सुबह सुबह जब जियान की आंख खुली तो उसने अपने सामने सोवी को बैठे देखा वो जियान को ही देख रहा था।
जियान ने कहा_अरे सुबह सुबह घूरना शुरू कर दिया तुम कुछ और नही कर सकते हो क्या?
सोवी ने कहा_मै बस तुम्हे जगाने आया था।
जियान _हा तो जगाया क्यो नही?
सोवी _फिर चुप हो गया और वहां से उठ कर चला गया।
जियान भी उठ कर बैठ गया और सोचने लगा,," ये कितना अजीब इंसान है, हर समय मुझे ही देखने का क्या मतलब है??तभी आदिवासी प्रमुख जियान के पास आ कर बैठ गए।
आदिवासी प्रमुख बोले तुम्हारा नाम जियान है?
जियान ने बड़े ही आदर के साथ जवाब दिया " हाँ मेरा नाम जियान है और मै जिंगसुई कबीले का राजकुमार हू मै स्वान कबीले में शिक्षा लेने के लिए आया था।
आदिवासी प्रमुख ने फिर पूछा तुम सोवी गुरु के कौन हो?
जियान _अब सोच में पड़ गया क्युकी न वो सोवी का रिश्तेदार था और न ही उसकी अभी तक सोवी से दोस्ती हुई थी और न ही वो सोवी को अपना गुरु मानता था। वो सकपकाते हुए बोला आ ह्ह्ह्ह मुझे नही पता मै सोवी का कौन हूं!
आदिवासी प्रमुख ने कहा "लेकिन जैसे सोवी गुरु तुम्हारी परवाह करते है उससे तो लगता है की तुम बहुत खास हो।
जियान एक बार फिर सोचने पर मजबूर हो गया की वो वाकई में सोवी के लिए कुछ खास था। जियान ने हंसते हुए कहा "वो बहुत निर्दयी है, बात बात पर सजाए देते है, वो चुप तो ऐसे रहता है जैसे मौन रहने वाला मंत्र पढ़ रखा हो ।पता नही लोग उन्हे पसन्द कैसे करते है वो बस दिखने में अच्छा है । लेकिन वो बहुत ही उबाऊ इंसान है!
आदिवासी प्रमुख जियान की बातो से हसने लगे और बोले सोवी गुरु को तो मै जानता हूं ,लेकिन तुम भी बहुत शैतान हो !
जियान हंस कर बोला सबको ऐसा ही लगता है।
सोवी भी वही आ गया उसने कहा हमें चलना चाहिए, समय कम है ।
जियान ने कहा हां ठीक है
सोवी ने आदिवासी प्रमुख और उनके लोगो से कहा आप लोगो को एक बार फिर से मेरा शुक्रिया ।आप लोग प्रेम की मिशाल है कभी भी किसी भी सहायता की आवश्कता हो तो आप लोग बेझिझक स्वान कबीले आ सकतें है।
जियान_ने फिर धीरे से बुदबुदाते हुए कहा सहायता के साथ साथ सजाए भी देते है वो फिर खुद से ही हंसने लगा ।
आदीवासी प्रमुख बोले "आपकी यात्रा शुभ हो राजकुमार ।
सोवी और जियान ने नम्रता से आदिवासियों का अभिवादन किया और उनके इलाके से निकल कर दूसरी पहाड़ी को पार करने के लिए चल दिए! जियान और सोवी को वो पवित्र पुस्तकों को वापस जल्द से जल्द पाना था वो दोनो बिना झिझक जंगली इलाके को पार करते हुए जा रहे थे।
काफी आगे निकल जाने के बाद जियान ने सोवी से कहा "तुम बिना बोले कैसे चल लेते हो ।
सोवी ने कहा क्युकी तुम बोलते रहते हो ।
जियान बोला अब इसका क्या मतलब हुआ । तुम इतनी अधूरी बात क्यो करते हो?
सोवी चुप हो गया।
जियान ने फिर अचानक से कहा" मै तुम्हारा कौन हूं?
सोवी_के कदम अपने आप रुक गए वो मुड़ कर जियान को देखने लगा । उसे समझ नहीं आ रहा था कि जियान अचानक उससे इस तरह के सवाल क्यों पूछ रहा है!
जियान ने कहा " तुम ऐसे क्यों देख रहे हो? वो आदीवासी प्रमुख ने मुझसे यही बात पूछी थी इसलिए मैने कहा । सोवी इतना सुन कर फिर चुप होकर चलने लगा ।
जियान कापते हुए बोला क्या तुम मेरे दोस्त बनोगे ?
