Chereads / My Poem's & Shayris (Hindi) Vol 1 / Chapter 17 - Shairy No 17

Chapter 17 - Shairy No 17

अर्ज़ कुछ यूँ किया हैं जरा गौर फरमाइयेगा

जन्म जन्मान्तर का यह नाता हैं

रिश्ते चाहे जो कोई भी क्यों ना हो

जब हम बने ही एक दूजे के लिए हैं

तो यह दुनिया हमें अलग कैसे करें