आरना धीरे-धीरे शाम के समय अपने घर की तरफ बढ़ रही थी। आसमान में लालिमा छाई हुई थी, और हल्की ठंडी हवा बह रही थी। उसका मन अभी भी उस आइसक्रीम के स्वाद में उलझा हुआ था, जो वरुण ने उसे खरीदकर दी थी। जैसे ही वो घर के गेट के पास पहुंची, उसने देखा कि उसकी मॉम दरवाज़े के बाहर उसका इंतज़ार कर रही थी।
आरना के कदम धीमे पड़ गए, और उसके चेहरे का सारा सुकून गायब हो गया। उसकी मम्मी ने ध्यान से उसे देखा और गुस्से में कहा। "आरना वक्त देख रही हो क्या हो रहा है? तुम इतनी लेट क्यों आई हो?"
आरना ने जल्दी से कहा, "बस मम्मी, थोड़ी देर हो गई थी।टीचर ने कुछ एक्स्ट्रा काम दे दिया था, वही खत्म कर रही थी।" वो झूंठ नहीं बोलना चाहती थी लेकिन अगर वो सच बोलती, तो उसकी मम्मी फ़िर उसे कभी मैट्रो से नहीं आने देगी।
उसकी मम्मी ने उसकी तरफ देखते हुए कहा, "ठीक है पर अगली बार टाइम पर आने की कोशिश करना। मैं परेशान हो जाती हूँ।" आरना हमेशा से एक ओबीडिएंट लड़की रही थी, इसलिए जानवी ने उसे कभी ज़्यादा नहीं डांटा था।
आरना ने सहमति में सिर हिलाया, और अपने जूते उतारते हुए अंदर चली गई। उसने ठंडे पानी से अपना चेहरा धोया, जैसे वो आइसक्रीम और अपनी मम्मी के सामने छिपाए गए सच को धोने की कोशिश कर रही हो।
डिनर के बाद, आरना ने अपने कमरे की ओर कदम बढ़ाए।रात की ठंडी हवा खिड़की से हल्के-हल्के अंदर आ रही थी, और उसने एक गहरी सांस ली, पूरे दिन की थकान अब उसे महसूस होने लगी थी लेकिन उसके पास अभी भी करने को कुछ काम बाकी थे।
सबसे पहले, वो बाथरूम में गई, हाथ- मुँह धोकर खुद को तरोताज़ा किया। ठंडे पानी के छींटे उसकी थकी आँखों और चेहरे को राहत दे रहे थे। उसने शीशे में खुद को देखा, बाल थोड़े बिखरे हुए थे, लेकिन चेहरे पर एक संतोष की लहर थी, अंदर से थोड़ी सी स्फूर्ति मिलते ही उसने हल्की सी मुस्कान दी और अपने बालों को ठीक किया।
फ्रेश होकर उसने अपनी अलमीरा से नाइट पैजामा निकाला, बेबी पिंक कलर का हल्का और आरामदायक नाइट पैजामा पहनते समय उसने सोचा कि दिन कितना लंबा रहा था।
कपड़े चेंज करने के बाद आरना अपने कमरे में वायलिन की ओर बढ़ी। यह वो समय था जब वो अपनी कला में पूरी तरह खो जाती थी। कमरे की एक दीवार के पास उसके वायलिन का स्टैंड रखा हुआ था। उसने ध्यान से वायलिन को उठाया, उसकी नाजुक संरचना को अपनी उंगलियों से महसूस किया और उसके स्ट्रिंग्स को हल्के से चेक किया। वायलिन बजाना उसके लिए सिर्फ एक शौक नहीं था, बल्कि एक माध्यम था जिससे वो अपने दिनभर की सारी भावनाओं को अभिव्यक्त कर पाती थी।
करीब आधे घंटे तक वायलिन की प्रैक्टिस करने के बाद, उसने उसे बड़े ही ध्यान से स्टैंड पर वापस रखा। उसके मन में एक अजीब-सी संतुष्टि थी, मानो संगीत ने उसकी थकान और उलझनों को दूर कर दिया हो। उसने खिड़की से बाहर झाँका, रात और गहरी हो चुकी थी। काले आसमान में तारे टिमटिमा रहे थे, और हल्की हवा में ठंडक बढ़ने लगी थी।
