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Chapter 3 - An Awkward Moment

स्कूल के गेट पर त्रिशा को गुडबाए कहने के बाद आरना मैट्रो स्टेशन की ओर आ गई थी। 

इस वक्त वो मेट्रो स्टेशन के प्लेटफॉर्म पर खड़ी थी और अपने फोन पर गाना सुनते हुए मेट्रो के आने का इंतजार कर रही थी। स्टेशन पर भीड़ थी.. लेकिन वो अपनी ही दुनिया में खोई हुई थी।

जब मेट्रो नं. 5 प्लेटफॉर्म पर आई, आरना भीड़ के साथ मैट्रो में अंदर घुस गई और बड़ी मुश्किल से मेट्रो के बीच में जगह बना पाई। उसने टिकट पहले ही ऑनलाइन ले लिया था, कल की तुलना में, वो पहले से ही जानती थी कि क्या करना है। हालाँकि.. उसकी मॉम ने उसे केब से घर आने के लिए कहा था, लेकिन उसे लगा कि वो बड़ी हो चुकी है तो उसे अब इतना सोचने की ज़रूरत नहीं।

"मेट्रो में ट्रैवल करना कोई बड़ी बात नहीं है", उसने खुद से सोचा।

हालाँकि.. वो त्रिशा की अभिव्यक्ति को याद कर मुस्कुरा उठी। वो थोड़ी खुश थी। खैर हो सकता है ऐसा इसलिए था क्योंकि लड़का वाकई में बहुत अट्रैक्टिव था।

एक छोटी सी अनाउसमेंट के बाद, मैट्रो के दरवाज़े बंद हो गए और वो अपने गंतव्य की ओर निकल पड़ी। 

आरना के एयरपोड्स में उसके फेवरेट सिंगर, हार्डी संधू का सॉन्ग चल रहा था, हमेशा की तरह वो सॉन्ग की धुन में कहीं खो सी गई थी। अचानक एक तेज़ झटका लगा, आरना अपना बैलेंस खो बैठी, और पीछे की ओर किसी से जा टकराई। वो जल्दी से हड़बड़ी में खड़ी हो गई और माफ़ी मांगने के लिए पीछे की ओर पलटी, तभी उसकी नाक में एक जानी पहचानी सुंगध फेल गई। 

एक पल बाद जब उसने अपना सिर उठाया तो देखा कि वो एक जाना पहचाना चेहरा है, हालांकि वो जिस एंगल पर खड़ी थी वो वहां से बस उसकी साइड प्रोफ़ाइल देख पा रही थी, उस व्यक्ति के फेसियल फीचर्स चौंकाने वाले थे, उसकी सीधी नाख और उभरी हुई कॉलरबोन उसकी व्यक्तित्व को और भी प्रभावशाली बना रही थीं।

वो एक हाथ से मेट्रो की हैंडलिंग रिंग पकड़े हुए था, और दूसरे हाथ में उसका मोबाइल फोन था। लड़के की हाइट कम से कम 1.80 मीटर होगी वो सिर्फ़ उसके सीने तक पहुंच पा रही थी। 

उसने स्कूल की एक व्हाइट हॉफ स्लीव्स स्पोर्ट्स टी शर्ट पहनी थी... जिसमें उसके बायसेप्स और ट्राइसेप्स उभर कर नज़र आ रहे थे। उसके थोड़े लंबे काले बाल एकदम साफ़ सुथरे थे, आरना कुछ पल के लिए ठिठक गई और उसे बस देखती रह गई।

मानो, जैसे लड़के ने उसकी निगाहों को ख़ुद पर महसूस कर लिया था।.. उसने अपना चेहरा उसकी ओर घुमाया और उनकी नजरें मिल गई। हालांकि उसकी अभिव्यक्ति अभी भी बहुत शांत और एक्सप्रेसनलेस थी। 

उसकी हल्की नीली आंखों में शालीनता थी और उसकी पुतलियां अलगाव से भरी हुई थी जैसे वे किसी अजनबी को देख रही हों! ऐसा लग रहा था कि उसने आरना को पहचाना नहीं था, और वापस अपनी नज़रों को घुमाकर फ़ोन में बिजी हो गया। 

हालाँकि वो आज अकेला था और उसके दोस्त वहां नहीं थे।आरना ने हिम्मत जुटाई और धीरे से कहा। "Hello," भले ही लड़के ने उसे नहीं देखा था लेकिन उसे लग रहा था कि उसे कल के लिए माफ़ी मांगनी चाहिए। 

लड़के ने अपने फ़ोन से नज़रे हटाई और फ़िर से उसकी ओर देखा, मानो उससे कह रहा हो! 'हां बोलो क्या काम है?' 

