Chapter 9 - Meri dearest bhabhi

उनके जाने के बाद वो छुट्टी मिलने की वजह से खुश हो जाता है। अपना फोन डेस्क पर से उठाकर अपने घर पर फोन लगाने के लिए अपने हाथ में लेता हैं  उसका मन परी के बारे में सोचकर उदास था। अब वो इंदौर जाने के लिए छुट्टी मिलने से खुश हो गया । अब वो फाइनली अपने फैमिली को एक साल बाद देख पाएगा और उनके साथ टाइम स्पैंड कर पाएगा।

परीक्षित अपने हाथ में फोन लेकर घर के लैंड लाइन नंबर पर कॉल लगाता हैं। 

अब चलते हैं। इन्दौर शहर के दूसरे कौने में आर्मी कैंटोमेंट एरिया की तरफ, वहां दूरी पर एक और कॉलोनी हैं। जो कैंटोमैंट से 1घंटे के दूरी पर हैं। उस कॉलोनी में एक बड़ा सा दो मंजिला कोठी हैं। उस कोठी के बाहर बड़े - बड़े अक्षर में लिखा था।

मित्तल निवास। उस कोठी के बड़े से गेट के आगे बहुत से गार्ड खड़े होकर, उस कोठी और उसमें रहने वाले लोगो की रक्षा कर रहे हैं। यू कहे उस बड़ी सी कोठी के बड़े से गेट के पास बहुत कड़ी सिक्योरिटी करी गई हैं। गार्ड्स और न्यू टेक्नोलॉजी इलैक्ट्रिक सिक्योरिटी के द्वारा। उस कोठी में हर एक कोई इतनी आसानी से घुस नहीं सकता हैं। उस कोठी के बड़े से गेट के पास ही बाहर से आने वालो की पूछताज और चेकिंग होती हैं। तब अंदर जाने दिया जाता है।

उसी कोठी के लॉबी में सोफे के साइड में रखा हुआ । छोटा सा टेबल है। उस टेबल के ऊपर रखा हुआ  ,एक लैंडलाइन फोन जिसमें घंटी की आवाज बजने लगती है। उस लैंडलाइन पर आ रही घंटी की आवाज तेज - तेज पूरी लॉबी में गूंज रही है। तभी वहां  पर 25 साल की खुबसूरतऔर मासूम सी लड़की ,जिसने लाइट पिंक कलर की शिफॉन की साड़ी , उस सारी में हल्का सा सिल्वर कलर का वर्क हो रहा है। वह पहनी हुई थी  चेहरे पर हल्की सी मुस्कान, माथे पर छोटी सी रेड कलर की बिंदी , आंखो में काजल, पिंक लिप्स पर मेहरून कलर की लिपस्टिक , बालो की साइड चोटी बना रखी है । और बालो के मांग के बीच मे गहरे लाल रंग का सिंदूर लगाया हुआ। कानों में गोल्ड कलर की छोटी सी बाली ,गले में मंगलसूत्र पहना हुआ है । दोनो हाथो में पिंक कलर की चूड़ियां, और  पैरों में पायल जो छन - छन करती हुई । किचन से लॉबी की लैंडलाइन फोन को अटेंड करने आ रही हैं। जो लैडलाइन फ़ोन की रिंगटोन की आवाज जोर -जोर से पूरी लॉबी में बड़ी देर से गूंज रहीं थी। उसने भी लॉबी में अटैच्ड किचन में लंच बना रही थी। तभी उस फोन की रिंगटोन की आवाज  वो वही से  सुनती हैं। वो उस फोन को अटेंड करने आ रही थी । अपनी पैरो की पायलो और चूड़ी की छन- छन करते हुए। लैंडलाइन फोन के पास आकर वो रिसीवर को उठाती है।जो बड़ी देर से रिंग कर रहा था।वह फोन उठाकर बड़ी प्यारी आवाज कहती है। हेलो

फोन के दूसरी तरफ से कॉल पर परीक्षित को यह प्यारी आवाज जानी-पहचानी लगती हैं। वो स्माइल करके कहता हैं। हेलो ! मुझे यह मेरी डियरेस्ट भाभी ,निमिषा भाभी की आवाज लग रही हैं। क्या में सही बोल रहा हूं !भाभी? उसने यह बात थोड़ी शरारती हसी हस्ते हुए , कहता हैं।

Note -: जी हां,वो प्यारी और खुबसूरत सी शादीशुदा लड़की ,जिसने अभी लॉबी में आकर फोन को उठाकर प्यारी सी आवाज में अभी हेलो बोला था। वो और कोई नही , निमिषा है। परीक्षित की डियरेस्ट भाभी और मित्तल परिवार की बड़ी बहु। उसके बड़े भाई की पत्नि।

