आज पुरे छे साल बाद उसने अपना स्कूल देखा । स्कूल आज भी वैसा ही है।" सायद उसकी जीदंगी का सबसे अच्छा समय अंग्रेजी में कहें तो गोल्डन टाइम।" वो स्कूल के अंदर गई, प्रधानाचार्य , टीचर,और प्योन सब आज भी वही ही है, जेसे पहले थे। वेसे कुछ टीचर्स बदल चुके थे ,पर जीन दो टीचर्स ने उसकी जीदंगी बदल दी वो आज भी यहां पर है। पहले थे गणीत और विज्ञान के टीचर ,वाशुकी मेम। दुसरे पी.टी टीचर अर्जून ,ये दोनो ही उसकी स्कूल लाइफ को थोडा टफ बनाने का रोल कीया । आज भी स्कूल के सभी क्लास,मेदान,सभाखंड, भोजनालय, सब कुछ वेसा ही है। वो टीचर्स से मीलकर अपने क्लास रूम देखने के लिए गयी।वो भी आज वेसा ही था, क्लास की पीछे की दीवार पर वो नाम आज भी वेसे ही थे । वो लास्ट बेंच ,वो टीचर्स,वो दोस्त, उनके साथ की गई लड़ाई ,और वो...
आज उसे उन सारे पुराने दीनो की याद आ गईं।
ये बात थी२००५की जब वो अपने परिवार के साथ गांव से शहर रहने के लिए आये थे। उनके पापा चाहते थे कि उसके बच्चों को सबसे अच्छा एज्युकेशन मीले। उसका पांच सदस्यों का परिवार था। पहले उसके पापा जो की एक बेंक में क्लार्क थे।उसकी मोम एक हाउसवाइफ थी। उसके के दो छोटे भाई थे। और वो इस परीवार की पांचवीं सदस्य एक लोती बेटी छाया थी।जीसके दीमाग का तापमान हमेशा ऊपर रहता है,जीसका छोटी-छोटी बातों पर दीमाग खराब हो जाता था।जब उसका दीमाग खराब होता है तो वो क्या कर जाती उसे खुद मालुम नहीं होता। कभी कभी तो वो खुद का भी नुकसान कर देती।और उसके साथ ऐसी अजीब और फनी धटनाए धटती जो किसी को बताओ तो उन्हें तो जुठ ही लगेगा।मतलब उसकी कीस्मत भी खराब थी।उपर से उसने सबसे अच्छे स्कूल में एडमिशन लिया था।जीस का नाम मोरल पा्यमरी स्कूल था
और वो स्कूल का पहला दिन था।और वो पांचवीं कक्षा की स्टुडेंट थी।जीसने स्कूल में कदम रखते ही, पहले टीचर को गीरा दिया। जो स्कूल की सबसे गुस्सेल और जल्लाद टीचर ,जीसकी जीतनी बुराई करो उतनी कम थी।और पहले ही दीन छाया ने मेम को गीरा दीया।हुआ ये था की छाया वहां बदला लेने के लिए क्लास के दरवाजे के पास छुपकर खड़ी थी ताकी उस स्टुडेंट को गीरा सके जीस स्टुडेंट ने उसे गीरा कर उसका क्लास में स्वागत किया था,,पर उसकी बदनसीबी थी की स्टूडेंट के बदले इसका शीकार टीचर बन गई जीस का नाम भी उसे पता नहीं था। वो टीचर वासुकी मेम, उन्होंने उसे पहले ही दिन, पहले ही लेक्चर में उसे क्लास की बहार कर दीया।और वो स्टुडेंट उसपे हंस रही थी।और उसका गुस्सा बढ़ रहा था। वैसे उसे जब गुस्सा आता है तो कीसी का तो नुकसान होना तो तय है।
