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Chapter 59 - क्या तुम बच्चे के साथ खेल रहे हो?

चार राक्षस, चार दिशा में। हाथ में कुल्हाड़ा लिए एक कंकाल को जोड़ने के बाद, सहस्त्र रचना इस बार भाग नहीं पाया। अनुसरण और जो कुछ भी उसने फेंका था, जोम्बी के साथ वो सब गायब हो चुका था। कैमरा गोल गोल घूम रहा था। उसके इर्द गिर्द, अब तक अधमरे राक्षसों की हड्डियां और सड़ा हुआ मांस था।

अधमरे राक्षस की हलचल बहुत ही धीमी होती थी, तो वो बहुत धीरे उठे। सहस्त्र रचना उनमे सबसे पहले उठ गया। उसके कैमरा ने दिशा बदली। इस बार विकट देव, वहाँ से हटा नहीं था। अपना युद्ध भाला लेकर विकट देव लम्बी धारियों में भाग रहा था।

चौंका हुआ सहस्त्र रचना बेबसी में पीछे की ओर कूद पड़ा। कूदने के बाद उसे बहुत पछतावा हुआ। वो छिपा क्यो? क्या ये उसकी खुद की इच्छा नहीं थी उसे सबक सिखाने की?

इस समय, धीमी चाल वाले राक्षस फिर से ऊपर चढ़ने लगे। हालांकि ये चार राक्षस अभी ही सहस्त्र रचना से टकराये थे, पर उनका लक्ष्य अभी भी विकट देव ही था। कुल्हाड़ा लिए हुए राक्षस का पहला लक्ष्य सहस्त्र रचना था पर उस पर चार राक्षसों द्वारा हमला किया जा चुका था, जिसे विकट देव का हमला माना जाता। उसका भी लक्ष्य अब विकट देव था। जैसे ही वो पांच राक्षस उठे, वो विकट देव की ओर दौड़ पड़े।

सहस्त्र रचना ने तय किया था कि वो पहले राक्षसों को पार करेगा और फिर विकट देव से सलीके से एक दौर की लड़ाई लड़ेगा। पर अंत में विकट देव का भाला पहले ही राक्षसों के आर-पार हो चुका था और वो एक संजीदा युद्ध में थे। उसका नजरिया भी उसकी ओर कभी नहीं बदला।

क्या ऐसा हो सकता था कि ये आदमी सिर्फ राक्षसों से लड़ना चाहता था और मुझसे नहीं? क्या ये पांच अधमरे राक्षस मुझसे ज्यादा कीमती है?. 

"हे" सहस्त्र रचना ने चिल्लाया।

"ओह, तुम्हे राक्षस चाहिए था? ये रहा एक, मजे करो" विकट देव ने ऊपर से वार चलाते हुए, धकेला। एक राक्षस उसकी ओर फेंका गया था और वो धीरे से सहस्त्र रचना के पैरों में जाकर गिरा।

सहस्त्र रचना विस्मित था।

उसने इस तरह की भावना कभी महसूस नहीं की थी।

अतीत में, जब भी उसने के.एस का इस्तेमाल दिखावा करने के लिए किया था, जिनके भी शिकार उसने चुरा कर मारे थे, सारे गुस्सा हो गए थे। कुछ ने उस पर हमला भी किया था। पर अंत मे, वो सब हार गए थे। उस तरह का एहसास बहुत अच्छा होता था।

पर इस समय विपक्षी के व्यवहार ने उसे एक दम बचकाना महसूस करने पर मजबूर कर दिया था। उसने पांच राक्षस और इकट्ठा किये और उस पर सुविधानुसार, जब भी मौका मिला एक से अधिक फेंके। ये हरकत ऐसी थी जैसे वो कह रहा हो, "छोटे बच्चे, शोर मत मचाओ। अंकल तुम्हारे लिए टॉफी लाये है"

सहस्त्र रचना बिना हिले, शून्य में घूर रहा था। जो राक्षस उसके सामने गिरा था, वो अभी भी विकट देव की ओर ही लक्षित था। पीछे की ओर रेंगने के बाद, वो तेजी से भागा।

