आरना क्लासरूम में बस सोच रही थी कि वो कैसे वरुण के सामने ख़ुद को साबित करे कि वो एक ठग नहीं हैं जब तक कि वो ऐसा नहीं कर लेती, तब तक वो अपने मन की शांति वापस नहीं पा सकेगी।
जैसे ही स्कूल की घंटी बजी और छुट्टी का वक्त हुआ, आरना ने जल्दी-जल्दी अपनी किताबें और नोटबुक्स बैग में डालनी शुरू कर दीं। उसकी फ्रेंड्स आपस में बातें कर रही थीं, मगर आरना के दिमाग में केवल एक ही ख्याल था- वो उस लड़के को साबित करके ही रहेगी कि वो कोई ठग नहीं है!
वो त्रिशा को बाय कहकर जल्दी से बाहर निकली, और सीधे मेट्रो स्टेशन की ओर दौड़ पड़ी।। वो जल्द ही मैट्रो स्टेशन पर पहुंच गई, भीड़ भाड़ वाली इस जगह की उसे अब आदत सी हो गई थी। लेकिन आज उसका दिल थोड़ा घबराया हुआ था उसके मन में सवाल उठ रहे थे।
"क्या वो लड़का यहां होगा?? अगर वो नहीं मिला, तो मैं कैसे अपनी ईमानदारी साबित करूंगी?" ये सब सवाल उसके मन में गूंज रहे थे। लेकिन उसने अपने ख्यालों को दूर किया और ख़ुद से कहा।। "आज मैं यह साबित करके रहूंगी कि मैं कोई ठग नहीं हूं।"
स्टेशन पर बहुत सारे लोग इधर-उधर आ-जा रहे थे। हर कोई अपनी ही धुन में अपने ही कामों में बिजी था, आरना ने चारों ओर देखा, उसकी निगाहें वरुण को ढूंढ रही थीं। लेकिन.. वो उसे कहीं नज़र नहीं आ रहा था।, उसके चेहरे पर निराशा छा गई और वो घर जाने के लिए मैट्रो में बैठ गई।
दो स्टेशन बाद मेट्रो तीसरे स्टेशन पर पहुंची, ये वो स्टेशन था जहां वरुण पिछली बार उतरा था।। आरना, जो एक कोने में मायूस खड़ी थी, को अचानक यह याद आया और अपने मन में सोचा। 'हो सकता है, वो मुझे यहां मिल जाए!'
फ़िर, उसने इस बारे में ज़्यादा कुछ नहीं सोचा और जल्दी से मेट्रो से नीचे उतर गई।
धीरे- धीरे ओल्ड मार्केट रोड़ पर, चलते हुए आरना के दिमाग़ में वरुण की धुंधली छवि चल रही थी, उसका हल्का सा लंबा कद, गहरे काले बाल और उसकी हल्की नीली आँखें, जिनमें एक अजीब सा रहस्य छिपा हुआ था। यही वो छवि थी जिसे वो अभी इधर उधर देखने की कोशिश कर रही थी।
आखिरकार, वो उस आइसक्रीम की दुकान पर पहुंची, जहाँ उसने उसे पहले देखा था। उसकी आँखें चारों ओर उसे ढूंढ रही थीं, मगर उस भीड़-भाड़ वाले इलाके में वो लड़का कहीं नहीं था। अब आरना की उम्मीद धीरे-धीरे टूट रही थी।
वो दुकान के पास खड़ी होकर चारों ओर देखने लगी, उसका दिल फिर से निराशा में डूब गया। वो सोच रही थी कि शायद उसे अब हार मान लेनी चाहिए। वह वहीं बैठ गई और अपने बैग से 650 रुपए निकालकर हाथ में लेकर उन्हें घूरने लगी, उसके दिमाग में ख्याल आया कि क्या उसे अब इन पैसों के साथ घर वापस चला जाना चाहिए?
