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Chapter 34 - क्या अतुल ज़िंदा बच पाएगा?

"रुको!"सार्थक का मुक्का आकर्ष को लगने वाला ही था तभी एक आवाज सुनाई दी। आंतरिक ऊर्जा से बना एक बड़ा हाथ हवा में प्रकट हुआ और उसने सार्थक को हवा में ही पकड़ लिया। आंतरिक ऊर्जा से बना यह हाथ एक बूढ़े आदमी का था जो किसी के चिल्लाने की आवाज सुनकर मिश्रा परिवार के सभा कक्ष से तीन और लोगों के साथ भागता हुआ बाहर आया था।" ब्रह्मा मंडल"वर्धन सिंह ने चौंकते हुए कहा।ब्रह्मा मंडल, सृष्टि मंडल से आगे का मंडल था। सिर्फ ब्रह्मा मंडल और उससे ऊपर के मंडलों में मौजूद योद्धाओं के पास ही यह क्षमता होती थी कि वह अपनी आंतरिक ऊर्जा से किसी भी चीज का निर्माण कर सकते थे।"आकर्ष"घायल अवस्था में अपने बेटे को जमीन पर पड़ा देख रेवती जल्दी से दौड़कर उसके पास आई और खड़े होने में उसकी मदद करने लगी।"सार्थक. यह जानते हुए कि आकर्ष तुम्हारा भाई है तुमने फिर भी उसकी जान लेने की कोशिश की। तुम्हें क्या लगता है तुम ताकतवर हो तो कुछ भी कर सकते हो?"रेवती ने गुस्से में सार्थक की ओर देखते हुए कहा।"चाची आप भूल रही हो कि आपके पति ने मेरे पिता के ऊर्जाकोष को नष्ट किया था। आप जानती है आज भी मेरे पिता कितने दर्द में है। मैं बस आकर्ष को उसके पिता के किए कुछ कार्यों का इनाम दे रहा हूं!"सार्थक ने हंसते हुए कहा।"बस!. सार्थक अगर तुम अपने आप पर नियंत्रण नहीं रख सकते हो तो यहां से जा सकते हो! तुम्हारी यहां पर कोई जरूरत नहीं है।"सिंघानिया परिवार से आए उस दूसरे व्यक्ति ने कहा।"चाचा आप नाराज क्यों हो रहे हैं?. मैं आगे से ध्यान रखूंगा कि आपको कोई परेशानी ना हो। आप इस बार मुझे माफ कर दीजिए.ठीक है!"सार्थक ने कहा।आकर्ष उनके नाटक को अच्छे से समझ पा रहा था लेकिन उसने इस बारे में सार्थक से कुछ नहीं कहा।"कुल प्रमुख.अतुल को बहुत ज्यादा चोट लगी है आप जल्दी से उसे वरिष्ठ के पास ले जाइए।"आकर्ष ने वर्धन सिंह से कहा।आकर्ष के बताने के बाद वर्धन सिंह का ध्यान अतुल पर गया। वो अतुल की हालत देख तुरंत समझ गए थे कि अतुल के पास ज्यादा समय नहीं है। उन्होंने जल्दी से अतुल को अपने हाथों में उठाया और वरिष्ठ के घर की ओर दौड़े।"दीया क्या तुम ठीक हो!"आकर्ष जल्दी से दीया के पास गया और उसे सहारा देते हुए पुछा।"मैं ठीक हूं मालिक!"दीया ने बहुत ही धीमी आवाज में कहा।लेकिन आकर्ष तुरंत समझ गया कि दीया झूठ बोल रही है।रेवती ने जल्दी से उन दोनों के खड़े होने में मदद की और सिंघानिया परिवार से आए उस दूसरे व्यक्ति की ओर इशारा करते हुए आकर्ष से बोली."आकर्ष.इनसे मिलो! यह तुम्हारे पिताजी के छोटे भाई हैं।""