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Chapter 8 - सचिन बना बेजुबान Sachin became speechless

ब्रिज पे रात में। 10PM 

नैंसी भागते भागते जाकर सचिन के बॉडी से टकरा गई सचिन होस मैं आकर नैंसी के दोनो हाथ पकड़ कर रोक लिया और सचिन अपना नजर नैंसी के नजर से मिलाने लगा। नैंसी इस लिए दौर रही थी क्यू की उसका चैन लेकर कुछ गुंडा भाग रहा था। तभी नैंसी जोर जोर से बोली" सचिन मेरा चैन लेकर वो भाग रहा है!." सचिन नैंसी को सीधा खड़ा किया और खेदने लगा सचिन उन गुंडा को कुछ दूर जाने के बाद एक गुंडा पकड़ा गया। सचिन उस गुंडा को मार कर वही पे खतम कर दिया। और फिर दौरने लगा और उस सब गुंडा को खेदने लगा। फिर कुछ दूर जाने के बाद वो सारा गुंडा वही पे रुक गया और एक बराबर लाइन से खड़ा ही गया। सचिन जाकर सब गुंडों के आगे खड़ा हो गया और इतमीनान से बोला" भाई, उस लड़की का चैन दे दो प्लीज़!." तभी उन गुंडों मैं से एक बोला हो सकता है लीडर होगा" क्या रे तो तू इस चैन के लिए आया है!." और उस चैन को दिखाते हुए बोला" आओ ले जाओ!." और फिर उस चैन को उपर की तरफ उछाल दिया। सचिन इतमीनान से बोला" देखो,हम लड़ाई करने नही आया हूं। प्लीज आप मुझे वो चैन दे दो!." तभी एक दूसरा गुंडा बोला" भाई बोले ना आकर ले जा चैन यहां से उठा कर!." और उस चैन को एक दूसरे के बीच रख दिया। सचिन उस चैन को उठाने चला तो एक गुंडा अपने गुंडा की तरफ देखा और इशारा करते हुए बोला" हूं!." सचिन जैसे उस चैन को उठाने के लिए  झुका  तभी एक दूसरा गुंडा आकर सचिन को एक पैर मारा। सचिन जा कर कुछ दूर पे गिर गया। लेकिन सचिन झगड़ा करने का मूड में बिलकुल नहीं था क्यों की  वो नैंसी को थापड़ मारा था और उस गलती के ख्वाब में डूब गया था। उसको कुछ भी अच्छा नही लग रहा था। फिर सचिन खड़ा होकर इतमीनान से बोला" प्लीज भाई मुझे झगड़ा करने का बिल कुल माइंड नही है, आप मुझे चैन दे दो प्लीज़!." फिर  एक दूसरा गुंडा एक हॉकी डंडा लेकर नीचे की तरफ घिंचते लेकर सचिन की तरफ चला तो नैंसी दूर से देख कर चिलाते हुए सचिन की तरफ दौड़ी" सचिन,, सचिन,, सचिन !." सचिन अपना सर नीचे किया शांत खड़ा था क्यों की सचिन नैंसी के नजर ऐसे ही गिर चुका था अब और नहीं गिरना चाहता था। नैंसी जैसे सचिन के पास पहुंची तभी वो गुंडा सचिन के उपर हॉकी डंडा से वार कर दिया। और सचिन नीचे की तरफ गिर गया और अपना मुंह से खून उगल दिया। नैंसी एक उस गुंडा के पैर पकड़ कर रोने हुए बोली" प्लीज इसे छोड़ दो,, प्लीज!." वो गुंडा नैंसी का बात एक भी नही सुना और फिर सचिन तरफ बढ़ा और फिर से सचिन के सर पे मरने के लिए उठाया तभी नैंसी एक पत्थर चला कर उस गुंडे का सर पे मार दी। और वो गुंडा वही पे गिर गया। तभी दूसरा गुंडा गुस्सा मैं दांत पीसते हुए नैंसी के तरफ बढ़ा। सचिन वही पे सोया ही रहा है अपना होस को चुका था तभी वो गुंडा आकर नैंसी को एक थापड़ मारा। नैंसी नाच कर सचिन के उप्पर गिर गई। ये थापड़ सचिन देख चुका था और उसके कानो में सिर्फ थापड़ का आवाज ही गूंज रहा था सचिन जैसे हिला तभी नैंसी साइड में हट गई और सचिन खड़ा हो गया ।तभी वो गुंडा डर कर पीछे की तरफ हटने लगा तो सचिन गुस्सा मैं दांत पीसते हुए जोर से बोला" तूने मुझे मारा मैं कुछ नही बोला। लेकिन तुम नैंसी को क्यू मारा!." और उस गुंडा का हाथ से हॉकी डंडा ले लिया जिसको नैंसी मारी थी पत्थर से। और उस गुंडा की तरफ चल दिया आग बबूला हो कर। तभी उधर से भी दो तीन गुंडा चला तभी सचिन तीनो गुंडा को जोर जोर से मारा और साथ ही गिड़गिड़ा रहा था" ये बेचारी एक अपनी जिंदगी से परेशान है,, और तुम सब उसपे हाथ चलाते हो!." और सबको लगा कस के पीटने फिर वहा से सारा गुंडा खड़ा होकर नैंसी के चैन वही पे फेक कर और अपना बाइक से भाग गया। सचिन नैंसी की तरफ देख तो देखते रह गया। नैंसी सचिन को देखी साथ ही आंखो में आंसु लिए और खड़ी रही। सचिन नैंसी के पास जाकर रोते हुए बोला" मुझे माफ कर दो। मुंह तुम्हे थापड़ नही मरना चाहिए था। मेरी वजह से तुम्हे इतना तकलीफ हुआ!." तभी नैंसी सचिन का अपना हाथ से मुंह दाब ली और रोते हुए सचिन को गले लगा ली।फिर सचिन के गले से नैंसी हाथ कर इतमीनान से बोली" में तो तुम्हे भगवान मानती हूं इसी लिए तुम्हे i love you बोल दिया! खैर छोड़ो कोई बात नही, चलो घर सुष्मिता इंतजार कर रही होगी।!." और दोनो वहा से चल दिया घर। सचिन से चला नही जा रहा था तो नानी सचिन का हाथ अपने कंधा पे रख लिया और धीरे धीरे लेकर चली दी।

