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Chapter 6 - वेद और पलक आमने सामने

अब आगे _

Next Day _ Continental Grand Hotel _

अगली सुबह वेद 4:00 के आसपास होटल पहुंच गया था, उसके बाद फ्रेश हुआ बनारस बालमपुर गांव पहुंच गया |

वेद बहुत जल्दी पहुंच गया था | अभी तक कोई भी दुकान खुली नहीं थी, पर उसे इतना तो पता था कि इन सब में से कुछ लोग लीडर हैं जिसमें से नाम आता था |

टाइगर के मुंह से वेद ने बार-बार तपस्वी जी का नाम सुना था, जिसके वजह से उसने टाइगर से कहा_" उस बूढ़े का नाम क्या है..? उसका जल्दी से पता लगाओ, अब उसी से बात करुँगी फुली एंड फाइनली

" तपस्वी जी, मोहन जी.. आनंद जी... ऐसे न जाने कितने लोग.. यह सभी लोग बगावत कर रहे थे |

इस वक्त वेद के साथ दो बॉडीगार्ड भी थे और टाइगर ने आसपास के लोगों से पूछा कि_" तपस्वी जी का घर कहां है..? "

लोगों ने बात भी दिया ज्यादा दूर तो उनका घर नहीं था |

दुकान से बस 15-20 मिनट का रास्ता था, वेद डायरेक्ट तपस्वी जी के घर ही पहुंचा |

तपस्वी जी के घर के सामने ड्राइवर ने कार रोका, वेद इस वक्त कार के पैसेंजर सीट पर बैठा था और उसने कार का विंडो नीचे किया और घर के तरफ देखा..!

तपस्वी जी का घर न बड़ा न छोटा मीडियम साइज जो काफी अच्छा दिखाई दे रहा था, बाहर लकड़ी का बना हुआ नेम प्लेट लगा था.. जिसपर लिखा हुआ था 'तपस्वी मिश्रा'

वेद कार का डोर ओपन किया और अपने आँखों पर ब्लैक शेड्स लगाते हुए बाहर निकला, और कदम बढ़ाते हुए घर के दरवाजे पर पहुंचा |

दरवाजा अंदर से बंद था, जो देख उसने बेल बजाना शुरू कर दिया| वेद ने कंटिन्यू बेल बजाई जा रहा था | उसे देख ऐसा लग रहा था जैसे कि वह किसी का बिल्कुल भी इंतजार नहीं कर सकता बल्कि उसे इंतजार करना पसंद ही नहीं...!

और जैसे दरवाजा खुला के अंदर से एक प्यारी भरी आवाज भी आया_" अरे बाबा खोल रही हूं... ज़रा सब्र नहीं है..! "

वेद अपने दोनों हाथ जेब पॉकेट में डाले खड़ा था और आवाज सुनकर एकदम से दरवाजे की ओर देखा तो सामने कोई और नहीं है बल्कि तपस्वी जी की बेटी पलक मिश्रा खड़ी थी |

जो डार्क ग्रे कलर का ड्रेस पहनी थी और उसे देखकर वेद अपने आंखों से चश्मा उतारते हुए उसे देखने लगा, तब तक पलक सवाल करते हुए बोली_" जी कहिए...? आप कौन..? "

 " तपस्वी कहा है..? "

 " जी....वो मेरे पापा है ..! "

 "हाँ तो..? कहा है तेरा बाप..? "

वेद बहुत ही सख्त आवाज में बोला, जो सुनकर पलक एक सेकंड के लिए घबरा गई और वह लड़खड़ाअति हुई जुबान से बोली_" अ... आप ये किस तरह से बाते कर रहे है..? "

" मुझे तुझसे बात नहीं करना.. तेरे बाप से करना है..! "

वेद का बात करने का लहजा पलक को बिल्कुल भी अच्छा नहीं लगा, पलक क्या.. उसके जगह कोई भी बेटी अपने आप के लिए बर्दाश्त नहीं कर सकती |