आरना ने सिर नीचे किया, और देखा कि लड़के ने आज वो वाइट स्नीकर्स नहीं पहने थे, जो उसने कल पहने हुए थे, फ़िर उसने कुछ ऐसा कहा, जिसका कोई मतलब नहीं था। "उम्म, तुम्हारे जूतों की कीमत कितनी है?" 

मानो लड़के को ऐसा कुछ सुनने की उम्मीद नहीं थी एक पल के लिए वो उसे ऐसे देखता रहा जैसे वो एक पागल को देख रहा हो। फ़िर उसने अपनी नज़रें घुमाकर वापस अपने फ़ोन पर टिका दी। 

'इसका क्या मतलब है?' आरना हैरान रह गई, 'क्या उसे पैसे नहीं चाहिए? क्या सच में उसे याद नहीं है कि कल क्या हुआ था?' उसने अपने मन में सोचा। 

इससे पहले कि वो कुछ कह पाती.. मेट्रो में अनाउसमेंट हुई। 'Sector- 8 ओल्ड सीटी मार्केट' इसी के साथ मैट्रो रुक गई। 

कई लोग मेट्रो से बाहर निकले और लड़का भी फ़ोन को वापस अपनी पॉकेट में रखकर जाने के लिए मुड़ गया।

आरना ने थोड़ी हिम्मत जुटाई और जैसे ही लड़का जाने के लिए मुड़ा वो उसके पीछे जाने लगी और बिना किसी हिचकिचाहट के मेट्रो से उतर गई। उसका घर अभी भी तीन स्टेशन दूर था। वो हमेशा से एक ओबेडियंट लड़की रही थी और पहले कभी अकेली नहीं घूमी थी। हालांकि मेट्रो स्टेशन से बाहर आने के बाद उसे एहसास हुआ कि उसने क्या किया है। 

वो अपने बैगपैक को सीने से लगाए, अभी भी लड़के के पीछे चल रही थी ताकि वो उसके जूतों को गंदा करने के उसे कंपनसेट कर सके, लेकिन उसे समझ नहीं आ रहा था कि वो उससे बात कैसे करें? उसे तो उसका नाम भी नहीं पता था। 

कुछ दूर चलने के बाद, वरुण को एहसास हुआ कि वो उसका पीछा कर रही हैं वो हल्के से मुस्कुराया और रुक गया। फ़िर, उसने बिना पीछे मुड़े ही एक कोल्ड, लेकिन आकर्षक आवाज़ में कहा। "मैं इन जूतों को नहीं बेच रहा हूं!" 

आरना ने चलना बंद कर दिया और ये सुनकर कुछ पल के लिए दंग रह गई! फ़िर उसे याद आया, मैट्रो में उसने उससे क्या कहा था, 'तुम्हारे इन जूतों की कीमत कितनी है!' आरना ने अपना होठ काट लिया, 'क्या उसे लग रहा है कि मैं उसके जूतों में इंटरेस्टेड हूं और इसलिए उसका पीछा कर रही हूं!' 

आरना के दोनों गाल अचानक लाल हो गए.. और उसने तुरंत उसे समझाया। "नहीं तुम गलत समझ रहे हो,.. वो कल मुझसे गलती से तुम्हारे जूते ख़राब हो गए थे ना, मैं बस उन्हीं के लिए कंपनसेट करना चाहती हूं!" 

