Chereads / My Poem's & Shayris (Hindi) Vol 1 / Chapter 34 - Shairy No 34

Chapter 34 - Shairy No 34

अर्ज़ कुछ यूँ किया हैं जरा गौर फरमाइयेगा

ना मैं शायर हूं और ना ही मैं कवि

ना मैं शायर हूं और ना ही मैं कवि

मैं तो बस वो इंसान हूं जो इंसान से मोहब्बत करता हूं

मोहब्बत भी ऐसे जो दिल-ओ-जान से करता हूं

कोई मेरा दिल तोड़े या फिर ना तोड़े

मोहब्बत और बस मोहब्बत करता हूं