Chereads / Martial devil / Chapter 33 - सार्थक सिंघानिया

Chapter 33 - सार्थक सिंघानिया

Kachaaa!आकर्ष के कमरे से फिर से हड्डियों के चटकने की आवाज आ रही थी। आकर्ष इस समय दिव्य जल वाले पानी से नहा रहा था।"बस तीन बार और. फिर मैं आठवें स्तर में प्रवेश कर लूंगा! आठवें स्तर में पहुंचने के बाद मेरी ताकत दोगुनी हो जाएगी।"आकर्ष ने अपने आप से कहा।उसके ऊर्जा स्तर में फिर से वृद्धि हुई थी। इसलिए आज वह बहुत खुश था। स्नान करने के बाद आकर्ष ने अपने कपड़े पहने और अपने कमरे से बाहर आया। जहां सबसे पहले उसका ध्यान दीया पर गया जो हमेशा की तरह आज भी तलवारबाजी का अभ्यास कर रही थी।"मालिक"आकर्ष को कमरे से बाहर आया देख दीया ने जल्दी से उसे प्रणाम करते हुए कहा।"मैंने कितनी बार कहा है कि इतना अभ्यास मत किया करो! ज्यादा अभ्यास करने से तुम्हें चोट भी लग सकती है!"आकर्ष ने एक कपड़े से दीया के पसीने को साफ करते हुए कहा।दीया को आकर्ष का यह रूप बहुत पसंद था। आकर्ष जब भी उसका ख्याल रखता, उसकी फिक्र करता, दीया की खुशी का कोई ठिकाना नहीं होता।"मालिक! मालिक!"आकर्ष और दीया एक दूसरे में खोए हुए थे तभी आकर्ष को अतुल की आवाज़ सुनाई दी। उसकी आवाज सुनकर आकर्ष की सारी खुशी गायब हो गई।"यह अतुल अच्छे से जानता है कि इस कब मेरे पास आना है! यह थोड़ी देर से भी तो आ सकता था।"आकर्ष ने गुस्सा होते हुए अपने आप से कहा।"मालिक आपको उससे मिलना चाहिए। हो सकता है उसे आपसे कोई जरूरी काम हो?"दीया ने कहा।कुछ देर सोचने के बाद आकर्ष को दीया का कहना सही लगा। जहां तक वह अतुल को जानता था वो बिना कारण के तो उससे मिलने नहीं आएगा।आकर्ष ने जैसे ही दरवाजा खोला वैसे ही अतुल ने उसका का हाथ पकड़ कर उसे घर से बाहर खींच लिया और कहा."मालिक.जल्दी चलो! कोई आपसे मिलना चाहता है।""कौन मुझसे मिलना चाहता है और क्यों?"आकर्ष ने पूछा।"उनके बारे में ज्यादा कुछ तो मैं भी नहीं जानता। लेकिन हां.इतना जरूर पता है कि वो लोग सिंघानिया परिवार से हैं। वो दो लोग हैं, जिनमें से एक मेरे पिता की उम्र का है वहीं दूसरा लगभग 20 साल का होगा। और हां.वो व्यक्ति जो मेरे पिता की उम्र का है ना.वो आपकी मां को जानता है। वो रेवती चाचा को 'भाभी' कहकर पुकार रहा था।"अतुल ने जवाब दिया।"भाभी? कहीं यह लोग."आकर्ष को जहां तक समझ आ रहा था यह लोग उसके पिता के परिवार से थे। उसके पिता से संबंधित उसके पास कोई जानकारी नहीं थी। वह उनके बारे में कुछ भी नहीं जानता था। उनका नाम, पता, काम, उम्र कुछ भी नहीं। हालांकि उसे अपने पिता की याद तो नहीं आती थी लेकिन वो उनके बारे में जानने को उत्सुक था। वो जानना चाहता था कि उसके पिता की ऐसी क्या मजबूरी रही होगी कि उन्होंने उसकी मां को ऐसे अकेला छोड़ दिया। क्यों वो पिछले 15 सालों में उससे एक बार भी मिलने नहीं आए।"दीया.चलो सभा कक्ष में चलते हैं।"आकर्ष ने दीया का हाथ पकड़ा और सभा कक्ष की ओर चल दिया।"रुकिए मालिक.