गलतियाँ प्यार करने वालों की नहीं होती , सारा का सारा कसूर दिल का होता है, कमबख्त ऐसे मोड़ पर लाके खड़ा कर देता है.. जहा से लौट पाना मुस्किल होता है! ऐसे ही हमारे हीरो वेद के साथ हुआ है कच्ची उम्र में उसे प्यार हो गया था | और प्यार न मिलने के वज़ह से वह सनकी आशिक बन चुका था.. पर क्या उसे दोबारा किसी से प्यार हो पाएगा..? या फिर नादानी मे दिल ग़लती कर बैठेगा
Hello guys.. ये मेरी न्यू स्टोरी आ गई है, दिल ग़लती कर बैठा है तो मैं इसका फर्स्ट चैप्टर अपलोड कर रही हू, अगर आप लोगों को पसंद आए तो प्लीज कमेंट्स मे बताना न भूलें, जैसे आप लोगों ने मेरी सारी स्टोरी को प्यार और वैसे ही मेरी इस स्टोरी को सपोर्ट करें, आप लोगों के वज़ह से मेरी स्टोरी अच्छा score बना सकती है, Thank you so much 🙏❤️
कच्ची उम्र के प्यार भी कभी-कभी बड़े पक्के जख्म दे जाते हैं, जो भरते तो नहीं है पर उनका जख्म दिल में हमेशा के लिए बस जाता है, जो इंसान को पत्थर दिल भी बनाता और निर्दय भी। यह कहानी भी एक ऐसी ही पत्थर दिल और सनकी आशिक वेद लोहिया की है। वेद जिसने अपने प्यार को पाने के लिए हर कोशिश की आखिर में खुद को बस अकेला पाया। अपना प्यार न मिलने की वजह वह एक सनकी आशिक बन गया। प्यार को अपनी गलती समझने वाला वेद , यह गलती दोबारा करता है जब उसकी जिंदगी में पलक मिश्रा आती है ,और बन जाती है उसकी सनक। क्या वेद का दिल सच में प्यार कर पाएगा पलक से या फिर वह बनके रह जाएगी बस उसकी एक सनक। जानने के लिए पढ़िए 'दिल गलती कर बैठा है' सिर्फ़ पॉकेट नॉवेल पर..!
बालमपुर गांव _वाराणसी _उत्तर प्रदेश _
न ज्यादा बड़ा न ज्यादा छोटा मीडियम सा दिखने वाला घर था, जिसके बाहर लिखा हुआ था, तपस्वी मिश्रा इस घर में कुल मिलाकर 5 मेंबर रहते है जिसमें से 4 लेडिज 1 जेन्ट्स...!!
आज भी इस घर में हुकूमत दादी की यानी इस घर की मुखिया तपस्वी मिश्रा जी की माता पद्मावती मिश्रा जी की हुकुमत चलता है वही सब कुछ निर्णय लेती है..!
इस घर में दो लड़कियां थी, जिनका नाम था पालक और नंदिनी दोनों दादी से बहुत बड़ा करती थी क्योंकि दादी उनपर सख्त नज़र रखती थीं |
दादी अपनी दोनों पोतियो को बैगर किसी काम के बाहर नहीं जाने देती, यहां तक कि मोबाइल भी बहुत लिमिटेड मे इस्तमाल करना पड़ता है..!
दादी दिन भर अपनी दोनों पोतियो को सिर्फ डांट लगाया करती थी, उनकी गलतियों और उनकी कमियां दिन भर निकला करती थी, जिसे सुन सुन कर दोनों डरपोक होकर रहने लगी थी, यहां तक की गरिमा जी को भी अच्छा नहीं लगता था |
Ballampur गाँव
बालमपुर चौराहे पर इस वक्त बहुत लोगों की तादाद में भीड़भाड़ जमा था और सभी लोगों को देख यही पता चल रहा था कि सभी लोग इस वक्त बहुत गुस्से में है..!
