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Chapter 11 - सचिन का एक्सीडेंट नैंसी के गम में Sachin's accident in Nancy's grief

रात को तकरीबन 9 PM में।

नैंसी अपना बैग पैक कर रही थी अपने रूम। तभी सचिन नीचा आया और अपने बाइक को निकलते हुए बोला" नैंसी चलो जल्द लेट हो गा!."नैंसी इतमीनान से बोली " आ रही हूं!." और फिर अपना बैग लेकर बाहर निकल गई। तभी सचिन की मां सचिन के पास आकर बोली" बेटा अभी इतना रात को कहा!." तभी सचिन बाइक पे बैठ गया और इतमीनान से बोला" मां हम नैंसी को स्टेशन छोड़ कर आ रहे है!." और नैंसी बाइक पे बैठ गई। सचिन की मां नैंसी को देखते रह गई। सचिन की मां समझ चुकी थी की नैंसी सचिन से मोहब्बत करती है। लेकिन कुछ बोल नही पाई। और सचिन वहा से बाइक स्टार्ट करके चल दिया रास्ते जाते वक्त सचिन नैंसी से ड्राइव करते हुए पूछा" तुम्हारा दोस्त अलोक आया की नही!." नैंसी इतमीनान से आंख आंख आंख मैं आंसु लिए हुए बोली" वो आ जायेंगे!." फिर सचिन इतमीनान से बोला" और हां, वहा जाकर हमे भूल मत जाना!." नैनेसी अपने आंख का आंसु पोछ्ते हुए हस कर बोली" नही बाबा नही भूलूंगी!." तभी स्टेशन आ गया और सचिन अपना बाइक रोक दिया और फिर नैंसी से बोला" उतरो यहीं पे!." नैंसी सचिन के बाइक से उतर गई और सचिन अपना बाइक को एक साइड लगा दिया और फिर नैंसी के पास आकर बोला" चलो!." और फिर दोनो स्टेशन पे जाने लगा। नैंसी सचिन से पीछे होकर सचिन को ही एकटक नजर देखे जा रही थी सचिन आगे की तरफ चलते चलते रुक कर पिच घूम गया और इतमीनान से बोला" आरे तेज मैं चलो, ट्रेन छूट जायेगी!." लेकिन नैंसी तो असल मैं ट्रेन छोड़ना चाहती थी नैंसी कुछ नही बोली और सचिन को देख कर मुस्कुरा दी! तभी सचिन नैंसी का मिस्की देख कर बोला" बस करो मेरी जान लोगी का!." और फिर आगे चलने लगा तभी नैंसी की पे मैं मोच आ गई और जोर से चिलाई" आह..!." और फिर वही पे बैठ गई। सचिन घूम कर देखा और दौर कर नैंसी के पास आया और इतमीनान से बोला" क्या नैंसी!." नैंसी धीरे से खड़ा होते हुए बोली" कुछ नही पैर में मोच आ गया है!." सचिन नैंसी का हाथ पकड़ कर खड़ा किया और अपने साथ लेकर चल दिया। तभी ट्रेन आकर प्लेटफार्म no. 2 पे खड़ा हो गया। नैंसी तेज तेज सांसों से बोली" सचिन मेरा ट्रेन छूट जायेगा। प्लीज कैसे भी करो!." सचिन इतमीनान से हाथ से पकड़ कर लेजाते हुए बोला" कुछ नही होगा, हम है ना चलो!." और जैसे ट्रेन से 15 कदम पीछे पहुंचा तभी ट्रेन वहा से निकल गया। और नैंसी जोर से चिलाइ" सचिन!." सचिन रुक कर नैंसी को देखा तो नैंसी अपने हाथ के उंगली के इशारा से बताई। सचिन जब देखा तो उसको समझ नही आ रहा था की अब क्या करे। फिर नैंसी को हाथ पकड़ कर तेजी से चलने लगा फिर ट्रेन धीरे धीरे अपना स्पीड बढ़ाने लगा। सचिन जब ट्रेन को देखा तो उसको समझ आ गया था की अब ट्रेन तेजी से निकलेगी। तभी सचिन अपना दिमाग लगाया और नैंसी की बैग अपने गर्दन मैं लटका लिया और फिर नैंसी को गोद मैं उठा कर दौर गया। नैंसी सचिन की चेहरा ही देख रही थी नैंसी सचिन का चेहरा देखते देखते आंख भर आया। ऐसा लग रहा था की नैंसी सचिन से मोहब्बत करने लगी हो लेकिन पता ना नैंसी क्यू नही सचिन से बता पा रही थी। सचिन दौर्ते दौर्ते बहुत थक चुका था लेकिन फिर भी अपना जुनून नही हरा और नैंसी को ले जा कर ट्रेन के गेट पे उतर दिया फिर कुछ देर दौर्ते ही अपना गर्दन से बैग निकाल कर नैंसी के आगे ट्रेन मैं फेक दिया और ट्रेन तेजी से निकलने लगी और कुछ दूर ट्रेन चली गई लेकिन उस प्लेटफार्म से आगे नहीं गया था अभी। तभी नैंसी रोते हुए अपना सर बाहर निकाल कर और सचिन को बाय का हाथ हिलाने लगी। सचिन नैंसी को रोते हुए देख वो किसी ख्वाब में डूब गया और दौर्ते रहा तभी आगे एक बिजली का पोल खड़ा था लेकिन सचिन को दिखाई नही दिया और जाकर उस पोल से टकरा गया और बेहोश हो कर वही पे गिर गया। नैंसी उस ट्रेन से खड़ा होकर अपना सर बाहर कर के जोर जोर से चिला रही थी" सचिन,,,सचिन!" और फिर जब देखी की सचिन का एक्सीडेंट हो गया और वही पे गिर के बेहोश हो गया तो नैंसी रोते हुए अंदर जाकर बैठ गई।