निमिषा -: फोन पर जानी पहचानी आवाज सुनकर, वो खुशी से कहती हैं। हां- हां बड़े देवरजी। मैं आपकी डियरेस्ट भाभी ही बोल रही हूं। वो यह बात चहकते हुए , क्यूट से एक्सप्रेशंस के साथ बोलती हैं।

परीक्षित -: उसकी बात सुनकर हस्ते हुए कहता है। देखा भाभी,मैंने आपकी आवाज पहचान ली।

निमिषा -: उसकी बात पर हस्ते हुए कहती हैं। हां बड़े देवर जी! मैंने भी आपकी आवाज एक बार में पहचान ली, देखा में कितनी इंटेलीजेंट हूं। वो यह बात गर्व के साथ कांधे उचकाते हुई बोलती हैं।

परीक्षित -: उसकी बात पर स्माइल करके कहता है। हां वो तो है। भाभी किसकी हो। इंटेलीजेंट और समझदार तो होगी। अच्छा बताओ, आप कैसी हो।

निमिषा -: उसकी बात सुनकर फिर कुछ सोचते हुए शरारती स्माइल करती हैं। फिर चहरे पर झूठ - मूठ का गुस्सा के एक्सप्रेशन बनाकर कहती है।बड़े देवर जी! अब आपको अपनी डियरेस्ट भाभी की फिकर होने लगी की, मैं कैसे हूं। वैसे मैं आपको बता दूं, की मैं आपसे नाराज हूं। क्योंकि आपने बड़े दिन बाद फोन किया है। मुझे इस घर में शादी करके आपके बड़े भाई के साथ 1साल हो गया हैं।तब से मैंने आपको नही देखा। सिर्फ अपनी शादी और सगाई के फंक्शन में देखा था। और अच्छे से मिले भी नही हैं। बस थोड़ी बहुत फोन पर बात हो जाती हैं। वो भी महीने में एक बार। आपको तो टाईम ही नही हैं।अपनी भाभी से बात करने का। आपको याद नहीं आती है। हम सबकी। और आज भी फोन भी बड़े दिन बाद फोन किया है। पूरे 2 महीने बाद। जाओ मुझे आपसे कोई बात नहीं करनी है। यह बात उस से शिकायती लहज़े में कहा ।वो यह कहते वक्त बुरा सा मुंह बनाती है।वो उसमें भी बहुत ही क्यूट लग रही थी।

परीक्षित -: उसकी प्यारी और क्यूटसी  बात सुनकर वह हस जाता है। वो स्माइल करके कहता हैं।अच्छा मेरी प्यारी भाभी सॉरी ।मैं काम में बिजी था। जिस जगह मैं मिशन पर गया था 2 महीने पहले। वहा फोन का नेटवर्क नहीं आ रहा था। इसीलिए आप लोगों को कॉल नही कर पाया, और मैं कल ही वापस मिशन खतम करके राजौरी आया हूं।तो आज मैंने आप लोगो को कॉल लगा दिया। बात करने के लिए।ऐसा कैसे हो सकता है। कि मैं मुझे आप लोगों की याद नहीं आती है ।एक भी दिन ऐसा नहीं जाता हैं। की, मैं आप लोगों को , मैं ना याद करूं। आप मुझसे बात करना मत बंद कीजिए। प्लीज मेरी भाभी। आई एम सॉरी सॉरी

निमिषा -: उसकी बात सुनकर हस्ते हुए कहती हैं। अच्छा ठीक है। बड़े देवर जी! आप मुझे मना रहे हो ।तो मैं मान जाती हूं। और आप को माफ कर देती हूं। बसे एक बात बताऊं

परीक्षित -: स्माइल करके कहता है। हां बताओ।

निमिषा -: हस्ते हुए कहती हैं। बड़े देवर मैं आपके मजे ले रही थी। और झूठ -मूठ का गुस्सा होने का नाटक कर रही थी। मै समझती हूं। की आपने किसी प्रॉब्लम की वजह से इतने दिन काल नही किया था। मूझे अपने देवर के मजे लेने का पूरा हक है। जो मेंने लिए,आपसे।

परीक्षित -: उसकी  बात पर हस कर कहता हैं । वो तो हैं। भाभी आपका मेरे मजे लेने का पूरा हक हैं। एक ही तो डियरेस्ट भाभी हैं। वो मेरे मजे नही लेंगी तो और कौन लेगा। बाय द वे आपकी डांस एकेडमी कैसी चल रही हैं।

निमिषा -: स्माइल करे कहती है। बहुत अच्छी चल रही हैं।और आप कब आ रहे हैं।

परीक्षित -: स्माइल करके कहता है। बहुत जल्द आने वाला हूं। इन्दौर। फिर आप सब के साथ वहा आकर टाइम स्पेंड करूंगा। और तब आप मेरे बहुत अच्छे से मजे लेना और मैं आपके। सबकी शिकयाते हैं ।मुझ से!  सबकी  दूर कर दूंगा वहा आकर।

