एक आम दिन, छोटे से गाँव में एक बड़े परिवार के छोटे से बच्चे, राजू, रहता था। राजू एक समय के बाद अपने गाँव के स्कूल में पढ़ने जाने लगा। उसके लिए यह बड़ी खुशी की बात थी क्योंकि उसके पिता ने कभी स्कूल नहीं जाया था और उन्हें शिक्षा का महत्व समझने में समय लगा था।
एक दिन, जब राजू स्कूल से घर लौट रहा था, उसने रास्ते में एक बहुत पुरानी किताब को देखा। उसने किताब को उठाकर देखा और उसमें एक पुरानी सी फोटो भी थी। राजू उत्सुकता से उस पुरानी किताब के पन्नों को पलटने लगा। कुछ पन्ने थे रंगीन और कुछ पन्ने थे खाली, जिसका मतलब था कि यह किताब एक किस्से और ख्वाहिशों से भरी हुई थी।
राजू ने दिल में ठान लिया कि वह रोज़ इस किताब के किस्से पढ़ेगा और दुनिया के हर कोने को देखेगा। जब भी उसे अपनी कक्षा में बोरी लगने लगती, तो वह यह किताब खोलता और उसमें दिए गए किस्से पढ़कर नए सपनों की धुंधली सी दुनिया में खो जाता।
धीरे-धीरे समय बीत रहा था और राजू की पढ़ाई भी अगली कक्षा में प्रगति कर रही थी। उसके स्कूल के प्रिंसिपल ने उसकी मेहनत को देखते हुए उसे एक छुट्टी में दिल्ली जाने का मौका दिया।
राजू दिल्ली पहुंचकर खुशी से झूम उठा। उसने अपने आंखों से दिल्ली के चमत्कारिक दृश्यों को देखना शुरू किया। दिल्ली की सड़कों पर चलते-चलते वह एक बड़ी पुस्तकालय पहुंचा। उसे अपनी किताब चाहिए थी, इसलिए उसने पुस्तकालय के भीतर कदम रखा।
जैसे ही राजू पुस्तकालय के भीतर पहुंचा, वह एक अद्भुत सा महसूस करने लगा। उसे लगा कि वह इसी जगह के हर किताब की कहानी है। राजू ने दिल से ठान लिया कि जब भी उसे यहां आने का मौका मिलेगा, वह एक नई कहानी अपनी किताब में लिखेगा।
वैसे ही, वक्त बीता और राजू बड़ा हो गया। उसने अपने सपनों की पुरानी किताब को जीवंत कर दिया और अपने जीवन