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Chapter 4 - तन सिंदूरी(गीत)

तन सिंदूरी चंचल आंखें चांद का कोना हो

सिर से लेकर पांव तलक तुम सोना सोना हो

तन सिंदूरी ...

गोरे बदन पर काली जुल्फे

हो बदली का पहरा

आंख की रंगत नीली नीली

झील में पानी ठहरा

होठ नशीले देख के क्या अब दिल का हो ना हो

सिर से लेकर पाव ...

गालों पे शबनम आके ठहरि

पतली कमर यह सीना

गोरे बदन पर आखिर तुमने

कपड़ा पहना झीना

एक नदी है चाल तुम्हारी दिल का खोना हो

सिर से लेकर पांव ...

तन सिंदूरी चंचल आंखें चांद का कोना हो

सिर से लेकर पांव तलक तुम सोना सोना हो

By RS Goyal