मां मैं इन्हे नहीं जानता और ना ही जानना चाहता हूं। इनसे मेरा कोई रिश्ता नहीं है।"आकर्ष ने उस व्यक्ति की ओर देखते हुए बेरुखी से जवाब दिया।"आकर्ष.इसका क्या मतलब? वो तुम्हारे चाचा है तुम्हें उनका सम्मान करना चाहिए।"रेवती ने आकर्ष को समझाते हुए कहा।"माँ.सम्मान उन्हें दिया जाता है जो उसके लायक हो! जो व्यक्ति अपने से छोटों की इज्जत नहीं करता है, जिसे सही गलत का पता नहीं है, आप चाहती हो कि मैं उसकी इज्जत करूं! मैं उसे सम्मान दूं?"आकर्ष ने कर्कश आवाज में कहा।जब से यह व्यक्ति आया था उसने सार्थक से कुछ भी नहीं कहा था। यहां तक की आकर्ष पर बेवजह हमला करने के लिए उसने सार्थक को डांटा तक नहीं था। आकर्ष एक ऐसे व्यक्ति का सम्मान तो किसी भी हालत में नहीं करने वाला था।"भैया मुझे माफ कीजिए! मैं आकर्ष को अच्छे से शिक्षा नहीं दे पाई!"रेवती ने उस व्यक्ति, जिसे वो आकर्ष का चाचा बता रही थी उससे माफी मांगते हुए कहा।"भाभी इसके लिए आपको माफी मांगने की कोई जरूरत नहीं है! मैं आकर्ष से बिल्कुल भी गुस्सा नहीं हूं। आज जो कुछ हुआ उसमें गलती मेरी है। जब मैं सांची के पास से गुजर रहा था तो मुझे लगा कि मुझे आपसे मिलना चाहिए। मुझे नहीं लगा था कि मेरी यह छोटी सी गलती इतने बड़े झगड़े का कारण बन जाएगी।"उस व्यक्ति ने आकर्ष की ओर देखते हुए कहा और सार्थक को लेकर वहां से जाने लगा।सार्थक जाते समय भी आकर्ष को देख रहा था। उसके चेहरे पर इस समय एक शैतानी मुस्कुराहट थी।उसकी उस मुस्कुराहट को देख आकर्ष ने अपनी मुट्ठी भींच ली। आज से पहले किसी ने भी उसकी इतनी बेइज्जती नहीं की थी। उसने सोच लिया था कि वह इस बेइज्जती का बदला लेकर रहेगा। आज उसे जितने जख्म मिले हैं वो उससे कई गुना ज्यादा जख्म सार्थक को देगा। अगर इसके लिए उसे पूरे सिंघानिया खानदान से लड़ना पड़े तो भी वह पीछे नहीं हटेगा।"मां मैं वरिष्ठ के घर जा रहा हूं! मैं देखना चाहता हूं कि अतुल की हालत कैसी है!"आकर्ष ने रेवती की ओर देखते हुए कहा।"आकर्ष तुम बाद में उससे मिल लेना, पहले घर चलो। तुम्हारी और दीया की हालत भी कुछ ठीक नहीं है।"रेवती ने कहा।"मां मैं जानता हूं कि मेरी हालत कैसी है। मुझे इतनी गहरी चोट भी नहीं लगी है। मुझे बस एक नौवें स्तर की सुवर्णक्षति गोली चाहिए और मैं ठीक हो जाऊंगा। आते वक्त मैं दीया के लिए भी एक सुवर्णक्षति गोली लेकर आ जाऊंगा।"आकर्ष ने कहा।"मालिक मैं भी आपके साथ चलती हूं!"दीया ने कहा।"नहीं इसकी कोई भी जरूरत नहीं है! तुम मेरी मां के साथ अभी घर जाओ और आराम करो! मैं बस थोड़ी देर में आता हूं।"आकर्ष ने दीया की ओर देखते हुए कहा।रेवती और दीया को घर भेजकर आकर्ष जल्दी से वरिष्ठ अमर सिंह के घर आया। एक सुवर्णक्षति गोली का सेवन करने के बाद उसका दर्द कुछ कम हुआ।"