वैसे वो कुछ ग़लत होते हुए नहीं देख सकती। छाया को उसकी मोम ने सीखाया है कि ग़लत ग़लत होता है,उसके खिलाफ आवाज उठानी चाहिए और उसने वेसा ही कीया उसी दिन कम्प्यूटर का लेक्चर था और एक कम्प्यूटर क्लास अंदर लाया गया । टीचर ने उसे स्टार्ट कीया और कहा की स्टुडेंट्स ये एक कम्प्यूटर है।वो कुछ आगे बोले उसके पहले वो खड़ी हुई और कहा कि ये कम्प्यूटर नहीं ,ये एक टीवी है । इस बात पर छाया की टीचर के साथ गंभीर बहस हो गई ।और उसे फीर गुस्सा आ गया और छाया ने बेंच पर खडी हुवी और बड़े ही स्पष्ट रूप में कहा कि :तेरी मां की ,कहा ना इसे टीवी कहते हैं और फिर से वो क्लास के बहार। हालाकी फीर टीचर और मोम ने समझाया कि ये कम्प्यूटर ही है तब जाकर वो मानी की ये कम्प्यूटर ही है। अब २०मीनीट का लंच टाइम था। वो स्टुडेंट उसके सामने , वहीं जीसने उसका स्वागत गीरा कर कीया था। इतने टेंशन के बाद उसके पैर में बहुत खुजली हो ने लगी।और वो स्टुडेंट बेंच पर पैर रखकर शुलेस बांध रही थी। उसने भी देर ना करते हुए पुरी कराटे स्टाइल में घुमाकर लात मार दी और वो बेंच में फस गई।मजे की बात तो ये थी कि उसे पता ही नहीं की उसको लात कीसने मारी , क्योंकी क्लास वो दो ही थे। छाया को अब जा कर लंच पचेगा।तो ऐसे ही दीन , महीने गुजर गए।उसे पता चल गया था की इस स्कूल में सर्वाइव करना आसान नहीं, क्योंकी लोगों के साथ तो एक्जास्ट कर लेती पर नए सब्जेक्ट्स जीस में इंग्लिश.....
पर छाया को इतना तो मालूम हो गया कि उसे इस स्कूल में सर्वाइव करना है अच्छी रेंक की जरूरत होगी।पर इस स्कूल के रूल्स उसकी सोच से काफी विरूद्ध थे। जेसे की स्टूडेंट में होता भेदभाव,
उसके क्लास में ४५ स्टुडेंट थे ।जो की तीन दल में बटा हुआ था।पहला टोपर ,दुसरा बेक बेंचर,और तीसरा ओडीयन्स ।
टोपर यानी वो स्टुडेंट जो हर चीज में आगे रहते हो,यातो जीसकी रेंक अच्छी हो,या फीर वो स्टुडेंट जो पैसे वाले हैं ।ये वो स्टुडेंट होते हैं जीसके मोम और डैड स्कूल में चेरीटी करते हो ।या स्कूल के ट्रस्टी की औलाद हो । ऐसे स्टुडेंट तो टोप कर ही जाते हैं। ऐसे १५ स्टुडेंट्स थे।
दुसरे वो स्टुडेंट्स जो पढ़ाई में अच्छे ना हो।जो कभी कभी आगे रहते हो। वो स्टुडेंट्स जो मीडल क्लास फैमिली से आते हो।
और ऐसे स्टूडेंट्स की रेंक ज्यादा नहीं होती,और वो स्टूडेंट्स भी जो चेरीटी यानी स्कोलरशीप से एडमिशन लिया हो।ऐसे १२ स्टूडेंट्स थे।
तीसरे दल मे वो बाकी बचे स्टूडेंट्स आते हैं जो क्लास की हर छोटी-बड़ी खबर टीचरस तक पहुंचाए।या फिर वो स्टुडेंट जो क्लास की हर छोटी-बड़ी लड़ाई को एन्जॉय करते हो।
हकीकत में हर क्लास अपने आप तीन दल में बट जाता था। इस की एकलौती वजह स्कूल प्रशासन के नियम और कानून जो अमीरों के फायदे में आते हो।और छाया तो स्कोलरशीप परीक्षा पास करके आई थी। उसने तीन साल की पढ़ाई पुरी करली थी। अब वो आठवीं कक्षा में आई थी।अब उसे ये स्कूल छोड़नी थी । लेकिन उसके पापा ने ऐसा नहीं होने दिया,उनका कहना था कि छाया को इतना अच्छा स्कूल दोबारा नहीं मिलगा , एज्युकेशन,फेसेलीटीस बीना पैसे की कही नहीं मीलेगी। फिर पापा की बात सुनकर उसी स्कूल में रहने का फैसला किया।
छाया को नहीं पता था की यहां से उसकी जीदंगी में कुछ ऐसे नए कीरदार आने वाले हैं जो उसकी जीदंगी को नया मोड़ देने वाले थे,यहां से उसकी जीदंगी को नया नाम , पहचान मीलने वाली थी।