Chereads / My Poem's & Shayris (Hindi) Vol 1 / Chapter 19 - Shairy No 19

Chapter 19 - Shairy No 19

अर्ज़ कुछ यूँ किया है ज़रा गौर फरमाइयेगा

दिल के कारनामें

ख्वाहिशे बहूत थी इस दिल की जिसकी हमने क़ब्र खोद रखी है

दफना दिए वो सारी खुशियाँ जो हमारे तकदीर में नहीं है

यूँ तो हज़ारो जख्म खाये है इस कम्बक़्त दिल ने

फिर भी मुस्कुराते रहा जैसे कुछ हुआ ही नहीं है