एक न्यूज़ रिपोर्टर उनके बीच में जा खड़ा हो गया और सभी से पूछने लगा कि यहां पर हुआ क्या है..? फिलहाल तो सभी के चेहरे पर सिर्फ और सिर्फ गुस्से का भाव नजर आ रहा था |
पर कुछ लोग थे जो शांति से भी बातें कर रहे थे उसमें से एक आदमी ने अपना हाथ दिखाया और अपना परिचय बताते हुए आगे आया |
न्यूज़ रिपोर्टर वाले ने उससे पूछा_" भाई साहब यहां पर हो क्यों रहा है..? इतने लोगों की भीड़भाड़ क्यों लगा रखा है..? "
" जी मेरा नाम मोहन है, और हम सब बालमपुर के रहने वाले हैं और हम सब जितने यहां पर खड़े हैं... हम सब का एक ही बिजनेस है... वह है मंदिर के कई किलोमीटर पीछे हम सब दुकान लगाते हैं.. इसी से हमारा घर चलता है... तो किसी बिल्डर ने हमें एक साल से यह जमीन खाली करने के लिए कह रहा है.. क्योंकि उन्हें यहां पर होटल बनाना है... पर हम सब मान नहीं रहे... अब तो उसने हद ही कर दिया है... यहां तक की गवर्नमेंट भी कुछ नहीं कह रही उसने भी हमें यह सब खाली करने के लिए कह रही है..! "
मोहन बोल ही रहा था कि तब तक एक आदमी आया और उसे हटाकर वह खुद बोलने लगा_" जी मेरा नाम तपस्वी मिश्रा है, अगर आप यह न्यूज़ पूरी दुनिया में फैलाना चाहते हैं.. तो कृपया फैला दीजिए क्योंकि अब हम मर भी जाएंगे तो भी यह जगह खाली नहीं करेंगे... यह जमीन हमारे पूर्वजों की है और हम उनके वंशज है.. हम अपनी जगह कभी किसी को नहीं देंगे इसके लिए हमें मरना ही क्यों ना पड़े, अब हम सब हड़ताल करेंगे.. रोड बंद करेंगे.. जो बनता रहेगा वह सब करेंगे..! "
कुछ भी देर में यह न्यूज़ सभी चैनलों पर दिखाई देने लगा बल्कि पूरे शहर में यह बातें फैल गई, यहां का माहौल देखकर ही पता चल रहा था कि कोई भी हार मानने वालों में से नहीं है, वे लोग यह जगह बिल्कुल भी खाली नहीं करेंगे, चाहे कुछ भी हो जाए..!
कुछ घंटे बाद लगभग दोपहर होने का समय हो गया था, वही मिश्रा जी का घर जैसे गरिमा जी ने यह न्यूज़ देखा तो उन्होंने तुरंत पद्मावती की यानी दादी को बता दिया और उन्होंने यह न्यूज़ देखकर अपने दोनों हाथ माथे पर रख घबराने लगी |
दादी घबराई हुई आवाज में बड़बड़ाने लगी_" गरिमा तुमने अगर एक बेटा पैदा किया होता ना, तो आज हमें यह दिन नहीं देखना पड़ता.. मेरी तो फटी हुई किस्मत है, जो इस घर में सिर्फ औरतें ही हैं यही देखकर अब मुझे मरना पड़ेगा, और तुमने जो लड़कियां पैदा की उन्होंने अपने अभी से तेवर दिखाने लग गई..! "
दादी ने एक नहीं, न जाने क्या कुछ गरिमा जी को सुनाने लगी |दादी की बातें सुनकर गरिमा जी के आंखों में आंसू आ गए और वह बिना शोर किए किचन में जाकर रोने लगी |
यह एक दफा का नहीं था बल्कि आए दिन घर में खटपट रोज हुआ करता था और अब तो गरिमा जी को सुनने की आदत पड़ गया बल्कि उनकी दोनों बेटियों को भी, हां कभी कबार वह बहुत ज्यादा दिल पर ले लेती थी और अकेले में रोया करती थी |
दोपहर का वक्त__
इस घर की दोनों लड़कियां यानी पलक और नंदिनी दोनों कॉलेज से घर आ गई, घर में कदम रखते ही उन्हें भी समझ गया कि घर का माहौल ठीक नहीं है क्योंकि उन्हें भी तो रोज का आदत पड़ गया था अपनी दादी का रोज डांट सुनना |
दोनों बहने बगैर कुछ बोले अपने कमरे में चली गई, कुछ देर बाद तपस्वी जी घर आए तो दादी परेशान होते हुए अपने बेटे से पूछने लगी_" क्या हुआ बेटा..? क्या आज फिर से वे लोग जमीन खाली करने के लिए कह रहे थे..? "