मैं भी आ रहा हूं"उन दोनों को वहां से जाता देखा अतुल ने पीछे भागते हुए कहा।जैसे ही वो तीनों सभा कक्ष के बाहर पहुंचे, आकर्ष का ध्यान एक लड़के पर गया जो सभा कक्ष से बाहर निकलकर उन्ही की ओर आ रहा था। उस लड़के की उम्र करीबन 20 साल थी और वो उनकी ओर ऐसे चल कर आ रहा था जैसे वह कोई राजा है और बाकी सब उसके गुलाम। उसकी आंखों में घमंड साफ झलक रहा था।मालिक यही वो लड़का है जो सिंघानिया परिवार से आया है। यह बहुत बदतमीज है, सभा कक्ष में यह कुल प्रमुख और रेवती चाचा से बड़ी बदतमीजी से बात कर रहा था।"अतुल ने उस लड़के की ओर इशारा करते हुए कहा।सिंघानिया परिवार!अतुल की बात सुनकर आकर्ष उस लड़के की ओर देखने लगा। ठीक इसी समय उस लड़के की नजर भी उन तीनों पर पड़ी। जब उसने दीया को देखा तो वह उसे देखता ही रह गया। लेकिन उसके इरादे सही नहीं थे। उसकी आंखों में लालच और वासना के भाव थे, जिसे दीया साफ देख पा रही थी। पर इससे पहले कि वो कुछ कहती कोई उसके सामने आकर खड़ा हो गया।Hmmmm!सिंघानिया परिवार के उस लड़के को तुरंत गुस्सा आ गया जब उसने देखा कि उसके और दीया के बीच में कोई और आ गया है। पर जब उसने दीया के सामने खड़े लड़के का चेहरा देखा तो उसके चेहरे के भाव तुरंत बदल गए।"तुम्हारा नाम आकर्ष सिंघानिया है?"सिंघानिया परिवार से आए उस लड़के ने पूछा।"तुम मुझे जानते हो?"आकर्ष ने जवाब देने की जगह वापस उसी से सवाल पूछा।जहां तक उसे याद था वो सिंघानिया परिवार के इस लड़के से पहले कभी नहीं मिला था। फिर वो लड़का उसे कैसे जानता है?"मैं तुझे कैसे नहीं जानूंगा! तेरी शक्ल तेरे उस मरे हुए बाप से जो मिलती है!"उस लड़के ने बड़ी लापरवाही से जवाब दिया। आकर्ष उसकी आंखों में 'कत्ल का भाव' देख पा रहा था। जिसका कारण उसे समझ नहीं आ रहा था। वो समझ नहीं पा रहा था कि वो लड़का उसे मारना क्यों चाहता है जब वो उससे पहले कभी नहीं मिला है। लेकिन एक बात उसे अच्छे से समझ आ गई थी.और वो यह थी कि इस लड़के की उसके पिता के साथ कोई दुश्मनी जरूर है।"अगर मुझे सही से याद है तो तुम्हारी उम्र 15 साल है.है ना! 15 साल की उम्र में तुम शारीरिक मंडल के सातवें स्तर में पहुंच चुके हो! तुम बिल्कुल अपने बाप पर गए हो। लेकिन इससे क्या फर्क पड़ता है? तुम मेरे यानी 'सार्थक सिंघानिया' के आगे एक कीड़े से ज्यादा कुछ भी नहीं हो!"सार्थक सिंघानिया ने अकड़ दिखाते हुए कहा।इतना कहकर उसने तुरंत आकर्ष पर हमला कर दिया। उसकी सारी आंतरिक ऊर्जा उसके दाएं हाथ में एकत्रित होने लगी और आठ हाथियों की परछाई उसके सिर पर दिखाई देने लगी।उन परछाइयों से साफ था कि सार्थक चक्र मध्य मंडल के छठे स्तर का योद्धा है।केवल और केवल चक्र मध्य मंडल के छठे स्तर का योद्धा ही आठ हाथियों के जितनी ताकत इस्तेमाल कर सकता था।आकर्ष को ऐसे किसी अचानक हमले की बिल्कुल भी उम्मीद नहीं थी। लेकिन फिर भी अपना बचाव करने के लिए वह कुछ कदम पीछे चला गया। पर उसकी यह कोशिश नाकामयाब रही और सार्थक का मुक्का सीधा उसके सीने पर जा लगा। मुक्के का प्रभाव इतना तेज था कि आकर्ष उड़ते हुए दूर जा गिरा। उसे खून की उल्टियां होने लगी और उसका पूरा शरीर खून से लथपथ हो गया।"