Chereads / एक दायरा ऐसा भी ?(BL in Hindi) / Chapter 37 - पीड़ा (पार्ट 37)

Chapter 37 - पीड़ा (पार्ट 37)

आहह बचपन से? क्या मतलब है तुम्हारा? तुम जियान को बचपन से जानती हो? शिन जुई ने उत्सुकता से पूछा!लीं मुस्कुरा कर बोली हां मैं बचपन से जियान को जानती हूं! और तब से आज तक हर रोज जियान को जानना चाहा है!
शिन जुई ने कहा" क्या मतलब है तुम्हारा?तुम ऐसे क्यों बात कर रही हो जैसे कि तुम उसके बहुत करीब हो!

लीं ने कहा जियान के पिता और मेरे पिता जी अच्छे दोस्त थे। दोनो कबिलो के मध्य अच्छे व्यापारिक संबंध थे जियान के माता पिता की हत्या की साजिश रची गई थी जिसके बारे में मेरे पिता को पता चल गया था वो जियान के कबीले गए थे जियान के पिता को सच बताने ,लेकिन उससे पहले मेरे पिता पर हमला हुआ और वो घायल हो गए थे, और वही उनका इलाज हुआ था उसी समय मेरे पिता ने मेरा रिश्ता जियान के साथ तय कर दिया था, लेकिन कुछ समय बाद जियान के माता पिता की हत्या हो गई शायद इसलिए जियान को मेरे बारे में कोई बताने वाला नही था इसलिए उसको हमारे रिश्ते के बारे में नही पता होगा।
लेकिन मेरी मां ने मुझे बचपन से जियान के बारे में बताया था मेरी मां कहती थी मेरी शादी जियान से होगी, उन्होने जियान की चाची के पास संदेश भी भिजवाया लेकिन उनका जवाब नही आया। लेकिन मुझे यकीन था कि मैं एक दिन जरूर अपने राजकुमार से मिलूगी! तुम लोग जब लावोमेंन कबीले में आए थे मुझे तभी मेरे गुप्तचर ने बताया था कि साेवी के साथ जो दूसरा लड़का होगा वो कोई और नहीं बल्कि जियान होगा । मुझे पहले से पता था ! ऊपर वाला कभी नाइंसाफी नहीं करता है इस अकेली दुनियां में मेरा कोई हाथ थामने वाला है ,मै इससे बहुत खुश हूं। मैने जियान को अभी तक अपने बारे में कुछ नही बताया है , थोड़ा सा और उसे परेशान करना है फिर बताऊंगी । तुम दोनो भी उसे कुछ मत बताना क्युकी मै ख़ुद बताना चाहती हूं । फिर लीं ने शिन जुई से कहा तुम सोच रही होगी मैं कितनी बेशर्म हूं जो अपनी शादी की बात इस तरह कर रही हूं! क्या करू ? वो कितना खूबसूरत है न !और उसके लंबे बाल मेरे बालो से भी ज्यादा खूबसूरत है बहुत हसीन है जियान! ये कितना अच्छा है कि मेरा मागेतर इतना खुबसूरत है।
लीं की बातो को सुन कर एक अजीब सी खामोशी छा गई थी लीं ने कहा क्या हुआ? आप लोग बहुत शान्त है !
शिन जुई से बर्दास्त नही हुआ वो गुस्से में उठ कर बोली जियान तुम्हारा मंगेतर कैसे हो सकता है? वो तो मास्टर का... शिन जुई कुछ बोलती उससे पहले सोवी ने शिन जुई का हाथ पकड़ते हुए बैठने का इशारा किया । शिन जुई को समझ आ गया कि सोवी उसे चुप रहने के लिए कहना चाहता है शिन जुई चुपचाप बैठ गई। लीं को कुछ समझ नहीं आ रहा था वो शिन जुई से बोली अपनी बात पूरी करो _जियान मास्टर का क्या? आगे तो बताओ।
सोवी ने बहुत नम्रता से कहा वो जुई का मतलब था कि जियान मेरा विधार्थी है । सोवी फिर चुप हो गया।
शिन जुई को अभी भी यकीन नहीं हो पाया था वो फिर से लीं से बोली मगर ये कैसे हो सकता है?
लीं कुछ बोल पाती उससे पहले जियान ने दरवाजा खटखटाया। वो अखरोट लेकर आ रहा चुका था शिन जुई ने उठ कर जियान के लिए दरवाजा खोला। जियान ने अंदर प्रवेश करते ही कहा यहां चारो तरफ़ लावोमेन के सिपाही का पहरा है किसी का भी बाहर निकलना जोखिम भरा हो सकता है ।
तो तुम कैसे जिंदा बच गए बेवकूफ शिन जुई ने तुरंत कहा!
जियान ने हंसते हुए कहा क्युकी मै जियान हूं इसलिए । फिर जियान भी सोवी के पास बैठ गया और शिन जुई को अखरोट देते हुए बोला लो खा लो तुमको भूख लगी थी । और बाकी अखरोट सोवी और लीं को दे दो । शिन जुई ने तुरंत अखरोट लेकर सबको बराबर दिया।
सभी चारो आग के पास बैठे थे लीं जियान के बिल्कुल ठीक सामने बैठी थी लीं ने जियान से कहा तो तुम सोवी के विधार्थी हो ? मुझे लगा था तुम युद्ध में निपुण होंगे लेकिन अब भी तुम विद्यार्थी ही हो।
जियान ने गुस्से में सोवी की तरफ देख कर बोला तो तुम यहां लीं को ये बता रहे थे कि मैं तुम्हारा विधार्थी हूं। आखिर तुम समझते क्या हो खुद को । अपना बखान करना कब बंद करोगे ?क्या तुम सबको ये दिखाना चाहते हों कि तुम बहुत साहसी हो? तुम सबके गुरु हो? जियान एक झटके में बहुत कुछ बोल गया ।