आरना के दिमाग में संघर्ष चल रहा था वो कभी उन पैसे को देखती तो कभी चारों ओर लोगों को, उसकी मासूमियत और भोलेपन ने उसे अब तक कभी ऐसे हालातों का सामना नहीं करने दिया था वो हमेशा से अपने मम्मी पापा की ओबेडियंट लड़की रही थी, इसलिए वो ख़ुद को ईमानदार साबित करने के लिए यहां तक अकेली चली आई थी।
वो उठी और जैसे ही वापस स्टेशन जाने के लिए मुड़ने वाली थी, तभी उसकी नज़र किसी की परछाई पर पड़ी वो परछाई उसे कुछ जानी पहचानी लगी। आरना ने अपनी आँखें चौड़ी करके उसे ध्यान से देखा। "क्या यह वही लड़का है??" उसने खुद से पूछा। उसका दिल फिर से तेज़ी से धड़कने लगा, उसे विश्वास हो चला था कि ये वही है।
आरना ने अपनी हिम्मत जुटाई और जल्दी से उस परछाई के पीछे भागी, हालांकि इससे पहले कि वो उस तक पहुंच पाती वो परछाई एक अंधेरी गली में जाकर गायब हो गई।
वो गली काफी सुनसान और संकरी थी। गली के अंदर जाने का ख्याल आते ही उसके दिल में एक अजीब सा डर बैठ गया। उसकी मम्मी ने हमेशा उसे सिखाया था कि सुनसान जगहों से दूर रहना चाहिए, मगर आज उसकी मजबूरी थी।
आरना का मन उलझन में था। वो एक तरफ सोच रही थी कि उसे अब इस गली में नहीं जाना चाहिए, लेकिन दूसरी तरफ उसकी जिज्ञासा और ईमानदारी उसे खींच रही थी।उसने खुद को थोड़ी हिम्मत दी, "मैं कोई ठग नहीं हूं यह मैं साबित करके रहूंगी!"
उसने एक गहरी सांस ली और धीरे-धीरे गली के अंदर कदम रखा। उसकी टाँगें काँप रही थीं... पर उसका दिल उसे आगे बढ़ने के लिए मजबूर कर रहा था।
आरना गली में डरी-सहमी हुई धीरे-धीरे चल रही थी। चारों ओर अजीब सा सन्नाटा था जिससे उसकी घबराहट और भी बढ़ रही थी। वो हर कदम सोच-समझकर रख रही थी, जैसे कि कोई भी छोटी सी गलती उसे किसी बड़ी मुसीबत में डाल सकती थी।
उसकी मासूमियत और नादानी उसे ऐसे हालात से निपटने का कोई तरीका नहीं सिखा पाई थी। । वो अब तक केवल अपनी किताबों और घर की सुरक्षित दीवारों के भीतर ही रही थी।
गली में चलते हुए आरना का ध्यान हर छोटी-छोटी चीज़ पर था। कभी वो अपनी उखड़ी साँसों की आवाज़ सुन रही थी, कभी अपने कदमों की आहट। अचानक, उसके पास से एक खिड़की खड़की। आरना का दिल जैसे धड़कते-धड़कते रुक गया। उसकी आँखें बड़ी हो गईं और उसका पूरा शरीर कांप उठा। वो घबराहट में एक पल के लिए रुक गई और खिड़की की तरफ देखने लगी। खिड़की से कोई बाहर नहीं झांक रहा था, लेकिन खिड़की का वो खड़खड़ाना, उस सुनसान माहौल में जैसे उसकी मासूमियत का मज़ाक उड़ा रहा था।
वो किसी तरह अपनी हिम्मत जुटाकर आगे बढ़ी। वो खुद से कहने लगी, "डरने की कोई ज़रूरत नहीं है आरना, यह बस एक पुरानी खिड़की थी।" मगर उसके मन में खलबली मची हुई थी। उसकी हर नस में डर दौड़ रहा था, पर फिर भी वह आगे बढ़ती रही। गली और भी संकरी होती जा रही थी और उसकी घबराहट बढ़ रही थी।