निमिषा - उसकी बात पर हस्ते हुए।कहती हैं। ठीक हैं बड़े देवरजी । हमे आपका इंतजार रहेगा। और तब तक मैं सोच लू की आपके मजे कैसे लेने हैं।

फिर दोनो थोड़ी देर ऐसे ही बाते करते हैं।

तभी घर के बाहर से 29 साल का लंबा सा हैंडसम लड़का,जिसने व्हाइट कलर की शर्ट,ब्लैक पैंट,एक हाथ में वॉच पहनी हुई हैं। उसने बालों को जेल से सालीखे से सेट किए हुए हैं।चेहरे पर हल्की सी दाढ़ी उसके चेहरे को हैंडसम और उसकी पर्सनैलिटी को अट्रैक्ट बनाती है। वो दिखने में लगभग परीक्षित जैसा लग रहा हैं।वो एक हाथ में व्हाइट कोट ,स्टेटीस्कोप और एक हाथ में लैपटॉप पकड़ कर बाहर से चल कर लॉबी में आ रहा हैं।वो लॉबी में आकर वहा पर रखे सोफे के सामने रखी हुई कॉफ़ी टेबल पर वो हाथ में पकड़ी सारी चीज़े वही टेबल पर रखता हैं। फिर वो सोफे पर बैठ जाता हैं। उसके चेहरे पर थकान दिख रही थी। वो जहा बैठा था। उसके बगल में निमिषा को खड़े होकर फ़ोन पर बात  करते हुऐ देखता हैं।फिर वो थकी हुई आवाज में कहता हैं। अरे, निमिषा जरा मेरे लिए एक ग्लास पानी लादो। प्लीज! वो यह बात अपने चहरे पर थके हुए भाव के साथ कहता हैं।

निमिषा -: जो फोन पर परीक्षित से बात कर रही थी। वो उस लड़के की जानी पहचानी आवाज सुनकर पीछे मुड़कर बगल में रखे हुए सोफे पर उस लड़के को देख कर चहकते हुए कहती हैं। अरे, डॉक्टर साहब आप आ जाएं हॉस्पिटल से।तभी परीक्षित भी फोन पर सुन लेता हैं। क्योंकि निमिषा अभी भी उस से फोन पर बात कर रही थी रिसीवर उसके ही हाथ में था। इसीलिए उसने बात सुन ली। तभी 

परीक्षित -: खुश होकर कहता है।  भाभी! क्या रचित भाई हॉस्पिटल से आगए? 

Note -: तो आपको पता चल गया होगा। अब तक की वो हैंडसम लंबा सा लड़का । जो लगभग परीक्षित जैसा लगता हैं ।जो अभी -अभी बाहर से लॉबी में आकर सोफे पर बैठा हैं। वो लड़का परीक्षित का बड़ा भाई Dr. रचित मित्तल हैं। इस घर का बड़ा लड़का और निमिषा का प्यारा पति।

निमिषा -: उसकी सवाल सुनकर चहकते हुए कहती हैं। हां बड़े देवर जी, आपके प्यारे बड़े भाई और मेरे प्यारे पतिदेव Dr. साहब हॉस्पिटल से जल्दी घर आ गये हैं। क्योंकि आज सैटरडे जो हैं। तभी

रचित -: उसकी बात सुनकर की फोन पर परीक्षित हैं। तो वो खुश और हैरानी के मिले - जुले भाव के साथ  कहता हैं । निमिषा ! क्या! क्या परीक का फोन हैं? वो यह! बात कहते वक्त सोफे से उठाकर उसके पास आ जाता हैं। वो अभी थका हुआ। महसूस कर रहा था। परीक्षित का फोन के आने की खुशी में भूल गया की उसे थकान भी थी ।उस से बात करने के लिए। अपना हाथ उसकी तरफ फ़ोन लेने के लिए बड़ाता हैं।

निमिषा-: चहकते हुए कहती हैं। हां, डॉक्टर साहब! बड़े देवर जी का फ़ोन हैं। फिर  फोन को अपने कान पर रख कर कहती हैं। बड़े देवर जी ! आप अपने बड़े भाई से बात की जीए। 

परीक्षित -: स्माइल करके कहता हैं। हां भाभी! भाई से बात करवाओ।तभी

निमिषा - :फोन का रिसीवर रचित को दे कर स्माइल के साथ कहती हैं। डॉक्टर साहब! आप बड़े देवर जी से बात कर लीजिए।

