Chereads / My Poem's & Shayris (Hindi) Vol 1 / Chapter 32 - Shairy No 32

Chapter 32 - Shairy No 32

अर्ज़ कुछ यूँ किया है ज़रा गौर फरमाइयेगा

सब्जी के भंडार से होती है सब्ज़ीमंडी

सब्जी के भंडार से होती है सब्ज़ीमंडी

अब किसी के कहने से तोड़ी ना होती है रजामंदी