अर्ज़ कुछ यूँ किया है ज़रा गौर फरमाइयेगा
सब्जी के भंडार से होती है सब्ज़ीमंडी
सब्जी के भंडार से होती है सब्ज़ीमंडी
अब किसी के कहने से तोड़ी ना होती है रजामंदी
अर्ज़ कुछ यूँ किया है ज़रा गौर फरमाइयेगा
सब्जी के भंडार से होती है सब्ज़ीमंडी
सब्जी के भंडार से होती है सब्ज़ीमंडी
अब किसी के कहने से तोड़ी ना होती है रजामंदी