अब आगे _
शाम का वक्त
दादी लगातार आवाज़ लगाई जा रही थी_" पलकीया... ये पलकीया... पलकीया रे...! "
दादी नॉन स्टॉप पलक को आवाज़ लगाई जा रही थी, जो सुनकर नंदिनी अपने रूम में से बाहर निकली और हाॅल में आकर थोड़ी ऊंची आवाज में दादी से बोली_" दादी यह क्या है..? आप एक बार शुरू हो जाती हैं तो बंद होने का नाम ही नहीं लेती... दादी आपको पता है ना जीजी बाजार गई है, फिर भी आप शुरू हो जाती है, अच्छा खासा नाम को भी ख़राब कर के रख दिया है, पलकीया 🙄..! "
नंदिनी की ऊंची आवाज सुनकर दादी को बिल्कुल भी बर्दाश्त नहीं हुआ और वह भी और गुस्से में बोली_" अब तू मुझे पाठ पढ़ाएगी कि मुझे किस तरह से बात करना है, आने दे तेरे बाप को उस से शिकायत करती हूं, पर उससे भी शिकायत करके क्या फायदा.. उसने तो तुम दोनों को सिर पर चढ़ा कर रखा है, और बगैर पूछे वो बाजार कैसे चली गई..?
दादी की रोज गड़बड़ सुनने की घर वालों को आदत पढ़ चुका था | वह उनकी आवाज से नंदनी सिर्फ इरिटेट होती थी, बाकी उसे कोई फर्क नहीं पड़ता था |
वह मुंह बनाते हुए बोली_" वह अकेली नहीं गई है, मम्मी भी उनके साथ गई है और आते वक्त पापा के साथ ही आ जाएंगी | "
इतना बोल नंदिनी बिना वहां रुक अपने रूम में चली गई और पढ़ाई करने लगी, वही दादी अभी भी लगातार बड़बड़े जा रही थी कि इस घर में उनका कोई नहीं सुनता सब अपने मनमानी करने लगे हैं जवान जवान दो बेटियां हैं वह भी अपने मन की करने लगी है..!
रात 8:00 मिश्रा जी का घर_
सभी लोग खाना खाने बैठे हुए थे, खाना खाते वक्त किसी की हिम्मत नहीं कि वह बोले, सभी लोग चुपचाप खाना खा रहे थे वही दादी बहुत धीरे-धीरे खा रही थी, उन्हें देख ऐसा लग रहा था कि जैसे उनके दिमाग में बहुत कुछ चल रहा हो और वह कभी अपने बेटे को तो कभी अपने दोनों पोतियों को देख रही थी |
आखिरकार उन्हें रहा नहीं गया तो उन्होंने तपस्वी जी से कहा_" देख लल्ला, मैं तो यही कहूंगी कि किसी से दुश्मनी लेने की जरूरत नहीं है, आज दिनभर टीवी देख रही थी बार-बार तेरा ही चेहरा टीवी पर दिखाई दे रहा था दुश्मनों के नजरों में तू ही दिखाई देगा..! "
तपस्वी जी जो खा रहे थे, वह अपनी माँ की बातें सुनकर खाना खाना बंद कर दिया, अब बड़े शांत स्वभाव से बोले_" माताजी, मैं अकेला नहीं हूं, पूरे 20 लोगों की दुकान वहां लगती है.. हम सभी को वहां से उठाना चाहते हैं और भी जो छोटे-मोटे दुकान लगती हैं उनकी तो कोई गिनती ही नहीं है..! "
" अगर हम हार मान जाएंगे, तो वह हम पर हावी हो जाएंगे उनकी इतनी ताकत नहीं कि वह हमें हटा सके, अगर उनमे इतना ही ताकत होता तो वह 2 साल पहले ही हमें उठाकर फेंक देते हैं, हम सब भाई लोग मिलकर लड़ रहे हैं, माताजी अपना तो जैसे तैसे चल जाएगा | जो छोटे-मोटे दुकान लगाते हैं उनका घर चलाना बहुत मुश्किल है इसलिए हमें हार नहीं मानना, डट के सामना करना है..! "
ये सुन दादी इमोशनल हो गई अब बड़े भावुक होते हुए बोली_" हां लल्ला तू सही कह रहा है, पर तुझे तो पता है ना मैं तेरी मां हूं, मुझे फ़िक्र लगी रहती है तेरी, एक तो इस घर में मर्द तू ही है तुझे कुछ हो गया तो हम औरतें कहां जाएंगी..? अगर पोता होता तो आज यह दिन ना देखना पड़ता..! "
दादी की उम्र करीब 75 के आस-पास होगा, वह हमेशा इसी तरह इमोशनल हो जाया करती थी, तो वही पलक और नंदिनी दोनों उन्हें देख रही थी क्योंकि दादी का रोज का यही कहना होता है कि इस घर में पोता चाहिए था |
तपस्वी जी ने अपनी बेटियों के तरफ देखा और अपनी मां की तरफ देख कहां _" माता जी कितने बार कहा है, मैं अपनी बेटियों को बेटों से कम नहीं मानता, वह मेरी अपनी बेटियां हैं मैं उनमें कभी भेदभाव नहीं कर सकता, मुझे ईश्वर ने लड़की दिया है और मैं उनका मान सम्मान करता हूं..! "