सचिन यहां पे बेहोश था तभी कुछ प्लेटफार्म का सिक्योरिटी आया और सचिन को देखा लेकिन वो पहचान नहीं पाया की कौन है फिर बैठ कर देखा और सचिन के सर पे अपना उंगली से देखा उठा कर उसपे खून था। फिर सचिन के छाती पे अपने हाथ रख कर चेक किया तभी उसको महसूस हुआ की अभी ये लड़का जिंदा है। वो सिक्योरिटी अपनी woki toki फोन से कॉल किया एंबुलेंस के पास और इत्मीनान से बोला" हेलो हम दिल्ली स्टेशन प्लेटफार्म no.2 से सिक्योरिटी बिल रहा हूं। एंबुलेंस लेकर जल्द आओ। एक लड़का का एक्सीडेंट हो गया है। और फिर अपना कॉल कट कर दिया। तभी सिक्योरिटी जोर से चिलाते हुए बोला" है इसे उठा कर उसपे रखो!." सामने को बैठने के लिए बना रहता है उसी पे बोला रखने के लिए और दो तीन लोग उठा कर उसपे रख दिए। तभी एक कार आया और पार्किंग में लगा कर उसमे से सचिन का पापा और बहन दोनो उतरे और घबराते हुए सचिन के पास चल दिया। सचिन की मां नही आए थी। अब पता न क्यों नहीं आई थी। क्या वजह थी जो घर मैं इतना दुलार और एक्सीडेंट के बाद देखने तक भी नही आई। सचिन के पापा और बहन दोनो दौर्ते हुए सचिन के पास आए और बैठ कर रोते हुए कायल बोली" भईया भईया, उठो!." सचिन का पापा तो देख कर वो बैठ कर रोने लगे और कुछ बोल नही पाए। कायल को सायेद नैंसी कॉल करके बताई थी आगे पता चल जायेगा। तभी एंबुलेंस आया और दो तीन नर्स स्ट्रेचर उतार कर और सचिन के पास लेकर आया। और सचिन को उसपे लदा और एंबुलेंस वहां से लेकर हॉस्पिटल लेकर चल दिया। सचिन का पापा और सचिन का बहन कायल दोनो अपने कार मैं बैठे और उसी एंबुलेंस के पीछे चल दिया हॉस्पिटल। 

