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devils ki Dulhaniya

Deepti_Kushwaha
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Chapter 1 - अध्याय 1: सुहागरात या बेइज्जती?

सुहागरात…!

हर लड़की के लिए ये रात एक नए जीवन की शुरुआत होती है, एक मीठा सपना, एक नई दुनिया में कदम रखने का पल। लेकिन शनाया के लिए यह रात एक डरावना सच बन चुकी थी।

धड़ाम!

दरवाज़ा उसके मुँह पर बंद कर दिया गया था।

वो अभी भी अपने भारी लाल जोड़े में खड़ी थी। माथे पर चमकता सिंदूर, गले में नई-नई शादी की निशानी मंगलसूत्र, लेकिन आँखों में सिर्फ़ दर्द की परछाइयाँ।

उसके सामने उसके पति—हाँ, पति—खड़े थे। मगर उनकी आँखों में प्यार की जगह सिर्फ़ नफ़रत थी।

डेविल ब्रदर्स – दो शरीर, एक जान

आर्यन और करण मल्होत्रा।

दुनिया इन्हें "डेविल ब्रदर्स" के नाम से जानती थी। दिन में ये मशहूर बिज़नेसमैन थे और रात में अंडरवर्ल्ड के बेताज बादशाह।

लेकिन इस वक्त उनके चेहरे पर सिर्फ़ नफ़रत थी।

"क्या सोचा था तुमने, हाँ?"

आर्यन की कड़क आवाज़ ने सन्नाटे को चीर दिया।

शनाया ने अपनी नम आँखों से उसे देखा। उसकी आँखों में इतनी कड़वाहट क्यों थी? उसने ऐसा क्या किया था जो ये इस कदर नफ़रत से भर गए थे?

"कि हम तुम्हें अपनी बीवी मान लेंगे?"

करण ने उसकी ओर एक तीखी नज़र डाली, उसके लहंगे पर घृणा भरी निगाह डालते हुए कहा, "तुम्हें तुम्हारा हक देंगे?"

नफ़रत की चिंगारी

शनाया ने उन दोनों को देखा। उसकी सांसें तेज़ हो गईं।

दिल कर रहा था चीख-चीखकर कहे कि ये शादी उसकी मरज़ी से नहीं हुई थी। मगर उसने खुद को काबू में रखा।

"हमारी शादी एक धोखा थी," आर्यन ने एक कदम आगे बढ़ते हुए कहा।

"एक जबरदस्ती," करण ने ठंडी आवाज़ में कहा, "और तुम…"

आर्यन ने उसकी आँखों में झांकते हुए कहा, "हमारी बीवी बनने के लायक नहीं हो।"

उसके शब्द सीसे की तरह उसके दिल में उतर गए।

"इसलिए..."

करण ने दरवाज़ा खोला, उसकी तरफ़ इशारा किया, "निकल जाओ यहाँ से।"

शनाया ने एक गहरी साँस ली।

उसे दर्द हो रहा था। बहुत ज्यादा।

आँखों में आँसू थे, मगर उसने उन्हें गिरने नहीं दिया। होंठ काँप रहे थे, मगर उसने खुद को संभाला।

और फिर… उसकी आँखों में कुछ बदल गया।

उसका डर… उसकी तकलीफ़… सब जैसे राख बन गए। और उसकी अंदर की आग अब धीरे-धीरे जलने लगी थी।

चैलेंज एक्सेप्टेड!

उसने हल्की-सी मुस्कान दी, जो दोनों भाइयों को एक पल के लिए चौंका गई।

"ठीक है।"

उसने अपने भारी लहंगे को ठीक किया और सीधी खड़ी हो गई। उसकी आँखों में अब आँसू नहीं थे।

"तुम मुझे कमरे से बाहर निकालना चाहते हो, है ना?"

उसने अपनी बड़ी-बड़ी आँखों से दोनों को घूरते हुए कहा,

"कोई बात नहीं। लेकिन याद रखना, जो चीज़ तुम्हें पसंद नहीं, ज़रूरी नहीं कि वो बेकार हो।"

उसका आत्मविश्वास देखकर दोनों भाई एक पल के लिए चौंक गए।

"हम्म," आर्यन ने दाँत भींचते हुए कहा, "ज़्यादा समझदार बनने की कोशिश मत करो।"

"तुम हमारे घर की बहू ज़रूर हो, मगर दिलों में तुम्हारी कोई जगह नहीं है," करण ने सख्त आवाज़ में कहा।

शनाया ने एक भरी हुई सांस ली, और बिना एक भी आँसू बहाए, बिना एक भी लफ्ज़ और बोले, वो दरवाज़े से बाहर निकल गई।

शादी के मंडप से लेकर बेइज्जती तक

जैसे ही उसने कमरे की दहलीज़ पार की, पीछे से दरवाज़ा ज़ोर से बंद हो गया।

धड़ाम!

शनाया ने लंबी साँस ली।

चारों तरफ शादी की सजावट थी। हर कोने में खुशियों की झलक थी, लेकिन उसके लिए ये सब सिर्फ़ एक दिखावा था।

तभी किसी ने उसके कंधे पर ज़ोर से हाथ रखा।

"उफ्फ! इन दोनों की तो मैं—!"

शनाया ने चौंककर पीछे देखा—अनिका खड़ी थी, उसका चेहरा गुस्से से लाल था।

वो इस घर की सबसे छोटी बेटी थी और शनाया की बचपन से सबसे अच्छी दोस्त भी।

"इन दोनों गधों ने तुझे कमरे से बाहर निकाल दिया?" अनिका ने पूछा, उसकी आँखें गुस्से से जल रही थीं।

शनाया ने धीरे से सिर हिलाया।

"मैं अभी दोनों की क्लास लगाती हूँ!" अनिका ने गुस्से में अपने हाथ मोड़े, जैसे अभी दौड़कर उन दोनों भाइयों की धुनाई कर देगी।

शनाया ने उसका हाथ पकड़ा।

"रहने दे, अनिका," उसने धीरे से मुस्कुराते हुए कहा।

अनिका ने गुस्से से दाँत भींचे।

"रहने दूँ? तू मज़ाक कर रही है ना?"

शनाया ने गहरी सांस लेते हुए कहा,

"अब असली खेल शुरू होगा, अनिका।"

अनिका ने उसे गौर से देखा, फिर अचानक हंस पड़ी,

"मतलब तू अब इन दोनों डेविल ब्रदर्स की ज़िंदगी नर्क बनाएगी?"

शनाया ने एक आँख दबाई,

"बिल्कुल। अब देखना, ये नफ़रत कब और कैसे प्यार में बदलती है।"