रचित -: उसे देख कर स्माइल के साथ उस फोन का रिसीवर लेकर रिक्वेस्ट भरी लहज़े में कहता हैं। जरा मेरे लिए एक ग्लास पानी लादो ।

निमिषा -: स्माइल के साथ कहती हैं। जी!  मैं अभी लाई। वो यह बात कहकर वहा से चली जाती हैं। फिर

रचित -: रिसीवर को अपने कान पर लगाते हुए स्माइल के साथ कहता हैं। कैसा हैं परीक

परीक्षित -: स्माइल करके कहता हैं । मैं ठीक हूं ।भाई! आप कैसे हो और आपकी सर्जरी और हॉस्पिटल कैसा चल रहा हैं।

रचित -: स्माइल करके कहता है। सब भाड़िया चल रहा हैं। आज सैटरडे हैं। और हॉस्पिटल में आज कोई सर्जरी भी नही थी। इसीलिए में अभी घर जल्दी आगाया हूं। और अभी लॉन्च करके रेस्ट करूंगा। कल सन्डे हैं तो छुट्टी हैं। तो मेंने सोचा हैं , की मैं कल निमिषा को बाहर घुमाने ले जाऊं।

परीक्षित -: स्माइल करके कहता हैं। सही सोचा हैं। भाई ! आप भाभी को कही बाहर घुमाने ले जाना । वैसे भी उनका पूरा वीक वो डांस एकेडमी और घर संभालने में निकल जाता हैं। और आप भी बिजी रहते हो हॉस्पिटल और सर्जरी में तो आपको भी रिलैक्सिंग और आउटिंग की जरूरत हैं।

रचित -: उसकी बात सुनकर स्माइल करके कहता हैं। हां तू सही कह रहा हैं। वैसे तू कब आ रहा हैं। इंदौर! वैसे एक साल हो गया हैं। यहां नही आते हुए। बता कब आ रहा हैं।

परीक्षित -: स्माइल करके कहता हैं। भाई बहुत जल्द आ रहा हूं। इन्दौर

फिर वो दोनो और भी बाते कर रहे होते हैं।

तभी दो बड़े आदमी और औरत। आदमी की उमर लगभग 55 साल की लग रही हैं। उन्होने डार्क ब्लू कलर का कुर्ता और व्हाइट कलर का पाजामा पहना हुआ था । चेहरे पर काली काली मूछें  वो आदमी दिखने में बहुत ही अच्छे लग रहे थे । उन्होने आपने आप को अच्छे से मेंटेन करके रखा हैं। औरत की उमर लगभग 51साल की लग रही हैं। उसने डार्क ग्रीन कलर की सिल्क की साड़ी पहनी हुई हैं। चेहरे पर मेक अप के नाम पर लाल रंग की छोटी  सी बिंदी ,आंखो में काजल ,लिप्स पर हल्की सी पिंक लिपस्टिक लगी हुई थी। उन्होने बालो को खुला छोड़ा था ।दोनो हाथो में एक-एक कंगना पहने हुए थे।वो औरत दिखने में परीक्षित जैसी लग रही थी। और सुंदर भी उन्होने अपने आपको अच्छी मेंटेन करके रखा हैं। वो दोनो एक साथ बहुत अच्छे लग रहे थे।वो दोनो अपने रूम से एक दूसरे के साथ नोक झोंक करके लॉबी में सोफे के पास आते हैं। वो औरत उस आदमी से अपनी बात को जिद्द और इमोशनल करके मनवा रही थी।वो आदमी उसे समझा रहा था।तभी

रचित -: फोन पर परीक्षित से बात करते हुए। उन दोनो की बात सुन लेता हैं। वो पिछे मुड़कर उन दोनो की नॉक -झोंक देखकर कहता हैं। हस्ते हुए कहता हैं । पापा आप जानते हों मम्मी की आपके आगे नही चल सकती हैं तो क्यों अपनी बात मनवाने की कोशिश कर रहे हो।

Note -: मैं आपको बताती हूं। वो दोनो आदमी -औरत कौन जो आपस में नोक - झोंक कर रहे थे ? वो आदमी - औरत हैं। परीक्षित और रचित के मम्मी- पापा  ब्रोगेडर शांतनु मित्तल और श्रीमती पवनी मित्तल और निमिषा के सास- ससुर।

परीक्षित -: दूसरी तरफ फोन पर उसके मुंह से मम्मी - पापा का नाम सुनकर कहता हैं।क्या भाई मम्मी - पापा लॉबी में हैं?

