अचानक से शाहिद वही बर्ताव करा था जो वो पहले करता था आयत से गुस्सा रहना आज वो सोया भी तो आयत से पिट करके यह बात आयत को तकलीफ़ दे रही थी सुबह होती तो आयत के उठने से पहले शाहिद ऑफिस चला जाता आयत उसकी फिक्र में रहती वो शाहिद को कॉल करती ३ कॉल और शाहिद उसकी कॉल उठता और कहता क्यों परेशान कर रही हो मुझे? आयत कहती आप कब गए मुझे उठाया क्यों नही आपने कुछ खाया क्या नही अभी तक ? यह सुन कर वो आयत की कॉल कट कर देता
शाहिद रात को घर में २ और आता जब तक उसको लगता की आयत सो चुकी होगी लेकिन आयत उसको इंतज़ार कर रही थी आयत कहती आप आगे देर हो गई आज आपको
तबियत तो ठीक है आपकी मैं खाना लगा दू आपके लिए? यह सब से चीड़ कर शाहिद कहता यह अचानक से मेरी बीवी कैसे बन हुई हो तुम ? अपनी हद्द में रहो यह सब करके तुम मेरे पर कोई असर नही कर सकती दूर रहो मुझसे और यह शादी का सच मत भूलो समझी कह कर चला जाता आयत उसको बस देखती रह जाती
उस रात आयत सोचती रहती आखिर क्या गलती करदी मैने फिर से वो शाहिद के पास जाती उस वक्त शाहिद जगा हुआ रहता है लेकिन आयत को आते देख सोने का ड्रामा करता आयत शाहिद के सोफे के पास आकर बैठ जाती और शाहिद के सर पर हल्के से हाथ रखती धीमे से कहती काश आपके दिल मै हकीकत मै क्या है वो मुझे पता लग सकता आज पता नही मैने कौन सी गलती की जिसे आप मुझसे इतना नाराज़ है और यह कह कर शाहिद के सोफे से सर लगा कर बैठ जाती शाहिद को खुद से नफ़रत होने लगती मैं ऐसी लड़की के साथ क्या कर हु कैसा इंसान हु मैं यह लड़की को डिजर्व नही करता आयत को कोई और देख रहा है तो मुझे उसे मार देने का मन करा है मेरे दिल पर यह चढ़ती जा रही है मेरी कमज़ोरी क्यों बनती जा रही है में कबसे इतना कमज़ोर हो गया आयत को इस वक्त मुझे सीने से लगाने का मन करा है लेकिन मैं यह नही कर सकता