सचिन को एक्सीडेंट हुआ है ये बात अतुल और शुभम को भी पता चल गया था शुभम और अतुल अपने अपने घर पे थे तभी शुभम अतुल के पास कॉल किया अतुल अपना बाइक निकल रहा था तभी रुक कर और फोन रिसीव किया तो शुभम फोन पे इतमीनान से बोला" अतुल सचिन का एक्सीडेंट हो गया है!." और फिर ऐसे ही अतुल अपने कान के पास फोन रखे हुए बोला" हूं..हूं.. ठीक है मैं जाता हूं तुम जाओ जल्द हॉस्पिटल!." और अतुल कॉल कट कर देता है और बाइक लेकर निकल जाता है वहा से। शुभम रात को ही सुष्मिता और कोमल को भी कॉल करके बता दिया था और फिर अपने बाइक को निकाला और तेजी से हॉस्पिटल की तरफ चल दिया। 

एंबुलेंस अभी रोड पे ही था तभी हॉस्पिटल का मैन गेट खुल चुका था और 🚑 एंबुलेंस तेजी से डायरेक्ट इंदर गया और फिर हॉस्पिटल के अंदर से दो तीन चार नर्स स्ट्रेचर लेकर आई और सचिन को लाद कर हॉस्पिटल का अंदर चली गई।

सचिन का दोस्त अतुल अपने बाइक का स्पीड तेजी से भागा रहा था और शुभम भी अपने बाइक का स्पीड दूसरे रोड से तेजी से भागा रहा था लेकिन अतुल स्टेशन जा रहा था जहा पे नैंसी चढ़ी थी उसके अगले स्टेशन पे जा रहा था और शुभम हॉस्पिटल जा रहा था। तभी हॉस्पिटल के एक डॉक्टर के पास कॉल आया, सायेद वो सबसे बड़े डॉक्टर था। वो डॉक्टर अपने केबिन में बैठ कर सचिन का ही पुर्जा देख रहा था तभी उसका फोन बजा तो वो डॉक्टर पुर्जा छोड़ कर अपने फोन को रिसीव किया और इतमीनान से बोला" yes mam boliye!." दूसरी तरफ से अपनी चेहरा ढक कर एक औरत इतमीनान से बोली" तुम्हारे हॉस्पिटल में एक सचिन नाम का पेशेंट गया है!." डॉक्टर पुर्जा को देखते हुए कॉल पे बोला" हूं.. तो क्या करना है!." वो अपनी चेहरा तोप कर इतमीनान से बोली" उसे मार दे!." डॉक्टर घबरा कर बोला" लेकिन कैसे उसके साथ उसके पैरेंट्स है!." वो औरत गुस्सा मैं अपनी चेहरा ढक कर बोली" जीतना बोली उतना कर। प्वाइजन मिला दे! और घटना को दूर घटना बता दे!." डॉक्टर डर कर बोला" ok mam!." और कॉल कट कर दिया और फिर डॉक्टर अपने सीट से उठ कर मेडिकल शॉप में चल दिया। वो डॉक्टर मेडिकल शॉप से एक प्वाइजन का सीसी छुपा कर निकाला और फिर सचिन के पास चल दिया।

to be continued...

आपको क्या लगता है की वो डॉक्टर सचिन को प्वाइजन सच में दे देगा या फिर सचिन बच जायेगा।सचिन के सारे दोस्त को ये बात खबर चल गई थी लेकिन बताया कौन था और वो औरत कौन थी जो सचिन को जान से मरना चाहती है जानने के लिए पढ़िए " खुशी के आंसू" और जुड़े रहिए हमेसा pocket novel पर।