रचित -: हस्ते हुए कहता हैं। हां परीक!  मम्मी- पापा लॉबी में आकर आपस में नोक- झोंक कर रहे हैं। हमेशा की तरह मम्मी अपनी बात पापा से मनवा रही हैं और अपने पापा को  अपने आगे नही चलने दे रही हैं। पापा बिचारे उन्हे समझाने में लगे हुए हैं।

परीक्षित -उसकी बात सुनकर हस्त हुए कहता हैं। सच में भाई अपनी मम्मी सबसे अलग हैं। वो अपने आगे किसी की भी चलने नही देती हैं। और पापा बिचारे वो जंग में अच्छे -अच्छे दुश्मन के नाक में दम करके रखा था और उनके बहादुरी से अच्छे - अच्छे दुश्मनों की हवा टाइट रहती थी । जब वो आर्मी में मिशन पर थे। पर घर पर उनकी मम्मी के सामने उनकी हवा टाइट हो जाती हैं। और मम्मी उनके बाल में दम अपनी बातों और जिद से कर देती हैं।

रचित -: हस्ते हुए कहता हैं सही कह रहा हैं। परीक! तभी 

पवनी जी -: जब वो शांतनु जी से लॉबी में सोफे के पास आकर नोक- झोंक कर रही थी। तभी रचित के मुंह से पर परीक का नाम सुनती हैं । तो वह खुश हो जाती हैं। और शांतनु जी भी उसका फोन आया हैं। वो भी खुश हो जाते हैं। पावनी जी उनसे से नोक- झोंक बंद करके ,उसके पास आकर चहकते हुए कहती हैं। रचित बेटा ! क्या परीक का फोन हैं?

रचित -: स्माइल करके कहता हैं। हां मां ! पारीक का ही फोन हैं। फिर रिसीवर को अपने कान में लगाते हुए परीक्षित से कहता हैं। परीक अपनी प्यारी मम्मी से बात कर

परीक्षित -: स्माइल करके कहता हैं। हां भाई बात करवाओ। तभी रचित अपनी मम्मी को  फोन का रिसीवर देकर कहता हैं। बात करो परीक से

वो उनके हाथ में फोन का रिसीवर देकर वो सोफे पर बैठकर शांतनु जी से कहता हैं। आप भी मम्मी के बाद परीक से बात कर लेना।

शांतनु जी -:  हां में सिर हिलाकर, वो भी सोफे से उठकर पावनी जी  के पास खड़े हो जाते हैं।

पावनी जी -: चहकते हुए उस से फोन लेती हैं।और अपने फ़ोन के  रिसीवर को कान पर लगा कर कहती हैं। कैसा है परीक बेटा?

परीक्षित -: स्माइल करके कहता हैं। मैं ठीक हूं मम्मी। आप कैसी हो ।

पावनी जी -: उसकी आवाज सुनकर उनकी आंखों में आंसू आ जाते हैं। वह अपने आंसू पौछ कर हल्की हंसी के साथ कहती है। मैं ठीक हूं बेटा !वह अब अपने इमोशनल को कंट्रोल करके कहती हैं।

परीक्षित -: उसकी बात करने के लहजे को समझ जाता है। कि उसकी  मां इमोशनल हो गई है ।उनका मूड ठीक करने के लिए मस्ती में कहता है। कि आपकी तबीयत कैसी और मेडिसन टाइम पर तो ले रही हो। पापा से तो पूरे दिन नहीं लड़ती रहती। और उनको हर बात के लिए परेशान तो नहीं करती रहती हो।

पावनी जी -: उसकी मस्ती भरी बात सुनकर झूठ मत का  गुस्सा होकर कहती है। ये क्या परीक बेटा? तुझे अपनी मां से ज्यादा पापा की फिक्र रहती है। मैं तुझसे कोई बात नहीं करने वाली हूं ।और तुझे मैं बता दूं।हर वक्त मैं ! तेरे पापा से हर वक्त नहीं लड़ती रहती हूं।

तेरे पापा ही लड़ते मुझ से ही लड़ते ही रहते और मेरी बात बिलकुल नहीं मानते हैं।वह अपनी अजीब से क्यूट से  एक्सप्रेशन के साथ कहती है ।उनके बात करने से इस समय उनका बचपना झलक रहा था। मैं ठीक हूं और दवाई भी टाइम पर ले रही हूं।

वहां खड़े शांतनु जी उनकी बात सुनकर शॉक्ड हो जाते हैं ।वो उन से फोन लेने की कोशिश करते हैं ।पर हमारी पावनी जी के सामने उनकी हिम्मत जवाब देने लगती हैं।वो अपने चेयर का अजीब सा एक्सप्रेशन बनाते हैं।

जहां वो दोनो फोन के पास खड़े थे। और फोन पर बात कर रहे थे। उसके बगल में रखे सोफे पर बैठा रचित और उसके पासआती हुई, निमिषा जो उसके लिए किचन से पानी लाकर उसके हाथ में देकर उसके पास बैठ जाती हैं।और वो दोनों सोफे पर बैठकर अपनी मम्मी - पापा की नोक- झोंक का यह नजारा देखते है। वह दोनों एक - दूसरे को देख कर मंद - मंद मुस्कुरा रहे थे।