वरिष्ठ अतुल की हालत कैसी है? क्या वो ठीक है?"आकर्ष ने अमर सिंह से पूछा।"अतुल!"इससे पहले की अमर सिंह कोई जवाब दे पाते सोमदत्त जल्दी से भागते हुए कमरे में आ गए। अपने बेटे को बिस्तर पर लेटा देखा सोमदत्त ने अमर सिंह से पूछा."वरिष्ठ. अतुल की ऐसी हालत. क्या वो ठीक है?""सोमदत्त. सभी तुम्हारे बेटे के मोटापे का मजाक उड़ाते हैं लेकिन इसी मोटापे के कारण यह अभी तक जिंदा है। ज्यादा मोटा होने के कारण सार्थक की आंतरिक ऊर्जा का प्रभाव इसके पूरे शरीर में फेल कर कुछ कम हो गया है। लेकिन. इसके सीने की हड्डियां टूट गई है! मुझे डर है कि अब यह ज्यादा समय तक जीवित नहीं रहेगा! इसके पास बहुत ही कम समय बचा है शायद तुम लोग इसे आखिरी बार देख रहे हो!"अमर सिंह ने कहा।"नहीं. ऐसा नहीं हो सकता! वरिष्ठ आप तो एक वेद्य है। आप कई जड़ी बूटियों, औषधियों और रसायनों के बारे में जानते हैं। क्या आपके पास मेरे बेटे को बचाने का कोई भी तरीका नहीं है?"सोमदत्त ने रोते हुए पूछा।"एक तरीका है पर."अमर सिंह ने संकोच करते हुए कहा।"कौनसा तरीका.मुझे बताइए!"सोमदत्त ने जल्दी से पूछा। इस अंधेरी दुनिया में आखिरकार उन्हें एक आशा की किरण नजर आई।"अगर हम अतुल को अस्थिचक्र की गोली दें, तो उसके सीने की टूटी हुई हड्डियां वापस ठीक हो सकती है। लेकिन अस्थिचक्र की गोली बहुत सालों पहले ही विलुप्त हो गई है। यहां तक की उसकी निर्माण विधि के बारे में भी कोई नहीं जानता। मैंने भी कुछ पुरानी किताबों में बस इस गोली के बारे में सुना था, कभी इसे देखा नहीं!"अमर सिंह ने कहा।अस्थिचक्र गोली के बारे में सुनते ही आकर्ष लक्ष की यादों में इस गोली के बारे में खोजने लगा। उसकी किस्मत बहुत अच्छी थी उसे तुरंत ही अस्थिचक्र गोली बनाने की निर्माण विधि मिल गई।"वरिष्ठ मेरे पास अस्थिचक्र गोली की निर्माण विधि है! क्या अब हम अतुल को बचा सकते हैं?"आकर्ष ने पूछा।"आकर्ष अस्थिचक्र गोली एक आठवें स्तर की गोली है जिसे केवल एक आठवें स्तर का वैद्य ही बन सकता है। वरिष्ठ एक नौवें स्तर के वैद्य है और वो इसमें हमारी कोई मदद नहीं कर सकते।"सोमदत्त ने आकर्ष को समझाते हुए कहा।"एक रास्ता है.आकर्ष तुम्हारे मास्टर. आकर्ष तुम अपने मास्टर से मदद मांग सकते हो!"अमर सिंह ने कहा।मास्टर!आकर्ष को समझ नहीं आ रहा था कि वह अब क्या जवाब दे। वह अपने उस काल्पनिक मास्टर को कैसे बुलाएं जिसको उसने केवल सभी का ध्यान भटकाने के लिए बनाया था।"वरिष्ठ मैं नहीं जानता कि मेरे मास्टर इस समय कहां पर है? उन्होंने जाने से पहले मुझे बस कुछ निर्माण विधियां दी थी और कहा था कि वह जल्दी ही वापस लौट आएंगे।"