जो सुनकर तपस्वी जी बोले_" हां अम्मा, पर आप परेशान मत होइए.. पिछले दो सालों से वे लोग हमारी जमीन खाली करने के लिए कह रहे हैं, हमने अभी तक नहीं किया तो अब क्या करेंगे, और आज तो आप लोगों ने न्यूज़ देखा ही होगा, यह न्यूज़ देखकर वह भी समझ जाएगा कि उसने गलत लोगों से पंगा लिया है..! "
" यह सब तो ठीक है बेटा, इन सबके चक्कर में तुम्हें कुछ हो गया तो हमारा क्या होगा..? मैं तो जीते जी मर जाऊंगी इन सब के चक्कर में तुम मत पडो, अगर इस घर मे दो बेटियों की जगह दो बेटे होते तो हमें इतना फिक्र करने की जरूरत नहीं होता..! "
दादी बोल ही रही थी कि तपस्वी की टोकते हुए बोले_" अम्मा आप यह कैसी बातें करती रहती है, मैं अपनी बेटियों को बेटी है, कमजोर है यह सब नहीं मानता, मेरी बेटियां बेटों से कम नहीं है..! "
" इसीलिए.. इसीलिए तुम्हारी बेटियां सिर पर चढ़ गई है, उन्हें भी मर्दाना चाल चलने लगी है, ऐसे ही रहा तो एक दिन..! "
" बस करो अम्मा..! वह मेरी अपनी बेटियां हैं और मुझे अपनी बेटियों पर पूरा भरोसा है बिना सोचे समझे आप रोज उन पर लांछन लगाती रहती है, मैं आगे का नहीं सोचता हूं, बस मुझे इतना पता है मुझे मेरी बेटियों पर पूरा भरोसा है, बस..! "
तपस्वी जी अपनी दोनों बेटियों के बारे में गलत- सलत बिल्कुल भी सुन के बर्दाश्त नहीं कर सकते, वह चाहे घर के लोग हो..? चाहे बाहरी के लोग..? उन्हें बिल्कुल भी बर्दाश्त नहीं होता..!
वही कमरे में उनकी दोनों बेटियां अभी जो कुछ हुआ भी सब सुन रही थी और उन्हें हमेशा से पता है उनके पापा उनकी ही साइड लेते हैं जिससे दुनिया इधर-उधर हो जाए उन्हें कोई फर्क़ नहीं पड़ता उनकी नजरों में तो सिर्फ उनके पापा सुपर हीरो हैं, और वे दोनों अपने पापा को बहुत प्यार करती थी और चाहकर भी कभी उनका दिल नहीं दुख सकती..!
दूसरी तरफ _उदयपुर राजस्थान _
एक बड़ा सा हवेली जैसा दिखने वाला घर जिसके अंदर कुछ लोग मौजूद थे, उनके सामने बड़ी सी एलइडी टीवी पर न्यूज़ आ रहा था, वे सभी तपस्वी जी का न्यूज़ देख रहे थे जो वह अपनी छाती ठोक के जगह न खाली करने का दवा दे रहे थे |
उस बड़े से हाल में बहुत लोग मौजूद थे, पर एक बड़े से रजवाड़ी कुर्सी पर एक आदमी कुर्ता पजामा पहने हुए बैठा था, उसके हाथ में कढ़ाईदार शॉल भी था और वह न्यूज़ देखकर अपने मूंछों को ताव देते हुए बस तपस्वी जी को घूरे जा रहा था |
तभी उसके सामने का हट्टा- कट्टा पहलवान आदमी आकर खड़ा हुआ और बड़े तहजीब के साथ बोला_" भाई सा, बस आप हुकुम कीजिए इस तो मैं..? "
उस आदमी का इतना कहना कि कुर्सी पर बैठा आदमी जो अपनी मूंछों को बड़े देर से गोल - गोल घुमाई जा रहा था वह तुरंत रुक गया और बिना उसके तरफ देख ही बोला_" नहीं बलराम.. अक्सर इंसान जोश में अपना होश खो बैठता है, हमें ऐसा नहीं करना.. जमीन तो हम लोग लेकर ही रहेंगे, उसके लिए थोड़ा और इंतजार करना होगा.. जैसे 2 साल से करते आ रहे हैं..! "
ये सुन उसके सामने खड़ा बलराम बोला _" पर भाई सा , अगर घी सीधी उंगली से न निकले, तो उंगली टेढ़ी करनी पड़ती है..! "
" पर बलराम उंगली किसने कहा टेढ़ी करने के लिये...? उंगली टेढ़ी करने से उंगलियों में दर्द होगा, हमें तो पूरा घी खाना है.. वह भी सीधे-सीधे पांचो उंगली से..! "
वे दोनों आदमी आपस में बातें करके जोर-जोर से हंसे जा रहे थे और वहां पर मौजूद सभी लोगों को सिर झुकाए खड़े थे जिसे देख यही कहा जा सकता है कि इस जगह को पानी के लिए यह दोनों किसी भी हद तक जा सकते हैं..!
To be continue....
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