन में पहले जैसा तनाव था, लेकिन आज कुछ अलग था! वह अंदर से जैसे पूरी तरह से जाग चुका था! उसकी आत्मा में कुछ नया था!

"क्या हुआ था मुझे रात को!?" रघु ने खुद से पूछा, उसकी धड़कनें अब भी तेज थीं! उसे महसूस हो रहा था कि कुछ शक्तियाँ उसके अंदर जाग गई हैं, लेकिन वह सही से समझ नहीं पा रहा था कि यह क्या था!?

वह पूजा के पास गया और उसके सिर पर हाथ रखा! "तुम ठीक हो ना?" उसने पूछा, लेकिन उसकी आवाज़ में छिपी हुई चिंता साफ थी! पूजा के चेहरे पर हल्की सी मुस्कान थी, पर उसकी आँखों में एक गहरी चिंता की परछाई थी! पूजा की आँखों में कुछ ऐसा था, जैसे वह रघु की अंदर की असहजता को समझ रही हो!

"रघु, तुम ठीक लग रहे हो?" पूजा ने धीरे से पूछा, उसकी आवाज़ में चिंता की एक लहर थी, "तुम रात भर बहुत थके हुए थे!"

रघु ने अपनी सोच को फिर से ध्यान में लाते हुए कहा, "हाँ, बस थोड़ी थकावट है! कुछ नहीं!" उसने फिर से अपनी आवाज़ में सामान्य रूप लाने की कोशिश की, लेकिन वह खुद नहीं समझ पा रहा था कि वह क्या महसूस कर रहा था!?

रघु की आँखों में एक हल्का भय था, लेकिन वह उसे छिपाने की कोशिश कर रहा था! वह जानता था कि पूजा को और अधिक चिंता नहीं करना चाहिए, क्योंकि वह पहले ही बीमारी से जूझ रही थी!

वह किचन की ओर बढ़ा, और जैसे ही उसने चाय का कप उठाया, अचानक उसके शरीर में एक अजीब सी सनसनी महसूस हुई! उसकी नसों में एक हल्की सी ऊर्जा दौड़ रही थी, जैसे कुछ अजनबी शक्ति ने उसे भर दिया हो! यह कुछ अलग था, कुछ नया था! उसकी आँखों के सामने वह चमकता हुआ गोला फिर से आ गया, और यह ऊर्जा उसके अंदर गहरी होती जा रही थी!

इतना ही नहीं, उसे ऐसा महसूस हो रहा था जैसे कोई उसकी पीठ पर खड़ा हो, और उसने पीछे मुड़कर देखा! दरवाजे से एक लंबा आदमी कमरे में दाखिल हुआ! उसने काले रंग का सूट पहना हुआ था, और उसका चेहरा एक काले हेलमेट से ढंका हुआ था! रघु की धड़कनें तेज़ हो गईं! इस आदमी के चेहरे पर एक खतरनाक ठंडक थी, और रघु का मन पूरी तरह से सचेत हो गया था!

"तुम कौन हो!?" रघु ने आवाज में एक ठहराव रखते हुए कहा, लेकिन उसका दिल बुरी तरह धड़क रहा था! वह जानता था कि यह आदमी साधारण नहीं था!

वह आदमी एक पल के लिए चुप रहा, फिर उसने रघु को घूरते हुए कहा, "तुम्हारे पास कुछ है... जो हमें चाहिए! हमें वो दे दो, और हम तुम्हें और तुम्हारी बहन को शांति से छोड़ देंगे!"

रघु की धड़कन तेज़ हो गई! वह समझ नहीं पा रहा था कि यह आदमी क्या चाहता था! "मैं नहीं जानता तुम क्या कह रहे हो!" उसने सख्त आवाज में कहा, लेकिन उसका मन डर और असमंजस से घिरा हुआ था!

वह आदमी मुस्कराया, लेकिन उसका मुस्कान क्रूर था! "तुम जानते हो! हम तुम्हारे बारे में सब कुछ जानते हैं! कल रात जो हुआ, हम उसे ट्रैक कर रहे हैं!" उसने घातक आवाज़ में कहा!

रघु के चेहरे पर घबराहट साफ थी! "तुम क्या चाहते हो!? बताओ!" उसने कँपकपाती आवाज़ में पूछा!

वह आदमी बिना किसी जवाब के अपने हाथ की ओर इशारा किया! तभी अचानक रघु के शरीर में एक प्रचंड ऊर्जा का हमला हुआ! वह दीवार से टकराया, और उसकी सांसें तेज़ हो गईं!

"अब," वह आदमी फिर से बोला, "तुम वो दे दो, जो हम चाहते हैं, या फिर यह सब और भी बुरा हो जाएगा!"

रघु का दिल जोर-जोर से धड़क रहा था, लेकिन उसने खुद को शांत किया! वह जानता था कि वह अब कुछ खास था! कुछ ऐसा था जो उसे डरने नहीं दे रहा था! लेकिन उसके अंदर एक अजीब सी ताकत महसूस हो रही थी!

तभी, रघु ने अपनी मुठ्ठी भींची, और अचानक उसे अंदर से एक अजनबी ताकत का अहसास हुआ! जैसे ही उसने उस शक्ति को बाहर निकाला, कमरे की दीवारें काँपने लगीं, और वह आदमी अचानक पीछे की ओर उछलकर गिर पड़ा!

रघु ने अविश्वास से देखा! "क्या यह मैंने किया!?" वह खुद से हैरान था!

वह आदमी खून पोंछते हुए खड़ा हुआ, "तो... यह सच है! तुम जाग चुके हो!" उसने क्रूरता से कहा! "लेकिन तुम्हें अभी भी अपनी शक्ति को नियंत्रित करना आना चाहिए!"

रघु की साँसें तेज़ हो गईं, और उसकी आँखों में एक गहरी उलझन थी! उसे खुद पर विश्वास नहीं हो रहा था कि उसने इतनी बड़ी ताकत का इस्तेमाल किया था!

वह आदमी फिर से खड़ा हुआ, रघु को घूरते हुए कहा, "हम तुम्हें नजरअंदाज नहीं कर सकते! हम तुम्हारी निगरानी करेंगे!" और फिर वह आदमी कमरे से बाहर निकल गया!

रघु की आँखें दरवाजे पर लगी रही, लेकिन उसके मन में अनगिनत सवाल थे! क्या वह सही कर रहा था!? वह अब तक क्या कर चुका था!? और जो कुछ भी उसके अंदर था, वह उसे और किस तरह से बदलने वाला था!?

पूजा की कमजोर आवाज़ ने उसे होश में लाया! "रघु... क्या हुआ!?" उसने पूछा, उसकी आँखों में भय था!

रघु ने सिर झुका लिया, और बस एक हल्का सा मुस्कराते हुए कहा, "कुछ नहीं... सब ठीक है!" लेकिन वह जानता था कि कुछ भी पहले जैसा नहीं रहने वाला था! उसकी ज़िंदगी अब हमेशा के लिए बदल चुकी थी!