जब सौरव ने सोनिया को पहली बार देखा, तो उसका दिल उसकी सुंदरता से धड़कने लगा। सोनिया भी उसे देखकर खुशी से मुस्कराई और उसके साथ हंसते हुए व्यक्तियों की भीड़ में गायब हो गई। उनकी आँखों में एक दूसरे के लिए विश्वास और मोहब्बत दिख रही थी।
बड़े असानी से दोनों की दोस्ती में बदलता वक्त आया और साथ ही दोनों के दिलों में एक-दूसरे के प्रति अजब सा अलग-अलग रंग भर गए। प्यार के इस मिठे एहसास ने उन्हें अपने आप से भी अधिक खिंच लिया।
उनके बीच की मुलाक़ातें और बातचीतें रोमांचकारी बन गईं। धीरे-धीरे वे एक-दूसरे के क़रीब आने लगे और इस प्रेम के प्रवाह में खो जाने की मिठास को महसूस करने लगे।
कुछ समय बितने के बाद, उन्होंने अपने भावों को स्पष्ट करने का फैसला किया। सौरव ने दिल की बातें सोनिया को बताई और सोनिया भी उसे अपने दिल की बातें सुनाई। दोनों के दिल आपसी प्यार और सम्मान से भर गए।
दोनों का प्यार दिन-ब-दिन गहराता गया और वे अपने सपनों को साकार करने के लिए तैयार हो गए। साथी बनने का वादा करते हुए, उन्होंने एक-दूसरे के साथ अपना जीवन बिताने का संकल्प किया।
लेकिन कहानियों में कुछ अलग होता है, और उनकी कहानी भी कुछ ऐसी ही थी। वैवाहिक जीवन के आगमन से पहले ही, एक दिन उन्हें बड़ी ही मुसीबत आई। सौरव के पिता की सेहत खराब हो गई और उन्हें बड़ी चिंता होने लगी। इसके कारण विवाह की तिथि आगे बढ़ानी पड़ी।
यह सब देखकर, सोनिया ने ठान लिया कि वह सौरव का साथ हर हाल में देगी। उसने अपने प्रेम का सबूत देने के लिए अपने मन की बात बताई। सौरव ने भी उससे वादा किया कि वह उसके पिता की देखभाल करेगा और उन्हें हर समय साथ रखेगा।
विवाह के दिन, उनके आंगन में प्यार और ख़ुशियाँ की एक झलक थी। सौरव और सोनिया एक-दूसरे के साथ खुशियों भरे जीवन का आगाज कर रह