Chapter 20 - निष्कासन

जल्द ही, क्लास आश्चर्य भरी फुसफुसाहटों से भर गई।

"क्या! ये वानवन का दिमाग ख़राब हो गया है? उसने सी ज़िया को अपमानित करने की हिम्मत कैसे की!"

"वह स्पष्ट रूप से सी ज़िया के करीब आना चाह रही है और यह इतना अच्छा मौका भी है।

"लानत है? क्या उसने अपने आप को अच्छी तरह से नहीं देखा है? उसकी जैसी गिरी हुई लड़की हमारे हंक पर हिट करने की कोशिश कैसे कर सकती है?"

क्लास टीचर इतने गुस्से में थी कि उसका चेहरा सचमुच स्याह हो गया था "ये वानवान! तुम्हें जल्दी निकाल ही दिया जाएगा, तो तुम फिर भी मुसीबत क्यों खड़ी कर रही हो? क्या तुमको लगता है कि कक्षा में अंतिम रैंकिंग बहुत शान की बात है? मैंने कैसे तुम जैसी बेशर्म छात्र को पढ़ाया था"।

टीचर की बातें सुनकर सभी लड़कियाँ बहुत खुश हुईं।

"हाहा, मैं लगभग भूल गई थी कि ये वानवन निष्कासित होने वाली है!"

"तो यह खबर सच है!"

"बहुत बढ़िया! देखते हैं कि उसके बाद वह कितनी बद-दिमाग रह पाती है।"

निष्कासन का नोटिस जारी होने तक उसकी क्लास टीचर का उसे बर्दाश्त करने का विचार था, लेकिन वह इसे अब और बर्दाश्त नहीं कर पाई और उसे सबके सामने डांटते हुए कहा, "जाओ खुद को आईने में देखो और देखो कि तुम कितनी उद्दंड हो, हमेशा ऐसे तैयार होती हो कि न तो मनुष्य लगती और न ही भूत। तुम्हारे ग्रेड भी बहुत ख़राब हैं, हमेशा कक्षा में आखिरी रैंक! एफ क्लास की प्रतिष्ठा, तुम्हारे जैसी बेकार लड़की के कारण खराब हो गई है! तुमने पूरी कक्षा के स्तर को नीचे गिरा दिया है और जो तुमने किया है तुम्हें उसका कोई पछतावा भी नहीं है कि तुमने ऐसा क्यों किया?"

यह देखकर कि ये वानवन को निकाल दिया जाएगा, लड़कियां खुश थीं।

यह बदसूरत सनकी आप पर भी हावी होना चाहती है मैडम। 

यह उसका भुगतान है!

"बाहर निकलो, बाहर निकलो!"

"जल्दी करो और निकलो।"

छात्रों के तानों का ये वानवान पर कोई असर नहीं हुआ और उसने शांत भाव से पोडियम को देखा, "स्कूल से बाहर निकलो'? मुझे आश्चर्य है कि मुझे स्कूल से निकालने का अधिकार मिस लियांग को किसने दिया?"

यह देखकर कि ये वानवन ने उनके अधिकार पर सवाल उठाने की हिम्मत की, लिआंग ली हुआ का चेहरा एक पल में स्याह हो गया और उन्होंने सख़्ती से कहा, "स्कूल के लीडरों के सर्वसम्मत फैसले से तुम्हें निकाल दिया गया है!"

उसकी बातें सुनकर ये वानवान को भारी संदेह हुआ।

"ओह, स्कूल के लीडरों का क्या फैसला है? भले ही मैंने स्कूल के कुछ नियमों को तोड़ा हो, लेकिन वे सभी छोटे-मोटे अपराध थे जैसे मेकअप करना, स्कूल की यूनिफॉर्म न पहनना और क्लास छोड़ कर निकल जाना। स्कूल के नियमों के अनुसार, आपको केवल तभी निष्कासित किया जा सकता है जब आप पर तीन बड़े अपराध का आरोप लगाया जाए।"

अब तो निश्चित तौर पर उसे निकाल दिया जाएगा क्योंकि लिआंग ली हुआ ने स्कूल के लीडरों के सामने उसे बदनाम कर दिया था।

सच कहूँ तो एक टीचर को किसी छात्र का जीवन बर्बाद करने की आवश्यकता नहीं थी। हालांकि, ये वानवन ने खुद को "बहुत भाग्यशाली" मानती थी, क्योंकि गलती से उसे पता चल गया कि लिआंग ली हुआ का, स्कूल के एक विवाहित नेता के साथ पहले से ही संबंध था।

स्वाभाविक रूप से, लिआंग ली हुआ इस कांटे से छुटकारा पाने के लिए हर संभव कोशिश करेंगी।

उसके पिछले जन्म में भी ऐसा ही हुआ था। उसने ये वानवन की, रोज़ पूरी कक्षा के सामने खिल्ली उड़ा कर और इस प्रकार सभी छात्रों को मनोरंजन का मौका दे कर उसका जीवन कठिन बना दिया था। 

"तुम इतनी चकित क्यों हो, अब निकलो" लिआंग ली हुआ उस पर भड़क गईं और बड़ी आतुरता से क्लास के बाहर की ओर इशारा किया।

ये वानवान शांति से बोली,"ओह! निष्कासन की कोई सूचना भी नहीं है और मुझे केवल मिस लियांग के कहने पर निष्कासित कर दिया जाएगा? क्या स्कूल आपके नियंत्रण में हैं?"

लियांग ली हुआ के चेहरे का रंग काफी बदल गया था, उसने अपनी मुट्ठी पोडियम पर पटकी और चिल्लाई, "ये वानवान! ऐसा अपमान! क्या यही तरीका है,एक टीचर से बात करने का? तुम्हारे माता-पिता ने तुमको यही सिखाया है?"

लियांग ली हुआ की त्योरियाँ चढ़ गईँ और उसने तिरस्कार से उसकी ओर देखा, "लेकिन तुमसे यही उम्मीद थी-जैसे माता-पिता वैसी बेटी। जिसके पिता ने गबन किया हो और कर्ज में डूबा हुआ हो,ऐसे परिवार से और आशा भी क्या की जा सकती है?"

लियांग ली हुआ ने, ये वानवन के निजी पारिवारिक मामलों को सभी छात्रों के सामने घृणा और मज़ाक के साथ उजागर किया।

तुरंत चारों ओर फुसफुसाहट सुनाई देने लगी और सभी छात्रों के चेहरों पर घृणा दिखाई दी।

ये वानवान एक ही स्थान पर भावहीन चेहरा लिए खड़ी थी।

केवल सी ज़िया जो उसके सबसे करीब था, वह देख सकता था कि अपने पिता के बारे में लिआंग ली हुआ की बातें सुनने के बाद, ये वानवान की सुन्न आँखें बर्फ की तरह फैल गईं, जिनमें से एक बेहद डरावनी ठंडक दिखाई देने लगी।

लड़के की भौंह फड़की और उसको अपनी आंखों पर संदेह हुआ, क्या वह भ्रम था?

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