Chereads / My Poem's & Shayris (Hindi) Vol 1 / Chapter 21 - Shairy No 21

Chapter 21 - Shairy No 21

अर्ज़ कुछ यूँ किया है जरा गौर फरमाइयेगा

शमशान की राख़ मे ज़िन्दगी ढूंढा नहीं करते

शमशान की राख़ मे ज़िन्दगी ढूंढा नहीं करते

सूरज को तो अस्त होना ही है बस वक़्त का इंतज़ार है