सुष्मिता अपने रूम पे बैठ कर इंतजार कर रही थी की अभी तक नही आया सब नैंसी और सचिन तभी बेल बटन का आवाज आया सुष्मिता के काम मैं और झट से उठ कर गई और गेट खोली। सुष्मिता सचिन का हालत देख कर चौक गई और घबरा कर बोली" सचिन, ये कैसे हुआ!." नैंसी सचिन को अंदर लेकर आई और बेड पे बैठा कर बोली" कुछ गुंडा अटैक कर दिया है!." सुष्मिता, नैंसी को झाड़ झाड़ कर बोलने लगी" सब तुम्हारी वजह से हुआ है। तुम एक दिन इसको जान से मरवा दोगी!." नैंसी रोते हुए बोली" सुष्मिता, वो!." तभी सुष्मिता गुस्सा मैं बोली" बंद करो अपनी बकवास।गेट आउट! !." नैंसी चुप चाप सुनती रही और कुछ नही बोली। तभी सचिन इत्मीनान से बोला" सुष्मित, नैंसी का कोई दोष नही नही है!." सुष्मिता तेज तेज सांसों से बोली" क्या गलती नही है।अगर तुम्हे कुछ ही गया होता तो अंकल को क्या जवाब देती मैं!." सचिन इतमीनान से बोला" लेकिन कुछ हुआ तो नहीं न! बेवजह तुम नैंसी को अनाब स्नाब बोल रही हो! क्या गलती की है!." सुष्मिता गुस्सा से नैंसी की तरफ देखते हुए बोली" कल यहां से तुम चली जाओ!." तभी सचिन सुष्मिता को जोर का थापड़ मार दिया। तभी नैंसी जोर से चिलाते हुए बोली" सचिन नही!." सुष्मिता अपना सर नीचे कर के उठा कर सचिन की तरफ देखती है और वहा से निकलने लगती है तो नैंसी रोते हुए सुष्मिता को रोकती है" सुष्मित, प्लीज मेरी बात सुनो! सुष्मिता, रुको प्लीज!." और नैंसी सुष्मिता को अपने हाथ से सुष्मिता का हाथ पकड़ लेती है। सुष्मिता के आंख मैं नम भर आया था ये सोच कर की सचिन एक अनजान लड़की के लिए अपना जिग्री दोस्त को थापड़ मार दिया। और नैंसी का हाथ छोड़ा कर उस रूम से निकल कर चली गई दूसरी रूम!." सचिन अपना सर नीचे कर के बैठा था तभी नैंसी रोते हुए सचिन को जोर जोर गुस्सा मैं बोली" वाह, क्या इंसान है तु, तुमसे एक शब्द सहन करने का छमता नही है। सुष्मिता क्या गलत बोली है। में अनजान हूं तो वो भी अनजान बोल दी। इसमें अपने बेस्ट फ्रेंड को थापड़ मरने की क्या जरूरत थी?!." फिर वहां से बाहर जाने के लिए गेट पे जाति है। फिर वहा से घूम कर सचिन के पास अति है और रोते हुए बोली" में तो सोच रही थी की कितना अच्छा दोस्ती है तुम्हारा लेकिन तुम भी वही निकला!." और वहा से रोते हुए बाहर चली गई। सचिन फिर से टेंशन मैं डूब गया। सचिन का हर एक नेचर सही था लेकिन थापड़ चलने मैं ये नहीं देखता था की आगे कौन खड़ा है।

to be continued...

क्या होगा कहानी का अंजाम । अब लगता है सुष्मिता और सचिन का दोस्ती बिखड़ जायेगा। नैंसी और सचिन भी दूर हो जाएंगे क्या होगा अब इन तीनो का जानने के लिए पढ़े"खुशी के आंसु" और जुड़े रहिए हमेसा webnovel पर।