अपनी बाहों में अपना बैकपैक लिए हुए, आरना ने उसे देखा और ये जानकर राहत महसूस की कि उसने अपने जूतों पर पैर रखने और उन्हें गंदा करने के लिए उसे बिल्कुल भी दोषी नहीं ठहराया।
आरना ने जब उन्हें यह कहते हुए सुना कि वो उसे छोटी लड़की बोल रहें हैं तो उसने तुरंत धीमी आवाज में कहा, "मैं छोटी लड़की नहीं हूँ।" उसकी आवाज़ इतनी कोमल थी कि कोई भी उससे मंत्रमुग्ध हो जाए।
उसने अपने बालों को एक पोनीटेल में रखा था, फिर भी उसके कुछ बाल उसके गालों से चिपके हुए थे। लड़कों ने फिर से उसका मजाक उड़ाना और उसे चिढ़ाना शुरू कर दिया।
"यार वरुण, लगता हैं कि इस छोटी बच्ची को गुस्सा भी आता है! क्यों ना तुम उसका गुस्सा शांत करा दो!"
"काश, मेरी बाहों में भी कोई इतनी सुंदर लड़की आकर गिरती! वरुण भाई, तुम सच में लक्की हो!"
"हाहाहा!"
आरना के कान लाल हो रहे थे... लेकिन उसने मुड़ने की हिम्मत नहीं की। 'क्या वो ये कहना चाहते हैं कि मैंने उस
लड़के को लुभाया हैं? सीरियसली! आरना तुम यह क्या सोच रही हो!'
लड़का उसके बहुत करीब था.. लेकिन उसने अभी तक कुछ नहीं कहा था। लंबे समय के बाद, उसके आसपास के लड़कों ने जब मज़ाक करना बंद नहीं किया तो उसने एक भावहीन आवाज़ में कहा। "दफा हो जाओ!"
हालांकि, आरना के लिए ये आश्चर्यजनक रूप से सुखद आवाज थी। उसकी नीची और चुंबकीय आवाज़ उसके कान के ठीक बगल में थी और उसने महसूस किया कि उसका कान किसी कारण से गर्म हो रहा है।
उन सभी लड़कों का लहजा शत्रुतापूर्ण था, मगर वो ऐसे नहीं लग रहे थे जैसे बदमाश हो। वो अभी भी एक दूसरे के साथ हंस रहे थे और मजाक कर रहे थे।
उसके बाद मेट्रो नेक्स्ट स्टेशन पर रुक गई, भीड़ कम हो रही थी और Dps स्कूल के उन लड़कों का ग्रुप भी उतर गया। लेकिन, मैट्रो में अभी भी कोई सीट खाली नहीं थी फिर भी हवा पहले की तुलना में बहुत ताज़ा थी।
जब आरना ने खिड़की से बाहर देखा तो उसने देखा कि उन लड़कों का ग्रुप एक दूसरे के कंधों पर हाथ रखे हँसी मज़ाक करते हुए जा रहा था, उनमें सबसे पीछे चल रहा लड़का थोड़ा लंबा था और वो व्हाइट शर्ट और ब्लैक पेंट में असाधारण रूप से अट्रेक्टिव लग रहा था आरना एक पल के लिए उससे नज़रे हटाना भूल गई।
मैट्रो फ़िर से चल दी, और वो लोग आंखों से ओझल हो गए। आरना अपने घर से केवल दो स्टेशन दूर थी। जल्द ही वो मैट्रो से उतर गई। सूरज धीरे- धीरे पश्चिम दिशा में छिप रहा था अपनी सुनहरी किरणों से पूरे आसमान को एक हल्की नारंगी आभा में रंगते हुए।
कॉन्सर्ट में ज़्यादा उछल कूद करने से आरना थक चुकी थी। लेकिन, शाम की हवा हल्की ठंडी थी और पतझड़ की पत्तियों की मद्धम महक भी साथ थी। इसने लगभग उसकी सारी थकान को मिटा दिया था।
करीब पांच मिनट पैदल चलने के बाद, वो अपने घर पर पहुंच गई। धीरे से दरवाज़ा खोलते हुए, आरना ने अंदर कदम रखा। घर की गर्माहट उसे ऐसे लपेटने लगी, जैसे किसी पुराने कंबल ने उसे घेर लिया हो। वैनिला कैंडल्स की खुशबू पूरे घर में बसी थी.. स्कूल में दिनभर रहने के बाद, यह महक उसे एक अलग सुकून देती थी।
उसने अपने जूते उतारे और नंगे पैर फर्श पर बिना कोई आवाज़ किए धीरे धीरे हॉलवे की ओर बढ़ी... किचन में बर्तनों की हल्की खनक और कुछ आवाज़ें सुनाई दे रही थीं। उसकी माँ हल्की-फुल्की धुन गुनगुना रही थी... जो किचन में चल रही हलचल के बीच से भी साफ़ सुनाई दे रही थी। मसालों और भुने हुए चिकन की खुशबू पूरे घर में तैर रही थी, जिससे उसका पेट गरजने लगा।
"अरे आरना बेटी तुम आ गई,!" उसके पापा 'अर्जुन' जो
अपने हाथ में पानी का एक ग्लास पकड़े हुए किचन की ओर जा रहे थे, ने कहा।
सीढ़ियों की ओर बढ़ती आरना के कदम रुक गए, मानो वो पकड़ी गई हो।.. उसने हल्के से अपने होठ काटे और मुड़कर कहा। "हां पापा मैं अभी आई, आज आप जल्दी आ गए?"
