ॐ गणेशाय नमः ; ॐ नमः शिवाय; जय श्री राधे कृष्णा ; जय श्री सियाराम ।
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कलके टापू,
ये है बैंपियर 🦇 की नगरी ,जहा हर एक शक्श वैंपायर है ,
यहां के राजा मिहिर ने सदेव प्रकृति और उसके विधि विधान का पालन किया है।
उन्होंने हमेशा ये नियम कायम रखा है ,की कोई भी वैंपायर अगर कभी भी इंसानी दुनिया जाए ,तो उनको हानि एवम उनका रक्त ना पिया ,
और उनका सम्मान करे , महाराज मिहिर और धर्मपत्नी अवनी पूरे कालके टापू पे शांति पूर्वक राज करते है ।
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आज सारा कल्के टापू खुशियां बना रहा था ,क्युकी आज उनके महराज मिहिर की संतान जन्म लेने वाली थी,
महल के अंदर ,,,
महाराज मिहिर द्वार पर घूम रहे थे ,उनके साथ उनके गुरु ( जो उनके पिता समान है ) वो, उनके भाई ( जो असल में उनका शत्रु है)
सब बाहर खड़े थे,
वही महराज मिहिर बाहर ठहेल रहे थे ,उनकी इस हरकत पर गुरु जी हस्ते हुए है ," महाराज शांत हो जाए , अभी कुछ देर में अंदर से वैद्य जी आ रही होंगी,
उनकी बात सुन महराज मिहिर बच्चो जैसा मुंह बनाकर ," गुरु देव , आपको पता है ना ,आप हमारे पिता पूजनीय है ,पर आज क्या आप हमारी मान की दशा नही समझ रहे ,
उनकी बात सुन गुरु देव हस्ते हुए ," पुत्र चिंता ना करो सब मंगल मय होगा ।
उनकी बात सुन महाराज मिहिर बाहर ठहलने लगे ,वही अंदर महारानी अवनी प्रसव पीड़े के कारण चिल्ला रही थी,
अचानक उन्होंने काफी तेज चीखी ,उसी के साथ कमरे से बाहर तक एक तेज रोशनी चमकी ,
इस रोशनी में देवयत छुपा हुआ ,जो सिर्फ गुरु देव समझ पाए ,वो रोशनी के साथ अंदर कक्ष से महारानी अवनी ने एक तेज चीख सुनाई दी ,और उसके साथ एक बच्चे की रोने की आवाज आई ,
जिसे सुन कर महराज मिहिर बहुत खुश हुई ,कुछ देर बाद वैद्य जी बाहर आई ,उनके हाथ में एक बालक था ,
वैद्य जी आ कर वो बालक महाराज मिहिर को देने लगे ,तो महराज मिहिर ने उसे ले कर , गुरु देव के पास जा कर रखा ।
उनके इस हरकत पर गुरुदेव अचंबे ने आ गए ,की आखिर महाराज मिहिर ने बालक उन्हे क्यू दिया,
शायद महाराज मिहिर उनके मन की बात समझ गए थे ,इसलिए वो मुस्कराते हुए ," गुरु देव ! आज ये बालक और हमारे जीवन में हमारी प्रेम या फिर यू कहे हमारी प्रेमिका होने की वजह आप है,
अगर आपने पिताजी को समझाया ना होता ,तो में अपने इश्क को खो चुका होता ,इसलिए आप से विनती है आपसे ,की आप हमारे पुत्र का भाग्य देख कर बताए।
अपने लिया इतना सम्मान और अपना पन देख कर गुरुदेव मुस्कराते हुए ," आयुष्मान भव ,इतना कह कर वो उस बच्चे को अपने हाथो में ले लिया ,
उस बच्चे को देख ना जाने क्यों गुरुदेव को एक देवत्व का एहसास हो रहा था , वो उस बच्चे को ले कर सीधा वैंपायर के इष्ट देव के मंदिर में ले गया ,
जहा ना जाने कैसे पर प्रकृति का उल्हास हो रहा था ,उसे देख गुरुदेव महाराज मिहिर को देख कर मुस्कराते हुए बोले ," पुत्र ! खुशियां बनाओ ,क्युकी तुम्हारे घर स्वयं हमारे इष्ट देव पैदा हुआ है, इनका परिचय सारे लोक में विज्ञात हो गा ,ना इनके जैसा कोई राजा होगा , ना कोई शूरवीर और ना ही कोई बुद्धि में परिपूर्ण रहेगा ,