परीक्षित -: उनकी बात सुनकर हस्ते हुए, उनको मनाते हुए कहता हैं। अच्छा,मेरी प्यारी,खुबसूरत और अच्छी मम्मी गुस्सा मत हो। मैं तो मजाक कर रहा था।

पावनी -: उसकी बात सुनकर अजीब सा मुंह बनाते हुऐ कहती हैं। अच्छा- अच्छा ज्यादा मस्का मत कर, यह बता कब इन्दौर आ रहा है।

परीक्षित -: स्माइल करके कहती है। बहुत जल्द आयूंगा। इन्दौर!  वो अभी अपनी परिवार को नही बताना नही चाहता की वो एक महीने के बाद इंदौर उनसे मिलने आने वाला हैं। वो उन लोगो को इन्दौर आकर सरप्राइज़ देना चाहता हैं।

पावनी -:थोड़ा इमोशनल होकर कहती हैं। जल्दी आजा बेटा।तेरी बहुत याद आती है। मैंने तुझे पिछले 1साल से नहीं देखा है।

परीक्षित -: उनकी  बात सुनकर फीकी स्माइल के साथ कहता हैं। मुझे भी आप लोगो की बहुत याद आती है। मैं आप लोगो को भी बहुत मिस कर रहा हू। पर क्या करूं? मैं एक सोल्डियर्स हूं। और मेरा सबसे पहला धर्म देश की सेवा करना हैं ।आप तो जानती होना।

पावनी जी -:हां जानती हूं । तू एक सोल्डियर है। और मुझे तुझे पर गर्व है । इनफैक्ट मुझे अपने चारों बच्चों पर गर्व हैं।

परीक्षित- : उसकी बात पर हस जाता हैं। फिर 

पावनी- :फिर से आगे शांतनु जी की तरफ देख कर कहती है। परीक ! तू सबसे पहले अपने पापा के साथ बात कर ले, वह तुझसे बात करने के लिए मरे जा रहे हैं। फिर वो  फोन को शांतनु जी की तरफ देख कर कहती हैं। ब्रिगेडियर साहब! लीजिए अपने बेटे से बात की जीए।फिर 

शांतनु जी -: फोन लेकर स्माइल के साथ कहते हैं। कैसा है।मेरा बहादुर बेटा!

परीक्षित -: उनकी बात सुनकर स्माइल के साथ कहता हैं। मैं ठीक हूं।पापा! और आप कैसे हैं।

शांतनु जी -: मैं भी ठीक हूं । बेटा! तेरी मम्मी मुझसे हमेशा लड़ती रहतीऔर परेशान भी करती हैं। वो यह बात बिचारा सा मुंह बनाकर शिकायती लहज़े में कहते हैं।तभी

पावनी जी -: उनकी बात सुनकर शांतनु जी को घूर कर गुस्से से देख कर उनके हाथ पर मार कर बीच में दात पिसते हुऐ कहती है। ब्रिगेडियर साब!  मैं आपको कहां परेशान करती हूं ।वो तो आप हो मुझसे लड़ते और परेशान भी करते रहते हो । यह बात बहुत क्यूट तरीके और अपनी बचकानी हरकत करके झूठ - मुठ का गुस्सा करते हुए कहती हैं। वो अपनी बात कह कर, वो अपने रूम में बुरा सा मुंह बनाकर गुस्से से उन्हे घूर कर अपनी रूम में चली जाती हैं।

परीक्षित उनकी बात फोन पर सुन लेता हैं।और हंसने लगाता हैं ।और दूसरी तरफ सोफे पर बैठे रचित और निमिषा भी उन दोनो की क्यूट सी नोक - झोंक पर मंद - मंद मुस्कुरा रहे होते है।

परीक्षित -: उन दोनों की बात पर मुस्कुराते हुए कहता है। पापा ! मुझे लगता है,की मम्मी ज्यादा गुस्सा हो गई है। आपकी शिकायत करने से लगता है, की आपको उनको अच्छे से मनाना पड़ेगा।

शांतानु जी -: हां बेटा! तेरी मां को मनाना पड़ेगा। वैसे भी शादी के बाद पति को अपनी पत्नी की हां में हां मिलाने ही पड़ती है। तू भी जब शादी करेगा तेरी भी यही हालत होने वाली हैं।

परीक्षित -: शादी के नाम से वह थोड़ा उदास हो जाता है। फिर अपने आपको नॉर्मल करके और बात को बदलते हुए ।उनसे से पूछता है। हमारे छोटे साहबजादे क्या कर रहे हैं?