"तुम्हारे पापा जल्दी नहीं आए तुम लेट आई हो," उसकी
मम्मी, 'जानवी' गुस्से में किचन से बाहर निकली। "तुम अभी तक कहां थी, इतना लेट कैसे हुई?"
"वो मम्मी, मैं, मैं!" आरना अटकने लगी और उसका मुंह उतर गया, मानो वो किसी भी समय रो सकती थी।
अर्जुन ने जानवी को पानी का गिलास दिया, और कहा।
"अरे तुम उसे क्यों डांट रही हो! वो अभी बच्ची हैं.. रुक गई होगी अपनी फ्रेंड्स के साथ.. वैसे भी गलती तुम्हारी है तुम्हें पहले ही देख लेना चाहिए था कि कार ख़राब तो नहीं है!"
"ठीक है.. ठीक है.." जानवी ने एक घूंट पानी पिया और अपने माथे से पसीना पोंछते हुए बोली। "आरना अब से कभी मैट्रो में मत आना, इसके बजाए कैब लिया करो!"
"ठीक है मॉम!" आरना ने धीरे से कहा फिर फ्रूट बास्केट से एक एप्पल उठाकर और अपना बैकपैक लेकर ऊपर जाने से पहले बोली। "मॉम, मैं अपना होमवर्क करने जा रही हूँ! डिनर रेडी होने पर मुझे बुला लेना!"
"जाओ, और साथ में वायोलिन 🎻 की प्रैक्टिस भी कर लेना!" जानवी ने कहा। "इसके अलावा कल भी मैं तुम्हें लेने नहीं आ पाऊंगी, कल ड्राइवर मेरे एक काम से कार ठीक कराके ऑउट ऑफ सीटी जाएगा, सुबह के समय तुम्हारे पापा तुम्हें स्कूल छोड़ देंगे!"
"ओके मॉम!" आरना ने अपने कमरे में लौटने से पहले जवाब दिया।
कमरे में पहुंचते ही आरना ने राहत की सांस ली, उसकी पसीने से लथपथ स्कूल ड्रेस उसके शरीर से चिपकी हुई थी जिससे वो असहज महसूस कर रही थी। फ़िर उसने जल्दी से होमवियर का एक सेट लिया, और शॉवर लेने चली गई।
जब वो शॉवर से बाहर आई, तो उसने अपना वायोलिन उठा लिया, और थोड़ी देर वायोलिन बजाया। वायोलिन बजाना उसकी दिनचर्या का हिस्सा था। बचपन से ही वो अन्य बच्चों से अलग थीं और उसका डेली रूटीन हमेशा
एजुकेशनल कामों से भरा रहता था।
जब बाक़ी बच्चे बाहर खेल रहे होते थे, वो घर पर सिर्फ़ वायोलिन की प्रेक्टिस कर सकती थी। जब बाक़ी बच्चे वीडियो गेम्स खेलते थे, उसे अपना होमवर्क और बुक्स पढ़नी होती थी।
आधे घंटे वायोलिन की प्रेक्टिस करने के बाद, आरना ने वायोलिन को अलग रख दिया, अपनी दर्द भरी उंगलियों को थोड़ा चटकाया और अपनी टेबल पर बैठ गई! फ़िर, उसने अपनी नोटबुक निकाली, उसे अभी भी आज का होमवर्क करना था।
जैसे ही वो लिखना शुरू करने वाली थी, उसने अचानक फिर से कुछ सोचा, अपने पेन की कैप खोली और कुछ भी लिखने से पहले थोड़ी देर के लिए याद किया।
"उस लड़के का नाम क्या था?"