वरुण अपनी जेब में हाथ डाले हुए उसकी ओर मुड़ा, वो उससे लगभग डेढ़ मीटर दूर खड़ी थी जैसे कि वो उसके ज्यादा पास आने में डर रही हो। उसका छोटा चेहरा पूरा मासूमियत से भरा हुआ था। 

'क्या ये कोई पिक अप लाइन थी?' उसके होठ एक टेढ़ी मुस्कान में मुड़ गए... और उसकी हल्की नीली आँखों में एक चंचल चमक दिखाई दी। फ़िर उसने अपनी जेब से मार्लबोरो सिगरेट का एक बॉक्स निकला, और उसमें से एक सिगरेट बाहर निकालकर अपने थोड़े लाल होठों के बीच में रख ली। 

"500 रुपए, लेकिन मुझे सिर्फ़ कैस चाहिए, ऑनलाइन नहीं!" उसने सिगरेट लाइट अप करते हुए थोड़ी आलसी आवाज़ में कहा। 

आरना ने कल बस उसे ',दफा हो जाओ' कहते हुए सुना था। लेकिन आज उसे एहसास हुआ कि उसकी आवाज आश्चर्यजनक रूप से सुखद थी भले ही उसके शब्द कुछ कठोर थे। 

वो कुछ पल के लिए उसके होठों को देखती रही जिनके बीच सिगरेट दबी हुई थी फ़िर उसने अपना सिर हिलाया और जल्दी से कहा, "ठीक है!," उसने सोचा कि ये उतने भी महंगे नहीं थे। उसने तुरंत अपने बैग की जिप खोली और अपने पर्स को टटोलने लगी। 

लगभग शाम होने वाली थी, लेकिन सूरज अभी भी तेज़ गर्म किरणे फैलाए हुए था पेड़ों की पत्तियां हवा में हल्के हल्के झूम रही थी जैसे प्रकृति ख़ुद को शांत कर रही हो हवा के इन हल्के गर्म झोंको के कारण पाथ-वे पर खड़ी आरना की ब्लू स्कर्ट भी लहरा रही थी हालांकि वो अभी भी अपने बैगपेक में अपने छोटे पतले हाथों को घुसाकर अपने पर्स को टटोल रही थी। 

थोड़ी देर बाद, अचानक आरना को याद आया कि उसे अपने पर्स को साथ में लाने की आदत नहीं थी। ये याद आते ही उसके हाथ रुक गए। ये वास्तव में एक ऑक्वर्ड सिचुएशन थी उसने पहले कंपनसेट करने के लिए कहा, लेकिन अब पता चला कि उसके पास पैसे ही नहीं थे। 

उसने शर्मिंदगी से लाल अपने चेहरे को धीरे से ऊपर की उठाया और एक कोमल मगर मंद आवाज़ में कहा। "वो, मैं, मैं आज केस लाना भूल गई, क्या मैं तुम्हें कल पैसे दे सकती हूं?" 

वरुण ने सिगरेट का एक लंबा कस खींचा और उसे एक उदासीन नज़र से देखते हुए हवा में धुआं छोड़ा जिसका 

मतलब ऐसा लग रहा था- जैसे कि उसे पहले ही इसकी उम्मीद थी। वो मुड़ा और वापस आगे की ओर बढ़ गया। 

"मैं कल पक्का तुम्हें पैसे दे दूंगी!. 500 की जगह 550, पचास रुपए इंट्रेस्ट के लगा लेना!" आरना ने थोड़ी तेज़ आवाज़ में कहा। फिर वो वापस जाने के लिए मुड़ गई, अब उसका उसके पीछे जाने का कोई इरादा नहीं था। 

हालांकि अगले ही पल उसके पैर फ़िर से थम गए उसने देखा कि उसका फ़ोन ऑफ़ हो गया है, उसके पास केस पैसे नहीं थे लेकिन अब वो ऑनलाइन टिकट भी नहीं ले सकती थी पाथ-वे पर उसके और उस लड़के के अलावा कोई नहीं था और अब लड़का भी जा रहा था.. वो तुरंत सहम सी गई। 

'क्या मुझे उससे कुछ रुपए उधार ले लेने चाहिए?' उसने मुड़कर वरुण को जाते हुए देखा और अपने बैगपेक को कसकर पकड़ लिया फ़िर बिना सोचे समझे उसके पीछे भागी। 

वरुण को एहसास हुआ कि वो फ़िर से उसका पीछा कर रही है मानो अब उसे थोड़ी झुंझलाहट हो रही थी। उसने सिगरेट का एक लंबा कस खींचा और तुरंत पीछे पलटा, "अब क्या है?" 