"क्या? तुम्हें नहीं चाहिए?" विकट देव ने सही में उससे पूछा।

सहस्त्र रचना को यूं लगा मानो वो अभी उठ कर, इन कंकालों और जोम्बी के साथ मिलकर इस आदमी को हरा डाले।

"मैं तुम्हारा इंतजार करूँगा, तब तक तुम राक्षसों को मार लो। उसके बाद हम ढंग से एक दौर का युद्ध लड़ेंगे"

"कोई जरूरत नहीं है" विकट देव ने जवाब दिया। 

"क्यो" सहस्त्र रचना के मुंह से निकल पड़ा और फिर तुरन्त ही उसे पछतावा हुआ। दूसरी तरफ से एक बार साफ कह दिया गया था, "तुम्हारे पास अभी भी जाने का बहुत रास्ते है"। वो उसे ये दोबारा कहने का मौका क्यो देना चाहता था

"समय नहीं है" अंत में विकट देव ने कहा।

सहस्त्र रचना के गाल आँसुओं से भीग गए। बच्चा!, वो सही में बच्चा था। एक बच्चा जो एक बड़े से लड़ने के लिए जिद कर रहा था। जवाब में, बड़े ने बच्चे से कहा, "अंकल को अभी काम है। ढंग से रहो। खुद से खेलो"

उसके साथ इसी तरह का व्यवहार किया जा रहा था। सहस्त्र रचना को क्या कहना था, पता नहीं था। वो शायद सिर्फ इंतजार करें, जब तक वो राक्षसों को मारना खत्म न कर दे।

सहस्त्र रचना ने यही योजना तय की। नतीजतन, उसने बगल में शांति से इंतजार किया। पर उसी समय, वो पांच राक्षस इतनी आसानी से मरने वाले नहीं थे। क्या उसे कोशिश करके, उसकी मदद करनी चाहिए? पर उसने तुरंत ही महसूस किया कि वो इस हालत में नहीं था। इसलिए उसने सोचा कि वो भी एक राक्षस को मारते हुए समय बिताए। पर जैसे ही उसने एक राक्षस को मारकर कैमरे की दिशा वापस विकट देव की ओर की, वहाँ अभी भी पांच राक्षस थे। फिर एक मार लिया जाए। एक और राक्षस मारने के बाद भी वहाँ पांच राक्षस क्यों थे? इस आदमी की कुशलता कम नहीं थी। वो इतना समय ले, इसका कोई मतलब नहीं निकल रहा था। सहस्त्र रचना ठगा हुआ था। पर ध्यान से देखने के बाद, क्या ये वही पांच राक्षस थे, जो पहले थे?

जैसे ही वो उलझन में डूबा, एक कंकाल टूट कर बिखरा गया। थोड़ी ही देर में उसने विकट देव को देखा, जो एक और राक्षस खींच कर ले आया था और पांच राक्षसों से लड़ रहा था।

सहस्त्र रचना ने खून फेंक दिया। वो इस आदमी का इंतजार कर रहा था कि वो राक्षसों को मार ले और फिर उससे लड़े, पर ये आदमी उसे बिल्कुल भी गंभीरता से नहीं ले रहा था। वो आदमी सिर्फ दर्जे बढ़ाने पर ध्यान दे रहा था।

सहस्त्र रचना गुस्सा हो गया था। उसने उसकी मदद करने का निश्चय किया। गलत, वो उसकी मदद नहीं कर रहा था, वो उसे परेशान कर रहा था। वो अभी भी शिकार चुराने वाला था जब तक इस आदमी का धैर्य न टूट जाये।

अतः, सहस्त्र रचना आगे भागा और उन पांचों राक्षसों को खंजर घोप कर मारने लगा, जिन्हें विकट देव ने इकट्ठा किया था।

विकट देव ने उसपर एक नजर दौड़ाई। इसके तुरंत बाद ही सहस्त्र रचना को पार्टी में जुड़ने का आमंत्रण मिला।

धत्त, तुम्हारे साथ पार्टी कौन बनाना चाहता है? मैं तो यहाँ शिकार चुराने आया था। सहस्त्र रचना ने गुस्से में आमंत्रण नकार दिया और मारना जारी रखा।

ये पांच राक्षस बहुत ही तेजी से मारे गए, पर अनुभव का बंटवारा देखने पर, जानकार के.एस सहस्त्र रचना इस बार बुरी तरह से हार गया।