सोवी ने कहा 'तुम तो मुझे पसन्द नहीं करते हो।
जियान ने कहा_हा लेकिन हमारा सफर अभी लंबा है और अगर कोई फिर से मुझ से पूछेगा कि मै तुम्हारा कौन हूं तो मेरे लिए कम से कम बताने के लिए कुछ तो होगा । लोगों के सवाल से चुप रहने से तो बेहतर है कि मै तुमको अपना दोस्त बोल दूँ!
बोलो मेरे दोस्त बनोगे ?
सोवी बिना उसको देख कर बोला हां
वो दोनो दूसरी पहाड़ी को कब पार कर चुके थे पता ही नही चला ।
जियान ने कहा अब हम बहुत जल्दी लाओमेन पहुंचने वाले है
सोवी ने कहा तीसरी पहाड़ी शुरू होते ही हम लावोमेन के करीब होगे क्युकी लाओमेन की काली आत्माए यहां तक देखी जाती है।
जियान जोर से हंस कर बोला तुम्हे सब कैसे पता होता है ।
फिर दोनो ने नदी को पार करने के लिए नाव चालक के पास गए।
जियान ने उससे कहा सुनिए भाई हमे नदी के उस पार जाना है।
नौका चालक ने पूछा नए मुसाफिर लगते हो?
जियान ने कहा हां ।
नौका चालक बोला इस नदी को नाविक जल्दी पार नहीं करते है लेकिन अगर तुम दो चांदी के सिक्के दोगे तो ले चलुगा।
जियान ने कहा ठीक है ।
वो दोनो नाव में बैठ गए नाविक धीरे धीरे नाव चलाते हुए आगे बढ़ रहा था।
तभी जियान ने कहा सुनिए आप तो यही के रहने वाले है क्या आप मुझे बता सकते है नदी के उस पार कोई गांव है?
नाविक ने जवाव दिया _नही नदी के उस पार कोई गांव नही है, उन सात पहाड़ियों की तीसरी पहाड़ी की शुरुआत होती है नदी पार करते ,बहुत ही मायावी पहाड़ी है इसलिए वहा कोई गांव नही है! लेकिन तीसरी पहाड़ी को पार करते ही आपको एक बहुत सुंदर कबीला मिलेगा।फिर नाविक ने कहा_ये कौन है सोवी की तरफ़ इशारा करते हुए!
जियान ने कहा_वो इंसान है बोल कर जोर से हंसा! कही तुम्हे ऐसा तो नही लग रहा है कि वो कोई मूर्ति है, ?
नाविक ने कहा _ बहुत शान्त स्वाभाव के लगते है ।
जियान ने कहा_हां क्योंकि वो बोल नही सकता है और उसके चेहरे पर कोई भाव नही दिखते हैं! फिर जियान जोर से हंसा! जियान को अब बहुत मजा आता था, सोवी को परेशान करके, लेकिन सोवी हमेशा की तरह चुप चाप बैठा था!
नाविक_हैरानी से बोला क्या सच में ये बोल नही सकता?
जियान ने कहा " हाँ तो क्या मैं झूठ बोल रहा हूं? अगर वो बोल पाता ऐसे चुप क्यो रहता, जियान ने मुस्कुराते हुए कहा।
नाविक ने कहा इतना सुंदर लड़का और बोल नही सकता, बहुत दुख हुआ सुनकर। नाविक सोवी को बहुत ध्यान से देखें जा रहा था , एक खूबसूरत सी नदी और एक सफेद पोशाक में निहायती खूबसूरत सा लड़का, सभी को लुभाने वाले नजारे पेश कर रहे थे!
जियान ने कहा_क्या हुआ ऐसे क्यो देख रहे हो?
नाविक_सोवी की तरफ़ देखते हुऐ बोला इसके चेहरे पर कीतना तेज है और ये बहुत खुबसूरत है ,ये साधारण सा नही लगता है।
जियान को अचानक से गुस्सा आने लगा उसने घूरते हुए नाविक से कहा बेहतर होगा आप उसे न देखते हुए नाव चलाइए। सोवी भी चुप बैठा था उसने पहली बार जियान को ऐसे देखा था । जब जियान उसके लिए बोल रहा था।
नाविक ने हड़बड़ाते हुए कहा "आप शान्त रहिए हम बस नदी पार करने वाले है।
नदी को पार करते ही जियान ने दो चांदी के सिक्के निकाल कर दे दिया सोवी जियान आगे चलने लगे ।
जियान ने नाव से उतरते ही नाविक के कान में जाकर धीरे से कहा था हम दोबारा कभी न मिले तुम्हारे लिए ये अच्छा होगा।
तीसरी पहाड़ी को पार करने के लिए वो दोनो चलने लगे ।
सोवी ने कहा जियान तुमने नाविक से ऐसा क्यों कहा की हम दोबारा न मिले।
जियान पूछता है "तुमने सुन लिया?
