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Synopsis

Chapter 1 - हमारी मंजिल

आयत की ऐसे इंसान से शादी कर दी गई जो उसे मिला भी नही था कभी हालाकि आयात ने उसे देखा था वो एक शॉप मैं आयत से टकराया था एक शहजादा जिसको देखा तो आंखे उसपे से हटना नही चाहती थी....

लेकिन तब आयत को यह गुमान भी नही था की इस शख्स से आयत की शादी होगी ये वो खुदको ही लायक नही समझी आयत ने उसको सॉरी बोला और रास्ते से हट गई वो उसके साथ पूरे एक मिनिट था बस आयत उसको देख रही थी और उस वक्त मैं उसने यह सोच लिया लिया था की वो उसके नसीब मैं नहीं होगा आयत की जिंदगी हमेशा से ऐसे हालातो मैं रही थी की उसे खुदको कम समझने की आदत लग गई थी आयत उस इंसान से मिलने को एक ख्वाब की तरह भूल जाती है कुछ सालो बाद जब आयत का रिश्ता होने की बात होती है तो वो रिश्ता उस ख्वाब वाले लड़कों का था आयत उसकी बहन को पसंद आई थी तब आयत को पता चला वो उस शख्स की जिंदगी भी आसान नही रही उसकी मां नही थी वो दोनो भी भाई ही थे बस तब आयत के दिल में उसके लिए प्यार इज्जत एक ऐसा एहसास भर गया जिसको अल्फाजों में बताना मुश्किल है और आयत को तभी उसका नाम पता लगा शाहिद वो मन मैं बोली आयत शाहिद कितना प्यारी जोड़ी है लेकिन तभी उसके अंदर से आवाज आई तू अच्छी नही देखती क्यू उसकी जिंदगी खराब करना चाह रही है यह रिश्ता नहीं हो सकता तुम दोनो मैं कुछ भी कॉमन नही है खुदको देख उसको देख तू कहा आम सी दिखने वाली लड़की वो कहा शहजादा जैसा इंसान रियलिटी मैं आ कुछ लोग ऐसे होते हैं जो खुदको हमेशा दूसरों से कम मानते है ये उनकी मुश्किल हालातो की तरफ से दिया उपहार होता है तब आयत ने अपनी मां से कहा सुनो मां वो रिश्ता जो आया है उसके लिए मना कर दीजिए यह अलफ्ज़ कहते वक्त उसकी रूह उसके साथ नही थी लेकिन इसे क्या फर्क पड़ता है उसने अपनी ओर अपनी मां की खुशी एक साथ खत्म करदी थी आयत को मां को शाहिद पहली नजर मैं पसंद आया था आयत की मां ने उसका यह जवाब सुन कर उसे अपने पास से जाने के लिए बोला तबसे आयत के मां न उसे बोलती न कुछ खाती पीती बस अपने कमरे मै चुप रहती आयत से ये सब कुछ देखा नही जाता एक दिन हिम्मत करके अपनी मां के पास गई और रोने लगी और बोली मां तेरी बेटी उसके लायक नहीं हैं मैं उसकी जिंदगी में खराब नही करना चाहती मां ने उसको डांटा और सीने से लगा लिया क्या कमी है मेरी बेटी में कौन अपनी औलाद को बुरा समझता है मां ने उसे प्यार से समझाया बोला बेटा जिंदगी सबको मौका नही देती तू अपनी जिंदगी अपनी मां की तरह बरबाद मत कर तुझमें किसी चीज की कमी नहीं है ये किस्मत ने उसे तोफा दिया है इंकार मत कर इसको लेने से तब आयत ने रिश्ते को हां करदिया शाहिद की तरह से भी रिश्ते के लिए हां था आयत खुद को पागल बोल रही थी देख उसने रिश्ते के लिए हम करदिया तू ही खुदको कुछ नही समझती अब आयत से ज्यादा खुश कोई नहीं था 5 महीने उसकी शादी हुई वो इतनी खुश थी या घबड़ाहट थी की क्या होगा उसका सामना कैसा होगा भले ही ये हमारी शादी अरेंज है लेकिन मेरी तरफ से तो वो मेरा पहला प्यार है मैं क्या बोलूंगी उसको वो सामने आयेगा तो क्या करूंगी यह सोच सोच कर उसको दिल की धड़कन तेज होने तब एक आवास आती है जिसमे मोहब्बत नही थी सुनो आपका नाम जो भी है क्या हम बात कर सकते है ?? उस वक्त आयत के ख्वाबों को हकीकत ने जगा दिया आयात समझ नही पा रही थी यह क्या हों रहा है क्या यह कोई ख्वाब है नही हे ख्वाब नही हो सकता यह क्या है फिर...