हालांकि अभी भी उसका होमवर्क बाकी था। फिर वो अपने डेस्क की ओर गई और अपनी बुक्स निकाल लीं, इंग्लिश की बुक उसके सामने खुली थी, वो हमेशा से इंग्लिश सब्जेक्ट में अच्छी थी, मगर आज उसका मन थोड़ी थकान महसूस कर रहा था। लेकिन फिर भी उसने खुद को समेटा और ध्यान से होमवर्क करना शुरू किया उसकी उंगलियाँ पैन को मजबूती से पकड़ी हुई थी-- जो स्पीड से उसकी नोटबुक पर चल रहा था।
होमवर्क खत्म करने के बाद, आरना ने नोटबुक्स वापस बैग में रख दीं, और अपना डेस्क साफ किया। ये सुनिश्चित करने के बाद कि उसने सब कुछ अच्छे से अपने बैग में रख लिया है एक चेन की सांस ली! रात के लगभग 1 बज चुके थे, इस वक्त उसे इतनी नींद आ रही थी कि उसने जल्दी से लाइट्स ऑफ़ की और अपने बिस्तर पर जाकर पसर गई।
अचानक उसे कुछ याद आया और वो जल्दी से वापस खड़ी हो गई, लाइट्स ऑन की और डेस्क के लॉकर से अपना पर्स निकाला और 650 rs अपने स्कूल बैग में रख लिए।
"मैं कोई ठग नहीं हूं कल उसे पता चल जाएगा!" वो वास्तव में यह साबित करना चाहती थी कि वो कोई धोखेबाज नहीं है।
आरना सुबह जल्दी खड़ी हो गई.. और स्कूल जानें के लिए रेडी होने लगी! एक बार तैयार होने के बाद वो नीचे आ गई, किचन में उसकी मम्मी ब्रेकफास्ट तैयार कर रही थी, आरना ने अपने बाल बांधते हुए कहा, "मम्मी, क्या मैं आज खुद से स्कूल जा सकती हूँ?"
उसकी मम्मी ने उसे हैरानी से देखा और थोड़ा चिंता भरे स्वर में बोलीं, "खुद से? लेकिन क्यों, बेटा? तुम्हारे पापा तुम्हें कार से छोड़ देंगे ना, जैसा हम रोज़ करते हैं। इसमें क्या दिक्कत है?"
आरना ने हल्की सी मुस्कान के साथ कहा,, "मम्मी, बस मुझे ऐसा लगता है कि मैं अब बड़ी हो गई हूँ। खुद से स्कूल आना जाना एक तरह की आज़ादी होगी। मैं भी अपने सभी फ्रेंड्स की तरह ख़ुद से स्कूल आना-जाना चाहती हूँ।"
जानवी ने सिर हिलाते हुए कहा, "आरना, तुम्हें पता है कि मैं तुम्हारी सुरक्षा के बारे में बहुत चिंता करती हूँ। आजकल की सड़कों पर खुद से जाना इतना सुरक्षित नहीं है तुम अभी भी बहुत छोटी हो!"
आरना ने थोड़ी हिचकिचाते हुए फिर से कोशिश की, "मम्मी, लेकिन त्रिशा और मेरी बाकी फ्रेंड्स भी तो जाती हैं मैंने सब कुछ सीख लिया है, और मैं बहुत सतर्क रहूंगी। प्लीज, एक बार मान जाइए! देखो नहीं आपने.. मैं दो दिन से ख़ुद से ही आ रही हूं!"
जानवी ने उसे गंभीरता से देखा और थोड़ा सख्त लहजे में कहा, "नहीं, आरना। ये बहुत बड़ा फैसला है, और मैं अभी इसके लिए तैयार नहीं हूँ।। तुम्हें कार से ही जाना होगा। मैं नहीं चाहती कि तुम खुद को खतरे में डालो! अगले दो दिन में ड्राइवर आ जाएगा! फ़िर, तुम उसी के साथ अप- डाउन करना!"
आरना ने एक गहरी सांस ली, और मायूसी भरी आवाज़ में बोली।, "मम्मी, मुझे लगता है कि आप मुझ पर भरोसा नहीं कर रही हैं। मैं समझ सकती हूँ कि आपको मेरी सुरक्षा की चिंता है, लेकिन क्या आप नहीं सोचतीं कि मुझे भी अपनी ज़िम्मेदारी उठानी चाहिए?"