उनकी बात सुन महराज मिहिर मुस्कराते हुए ," मतलब हमारे ऊपर ,हमारे प्रभु ने दया किया है ,
उनकी बात सुन गुरुदेव हस्ते हुए ," हा! पर याद रखना इनके इश्क में कभी भी आप या कोई बाधा मात बनाएगा।
उनकी बात का मतलब महाराज मिहिर नही समझे ,जिसका भाव गुरुदेव समझ गए ,तो उन्होंने कहा ," ये बच्चा प्रतापी , शूरवीर, महायोधा और ज्ञानवंती होगा ,पर उतना ही हमारे ईश्वर के तरह अपने मोहब्बत का रक्षक भी होगा । जैसे हमारे देव ने एक इंसानी कन्या से मोहब्बत की थी , इन्हें भी होगा , याद रखना महाराज इन दोनो को कभी अलग मत करिएगा , आपका पुत्र उस कन्या के लिए हर पापी और हर उस खतरे को मार गिराएगा , जो वैमपायर के लिए खतरा होगा ।पर याद रखना कभी भी इन्हे अगर आपने अलग किया तो दोनो की अकासमार्कम मृत्य तय है।
उनकी बात सुन महारानी अवनी वहा आ कर कहती है ( जो अभी भी दर्द में थी पर अपने बेटे के बारे में जानने के लिए आई थी) ," पर गुरुदेव हम रक्तपिशाचो का नियम है ,की हम इंसानों से प्रेम नहीं कर सकते ,और अगर हम करेंगे तो उन्हे इंसान से बैंपियर बनना होगा , अगर हमारा पुत्र किसी इंसान से प्यार करेगा तो क्या ये सारा साम्राज्य उनके खिलाफ नही होगा
उनकी चिंता समझते हुए गुरु देव बोले ," नही महारानी ,जैसे एक मां बाप अपने बच्चो के लिए जब एक सही फैसला लेते है ,तो सोच समझ कर लेते है ,ये नही सोचते की।उनके बच्चे को कैसा लगेगा ,पर उन्हे पता होता है इससे बच्चो को फायदा ही होगा ,वैसे ही आपका पुत्र इस कल्के टापू पर बहुत से नए नियम और प्रेम लाएगा ,जो पूरे वैंपायर की दुनिया को प्रेम ,उल्हास से भर देगा। अब आप चिंता मुक्त हो कर अपने पुत्र का नाम रखिए ,
उनकी बात सुन महारानी अवनी ने मुस्कराते हुए अपने बेटे को गोद में ले कर गुरुदेव को देख कर कहा ," अगर हमारे बेटे के जीवन का लक्ष्य प्रेम है ,तो हम वचन देते है ,उनके प्रेम का पूरा साथ देंगे , और इसी के साथ हम अपने पुत्र का नाम रखेंगे ,"मयान" अर्थात वो जो सबसे ज्यादा पवित्र रहेगा, और हर गुण में सबसे श्रेष्ठ रहेगा ।
गुरुजी मुस्कराते हुए ," बहुत सुंदर और अदभुत नाम। और अपने सही फैसला लिया
महारानी अवनी चहकते हुए ," पर गुरुदेव ! हमे ये तो बताइए ,की हमारी पुत्र वधु कौन होगी, हम अभी से उसके लिए सारी तैयारी रखेंगे ,
उनकी इस उतावले पन को देख गुरुदेव हस्ते हुए ," पुत्री इसका जवाब आपके पुत्र और हमारे इष्ट की संगनी जानती है,
महारानी अवनी सवालिए नजर ," मतलब गुरु देव ,
गुरुदेव हस्ते हुए ," पुत्री आपने गौर नही किया आपने हमारे छोटे राजकुमार का नाम हमारे इष्ट माहरान के पहले शब्द से नाम रखा है,
उनके ऐसा कहने से सबका ध्यान उस ओर जाता है ,तो गुरु देव आगे बोलते है ," तो आपकी कुलवधु का नाम अपने पुत्र के सीने पर देखो,
उनके ऐसा कहने से महारानी जी वैसा ही करती है ,तो उनके पुत्र के सीने पर ," आ" लिखा हुआ था ,
जो उनके इष्ट की संगनी से जुड़ा था , जिसको देख गुरुदेव हस्ते हुए ,"हा! महारानी ,बहुत जल्द आपकी वधु जन्म पृथ्वी पर लेने वाली है ,और उसके आगमन से बहुत जल्द एक वैंपायर प्रेम की कहानी चालू होगी ,
