लीं की बातो को सुन कर जियान को एक सुकून का अहसास मिला। वो भी तो यही जानना चाहता था कि सच में सोवी उसकी बहुत परवाह करता है ।
लीं जियान से कुछ जवाब न पाकर फिर बोली तुम्हे कुछ बचपन का याद है?जियान ने कहा "नही कुछ ज्यादा नही ! मुझे मेरे माता पिता याद है बस! वो भी बहुत ज्यादा याद नहीं है।
लीं ने कहा"_तुम तो राजकुमार हो न ! भविष्य में तुम भी कुलप्रमुख बनोगे! तुम्हार राज्याभिषेक कब होगा?
जियान , लीं की बातो को सुन कर चुप था क्युकी जिस राजगद्दी का वो हकदार है वहा पहले से ही उसके चाचा ने साजिश रच रखी थी ताकि जियान की जगह उनका बेटा कुलप्रमुख बने। जियान को राजगद्दी से ज्यादा उनका प्यार चाहिएं था जो कि उसे कभी नही मिला।
लीं ने फिर पूछा तो तुम किसके साथ रहते हो मतलब अभी तुम्हारे करीबी में कौन कौन है?
जियान ने सोवी की तरफ देखते हुए कहा मेरे करीबी में बस सोवी है उसके अलावा कोई एक इंसान ऐसा नहीं है जिसे मैं अपना बोलूं या वो मेरी परवाह करता हो।
लीं ने पूछा "तुम दोनो दोस्त हो?
जियान ने कहा "मुझे नही पता है कि मै सोवी का दोस्त हूं भी या नहीं।
लीं को भी जियान से बात करते करते नींद आने लगी थी और वो वही सो गई , जियान ने देखा कि सोवी अभी भी ध्यान मुद्रा में है हालांकि उसका मन हो रहा था कि वो उससे बात करे। जियान को भी नींद आने लगी थी और उसके आंख बन्द होने लगी थी उसने बहुत खुद को संभाला लेकिन नींद की वजह से खुद को रोक नहीं पाया और उसका सर सोवी के कंधे से टकरा गया क्युकी वो सोवी के बिल्कुल पास बैठा था।
जियान का सर, सोवी के कंधे से टकराने से उसका ध्यान टूट गया और उसने आंख खोल कर देखा तो जियान नींद भरी आंखों को लेकर उससे बोल रहा था कि वो गलती से उससे टकरा गया ! नींद की वजह से जियान से बोला भी नहीं जा रहा था । सोवी ने जियान का सर लेकर अपने कंधे पर रख दिया और उसके सर पर हाथ फेरते हुए कहा सो जाओ !
जियान को बहुत नींद आ रही थी वो कुछ बोल नहीं पाया लेकिन वो इतना अहसास जरूर कर सका था कि कुछ तो ऐसा है जिसने उन दोनो को एक दुसरे से बांध रखा है, रात की गुलाबी ठंड आग के मजे और ज्यादा कर रहे थे शायद हल्की बर्फबारी भी हो रही थी इस वजह से ठंड और अधिक हो चुकी था, रात अपने दुसरे पहर के दौर से गुज़र रही थी और जियान का यूं सोवी के पास सोना एक उदासी भरे लम्हे को खुशनुमा बनाने जैसा था, सोवी बस जियान को देखे जा रहा था और खुद की किस्मत पर रोए जा रहा था ये सोच कर जब बचपन था तब सोलमेट का इंतज़ार था आज जब मेरा सोलमेट मेरे पास है तब मुझे उस बचपन की याद आ रही है जब उसे खोने का डर नही था। सोवी ने जियान के सर पर हाथ फेरते हुए धीरे से कहा तुम बहुत खुबसूरत हो जियान ,मैं तुम्हे कभी खोना नहीं चाहता हूं।।
हां मुझे पता है मैं खुबसूरत हूं तुम ये कहना कब बंद करोगे ? और मुझे ऐसे मत देखो जैसे मै कोई लड़की हूं जियान ने सोवी के कंधे से सर हटाते हुए कहा।
सोवी ने चौंकते हुए कहा तुम कब से मेरी बातो को सुन रहे हों?
जियान ने जोर से हंसते हुए जवाब दिया !शुरू से । क्या मैं वाकई इतना खुबसूरत हूं! तुम ऐसे घूरना कब बंद करोगे?
जियान की हंसने की आवाज़ सुन कर शिन जुई और लीं दोनो की आंख खुल गई जियान ने शिन की तरफ देखते हुए कहा देखा शिन जुई मैने कहा था न कि तुम्हारे मास्टर मेरे सोने के समय तारीफ करते हैं! इतनी ईर्ष्या क्यों है तुम्हारे मास्टर को मेरी खुबसूरती से?