शांतनु जी -: उनकी बात सुनकर थोडा चिंता के भाव के साथ कहते हैं। हमारे छोटे साहबजादे इस वक्त सो रहे है।

परीक्षित -: थोड़ा चौकते हुए कहता है। इस वक्त सो रहा है ।अभी दोपहर के 2:00 बज रहे हैं।

शांतनु जी -: साहबजादे रात भर पार्टी करके सुबह आए हैं।तो सो रहे हैं। उनको तो अपनी जिम्मेदारी का कोई एहसास नहीं है ।बस घूमना - फिरना , रात-भर पार्टी करना यही काम रह गया हैं ।उसका ! वो उस से शिकायते लहज़े में कहते हैं।

परीक्षित -: उनकी बात सुनकर थोड़ी चिंता के भाव के साथ कहता हैं।पापा ! आप उसको कुछ नहीं बोलते और ना पनिश करते।

शांतनु जी -: उसकी बात सुनकर बेचारगी सी शक्ल बनाते हुए कहते हैं ।मैंने बहुत कोशिश की लेकिन तेरी मां ,बहन और तेरी बुआ जी उसे बचा लेती है। यह कह कर  वह अभी छोटा है। इन तीनों की सह की वजह से ,मैं उसे कुछ नहीं कह पाता हूं। और वो इसी वजह से बिगड़ गया है। कुछ कर बेटा ,कुछ कर। उसको सुधारने का कोई आईडिया दे। उन्हों ने उसे शिकायती लहजे में कहा ।

परीक्षित -: उनकी बात सुनकर वह कुछ सोच कर कहता हैं। पापा ! आप चिंता मत करो । मैं बहुत जल्द इंदौर आऊंगा और कुछ ना कुछ करता हूं। डोंट वरी

शांतनु जी -: उसकी बात सुनकर हल्की सी स्माइल करके कहते हैं। एक तुझ से ही उम्मीद है। बेटा ! यहां तो मेरी कोई सुनता ही नहीं है । वो यह बात शिकायती लहजे में कहते हैं।

परीक्षित -: उनकी बात सुनकर कहता हैं। आप चिंता मत कीजिए ।मैं उसको अभी कॉल करता हूं

ऐसे ही शांतनु जीऔर परीक्षित बात कर रहे होते हैं । वो दोनो मिशन से रिलेटेड बाते कर रहे होते हैं।शांतनु जी! उस से मिशन से रिलेटेड जानकारी लेते है। और उसे सजेशन देने लगते हैं। और बातें भी करने लगते हैं।

वही सोफेो पर बैठा रचित बगल में बैठी निमिषा को देखता हैं। जो सोफे पर बैठ कर मोबाईल में कुछ देखकर सोच रही होती है। क्यूट सी एक्सप्रेशन बना रही थी।वह उसको  देखकर  कुछ शरारत सूझती है । वो उसको देख हल्की सी स्माइल के साथ उसको चुपके से उसे साइड हग करके गाल पर हल्की सी किस कर लेता है। वो उसकी हरकत से, वो पहले चौक जाति हैं। फिर उसे देखती हैं । जो उसे प्यार से देख रहा था।और गाल पर किस करवाने का इशारा करता हैं। वो उसे देख कर ब्लश करने लगती हैं। और ना में सर हिलाती हैं। और उसका हाथ अपने कंधे पर से हाथ हटाने की कोशिश करने लगती हैं।

रचित -: उसको और टाइटली साइड हग करके कान में कहता हैं। पहले गाल पर किस करो फिर ,मैं तुम्हे छोड़ूंगा।

निमिषा -: इधर-उधर पूरे लॉबी में नजर दौड़ाती हैं। कोई उन दोनों को देख तो नहीं रहा।फिर उसको धीरे से कहती हैं। डॉक्टर साहब! प्लीज मुझे छोड़ो यहां कोई आ जाएगा और पापा जी और  भी बड़े देवर जी की बात खतम करने होने वाली हैं। तो वो उस से रिक्वेस्ट भरी नजरो से कहती हैं। उसे छोड़ने को कहती हैं।

रचित -: उसकी रिक्वेस्ट भरी नज़र को देख कर कहता हैं।ठीक है !मैं छोड़ दूंगा पहले तुम मुझे गाल पर जल्दी सी एक किस दो।मैं तुम्हें छोड़ दूंगा।

निमिषा-:  उसकी शरारती नजरों और स्माइल को देखकर ,उसे लगता की वो इतनी आसानी से नहीं छोड़ने वाला हैं।अब उससे रिक्वेस्ट करने का कोई मतलब नहीं हैं।  तो उसे गाल पर किस  करने के अलावा कोई चारा नहीं था। तो , वो उसकी तरफ गाल पर किस करने के लिए अपना मुंह आगे बढ़ने ही वाली होती हैं। वो अपनी आंख को बंद करता  हैं।तभी 