तब तक अंदर से आवाज आया_" पलक कौन है..? "

अपनी दादी की आवाज सुनकर पलक पीछे मुड़कर देखी और तुरंत आगे देख तेज आवाज में बोली _" पापा इस वक्त घर में नहीं है, आपको जो भी कहना मुझसे कह दीजिए.. जब वो आएंगे तो मैं बता दूंगी..! "

वेद तो वेद था, वह कैसे किसी का इंतजार कर सकता | वह बिना कुछ बोले पालक के साइड से होते हुए घर के अंदर चला गया उसकी यह बदतमीजी देखकर पलक को बहुत गुस्सा आया और वह भी उसके पीछे चलती हुई अंदर आई..!

पलक उसके पीछे अंदर आते हुए तेज आवाज में झलाते हुई बोली_" यह क्या बदतमीजी है..? आप ऐसे अंदर कैसे आ सकते हैं..? क्या आपको इतना भी मैनेर्स नहीं है.. यह शरीफों का घर है.. आपका यहां गुंडागर्दी नहीं कर सकते.. समझे..! "

पलक एक ही सांस में लगातार बोले जा रही थी, वहीं वेद तो एकदम अंदर आ गया था |

घर के अंदर लड़क को देख दादी जो कुर्सी पर बैठी थी, वह अपना चश्मा आंखों पर चढ़ते हुए बोली_" कौन हो भाई तुम..? और ऐसे-कैसे घर में आ गए..? "

इतना बोलकर दादी पलक की तरफ भी देखी, जो गुस्से में वेद के सामने आकर उंगली पॉइंट करते हुए बोली _" घर से बाहर निकलो.. निकालो जल्दी... वरना..! "

" वरना क्या..? " वेद इतना बोल अपना गर्दन कड़कड़ करके मरोडने लगा |

पलक का इस तरह पराई मर्दों से बात करना, दादी को बिल्कुल भी अच्छा नहीं लगा | वह भी न जाने उस लड़के की नियत कैसी है..? जिससे दादी बीच में बोली_" पलकिया तू अंदर जा..! "

अगर घर में कोई बाहरी बिना परमिशन के घुस जाए तो भला पलक चुप कैसे रह सकती है, पलक का बिना डरे ही सामने जाकर डट के खड़ी हो गई..!

वेद पलक को इग्नोर किया और आसपास नजर घुमा कर देखने लगा, जिसे देख उसे इतना तो समझ गया कि इस घर में फिलहाल दो लोग दिखाई दे रहे हैं, एक जो सामने खड़ी है और एक बुढ़िया..!

और यह घर इतना बड़ा भी नहीं था कि जो आवाज बाकी लोगों को न जाए, घर में और दो-तीन रूम थे, जो वेद ने अपनी उंगली बजाते हुए गार्ड को इन्फॉर्म किया, जिसका इशारा पाते ही सब रूम में जाकर चेक किया तो कोई भी नहीं था |

उनका इस तरह से घर में घुसना और घर की तलाशी लेना पलक को बिल्कुल भी नहीं भाया और वह गार्ड के बीच में आकर उन्हें रोक रही थी | पर बेचारी कितनी तो अभी नाजुक लड़की थी और दादी तो जहां खड़ी थी वहीं खड़ी थी |

वेद को ऐसी कमजोर और बेबस लोग बिल्कुल भी पसंद नहीं और सबसे बड़ी बात है औरतों से बिल्कुल भी बात करना पसंद नहीं करता |

वह तुरंत वार्निंग देते हुए कहा_" अगर मेरे आदमी लोग काम कर रहे हैं और तुम उनके बीच में आओगी तो उसका अंजाम तुम्हें खुद भुगतना पड़ेगा | "