"वरुण भाई? यार वरुण?"
इससे पहले कि वो इसका पता लगा पाती उसने नीचे से जानवी के चिल्लाने की आवाज सुनी। "आरना, नीचे आ
जाओ, डिनर रेडी है!"
आरना ने तुरंत अपनी नोटबुक बंद कर दी और चिल्लाते हुए बोली। "आई मॉम! बस एक मिनट!"
अगले दिन मॉडल हाई स्कूल में, जब स्कूल एंड होने की घंटी बजी तो हमेशा की तरह हर क्लास में बच्चे शोरगुल करने लगे।
11th class में भी, क्लास टीचर ने अपनी टेक्स्टबुक्स समेटी और जल्दी से क्लास से निकल गई,
आरना ने भी अपनी नोटबुक्स को अपने बैकपैक में रख लिया और घर जाने के लिए तैयार हो गई चूंकि वो स्कूल
होस्टल में नहीं रहती थीं... तो उसे नाइट क्लासेस अटेंड नहीं करनी पड़ती थी।
वो अभी क्लास डोर से बाहर निकली ही थी, जब उसने किसी को कॉरिडोर में अपने सामने खड़ा पाया। आरना ने अपना सिर उठाकर ऊपर देखा और उलझन में पूछा। "क्लास प्रेसिडेंट?"
यह एक औसत कद वाला दुबला पतला लड़का था, जो अपने चेहरे पर एक प्यारी मुस्कान लिए खड़ा था उसका चेहरा बहुत अट्रेक्टिव था जो किसी भी लड़की का ध्यान अपनी ओर आकर्षित कर सकता था उसकी गर्म जैतूनी रंग की त्वचा उसकी गहरी भूरी आँखों से मेल खाती थी, जो हमेशा शांत और सोच-समझ से भरी हुई लगती थी।
वो आरना की ओर एकटक देख रहा था। फिर घबराहट के साथ उसने हकलाते हुए कहा। "आरना, वो मैंने सुना है कि आज तुम्हारा ड्राइवर नहीं आ पाएगा तो अगर तुम चाहो तो मैं तुम्हें अपनी कार से घर छोड़ सकता हूं!"
आरना ने उलझन में अपनी पलकें झपकाई। उसे समझ नहीं आ रहा कि उसे कैसे पता चला कि वो आज अकेले घर जा रही है तभी उसकी नज़र कॉरिडोर में उसके पीछे आ रही त्रिशा पर पड़ी!
त्रिशा ने उसे अपनी ओर देखते हुए पाकर... इधर- उधर देखने का नाटक किया, मानो उसे कुछ भी नहीं पता हो, हालांकि तिरछी नजर से वो अभी भी उन्हें देख रही थी।
कुछ पल की खामोशी के बाद, आरना ने थोड़ा मुस्कुराते हुए मना कर दिया। "थैंक्स राज, but. मैं ख़ुद से घर जा सकती हूं! मेरा घर केवल चार स्टेशन दूर है।"
"उम्म!" राज एक पल के लिए हिचकिचाया फिर उसको समझाते हुए बोला। "तुम एक लड़की हो और मुझे चिंता है कि तुम्हारे लिए अकेले घर जाना सेफ नहीं हो सकता है।"
आरना के घर के रास्ते में, उसे निश्चित रूप से बगल के DPS स्कूल के पास से गुजरना पड़ेगा.. जहां के लड़के बदमाशी के लिए कुख्यात थे। इसलिए उसने ये सुझाव दिया। इसके अलावा, इस बहाने उसे आरना के करीब आने का मौका भी मिल जाता।
हालांकि.. तभी उसे महसूस हुआ कि उसके इस सुझाव ने उसके इरादों को साफ़ कर दिया है राज के कान लाल हो गए और उसने तुरंत कहा। "तुम गलत मत समझना.. मेरा बिल्कुल भी कोई और इरादा नहीं है। आखिरकार.. क्लास टीचर पहले ही कह चुके हैं, कि क्लासमेट्स को एक-दूसरे की मदद करनी चाहिए!"
आरना ने धीरे से मुस्कुराया। "थैंक्स क्लास प्रेसिडेंट, मैं ख़ुद की सेफ़्टी पर ध्यान दूंगी!"