क्योंकि दोनों ने कोई पार्टी नहीं बनाई थी, इसलिए अगर वो एक ही राक्षस पर हमला करें तो राक्षस का अनुभव भी साझा हो जा रहा था। पहले और आखिरी हमले से ⅔ अनुभव मिला था। बचा हुआ ⅓ इससे तय होना था कि उन्होंने कितना नुकसान किया था।

सहस्त्र रचना ने जाहिर तौर पर पहला हमला नहीं किया और उसने आखिरी शिकार को चुराने की योजना बनाई थी। पर अंत मे, वो आखिरी वार झेलने में भी असमर्थ था। कुल नुकसान को यदि जोड़ा जाए तो वो विकट देव से पीछे था, इसीलिए उसे कम मात्रा में अनुभव मिला था। ऐसी हालत में, गिरे हुए सभी सामान विकट देव के थे।

पर इससे भी ज्यादा परेशानी का मुद्दा ये था कि पांच राक्षसों के गिरने से पहले ही विकट देव ने नए राक्षस बुला लिए थे और लगातार लड़ता जा रहा था। सहस्त्र रचना ने फिर से चुराने की कोशिश की पर पिछली बार की तरह ही उसका दुखद अंत हुआ। अंत मे, उसने सिर्फ विकट देव की राक्षसों को तेज मारने में मदद की। इससे भी अधिक, सारा अनुभव दूसरी तरफ चला गया और उसे सिर्फ कुछ बचा हुआ ही मिला। इस तरह देखकर की विकट देव को कोई नुकसान नहीं हुआ था और वो मेहनत से कमजोर हो गया था।

सहस्त्र रचना इतना गुस्सा हुआ कि लगभग बेहोश हो गया। इस लहर के बाद, वो तेजी से राक्षसों को खींचेगा और उन्हें वापस बुला लेगा। पर इस बार, विकट देव ने राक्षसों को उससे दूर बुलाया, जिससे सहस्त्र रचना अपने खींचे राक्षसों के साथ अकेला रह गया।

सहस्त्र रचना के गाल आँसुओं से भीग गए। वो क्या कर रहा था?

उसने तेजी से रास्ते के राक्षसों को हटाया और तेजी से भागा, "हे, मैं इन राक्षसों के साथ जुड़कर तुम पर हमला करूँगा"

"ज्यादा शोर न मचाओ। जाओ दर्जा उठाओ" दूसरी तरफ से अलग तरह से जवाब आया।

सहस्त्र रचना ने अपने दांत भींचे और युद्ध के खम्भे को हिलाया। वो विकट देव को मारने ही वाला था कि उसने सुना, "हुँह?, तुम लोग आपस में ही क्यो टकरा रहे हो"

सहस्त्र रचना ने तुरन्त सर घुमाया। नील नदी संघ की एक टुकड़ी उनके तरफ आ रही थी। बोलने वाला व्यक्ति 10 वे सर्वर में नील नदी संघ का नेता नीलधारा था।

सहस्त्र रचना ने खम्भा रख दिया और भागने वाला था।

"तुम कहाँ जा रहे हो सहस्त्र रचना?" नीलधारा ने चिल्लाया

सहस्त्र रचना के गाल आँसुओं से भीग गए। संघ का नेता! तुम्हारे पास दिमाग नहीं है! मेरे सर पर संघ का नाम नहीं लिखा है, तो तुम मेरी पहचान को क्यो उजागर कर रहे हो? इसलिए वो भागा पर उसने संघ को एक सन्देश भेजा, "समझो तुम ने किसी और को देखा"

"तुम क्या कर रहे हो?" नीलधारा को हालात समझ नहीं आये।

"मैंने विकट देव को नाराज किया है" सहस्त्र रचना ने कहा।

"क्या… तुमने क्या किया? क्या तुमने इसके शिकार राक्षसों को चुराकर मारा" नीलधारा को उसके अंदर काम करने वाले की गलती समझ आयी।

'मैं शिकार चुराने वाला था" सहस्त्र रचना रोने लगा। वैसे तो विकट देव को नाराज करने ही आया था, पर उसे ही बुरा लग रहा था। ये कितना गलत था?