मालिक"दीया और अतुल दोनों भाग कर आकर्ष के पास पहुंचे और खड़े होने में उसकी मदद करने लगे।अगर आकर्ष ने सही समय पर सौम्य गति का इस्तेमाल नहीं किया होता तो सार्थक के मुक्के ने उसकी जान ले ली होती।आकर्ष ने एक गहरी सांस ली और सार्थक से पूछा."जहां तक मुझे याद है यह हम दोनों की पहली मुलाकात है। जब हम पहली बार मिले हैं और मैं तुम्हें अच्छे से जानता भी नहीं हूं, तो मुझे बताओगे कि तुम मेरी जान क्यों लेना चाहते हो? हमारे बीच तो कोई दुश्मनी नहीं है!""मुझे नहीं लगा था कि तुम मेरा वार सहन कर पाओगे! शायद मैंने पहले गलत कह दिया था। तुम एक कीड़े की बराबरी तो कर सकते हो। और अगर तुम्हें ऐसा लग रहा है कि हमारे बीच में कोई दुश्मनी नहीं है तो तुम गलत हो! तुम्हारा वो बाप जो कई साल पहले मर गया था। मरने से पहले उसने मेरे पिता का ऊर्जाकोष नष्ट कर दिया था। तुम्हें इतना तो पता ही होगा कि एक योद्धा के लिए उसका ऊर्जाकोष क्या मायने रखता है। बिना ऊर्जाकोष के एक योद्धा. योद्धा नहीं रहता! उसकी सारी ऊर्जा नष्ट हो जाती है! जब तेरे बाप ने मेरे पिता का पूरा जीवन नष्ट कर दिया है तो अभी भी तुम यही कहोगे कि हमारे बीच कोई दुश्मनी नहीं है?"सार्थक ने कहा।अब जाकर आकर्ष को पूरी बात समझ में आई थी। उसने सार्थक का मजाक उड़ाते हुए कहा."अगर तुम में सच में हिम्मत है और अपने पिता का बदला लेना चाहते हो तो जाकर उस व्यक्ति से लड़ो ना जिसने तुम्हारे पिता का जीवन नष्ट किया है। तुम यहां आकर मुझ पर हमला कर रहे हो यानी तुम्हारे अंदर उस व्यक्ति से लड़ने की क्षमता नहीं है।""लेकिन तुम उस व्यक्ति के बेटे हो और यह कहावत तो तुमने सुनी ही होगी कि 'पिता का कर्ज बेटे को चुकाना होता है' तुम मेरे पिछले वार से तो बच गए लेकिन इस वार से कैसे बचोगे।"सार्थक ने हंसते हुए आकर्ष से कहा और उस पर हमला करने आने लगा। जैसे ही सार्थक आकर्ष के पास पहुंचने वाले था ठीक उसी वक्त दीया बीच में आ गई और अपनी तलवार से सार्थक पर वार करने लगी। सार्थक ने कोई दया नहीं दिखाई और पलट कर वापस दीया पर ही वार कर दिया। सार्थक का हमला इतना घातक था कि दीया दूर जाकर गिर पड़ी। उसे भी खून की उल्टियां होने लगी। दीया का चेहरा पीला पड़ गया था। उसने जैसे तैसे अपने शरीर में मौजूद बाकी ऊर्जा को एकत्रित किया और तलवार के सहारे खड़े होने की कोशिश करने लगी।दीया!दीया को घायल देख आकर्ष ने अपना संतुलन खो दिया। उसने तुरंत अपनी उक्कू की तलवार निकाली और सौम्य गति की मदद से सार्थक के पास पहुंच गया। पर इससे पहले कि वह सार्थक पर हमला कर पाता सार्थक ने एक मुक्का फिर से उसके सीने पर दे मारा। इस बार का वार पिछली बार के वार से भी ज्यादा शक्तिशाली था। आकर्ष इस वार से इतना घायल हो चुका था कि ठीक से खड़ा भी नहीं हो पा रहा था।"मालिक!"दीया ने रोते हुए कहा।