एक 45 साल की खूबसूरत औरत जिसने लाइट येलो कलर की साड़ी पहनी होती हैं।चेहरे पर सिर्फ काली कलर की छोटी सी बिंदी लाई हुई थी। और बालो का जुड़ा बना रखा था । वो बाहर से लॉबी में पूजा की थाली अपने हाथ में पकड़ी हुई थी। उनके हाथ पर पूजा की थाली  को देखकर ऐसा लग रहा था। की वो अभी मंदिर से पूजा करके आई  हैं। वो लॉबी में अपने धुन में आ रही हैं।

निमिषा- : उनको उसकी तरफ आता देखकर स्माइल करके रचित को देख कर कहती हैं। अरे बुआ । इतना ही कहा था ।

Note -: वो औरत जो पूजा की थाली को हाथ में लेकर लॉबी में आ रही हैं।वो औरत गौरी जी हैं। परीक्षित और रचित की इकलौती बुआ जी , शांतनु जी की इकलौता बहन, पावनी जी की इकलौती नन्द और निमिषा की इकलौती बुआ सास। जो एक विधवा है।

तभी रचित अपनी बुआ जी का नाम उसके मुंह से सुनते हुए। वो अपनी आंख खोलकर अपनी जल्दी से अपना हाथ निमिषा के कंधे से हटाता हैं।वो उसको देख कर हस्ती हैं। फिर वो सोफे से उठकर अपने हाथ में कोट, स्टेटीस्कोप और लैपटॉप कॉफी टेबल उठाते हुए। उसे देख कर धीरे से कहता हैं। बड़ी हसीआ रही है। मुझे! इसका हिसाब आज रात लेकर रहूंगा। बी रेडी फोर टूनाइट,वो शरारती स्माइल करके और अपनी आईविंक करके वहा से अपने रूम में चला जाता हैं।

निमिषा -: उसकी बात से शर्मा जाति हैं। फिर गौरी जी को अपनी तरफ आता देख अपने आप को नॉर्मल करके स्माइल के साथ कहती है। अरे बुआ जी आपने मंदिर जी में बहुत देर कर दी।

गौरी जी -: उसे देख स्माइल करके अपनी थाली से प्रसाद देकर कहती हैं। हां। मंदिर जी में बहुत देर हो गई थी। क्योंकि आज मंदिर जी में बहुत भीड़ थी ।

निमिषा -: स्माइल करके अपना हाथ बड़ाकर उनसे प्रसाद लेकर कहती हैं। बुआ जी, बड़े देवर जी का फोन हैं।

गौरी जी -: उसके मुंह से सुनते ही की उनके भतीजे परीक का फ़ोन हैं। तो वो खुश होकर कहती हैं। 

निमिषा-: चहकते हुए कहती हैं। हां बुआजी! बड़े देवर जी का फोन हैं।देखो!  पापा जी बात कर रहे हैं। हम सबने तो बात कर ली।अब आप भी बात कर लीजिए।

गौरी जी उस खुशी के साथ अपने हाथ में पकड़ी पूजा की थाली को कॉफी टेबल पर रखती हैं। और वो परीक्षित से बात करने के लिए शांतनु जी के पास जाकर उनसे फोन लेती है। और बात करने लगती हैं।

शांतनु जी उसको फ़ोन का रिसीवर देने के बाद । वो अपने रूम में पावनी जी को मनाने चले जाते हैं और निमिषा किचन में लंच रेडी करने चली जाती हैं। हेल्पर की मदद से लॉन्च रेडी करती हैं।

गौरी जी थोड़ी देर बाद परीक्षित से बात करके उस से हालचाल पूछा कर दोनो एक दुसरे का हलचल पूछकर और बात करने के बाद।दोनो फोन डिस्कनेक करते हैं। गौरी जी अपने रूम में चली जाती हैं।

परीक्षित अपने परिवार वालो से बात करने के बाद।अब उसका मूड अच्छा हो जाता हैं।वो अभी डेस्क के सामने चेयर पर बैठकर अपने कैबिन में।उन सबकी बातें को याद करके उसकी चेहरे पर अच्छी सी स्माइल आ जाती हैं। तभी उसे कुछ याद आता हैं। फिर से अपना फोन डेस्क पर से उठा कर किसी को कॉल करने लगता हैं।

वो किसको कॉल करने वाला हैं? उसके लिए आपको नेक्स्ट एपिसोड्स में जानने को मिलेगा अभी के लिए बस इतना ही। और पढ़ते रहिएगा। मेरी दिल से लिखी स्टोरी दिल को मैने दी कसम ।