आकर्ष ने एक कड़वी मुस्कुराहट के साथ जवाब दिया।"तो अब मैं कुछ नहीं कर सकता! हमारे पास अतुल को बचाने का कोई रास्ता नहीं है।"अमर सिंह ने कहा।"वरिष्ठ क्या आप बता सकते हैं अतुल के पास कितना समय बचा है?"सोमदत्त ने पूछा।"ज्यादा से ज्यादा तीन दिन"अमर सिंह ने जवाब दिया।"सिर्फ तीन दिन. वरिष्ठ यह तो बहुत ही कम समय है! शायद मेरे पिताजी कुछ मदद कर सकते हैं! वरिष्ठ क्या आपके पास ऐसा कोई रास्ता नहीं है जिससे यह तीन दिनों की अवधि बढ़ जाए, अगर आप ऐसा कर सकते हैं तो मैं अपने पिता से मदद मांग सकता हूं!"सोमदत्त ने कहा।"नहीं! मेरे पास ऐसा कोई तरीका नहीं है जिससे मैं इन तीन दिनों की अवधि को बढ़ा सकता हूं!"अमर सिंह ने जवाब दिया।"शायद मेरे पास एक रास्ता है! पर मैं ज्यादा से ज्यादा सिर्फ एक महीने तक इस समय को बढ़ा सकता हूं! क्या आप एक महीने के अंदर अपने पिताजी से बात कर सकते हैं?"आकर्ष ने सोमदत्त की ओर देखते हुए पूछा।उसने अतुल से पहले भी उसके दादाजी के बारे में सुना था। वो उन से कभी मिला तो नहीं था लेकिन इतना जरुर जानता था कि अतुल के दादाजी कोई सामान्य व्यक्ति नहीं है। वह जरूर किसी ना किसी आठवें स्तर के वैद्य को जानते होंगे।"मेरे लिए आधा महीना ही काफी है आकर्ष, अब मैं सब कुछ तुम पर छोड़ रहा हूं!"सोमदत्त ने जल्दी से कमरे से बाहर जाते हुए कहा। उन्हें आकर्ष पर पूरा भरोसा था। वो अब ज्यादा देरी नहीं करना चाहते थे और जल्द से जल्द अपने पिता से मिलना चाहते थे।"आकर्ष क्या तुम्हारे पास सच में ऐसा कोई तरीका है जिससे यह तीन दिनों की अवधि बढ़ाई जा सके!"अमर सिंह ने पूछा।"वरिष्ठ मुझे एक ऐसे लेप के बारे में पता है जो अतुल के शरीर में हो रही वृद्धि को धीमा कर देगा! अगर हम उस लेप को अतुल के पूरे शरीर पर लगा दें तो वह अगले 1 महीने तक जिंदा रह सकता है।"आकर्ष ने जवाब दिया।"तुम्हें कौन-कौन सी जड़ी बूटियां और औषधियाँ चाहिए मुझे जल्दी बताओ! मैं अभी खरीद कर लाता हूं!"अमर सिंह ने कहा।आकर्ष ने जल्दी से एक कागज पर उस लेप को बनाने के लिए आवश्यक सारी जड़ी बूटियां और उसकी निर्माण विधि लिख दी। अतुल की जान इस समय खतरे में थी इसलिए उसने वरिष्ठ से निर्माण विधि नहीं छुपाई। वैसे भी अतुल के साथ जो कुछ हुआ था उसका जिम्मेदार वो था। अतुल ने उसे बचाने के लिए अपनी जान तक की परवाह नहीं की थी फिर वो अतुल की परवाह कैसे नहीं करता?आकर्ष इतना स्वार्थी नहीं था कि अपना रहस्य छुपाने के लिए अतुल को मरने दे।"वरिष्ठ अब सब आपके ऊपर है!"आकर्ष ने कहा।उसने जाने से पहले वरिष्ठ से एक और सुवर्णक्षति गोली ली ताकि दीया की चोट जल्दी ठीक हो सके।जैसा उसने सोचा था.