जानवी ने नरमी से आरना का हाथ पकड़ते हुए कहा। "बेटा, भरोसा करने का सवाल नहीं है। मुझे तुम पर पूरा भरोसा है, लेकिन ये दुनिया कभी-कभी हमारे लिए तैयार नहीं होती। मैं बस चाहती हूँ कि तुम सुरक्षित रहो। तुम्हारा वक्त भी आएगा जब तुम खुद से जाओगी, लेकिन अभी नही।
फ़िर, उसने मुस्कुराते हुए उसके सिर पर हाथ रखा। "चलो अब जल्दी से ब्रेकफास्ट कर लो, तुम्हारे पापा बस आते ही होंगे!"
आरना ने थोड़ी निराशा महसूस की और उसका मुंह थोड़ा फूल गया, फ़िर वो चुपचाप ब्रेकफास्ट करने लगी।
पांच मिनट बाद, अर्जुन धीरे-धीरे सीढ़ियों से नीचे उतरा, एक जम्हाई ली और अपनी शर्ट के बटन दबाए। जब वो डाइनिंग टेबल के पास पहुंचा तो उसने अपना चश्मा पहन लिया और आह भरी। "डार्लिंग, अब आरना बड़ी हो गई है अगर वो ख़ुद से स्कूल जाना चाहती है, तो उसे जाने दो। "
यह सुनकर कि उसके पापा उसकी साइड ले रहे थे, आरना की आँखें चमक उठी और उसने जल्दी से अपना सिर हिला दिया। "देखो ना पापा, अब मैं बड़ी हो गई हूं! लेकिन, मम्मी मान ही नहीं रही है!"
जानवी जो अभी आरना के लिए पानी का गिलास लेकर आ रही थी, ने अचानक अपना सिर घुमाया और अर्जुन की ओर देखा। "अभी क्या कहा आपने? दोबारा कहना!"
आरना ने अपने पापा की आंखों में देखा, मानो उससे कहना चाहती हो! 'पापा अब दिखाओ, कि आप ही असली फैमिली हेड है!'
"मैंने कहा.." अर्जुन ने आरना के सामने से एक अंडा उठाया और उसे नजरंदाज कर दिया- जैसे कि उसने उसकी उत्सुक आंखों को देखा ही ना हो और आगे कहा! "मैं तो ये कह रहा था कि आरना तुम्हें अपनी मम्मी की बात सुननी चाहिए!"
आरना अवाक रह गई। 'पापा आप सच में बहुत गंदे हैं!'
लगभग आठ बजे तक अर्जुन ने आरना को स्कूल छोड़ दिया था। जैसे ही वो स्कूल में उतरी, उसने जल्दी से अपनी क्लास की ओर कदम बढ़ाए... उसके दिमाग़ में अभी भी ब्रेकफास्ट के दौरान हुई बातें चल रही थी।
क्लास में कुछ देर बाद उसकी बेस्ट फ्रेंड त्रिशा आई। त्रिशा हमेशा से ही कुछ नया सुनाने वाली होती थी और आज भी उसका चेहरा बता रहा था, कि उसके पास कुछ धमाकेदार गॉसिप है। त्रिशा ने अपनी किताबें डेस्क पर रखीं और सीधे आरना की ओर झुकी। उसकी उत्सुक आँखों में शरारत थी, और उसने गॉसिप करने के अंदाज़ में धीरे से कहा, "आरना, तुम्हें पता है? एक नया ट्रांसफर स्टूडेंट आने वाला है हमारे स्कूल में!"
आरना ने आँखें चौड़ी करते हुए कहा, "तो मैं क्या करूं?"
त्रिशा ने एक नाटकीय अंदाज में अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए कहा,! "ओह, तुमने सुना नहीं? वो लड़का इतना हेंडसम है कि उसे देखकर, हमारी पूरी क्लास की लड़कियों के होश उड़ जाएंगे! उसने हमारे स्कूल के कुछ लड़कों को भी पछाड़ दिया है! मेरा मतलब है कि वो लड़कों को भी मात देने वाला हैंडसम है!"
आरना ने त्रिशा की बातों पर हंसते हुए कहा, "अरे, यार! तुम तो हमेशा ही किसी ना किसी की सुंदरता पर फिदा रहती हो, पहले वो बास्केटबॉल टीम का लड़का, फिर वो फुटबॉल टीम का प्लेयर और अब ये नया ट्रांसफर स्टूडेंट..!"