.... सोवी चुप चाप मूर्त बैठा रहा उसे जैसे जियान की बाते सुनाई ही नही दी हो । कोई समझ सकता था क्या की सोवी किस पीड़ा से गुजर रहा है ? इस निर्दय भरी दुनियां में उसे पहले से ही अपने सोलमेट के लिए इतना संघर्ष करना पड़ रहा था जहा एक तरफ समाज के सवाल थे जिसमे उसके खुद के पिता उससे सवाल कर बैठे थे कि वो एक लड़के से शादी कैसे कर सकता है ,तो वही दूसरी तरफ जियान था जिसके लिए प्रेम का अर्थ एक लड़का और लड़की के बीच का प्यार था। वो अभी तक जियान को ये तक नहीं समझा पाया था कि प्रेम का अर्थ केवल प्रेम होता है प्रेम का लिंग से कोई सम्बन्ध नहीं है, प्रेम तो निशर्त होता है, वो किसी भी वस्तु, व्यक्ती, वाणी, अनुभव, लगाव जीव, किसी से भी हो सकता है । इतनी सी बात जियान को समझ नहीं आई थी कि अब लीं का यूं अचानक से ये कहना कि जियान उसका मंगेतर है । सोवी के लिए ये सब असहनीय पीड़ा से गुजरने जैसा था वो भला कैसे लीं को सच बोल सकता था कि जियान उसका सोलमेट है जबकि वो जानता था कि जियान को लीं में दिलचस्पी है वो तो बस जियान को खुश देखना चाहता था।
सोवी कि तरफ से कोई जवाब न पाकर जियान को भी ख्याल आया कि उसको इतना चिल्लाना नही चाहिएं था ।
शिन जुई ने तुरंत जियान पर गुस्सा करते हुए कहा तुम क्या कभी मास्टर से सही से बात नहीं कर सकते हो? फिर वो सोवी की तरफ देखते हुए बोली आप ठीक तो है न मास्टर।
सोवी ने मुस्कुरा कर शिन जुई को हा कहा ,वो अपनी पीड़ा शिन जुई को या फिर जियान को नही जाहिर होने देना चाहता है ।
जियान ने अपना एक अखरोट लीं को दे दिया लीं तो जियान के इस अंदाज से बहुत खुश थी ,लेकिन शिन जुई को बुरा लग रहा था सोवी के लिए ! उसे पता था कि सोवी भले ही चुप है लेकिन उसे बहुत कष्ट हो रहा है , मास्टर आप अखरोट खाओ आपको भी भूख लगी होगी , शिन जुई ने कहा।
सोवी ने अपना एक अखरोट शिन जुई को देते हुए कहा तुम खा लो तुम्हे भूख लगी थी । जियान को ये देख कर बहुत बुरा लग रहा था कि सोवी अपनी विधार्थी की कितनी परवाह करता है लेकिन मुझसे तो सही से बात भी नहीं करता है।
ये क्या मास्टर आप कुछ भी नहीं खाते है कम से कम एक ही अखरोट खा लो ।
जियान ने चिढ़ते हुए कहा जब वो अपना अखरोट तुमको दे चुका है तब क्या वो तुमको खायेगा ?
शिन जुई ने तुरंत जवाब दिया मास्टर के हाथ में एक और अखरोट है मै तो मास्टर को उसे खाने के लिए बोल रही थी । जियान ने गौर से सोवी के हाथ की तरफ देखा तो उसमे एक अखरोट था जिसे सोवी ने कस कर पकड़ा हुआ था जैसे वो की कीमती वस्तु हो ।
जियान ने कहा " अखरोट कैसे पकड़ा है जैसे वो बहुत कीमती है फिक्र मत करों और ला दुगा । फिलहाल तुम ये खा लो। और मैने अभी तुम पर जो गुस्सा किया वो तो बस इसलिए था कि मैं तुम्हारा विधार्थी नही हू और न तुमसे डरता हूं। खुद को मेरा गुरु बताना बंद करो ।
सोवी ने कहा" हां मैं जानता हूं कि मैं तुम्हारा गुरु नही हूं।
जियान ने कहा तो फिर अखरोट खा लो, वरना रात को भूख से सो नहीं पाओगे।
सोवी ने जियान की और हाथ बढ़ाते हुए कहा ये अखरोट तुम्हारे लिए है तुम्हे पसंद है न मैने इसलिए इसे बचा कर रखा है, लो तुम खा लो, और जियान के हाथ में उसने अखरोट रख दिया।जियान का मन एक पल में कंठित हो उठा और एक बार फिर जियान को ये एहसास हो गया कि इस दुनियां में सोवी ही एक एसा इंसान हैं जो उसकी परवाह करता है। वो सोवी से बोलना चाहता था कि वो शुकगुजार है उसका लेकिन उसे खुद के बुरे व्यवहार को सोच कर बुरा लग रहा था , उसने अखरोट खा लिया। रात का पहर था अब चारो को अगली रात होने का इंतजार था पास पड़ोस के कुछ लोग जो लीं को गुप्त रूप से सहायता दे रहे थे उन लोगो ने रात के भोजन का इंतजाम कर दिया था , चारो ने भोजन किया। भोजन के बाद वो आग जला कर बैठ गए ताकि वो ठंड से बच सके। शिन जुई तो सो चुकी थी और सोवी ध्यान मुद्रा में बैठ कर अध्यात्म शक्ती को नियंत्रित करने लगा । जियान भी सोवी के पास ही बैठा था । और लीं जियान के सामने बैठी थी। लीं ने जियान से कहा सोवी तुम्हारी बहुत परवाह करता है।

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