वेद की दादागिरी पलक या दादी दोनों को भी बर्दाश्त नहीं हुआ, दादी चलते हुए वेद के पास आ ही रही थी | तो वहीं वेद जाकर एक कुर्सी पर बैठ गया और अपना मोबाइल निकाल बिजी हो गए, वह किसी के भी मुंह लगना नहीं चाहता था और नाही बहस करना चाहिता |

अब दादी को भी बर्दाश्त नहीं हुआ और वह जोर से चिल्लाते हुए वेद से बोली_" तुम सब के सब मेरे घर से बाहर निकलो, जान न पहचान घर आए मेहमान..? "

दादी के इतना चिल्लाने के बावजूद भी वेद को कोई फर्क नहीं पड़ रहा था, वह जिस पोजीशन में बैठा था उसी पोजीशन में बैठ रहा तो वही दादी आगे बोली_" मुझे लगता है तुम लोग चोरी करने की फिरात से हमारे घर में घुसे हो, तुम ऐसे नहीं जाओगे..! "

दादी बोल ही रही थी तब तक वेद बोल प़डा _" बुढ़ी समझ के ना मैं कुछ बोल नहीं रहा और इस घर में तुम दोनों हो वरना यही ठोक दूंगा..! "

वेद का यह लास्ट वाला शब्द सुनकर दादी और पलक दोनों डर के माले उसे देखने लगी, दोनों के मुंह से सब नहीं निकल रहा था दोनों अंदर से घबरा गई थी |

फिर भी पलक ही हिम्मत जुटाते हुए बोली_" गुंडे कहीं के.. हमारे घर में आकर गुंडागर्दी करोगे, रुको तुम्हें तो मैं, अभी सबको यहां पर इकट्ठा करती हूं..! "

इतना बोल कर पायल घर से बाहर निकल जाने की कोशिश की, उतने में वेद उठा और उसका हाथ पकड़ मरोडते हुए कहा_" क्या कहा तूने..? फिर से कह तो..? "

अब तो पायल की बोलती बंद क्योंकि वेद ने उसका हाथ उल्टा मोड़ दिया था और उसे दर्द होने लगा |

ये सब दादी देख दादी धीरे-धीरे चलते हुए वेद के पास आकर बोली_" तुम मेरी बच्ची को छोड़ो, तुम्हें मेरे बेटे से बात करना है ना अभी वह घर पर नहीं है, जब वह आएगा तब आकर बात करना, अभी निकलो मेरे घर से..! "

पायल को बर्दाश्त नहीं हुआ उसकी आंखों में आंसू आने लगे क्योंकि वेद ने उसका हाथ बहुत कस के मरोड़ा था, जिससे उसे बहुत तकलीफ होने लगा बल्कि दर्द भी बढ़ गया |

उसको इस तरह रोता देख वेद दांत पीसते हुए कहा_" बहुत शौक है तुझे गुंडा बोलने का..? "

पायल तुरंत अपना सिर ना में हिलने लगी और दर्द से कहराते हुए बोली_" प्लीज मेरा हाथ छोड़ो, यह तुम ठीक नहीं कर रहे हों..! "

पलक का इतना कहना कि वेद और भी उसके हाथों पर प्रेस करने लगा जिससे अब वह रो पड़ी, दादी को बिल्कुल भी देखा नहीं गया और वह जाकर पायल का हाथ पकड़ छुड़ाने लगी उनके ऐसे करने से वेद ने पायल का हाथ छोड़ दिया |

और बिना वक्त गवाई घर से बाहर निकला, उसके पीछे उसके गॉड्स भी चले गए और आते ही कार में बैठ गया, ड्राइवर ने कार चलना स्टार्ट कर दिया |

वेद कार में बैठे अपने हाथों को देख रहा था, जो हाथ उसने पलक का पड़ा था इधर अंदर पलक अपने हाथों को देख रही थी क्योंकि उसकी उंगलियों के निशान पड़ गए थे, उस जगह पर उसे बहुत दर्द हो रहा था पलक दादी के गले लिपटकर जोर-जोर से रोने लगी |

To be continue....

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