त्रिशा ने नाक चढ़ाते हुए कहा, "अरे, भला इसमें क्या बुराई है? सुंदरता तो इंसान को सबसे पहले ही दिखती है और वैसे भी, मैंने सुना है कि वो इतना लड़का इतना कूल है कि उसके पास से गुज़रते ही लड़कियों के दिल धड़कने लगते हैं।"
आरना ने मज़ाक में कहा,! "तो फिर क्या?? हम लोग उसकी फिल्मी एंट्री का इंतजार करें और जैसे ही वो क्लास में आए, सब लोग उसे देख कर 'वाह!' बोलें?"
त्रिशा ने हंसते हुए कहा, "बिलकुल! और मैंने यह भी सुना है कि उसके पास एक ऐसा स्टाइल है, जैसे उसने फैशन शो से सीधा एंट्री मारी हो। क्लास में आते ही उसकी एंट्री बॉलीवुड के हीरो जैसी होगी!"
आरना ने सिर हिलाते हुए मज़ाक में कहा, "अगर ऐसा है, तो फिर हमें अपने दिल संभालने होंगे। कहीं ऐसा ना हो कि उसकी एंट्री पर सारी लड़कियां बेहोश हो जाएं!"
त्रिशा ने मज़ाक में ही आरना की तरफ देखते हुए कहा, "तू भी बेहोश हो जाएगी, आरना! देखना, जैसे ही वो क्लास में आएगा, तू सब बातें भूल जाएगी।"
आरना ने हंसते हुए कहा, "नहीं, नहीं! मैं इतनी जल्दी किसी पर फिदा नहीं होती। और वैसे भी, मुझे पढ़ाई करनी है, मेरे पास इतना फालतू वक्त नहीं है?"
त्रिशा ने उसके कंधो पर हाथ रखा और कहा। "क्या तूने नहीं कहा था कि तुम्हें गुड लुकिंग बॉयस पसंद है?"
आरना जो अभी बैग से अपनी नोटबुक्स निकाल रही थी, के अचानक हाथ रुक गए और उसे वो बात याद आई जो उसने त्रिशा से कल कही थी। फ़िर, उसने रूखे होठों के साथ कहा, "वो बस मैं मज़ाक कर रही थी!"
इससे पहले कि त्रिशा कुछ और बोल पाती, क्लास में टीचर आ गए, और सभी स्टूडेंट्स ने खड़े होकर उन्हें विश किया।
वापस बैठने के बाद अचानक आरना के दिमाग़ में कल वाले लड़के का ख्याल आया, लेकिन तभी उसके चेहरे पर निराशा आ गई।
त्रिशा ने अपनी फिजिक्स की बुक निकाली और जब उसने देखा कि टीचर की नज़रे ब्लैकबोर्ड की ओर थी, वो आरना की ओर झुकी। "अरे, आरना तुम्हें क्या हो गया है, तुम कुछ परेशान सी लग रही हो?"
आरना ने एक गहरी सांस ली, त्रिशा को देखा और मंद स्वर में बोली। "क्या मैं एक ठग की तरह दिखती हूं?"
उसके बाल पोनीटेल में बंधे थे, जिससे उसका कोमल चेहरा पूरी तरह से उभर आया था। उसकी आँखों में एक अलग ही चमक थी, मासूमियत और गहराई का ऐसा मिश्रण, जैसे कि वो स्वर्ग से आई एक एंजल हो। उसकी आँखों के कोने हल्के से ऊपर की ओर उठे हुए थे... जो उसकी सादगी में भी एक अनजानी मोहकता भर देते थे। उसकी नजरों में एक शुद्धता थी, जो दिल को छूने के साथ-साथ पवित्रता से भरी हुई थी।
त्रिशा ने उसकी ओर देखा और गुस्से में कहा। "किसने तुमसे ऐसा कहा? मेरी बेस्टी की क्यूटनेस के आगे तो बॉलीवुड की सारी एक्ट्रेस फीकी है!"
"तो फ़िर उसने मुझे ठग क्यों कहा?" आरना धीरे से बड़बड़ाई।
"अभी क्या कहा तूने मुझे कुछ सुना नहीं?" त्रिशा नेपूछा।
"कुछ नहीं!" आरना ने सिर हिलाया।
इससे पहले कि त्रिशा आगे कुछ पूछ पाती टीचर ने चिल्लाते हुए कहा। "त्रिशा तुम्हारा ध्यान कहां है?"