सोवी_हा में सर हिलाते हुए।
जियान ने कहा " तुमने सुना नही उसने क्या कहा,वो मुझे बस पसन्द नही आया, जवाब में सोवी ने कहा मैने उसको सुना ही नहीं मेरा ध्यान तो तुम्हारे ऊपर था! फिर सोवी ने कहा तुम्हे अच्छा नहीं लगता है जब कोई मुझे कुछ बोलता है,? जियान ने कहा मुझे नहीं पता लेकिन मुझे गुस्सा आता है,,फिर जियान ने कहा हा ठीक है ठीक है ,तुम मुझे ऐसे ज्ञान क्यों देने लगते हो ,मै भी तो एक योद्धा हूं मुझे सब पता है ।
दोनो काफी थक गए थे जियान के पैर में बहुत दर्द था और उसे बहुत प्यास भी लगी थीं।
जियान ने कहा मुझे प्यास लगी है पानी चाहिए।
सोवी चलते रहो !जरूर कही न कही झरना होगा! हम वही पानी पी लेंगे । पहाड़ी को आधे से ज्यादा पार करने के बाद एक झरना नजर आया।
जियान जल्दी से झरने के पास गया और उसने पानी पी लिया जियान ने कहा आओ तुम भी पी लो ।
सोवी ने कहा "मुझे प्यास नही है।
जियान जवाब दिया "कही तुम भूत तो नही हो फिर वो हंसने लगा
जियान और सोवी फिर चलते लगे जियान ने देखा आगे वही काली आत्माएं है जो स्वान कबीले में आई थीं ये साए बिलकुल वैसी ही थी।
आत्माओं ने जियान और सोवी की तरफ़ जादुई वार किया ।
जियान ने बहुत ही तेजी से उसके वार को काट दिया ।जियान भी अध्यात्म शक्ति का मालिक था ।
सोवी और जियान ने बहुत बहादुरी से उन आत्माओं का मुकाबला किया । और वो आत्माए देखते ही देखते गायब हो गई।
सोवी_इसका मतलब लावोमेंन कबीले के प्रमुख को पता चल गया की हम अपनी पुस्तक वापस लेने आ रहे है।
जियान ने कहा हां हमे और जल्दी ये सफर पूरा करना होगा ।
जियान ने जोर से कहा अरे वो देखो एक सुंदर सा कबीला । मतलब हमने तीसरी पहाड़ी को पार कर लिया है ।
जियान खुशी मे कह रहा था "वाकई में कितना सुंदर कबीला है, दूर से ही रोशनी दिख रही है जल्दी चलो , मुझे तो बहुत मनमोहक दिख रहा है!
सोवी ने कहा, तुम्हे पसंद है ऐसे चकाचौंध का माहौल?
जियान ने जवाब दिया "हा बहुत ज्यादा ।
सोवी ने जब जियान को देखा तो उसे हाथ पकड़ कर रोक लिया! जब उसने ध्यान से देखा जियान के होठ नीले पड़ गए थे और उसके हाथो के नाखून भी नीले पड़ चुके थे।
जियान के पूछने पर सोवी ने बताया की "जिस झरने से तुमने पानी पिया था वो दूषित था एक प्रकार से देखे तो वह विषैला था तुम्हे उसका जहर चढ़ रहा है। हमे जल्दी चलना चाहिए। कबीले में पहुंच कर इलाज हो सकता है।
जियान ने कहा_हा ठीक ! इतना परेशान मत हो मै मरने वाला नही हूं। फिर वो हंसने लगा।
सोवी ने कहा "चुप करो (गुस्से में)
जियान और सोवी उस कबीले में पहुंच गए हर तरफ़ रोशनी थी तरह तरह चीजे मिल रही है रंग बिरंगी दुकानें और मनमोहक खुशबू वहा का नजारा और अधिक सुंदर बना रहे थे जियान तो बहुत खुश था वो बस सब कुछ को देखे जा रहा था।
जियान को बुखार था और जहर भी असर कर रहा था वो बेहोश होकर गिरने लगा तभी सोवी ने उसे सहारे से रोक लिया।
सोवी ने जियान को पकड़ते हुए कहा घबराओ मत मै पास हू तुम्हारे । हमे बस जल्दी से रहने के लिए कोई सराय मिल जाए।
मै तुम्हारा इलाज कर दुगा।