कुछ कदम और चलते ही आरना ने एक छाया देखी। उसके मन में ख्याल आया कि शायद यह भूत है। उसका दिल फिर से तेज़ी से धड़कने लगा। उसके पैर जम गए और वो अपनी सांसें रोककर उस छाया की ओर देखने लगी। लेकिन, ध्यान से देखने पर उसे पता चला कि एक घड़ा था.. जो किसी घर के बाहर रखा हुआ था। उसकी मासूम आँखों में निराशा छा गई। उसे समझ नहीं आ रहा था कि आखिर वह कब तक यूँ ही गलतफहमी में खुद को डराती रहेगी।
आरना का दिल अब और ज़्यादा घबरा गया था। वो सोच रही थी कि उसे गली से बाहर निकल जाना चाहिए। उसे अहसास हो रहा था कि शायद यह सब करना उसकी बड़ी गलती थी। उसने अपनी चाल तेज कर दी और किसी तरह गली के अंत तक पहुँच गई।
गली के बाहर का माहौल बिल्कुल अलग था। अब तक वो एक सुनसान, संकरी और डरावनी गली से गुज़री थी, लेकिन गली से बाहर निकलते ही उसे एक अलग ही दुनिया नज़र आई। वहाँ कुछ पुरानी दुकानों की शटरें लगी हुई थीं, जैसे कि वो कई सालों से बंद पड़ी हों। दीवारों पर जगह जगह पान के निशान और पोस्टर चिपके हुए थे, जो अब धुंधले और फटे हुए दिख रहे थे। चारों ओर सन्नाटा नहीं था बल्कि अजीब सा माहौल था, जिसमें हलचल हो रही थी।
कुछ दूर पर कई पुराने घर थे, जो अब टूट-फूट चुके थे और अपनी चमक खो चुके थे। उनके आस-पास गंदगी फैली हुई थी, और कई जगहों पर टूटी- फूटी ईंटें बिखरी हुई थीं। इस इलाके में चारों ओर अनजान चेहरे थे, और उन चेहरों में से ज्यादातर डराने वाले थे। यहाँ कुछ लड़के और लड़कियाँ थे, जिनके हाव- भाव और कपड़े उन्हें बदमाश जैसा दिखा रहे थे।
कुछ लड़के सिगरेट पी रहे थे, जबकि कुछ बाइक की सवारी कर रहे थे। वो सभी ज़ोर- ज़ोर से हंस रहे थे। लड़कियाँ भी उनके साथ खड़ी थीं... जो तेज़ आवाज़ में बातें कर रही थीं और बीच- बीच में हंसी के ठहाके लगा रही थीं। आरना की मासूम आँखों में भय छा गया।
वो इस माहौल से बहुत अनजान थी। उसे नहीं पता था कि उसे अब क्या करना चाहिए। उसका मन कह रहा था कि यहाँ से जल्दी निकल जाओ, लेकिन उसकी टाँगें जैसे ज़मीन में धँस गई थीं, वो वहीं खड़ी-खड़ी चारों ओर देखती रही।
आरना ने धीमे-धीमे पीछे हटने की कोशिश की, लेकिन तभी एक लड़के की नज़र उस पर पड़ी। वो लड़का एकदम से चौंक गया और अपनी सिगरेट को फेंककर अपने साथियों की ओर इशारा किया। "देखो, यहाँ कोई नई लड़की आई है," उसने कहा और उसकी आवाज़ सुनकर बाकी सभी लड़के और लड़कियाँ आरना की ओर देखने लगे। उनकी नजरें अब आरना पर टिक गई थीं, और वे उसे घूरने लगे थे।