गोली लेने के कुछ घंटों के अंदर ही दीया की हालत में सुधार आने लगा। उसके जख्म भरने लगे। अब जाकर कहीं आकर्ष ने राहत की सांस ली थी। अगर आज दीया को कुछ भी हो जाता तो वह अपने आप को कभी माफ नहीं कर पाता। दीया और अतुल ने आज उसे दो बार मौत के मुंह से बचाया था। अगर वह दोनों नहीं होते तो आकर्ष कब का मर चुका होता।"आकर्ष.अतुल की हालत अब कैसी है?"रेवती ने आकर्ष से पूछा।उसे दीया से पता चला था कि अगर अतुल नहीं होता तो सार्थक ने कब का आकर्ष को खत्म कर दिया होता।"मां आप उसकी चिंता मत कीजिए! वह जल्दी ठीक हो जाएगा।"आकर्ष ने कहा।"उम्मीद करती हूं कि ऐसा ही हो!"रेवती ने कहा।"मां. वो."आकर्ष कुछ पूछना चाहता था लेकिन उसे समझ नहीं आ रहा था कि वो बात कहां से शुरू करें? वो अपने पिता के बारे में जानना चाहता था।लेकिन इससे पहले कि वो कुछ पूछ पाता रेवती ने उससे कहा."आकर्ष तुम्हें अभी आराम की जरूरत है! हम कल बात करेंगे। मैं जानती हूं कि तुम क्या जानना चाहते हो। मैं कल तुम्हारे सारे सवालों का जवाब दे दूंगी!""ठीक है"आकर्ष ने अपनी मां से कहा और अपने कमरे में आ गया।आकर्ष काफी समय से बिस्तर पर लेटा था लेकिन उसे नींद नहीं आ रही थी।"मुझे लगा था कि मेरा ऊर्जा स्तर जिस रफ्तार से बढ़ रहा है उस रफ्तार से मैं बहुत जल्द सांची का ही नहीं बल्कि आसपास के शहरों का भी सबसे ताकतवर योद्धा बन जाऊंगा। लेकिन मैं गलत था। वो सार्थक सिर्फ 20 साल का है और चक्र मध्य मंडल के छठे स्तर में पहुंच चुका है। जब वह अपनी पूरी ताकत इस्तेमाल करता है तो उसके पास 8 हाथियों की ताकत होती है। अगर आज उससे लड़ते वक्त मैंने सौम्य गति का इस्तेमाल नहीं किया होता, तो उसके पहले मुक्के ने ही मेरी जान ले ली होती।"अब जाकर आकर्ष को एहसास हुआ था कि वह कितना कमजोर है। हालांकि उसने एक चक्र मध्य मंडल के पहले स्तर के योद्धा को मारा था, पर उस समय बस उसकी किस्मत अच्छी थी, वो उसकी ताकत नहीं थी।उसके और सार्थक की ताकत के बीच का अंतर बहुत ज्यादा था।"सार्थक सिंघानिया"वह जब भी इस नाम के बारे में सोचता उसके दिल में बदले की ज्वाला भड़क उठती। इस दुनिया में आने के बाद पहली बार उसका मन किसी को जान से मारने का कर रहा था।थोड़ी देर बाद उसे अतुल का ख्याल आया।उसने शुरुआत से अतुल को अपने छोटे भाई के जैसे माना था लेकिन उसने कभी भी अतुल पर पूरी तरह से विश्वास नहीं किया था। इसकी वजह थी उसे उसके पिछले जन्म में मिला धोखा, जो उसे उसके सबसे अच्छे दोस्त ने दिया था। लेकिन इस बार जब अतुल ने अपनी जान की परवाह ना करते हुए उसकी जान बचाई तो उसके दिल में अतुल को लेकर जो थोड़ी बहुत शंका थी वह दूर हो गई। अब वो अतुल को सच में अपने छोटे भाई के जैसे मानने लगा था।