अर्ज़ कुछ यूँ किया है ज़रा गौर फरमाइयेगा
झील सी आँखों में तेरे मैं डूबना चाहता हूँ
झील सी आँखों में तेरे मैं डूबना चाहता हूँ
इन नशीली आँखों के नशे में मैं झुमना चाहता हूँ
अर्ज़ कुछ यूँ किया है ज़रा गौर फरमाइयेगा
झील सी आँखों में तेरे मैं डूबना चाहता हूँ
झील सी आँखों में तेरे मैं डूबना चाहता हूँ
इन नशीली आँखों के नशे में मैं झुमना चाहता हूँ