आरना का दिल तेज़ी से धड़कने लगा। उसकी सांसें तेज़ हो गईं और उसके मन में डर समा गया। वो नहीं जानती थी कि वह क्या करे। उसका मन कह रहा था कि उसे यहाँ से भाग जाना चाहिए, लेकिन उसके पैरों ने जैसे उसकी बात सुनना बंद कर दिया था।
एक लड़का उसकी तरफ बढ़ा, और उसकी आँखों में शरारत भरी हुई थी। "छोटी लड़की क्या तुम यहाँ खो गई हो?" उसने हंसते हुए पूछा। उसकी आवाज़ में एक अजीब सा खिंचाव था, जिससे आरना और ज़्यादा डर गई। वो पीछे हटने लगी, और लड़खड़ा-कर नीचे गिर गई।
यह महसूस करते हुए कि वो लड़के उसके क़रीब आ रहे थे, उसने तुरंत अपना बैग सामने कर लिया और कंपकंपाते हुए बोली। "नहीं, मेरे पास मत आओ,"
दोनों लड़को ने एक-दूसरे की ओर देखा और अपनी जगह पर जम गए, शायद उन्हें इतनी बड़ी प्रतिक्रिया की उम्मीद नहीं थी।
आरना के टखने में थोड़ा दर्द हो रहा था और उसकी धड़कने बढ़ी हुई थी, उसके दिमाग में कई ख्याल उमड़ पड़े, और एक बार के लिए तो उसने सोचा कि वो वहीं मरने वाली थी!
तभी एक मोटे लड़के ने उसे रोका और कहा, "अरे, क्यों डरा रहे हो बेचारी को? हो सकता है कि ये बस यहाँ से गुजर रही हो।" उसकी आवाज़ थोड़ी नरम थी, लेकिन उसके चेहरे पर भी एक खतरनाक मुस्कान थी।
आरना की आँखों में आँसू आ गए। उसे नहीं पता था कि वो अब क्या करे। वो एकदम बेबस महसूस कर रही थी।
"छोटी लड़की तुम यहां क्या कर रही हो?" मोटे लड़के ने डरी हुई आरना को देखकर मुस्कुराते हुए पूछा। हालांकि, उसकी मुस्कराहट उसकी स्कल-सूरत से भी ज्यादा भद्दी थी, शायद इसने आरना को और ज्यादा डरा दिया और वो रोने लगी।
मोटे लड़के का जबड़ा लटक गया, मानो उसे इसकी बिल्कुल उम्मीद नहीं थी।
अचानक एक ठंडी और सुस्त आवाज सुनाई दी। "यहां क्या हो रहा है?"
शाम का समय था, और सूरज की हल्की लालिमा आसमान में फैली हुई थी। मोटे लड़के और बाक़ी दोनों लड़कों ने उस ओर देखा, जहां से आवाज आई थी।
गली के कोने पर एक आकृति खड़ी थी, जिसका चेहरा आधे अंधेरे और आधी रोशनी में ढका हुआ था... इस तरह उसकी पहचान करना मुश्किल था। लेकिन यह स्पष्ट था कि वो एक यंग लड़का था।
लड़के ने अपने होठों के बीच में एक धुंधली सी सिगरेट दबा रखी थी, जो धीरे- धीरे सुलग रही थी और उसकी आँखों के सामने धुएं की पतली लहरें फैली हुई थी। उसने एक सफ़ेद टी शर्ट और एक ब्लू जींस पहनी थी। उसके बाल बेतरतीब ढंग से बिखरे हुए थे, जिससे उसका रूप और भी रहस्यमय लग रहा था।
एक गहरी सांस लेते हुए उसने सिगरेट को नीचे गिरा दिया, और फिर अपने जूते की एड़ी से उसे मसलकर बुझा दिया।उसके हाव-भाव में एक अजीब सी ठंडक और आत्मविश्वास था, जैसे उसे किसी बात का कोई डर नहीं था। हवा में हल्की सी ठंडक थी, और लड़के की आँखों में एक रहस्यमय चमक थी।
आरना ने जब उसकी आवाज़ सुनी तो अचानक उसकी दिल की धड़कन असीम रूप से बढ़ गई थी।