जिंगे अपने सामने की जगह को एक खालीपन के साथ घूर रही थी …
"उसकी आंखो की चमक धीमी पड़ गयी, " मुझे लग रहा था कि मैं कितनी बेकार हूं…."
"हूं?" शिया ची को उसे समझने में काफी दिक्कत हो रही थी ।
"मेरी याददाश्त खो हो जाने के बाद,मैं इतनी फ़ालतू हो गई थी, मुझे लगने लगा कि मैं सच्चाई से दूर हो गई हूं"। अब जिंगे जब उसके बारे में सोचती, तो उसे लगता कि वह छः साल के लंबे सपने से जागी है ।
उसे कल्पना नहीं थी कि याददाश्त खोना ऐसा होगा ।
उसका दिमाग जैस शून्य में खो गया, अपने पीछे एक तनहाई को जगह देकर…..
वह रोजमर्रा के काम नहीं कर पाती थी और उसे अपने आस पास की दुनिया का कोई होश नहीं था ।
अगर उसे अपने बीते छः सालों को एक शब्द में वर्णन करना होता, तो वह होता खो जाना ।
शिया ची ये सोच रहा था जब जिंगे पहली बार उन लोगों के साथ रहने आई थी ,तब क्या स्थिति थी। वह सरल से सरल बातों में भी भ्रम कर बैठती । हालांकि उसे काम ढूंढने के लिए काफी साहस चहिये था।
यह प्रक्रिया लंबी और मुश्किल थी, क्योंकि उसे कदम-कदम पर बहुत ज्यादा मानसिक दबाव से निपटना था ।
यहां तक उसे अपने नाम भी शुरुवात में याद करने में मुश्किल हो रही थी,कम्पयूटर साइंस के ज्ञान की तो बात ही अलग थी । वह एक कठपुतली बन चुकी थी,जिसका कोई अस्तित्व ही न हो ।
शिया ची डर गया कि यह उसे और भी चिंतित कर देगा इसलिये उसने फौरन विषय बदल दिया, " दीदी, अतीत की बातें करने के लिए मुझे माफ कर देना ।तुम्हारे अच्छी कुशलता के कारण, मुझे यकीन है कि हमारा वक्त अब बेहतर होगा ।
" सही कहा तुमने," जिंगे ने अपनी पढ़ाई फ़िर शुरु करने से पहले मुस्कुराते हुये कहा ।
कम से कम समय में, वह नवीनतम आइटी जानकारी से स्वयं को अवगत करानें में सफल रही…
चूंकि शिया ची के खाता में प्रोजेक्ट की पेमेंट आ चुकी थी, जिंगे को अब अस्पताल छोड़ने की कोई जल्दी नहीं थी ।
जिंगे बहुत किफ़ायती थी,और वह सिर्फ सार्थक निवेश किया करती थी ।
इससे पहले कि वह अधिक कमाने के लिए बाहर निकल सके , उसे पूरी तरह स्वस्थ होना था। उसका फ़लसफ़ा था कि पैसा कभी भी कमाया जा सकता है, लेकिन स्वास्थ्य से समझौता नहीं किया जा सकता।
शिया ची का ग्रैजुएशन नज़दीक आ रहा था, इसीलिए उसे अब स्कूल में बस थोड़े-से पूर्वाभ्यास के लिए जाना था । उसन जिंगे की देखभाल के लिए अस्पताल में रहने का फैसला किया और वह अधिक पैसा देनेवाले प्रोजेक्ट्स के पीछे नहीं भागा।
जिंगे के पढ़ाई के प्रति समर्पण ने शिया ची को प्रेरित किया । उसने भी कुछ किताबे चुनीं जो वह प्रोग्रामिंग रुकने के खाली समय में पढ़ सकता था और जो भी चीज जो उसे समझ नही आती थी वह जिंगे से पूछ लेता था ।
इसी तरह दो दिन बीते, और शिया ची को लगने लगा कि जिंगे कम्पयूटर साइंस की इंसाइक्लोपीडिया है।
ऐसा कोई सवाल नही था जिसे वो हल नही कर सकती थी !
अपने मन में उदासी अनुभव करने के बजाय , उसे कठिन मेहनत की प्रेरणा मिली, जिससे वह एक दिन अपनी बहन के बराबर बन सके….
हालांकि एक अपूर्व बुद्धि और सामान्य व्यक्ति में ज़मीन-आसमान का अंतर होता है ।
इन दो दिनों में,जिंगे ने दस संदर्भ पुस्तकें पढ़ डालीं….
जिंगे आखिरी किताब नीचे रखते हुए सर हिलाया ।वह संतुष्ट नहीं दिख रही थी ।
"दीदी, क्या हुआ?" शिया ची ने पूछा, "किताबों के साथ कुछ दिक्कत है?"
"नहीं, कोई दिक्कत नहीं है। बस यही कि ये सब पाठ्यपुस्तकें प्रोग्रामिंग विद्यार्थियों के लिए हैं। तुम्हारे स्कूल में व्यावसायिकों के लिए कुछ नहीं है?" जिंगे ने पूछा।
शिया ची ने होंठ भींचे। "इन्हें मेरे प्राध्यापकों ने पढ़ने की सलाह दी है और मैं उनमें से आधी भी नहीं समझता। दीदी, तुम सच में महान हो।"
"आखिरकार, यह क्लासरूम में पढ़ने के लिए है और इसमें दी गई जानकारी बहुत मूलभूत स्तर की है। स्कूल के ग्रंथालय के अलावा तुम्हें कोई ऐसी जगह पता है, जहां इस विषय की किताबें तुम पढ़ने के लिए ले सको ?"
शिया ची ने उसके बारे में सोचा और कहा, "क्यों न मेरे सीनियर से पूछ लूं? वह एक आइटी कंपनी का निर्देशक है, मुझे यकीन है कि उसके पास तुम्हारे स्तर का कोई साहित्य होगा।"
"सोचा तो तुमने अच्छा है," जिंगे मान गई।
"ओके, मैं अभी जाकर उसे ढूंढता हूं।"
शिया ची जानता था कि जिंगे को कुछ नया साहित्य पाने की उत्कट लालसा थी, इसीलिए वह फौरन काम में लग गया।
उसने अपने सीनियर, तांग जुंतिंग को कॉल कर अपनी इच्छा जताई। जुंतिंग फौरन मान गया और उसने शिया ची को उसकी कंपनी में उससे मिलने को कहा।
शिया ची दौड़ा- दौड़ा कंपनी पहुंचा। वह रिसेप्शनिस्ट से जुंतिंग को संदेश भेजने के लिए कहनेवाला ही था, कि जुंतिंग लिफ्ट से बाहर आता दिखा।