वो आकर्ष के पास जाने की कोशिश करने लगी लेकिन उसका शरीर इतना कमजोर हो चुका था कि वह ठीक ढंग से चल भी नहीं पा रही थी। थोड़ी देर चलने के बाद दीया नीचे गिर गई लेकिन गिरने के बाद भी दीया ने हार नहीं मानी और अपने शरीर को घसीटते हुए आकर्ष के पास जाने लगी।जब सार्थक ने यह सब दृश्य देखा तो आकर्ष के लिए उसकी जलन और भी ज्यादा बढ़ गई। उसे दीया का आकर्ष के लिए फिक्र करना बिल्कुल भी पसंद नहीं आ रहा था। उसने तुरंत अपनी आंतरिक ऊर्जा फिर से एकत्रित की और एक और मुक्का आकर्ष के सीने पर मार दिया।"मालिक"लेकिन इससे पहले की सार्थक का मुक्का आकर्ष को लगता, अतुल बीच में आ गया। अतुल ने मुक्के का सारा प्रभाव अपने ऊपर ले लिया। पर उसका शरीर आकर्ष के जितना मज़बूत नहीं था। वो सार्थक का सामना कैसे कर पाता। मुक्का लगते ही अतुल 10 मीटर दूर जाकर गिर पड़ा और फिर उसके शरीर में कोई हलचल नहीं हुई।"अतुल नहीं!"आकर्ष ने चिल्लाते हुए कहा। उसे बिल्कुल भी उम्मीद नहीं थी कि अतुल ऐसे समय में उसकी मदद करेगा। उसने आकर्ष की जान बचाने के लिए अपनी जान खतरे में डाल दी थी।आकर्ष को अब पछतावा हो रहा था। उसे पछतावा हो रहा था कि वह कमजोर क्यों है? उसे पछतावा हो रहा था कि उसने अतुल को क्यों नहीं समझा? उसे अपने आप से नफरत हो रही थी कि उसने अतुल के साथ कभी अच्छे से बर्ताव क्यों नहीं किया!"अपनी आंखों के सामने अपने परिवार वालों को मरते देखना! यह सब देखकर कहीं दर्द हुआ आकर्ष?"सार्थक ने हंसते हुए पूछा।आकर्ष ने उसके सवाल का कोई जवाब नहीं दिया और उसे घूर कर देखने लगा। उसकी आंखों का रंग फिर से नीला होने लगा। वो 'कत्ल का भाव' जो उसने काफी समय से छुपा रखा था वो अब उसकी आंखों में नजर आ रहा था।आकर्ष की आंखों के नीला होते ही आसपास के वातावरण में कुछ अजीब से परिवर्तन होने लगे। हवा में खून की गंध फैल गई थी। हवाएं हल्की ठंडी हो गई थी।सार्थक ने जैसे ही आकर्ष की आंखों में देखा तो उसे उसकी आंखों से डर लगने लगा। उसके कदम अपने आप पीछे जाने लगे।

सार्थक अभी सिर्फ 20 साल का था। अगर उसकी जगह कोई उम्र दराज व्यक्ति होता तो वह भी इस दृश्य को देख कांपने लगता।

उसे आकर्ष की आंखों के रंग का ऐसे अचानक बदलना कुछ समझ नहीं आ रहा था। उसे एक पल के लिए ऐसा लगा मानो उसके सामने कोई इंसान नहीं बल्कि कोई शैतान आ गया है।"क्या हुआ? डर लग रहा है? अब अपनी ताकत क्यों नहीं दिखाते? तुम एक डरपोक के अलावा कुछ नहीं हो! एक डरपोक ही अपने आपको शक्तिशाली साबित करने के लिए अपने से कमजोर लोगों पर हमला करता है

।"आकर्ष ने एक भारी आवाज में कहा।आकर्ष की बात सुनकर सार्थक को गुस्सा आ गया। उसे यकीन नहीं हो रहा था कि वह एक 15 साल के बच्चे से डर कर पीछे हट गया था। उसने फिर से अपनी आंतरिक ऊर्जा एकत्रित की और आकर्ष पर हमला करने दौड़ा।उसने सोच लिया था कि चाहे कुछ भी हो जाए वह इस बार आकर्ष को खत्म करके ही रहेगा।उसका मुक्का बिना रुके आकर्ष की ओर बढ़ रहा था और.