आरना का सिर्फ़ चलने पर ध्यान था उसने देखा नहीं कि वरुण रुक गया है! वो सीधे जाकर उसके सीने से टकरा गई, जब उसे इसका एहसास हुआ तो वो तुरंत पीछे हट गई, और जल्दी से बोली। "सॉरी!!" और एक दोषी बच्चे की तरह अपना सिर नीचे कर लिया। 

वरुण को पहले उस पर थोड़ा गुस्सा आ रहा था! लेकिन अब उसकी इस मासूमियत को देखकर शायद यह कहीं गायब हो गया था। "अब तुम्हें क्या चाहिए?" उसने ठंडी आवाज़ में पूछा। 

आरना ने अभी भी अपना सिर नहीं उठाया! वो उलझन में थी कि उसे उससे पैसे लेने चाहिए या नहीं? हालांकि, इसके अलावा उसके पास कोई दूसरा रास्ता नहीं था वो एक पल के लिए झिझकी और अपना छोटा पतला हाथ उठाया। "क, क, क्या तुम मुझे कुछ पैसे उधार दे सकते हो?" उसने अभी भी अपना सिर झुकाकर रखा था।

अचानक, माहौल थोड़ा अजीब हो गया। वरुण एक पल के लिए कुछ नहीं बोल सका! फ़िर, दो सेकेंड की चुप्पी के बाद उसने उसकी स्नो वाइट रंग की खुली हथेली को देखा और अजीब तरह से पूछा। "क्या तुम मुझसे भीख मांग रही हो?" 

आरना की आँखें चौड़ी हो गई,' 'क्या यह मुझे सड़क का एक भिखारी समझ रहा है!,' उसके लिए एक अजनबी से पैसे मांगना पहले से ही शर्मनाक था। वो इससे पहले कभी इस तरह की सिचुएशन में नहीं फंसी थी। हालांकि अभी उसके लिए सबसे जरूरी घर जाना था वरना फ़िर से उसे घर लेट जाने के लिए डांट पड़ेगी। 

उसका पूरा चेहरा लाल हो गया और उसने धीमी कोमल आवाज़ में कहा। "मेरा फ़ोन ऑफ़ हो गया है और ना ही मेरे पास कैस पैसे है, प्लीज़ क्या तुम मुझे सिर्फ़ 60 rs उधार दे सकते हो?" 

इस डर से कि वो मना कर सकता है उसने तुरंत फिर से कहा। "मैं पक्का तुम्हें कल वापस कर दूंगी, अगर चाहो तो मैं इसके लिए भी इंट्रेस्ट दे दूंगी! उम्म, पिछले 550 rs, 60 rs उधार के और 10 रुपए इंट्रेस्ट के, टोटल हो गए 620 rs,. मैं तुम्हें कल पक्का 620 rs दे दूंगी!" 

उसकी आवाज़ धीरे- धीरे और अधिक कोमल होती जा रही थी। उसने जब अपना सिर उठाया तो उसकी छोटी काली आँखें थोड़ी धुंधली थी, मानो उनमें से आंसू कभी भी टपक सकते थे। 

वरुण की हल्की नीली गहरी आंखों ने, एक पल के लिए उसकी छोटी काली आंखों में झांका, उसने बची सिगरेट को नीचे फेंका और अपने पैर से मसल दिया। फ़िर जाने के लिए मुड़ने से पहले अपनी पीठ को सीधा कर लिया।

आरना अपने बैकपैक के साथ उसी स्थान पर रही, जब वो चला गया, तो उसकी पीठ की ओर देख रही थी। वो इतनी बेशर्म नहीं थी कि फ़िर से उसका पीछा करे!. वो वास्तव में नहीं चाहती थी कि उसे एक भिखारी के रूप में देखा जाए।