उनकी बात सुन महराज और महारानी ने उन्हे प्रणाम किया , और पूरा राज्य उत्सव बनने लगा।
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वही पृथ्वी पर,
9 महीने बाद ,
दिल्ली में ,,
एक आदमी अपनी पत्नी को लेकर हॉस्पिटल में भागते हुए गया , शायद उसकी बीबी को लेबर पेन हो रहा था, वहा उसने डॉक्टर से हाथ जोड़ते हुए कहा ," प्लीज मेरी बच्ची और बीबी को बचा लीजिए ,
उसकी बात सुन डॉक्टर उनका कंधा थपथपते हुए ," चिंता ना करिए ,हम अपनी पूरी कोशिश करेंगे ,
डॉक्टर उस आदमी की पत्नी को ऑपरेशन रूम में ले गया ,आज 9 महीने बाद प्रकृति वैसे ही खुश हो रही थी,जैसे मयान के जन्म पर हुआ था,
उस आदमी के साथ एक 7 साल का बच्चा था ,वो उस आदमी के पैंट को पकड़ कर ," पापा मेरी छोटू सिस्टर कब आएगी ,
वो आदमी बच्चे को समझते हुए ," बेटा चिंता मत करो जल्दी ही आएगी,
इतना कह कर उसे चेयर पर बैठा दिया, वही वो आदमी ठहल रहा था ,उसकी पत्नी की चीखे पूरे हॉल में सुनाई दे रही थी ,कुछ देर बाद एक बच्ची की रोने की आवाज आई ,उसके साथ सारा प्रकृति खुशी से नाचने लगा , सब कोई उल्हासित लगा रहा था,
डॉक्टर बाहर आ कर ,एक फूल सी बच्ची उस आदमी के हाथो में पकड़ते हुए ," महेश ! मुबरखो ! बेटी हुई है,
उनके ऐसा कहती ही महेश जी खुशी से उछलते हुए बोले ," मेरे घर लक्ष्मी आई , हे भगवान आपका शुक्रिया , ( फिर वो डॉक्टर की ओर मुड़कर ) और मेरी नीलिमा जी ,
डॉक्टर मुस्कराते हुए ," वो भी ठीक है ,कुछ देर में हम उन्हें नॉर्मल वार्ड में शिफ्ट कर रहे है,
उनकी बात सुन महेश जी खुश हो गए , वही कुछ देर बाद महेश जी नीलिमा के पास आ कर ," भाग्यवान मुबारक ,बेटी हुई है ,तो बताए क्या नाम रखना ,
उनकी बात सुन नीलिमा जी मुस्कराते हुए ," आपको जो सही लगे ,वही रख दीजिए
उनकी बात सुन नन्हा ईशान बोल उठा ," डैड आर्तिका नाम रखिए ,
उसके इस बात पर दोनो मुस्कराते हुए बोले ," हा यही सही होगा ,तो आज से हमारी गुड़िया का नाम होगा आर्तिका।
उनके ऐसा कहने से सारी चिड़िया चहकने लगी ,रात के समय में चकोर बाहर निकल कर चांद निहारने लगे,
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वही गुरुदेव के स्थान पर ,,
वो मुस्कराते हुए आंखे खोल कर कहा ," आखिर आ गई आप , अब शुरू होगा प्रेम की अनोखी दास्तान , एक इंसान और एक वैंपायर के बीच ,
जो सारे हदे तोड़ देगा। और पाप पुण्य को संतुलित करेगा ,हर पापी के काल का राजा बहुत पहले आ चुका है, अब उनके हर कार्य को सार्थक करने के लिए शक्ति भी आ चुकी है
इतना कह कर खुशी से पुप्ष वर्षा करने लगे ,
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वही महल में भी ,,
मयान खुशी से खेल रहा था ,जिससे सबको एहसास हो चुका था ,की मयान की मोहब्बत ,उसकी शक्ति ने जन्म ले लिया है।
सब बहुत खुश थे ,अगर कोई खुश नही था ,तो वो था महाराज मिहिर का चचेरा भाई वीर ।
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- तो देखते है कल होगी कहानी की असल शुरुआत ..!
- आपको पहली झलक इस कहानी की कैसे लगी...?
कॉमेंट में बताएगा ,और समीक्षा देना मत भूलना ।
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क्रमश...............।