शिन जुई ने तुरंत चिढ़ते हुए जवाब दिया इसमें इतना जोर से हंसने वाली क्या बात है बेवकूफ! तुम खुबसूरत हो तो मास्टर ने कह दिया होगा! इसमें इतना खुश होने वाली क्या बात है?
शिन जुई के सवाल पर जियान चुप हो गया हां सच में इसमें इतना खुश होने वाली क्या बात थी ,वो खुबसूरत है ये बात उसे बचपन से पता है! सच तो ये था कि उसे सोवी के मुंह से ख़ुद की तारीफ सुनना अच्छा लगता है ।
तभी अचानक बाहर से कुछ लोगों के चीखने की आवाज़ आई शिन जुई ने कहा इतनी रात को कौन हो सकता है आखिर !और इतनी डरी और सहमी आवाज़ किसकी हो सकती हैं?
लीं ने कहा लगता है काली आत्माओं का हमला हुआ है लोगों पर ! क्या हमे उन्हे बचाना चाहिए?
सोवी ने कहा "ये उनकी कोई साजिश भी हो सकती है!
जियान बोला "लेकिन अगर साजिश न हुई तो क्या हम उन्हे ऐसे मरता हुआ छोड़ दें? कभी नहीं । मैं उनकी सहायता के लिए जा रहा हूं।
सोवी ने जियान का हाथ पकड़ते हुए कहा रुक जाओ मैं भी चलूंगा!
लीं ने कहा_यहां तुम दोनो में से एक का रुकना आवश्यक है अगर कोई साजिश हुई तो तुम दोनो के साथ प्राचीन पुस्तक को वापस पाना और चैंग को मारना दोनो मुश्किल होगा।
शिन जुई ने कहा हां ये सही कह रही है। एक काम करते हैं मैं और जियान उनकी सहायता के लिए जाते है।
लीं ने कहा, नहीं ! जियान के साथ मैं जा रही हूं सोवी और तुम यहां हम दोनो का इंतज़ार करना उनकी सहायता के बाद हम तुरंत वापस आ जाएंगे।
सोवी ने फिक्र भरी नजरो से जियान की तरफ देखा वो जियान को अकेले नहीं जानें देना चाहता था, लेकिन उसके पास कोई दूसरा रास्ता नहीं था हो सकता है वो कोई साजिश हो और सोवी ये भी जानता था कि जियान बहुत जिद्दी है वो बाहर उनकी सहायता के लिए जायेगा जरूर। हिम्मत करके सोवी ने कहा तुम और ली यहां रुको मैं बाहर जाऊंगा अगर ये कोई साजिश हुई भी तो तुम और लीं स्वान कबीले की प्राचीन पुस्तक स्वान कबीले तक पहुंचा देना!
जियान ने मुस्कुरा कर कहा" ये तो तुम्हे अच्छे से पता है जब कोई मुझे किसी चीज़ के लिए मना करता है तो मै उतना ही उस काम को करता हूं, अब तो मेरा बाहर जाना तय है और लीं को भी मेरे साथ आने की आवश्यकता नहीं है मैं योद्धा हूं । हालांकि लीं की जिद करने पर जियान ने उसे अपने साथ आने दिया।
,,,, जियान और लीं के बाहर जाने के बाद सोवी और शिन जुई को उनके वापस आने का इंतज़ार था शिन जुई को डर लगने लगा था वो डरावनी आवाज़ आनी तो बंद हो गईं थीं मगर जियान अभी वापस नही आया था उन दोनो को अब जियान की फिक्र होने लगीं सोवी ने कहा मै जियान को ऐसे अकेला नहीं छोड़ सकता हूं इसलिए मैं जियान को ढूंढने जा रहा हूं, तुम भी मेरे साथ चलो जुई।
सोवी और शिन जुई बाहर जाने के लिए जैसे आगे बढ़े वैसे ही उस झोपडी के छप्पर कि तरफ से डरावनी आवाज़ आने लगी। आवाज़ की लपक तेज होती जा रहीं थीं ऐसा लग रहा था काले सांए छप्पर को घेरे हुए है और उन दोनो को अपने वश में करने के लिए वैसी आवाज़ निकाल रहे हैं । शिन जुई ने डर कर मास्टर का हाथ पकड़ लिया और सोवी से बोली मुझे ऐसा क्यू लग रहा था कि ये हमे अलग करने की साजिश थी ।
हां सही कहा तुमने , ये एक साजिश ही थी "बाहर से किसी ल़डकी ने कहा। शिन जुई और सोवी दोनो चौक गए क्युकी ये आवाज लीं की लग रही थी।