तपस्वी जी हमेशा अपनी बेटियों का साइड लिया करते थे और अपनी माँ को चुप करा देते थे, थोड़ी देर बाद सभी लोगों का खाना खाना हो गया और अपने-अपने कमरे में सोने चले गये |
अगली सुबह _उदयपुर_ राजस्थान
भावेश सोलंकी और उसका भाई बलराम सोलंकी दोनों बहुत सीरियस होके बैठे थे, बलराम के हाथ में मोबाइल था वह किसी को कॉल लग रहा था 2-4 रिंग बजाने के बाद कॉल के दूसरी तरफ से आवाज आया है _" बोलिये मालिक..! "
इधर से बलराम बोला_" तुम्हें जो काम दिया है, वह तुमसे ठीक तरह से हो नहीं पा रहा, अगर ऐसा ही रहा तो वह जमीन हमारे हाथ से निकल जाएगा और यह भाई का बहुत बड़ा सपना है, वहां पर सबसे बड़ा होटल बनाने का और तुम्हें एक मामूली सा काम दिया गया है वह भी ठीक तरह से नहीं हो पा रहा..! "
बलराम बड़ी गुस्से में बोले जा रहा था की कॉल की दूसरी तरफ से आवाज आया_" मलिक हमें माफ कर दीजिए, हम पूरी तरह से कोशिश तो कर रहे हैं इस बार तो हम उसे धमकियां भी देने जाने वाले थे पर वहां पर पब्लिक की तादाद बहुत ज्यादा थी और तो और वहां पर मीडिया भी आ गई जिसकी वजह से हमें वहां जाने से खुद को रोकना पड़ा..! "
कॉल की दूसरी तरफ से वह आदमी अपना प्रॉब्लम बता ही रहा था कि इधर से बलराम चीखते हुए बोला_" किस लिए तुम लोगों को रखा गया है..? एक मामूली से काम भी तुम लोगों से नहीं हो पा रहा..? तुम लोगों को खिला-पिला के पैसे देकर मैं बेवजह में सांड की तरह पाल के रखा हूं..! "
बलराम का गुस्सा बढ़ते जा रहा था, जो देख भावेश अपनी उंगली से इशारा किया और यह इशारा था कि शांत हो जा, पर बलराम सुनने के बजाय उसे जान से मारने की धमकियां भी देने लगा और गुस्से में उसने अपना फोन नीचे जमीन पर पटक दिया |
भावेश अपने भाई का गुस्सा देखकर चेयर से उठ खड़ा हुआ और उसके कंधे पर हाथ रखते हुए बड़े प्यार से समझाते कहा_" तुम्हें मैं कल ही कहा था ना की जोश में आकर होश नहीं खोना पर तुम मेरी बात मानते ही नहीं हो जल्दबाजी का काम शैतान का होता है और हमें जल्दबाजी में कोई भी काम या कदम नहीं उठाना, हमें वह पूरा जमीन चाहिए और उसे लेकर ही रहेंगे, बस तरीका अलग होगा..! "
" मगर कैसे होगा भाई सा..? दिख रहा है ना यह बात अब मीडिया में भी आ गया है अब तो वह आदमी की हैसियत और भी बढ़ाते जाएगा और हम ऐसे ही देखते रह जाएंगे और हमारे आदमी सांड की तरह हमारा खाते रहेंगे, पर एक पैसे का काम नहीं करेंगे..! "
बलराम जमीन को लेकर परेशान हो रहा था और अपने भाई को परेशान होता देख भावेश अपने मूंछों पर उंगलियां फिरते हुए आगे कहा _" बलराम तुम अब शांत हो जाओ, अब यह काम इन लोगों से नहीं होगा यह किसी और को सौंपना पड़ेगा..? "
" पर किसे भाई सा..? "
बलराम क्यूरीस होकर अपने भाई को देख रहा था, तो वही भावेश अजीब तरह से मुस्कुराते हुए बोला_" है कोई तो, वह बहुत ही शातिर और खूंखार इंसान है, उससे कोई बच नहीं सकता और यह काम वही कर सकता है उसके सिवाय यह काम किसी को नहीं आएगा | "
अपने भाई का कॉन्फिडेंस देखकर बलराम उछलते हुए कहा_" फिर देर किस बात का भाई साहब, जल्दी से उसे यहां बुला लीजिए और मुंह मांगे रकम उसे दे दीजिए, पर यह जमीन हमें किसी भी हालत में चाहिए..! "
बलराम को फड़फड़ाता देख भावेश बोला_" वह कोई आम आदमी नहीं है, जो हम बुलाए और वह तुरंत आ जाएगा वह अपने कामों में बहुत बिजी रहता है वह एक माफिया है, अंडरवर्ल्ड का डॉन है, उसका कोई ठिकाना नहीं पता नहीं आज कहां तो कल कहां मुझे थोड़ा टाइम दो, मैं पता लगाता हूं इस वक्त वह है कहां..? "
To be continue...
(आख़िर कौन है वो..? जिसकी जिक्र आखिर भावेश कर रहा है..? )
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