उसकी मुस्कान देखकर वो तुरंत लाल हो गया और कुछ समय के लिए अपना एजेंडा भूल गया। "It's ok, but खुद का ध्यान रखना, चलो कल मिलते हैं!" ये बोलकर वो बिना पीछे मुड़े, घबराए हुए तरीके से वहां से निकल गया।
क्लास के ज़्यादातर स्टूडेंट्स पहले ही जा चुके थे, अभी कॉरिडोर में आरना और त्रिशा के अलावा कोई नहीं था, आरना ने परेशान और गुस्से भरे भाव से त्रिशा की ओर देखा और कहा। "त्रिशा, तुम्हें क्लास प्रेसिडेंट को बताने की क्या जरूरत थी कि मैं अकेले घर जाऊंगी?"
जाहिर है त्रिशा थोड़ा दोषी महसूस कर रही थी! "सॉरी, लेकिन इसमें मेरी कोई गलती नहीं है! वो मुझसे तुम्हारे बारे में पूछ रहा था तो मेरे मुंह से गलती से निकल गया, वैसे राज़ तुम्हें बहुत पसंद करता है!"
आरना ने अपना मुंह बना लिया, और कंधे उचकाते हुए कहा। "फ़िर मैं क्या करूं?"
त्रिशा एक कदम आगे बढ़ाते हुए उसके करीब आई और गपशप करते हुए पूछा। "तो.. क्या तुम्हे राज पसंद नहीं है?"
आरना ने अपना सिर हिलाया और धीरे धीरे कॉरिडोर में आगे बढ़ने लगी। "बिल्कुल भी नहीं!"
त्रिशा भी उसके बगल में चलने लगी। "वैसे भी उस राज में इतना कुछ ख़ास नहीं है, वो एक पढ़ाकू टाइप लड़का हैं उसे डेट करना कितना उबाऊ होगा, क्या पता वो डेट पर भी पढ़ने की बाते करने लगे, हे भगवान, यह बहुत डरावना है!"
त्रिशा कुछ ज्यादा ही सोच रही थी, आरना ने इतना कुछ नहीं सोचा था। उसके बाद, त्रिशा ने उसे सिर से पैर तक ध्यान से देखा। हालांकि स्कूल में कोई मॉडलिंग ऑप्शन नहीं था, अगर ऐसा होता तो आरना निश्चित रूप से टॉप मॉडल्स में सिलेक्ट होती.. वो वास्तव में बहुत खूबसूरत थी। "मुझे लगता है!"
आरना ने उसे अजीब नज़रों से देखा, और पूछा। "तुम्हें क्या लगता है?"
त्रिशा ने एक हाथ अपनी पतली कमर पर रखा.. अपनी आंखों को थोड़ा तिरछा किया और कहा।.. "जरा अपनी ओर देखो, तुम कितनी ब्यूटीफुल हो, कितनी मासूम हो! मुझे नहीं लगता कि तुम्हें क्लास प्रेसिडेंट जैसा, एक गुड बॉय चलेगा, तुम्हें तो एक Bad Boy की ज़रूरत है।
"Bad Boy?" आरना हैरान रह गई.. और उसके सिर में तुरंत साउथ मूवीज के गुंडे दिखाई दिए। उसने जल्दी से अपना सिर हिलाया और कहा। "नहीं, नहीं मुझे बिल्कुल भी ऐसे लड़के पसंद नहीं हैं।"
अगले ही पल उसके दिमाग में कल मैट्रो वाले लड़के का ख्याल आया। उसके गाल थोड़े लाल हो गए और उसने कहा। "मुझे गुड लुकिंग बॉयस पसंद है!"
हालाँकि, उसने यह शब्द धीरे-धीरे कहे थे। लेकिन त्रिशा ने इन्हें सुन लिया था और वो हैरान रह गई। "क्या!"
आरना ने नहीं सोचा था कि त्रिशा यह सुन लेगी, क्योंकि वो तो धीरे से बडबडा रही थी। फ़िर,.. उसने ऐसा नाटक किया मानो उसने कुछ कहा ही ना हो! "हूह!"
"आरना सच में मुझे नहीं पता था कि तुम भी गुड लुकिंग बॉयस से ऑब्सेस्ड हो!" त्रिशा ने दिल टूटने वाले तरीके से आगे कहा। "जब हम हॉट लड़कों के बारे में बात कर रहे थे, तो जाहिर है कि तुम्हें बिल्कुल भी दिलचस्पी नहीं थी!"
आरना अवाक रह गई, हालांकि उसने कुछ कहा नहीं।
जल्द ही वो दोनों स्कूल गेट से बाहर निकल गई... त्रिशा को गुडबॉय कहने के बाद, आरना मैट्रो स्टेशन की ओर चली गई।