मो जिंगशेन ने उसकी हालत को देखा और सीधे उसके तापमान को मापा। जी नुआन ने उसे यह कहते हुए सुना, "उनतालीस डिग्री।"
"हाय! नहाने से मैडम को ऐसा बुखार कैसे हो गया? यह तापमान बहुत अधिक है!" जैसे ही आंटी छें ने यह सुना वह घबरा गयी। "एक बार, मैडम बीमार हो गयी थी, लेकिन उन्होंने खुद को अपने कमरे में बंद रखा, खाने या दवा लेने से भी इनकार कर दिया। मुझे समझ ही नहीं आ रहा था कि क्या करूँ। भगवान का शुक्र है इस बार आप घर पर हैं, श्री मो। अगर नहीं होते... "
"जाओ एक बरफ की थैली ले लाओ।" मो जिंगशेन ने उसकी बात बीच में ही काट दी।
आंटी छें ने तुरंत अपना बड़बड़ाना बंद किया और बरफ की थैली ढूंढने के लिए चली गई।
जी नुआन को पता था कि जब भी उसे ठंड पकड़ती है, तो उसे बुखार जरूर होता है। वह पहले से ही इसकी आदि हो चुकी थी। मो जिंगशेन को भी यह अच्छी तरह से पता था, यही कारण था कि वह उसे खुद को गर्म रखने के लिए अक्सर बोलता रहता था।
"आओ, दवा खा लो।" मो जिंगशेन ने उसे बिस्तर पर उठ कर बैठने में मदद की।
वह बिना संघर्ष किए उसकी बाँहों का सहारा लेकर बैठ गई। जब वह दवा लेकर आया, तब उसने अपनी भौंहों को सिकोड़ लिया। पहले वह वास्तव में अक्सर दवा नहीं लेती थी। युवावस्था में ठंड से जकड़े जाने के कारण उसे हर दिन चीनी दवाई पीनी पड़ती थी। तब से वह किसी भी तरह की कड़वी दवा से नफरत करती थी। वह दवा लेने के बजाय कई दिनों तक सिर छिपाकर सोते रहना पसंद करती थी।
"बात मानों, चलो दवा खा लो।" मो जिंगशेन ने अपनी आवाज धीमी कर उसे फुसलाते हुए कहा।
उसने अपना सर उसके कंधे पर रखा और अपनी आँखें खोलकर उसे देखने लगी। उसकी आँखें मिन्नतें कर रही थीं, क्या ऐसा हो सकता है कि उसे दवाई न खानी पड़े?
वह एक पल के लिए चुप रहा फिर धीरे से बोला, "क्या तुम चाहती हो कि मैं तुम्हें खिलाने का तरीका बदल दूँ?"
जी नुआन उत्सुक थी और धीरे से पूछा, "कौन सा तरीका बदलोगे?"
क्या ऐसा हो सकता है कि वह उसके लिए कुछ मीठा तैयार करने जा रहा हो? जब वह छोटी थी और दवा लेने की जरूरत पड़ती थी, तो जी परिवार की सहायक आंटी हमेशा उसके शिकायत करते रहने के कारण उसके लिए कई मिठाइयाँ तैयार करती थीं।
लेकिन, वह जिन मिठाइयों का इंतज़ार कर रही थी वे आईं ही नहीं। उसकी नज़रों के सामने, मो जिंगशेन दवा को अपने होंठों तक ले गया।
जी नुआन तुरंत समझ गयी और उसके हाथों को जल्दी से रोक लिया। फिर उसने सावधानी से उससे दवा ले ली और उसे अपने मुँह में रख लिया।
हालाँकि उसे उसके मुँह से दवाई खाने में कोई आपत्ति नहीं थी, मगर वह उसे अपनी सर्दी से उसे पीड़ित नहीं करना चाहती थी।
उसके मुँह में कड़वा स्वाद फैल गया। उसकी भौंहों पर शिकन आ गई और उसने झट गुनगुने पानी का एक बड़ा घूँट भरा। गोली पानी के साथ निगली जा चुकी थी, लेकिन उसके गले में कड़वा स्वाद उसके लिए असहनीय था।
"इतना कड़वा।"
"तुम्हें पता है कि तुम ठंड नहीं सह सकती हो और तब भी तुम कोट के बिना बाहर जाती हो। क्या तुम चाहती हो कि मैं तुम्हें पूरी शरद ऋतु और सर्दियों के लिए यू गार्डन में घर पर बंद कर दूं?" मो जिंगशेन ने उसके बालों को छूते हुए, जो अभी भी गीले थे, भारी आवाज़ के साथ बोला, "ठीक से बैठो, अभी लेटना मत। सोने से पहले अपने बालों को सुखा लो।"
जी नुआन अभी भी उसकी बाँहों के सहारे बैठी हुई थी, उसकी वहाँ से हिलने की बिल्कुल भी इच्छा नहीं थी। थोड़ा पानी पीने के बाद, उसने महसूस किया कि यह पहले की तरह आरामदायक नहीं था, लेकिन उसके पास ज्यादा ताकत नहीं बची थी।
उसकी बीमार और आश्रित आकृति को देखकर, मो जिंगशेन ने आह भरी और हेयर ड्रायर ढूंढने के लिए खड़े हो गया। वह उसे बिस्तर के पास ले आया और उसका प्लग लगा दिया।
जी नुआन बिस्तर पर बैठ गयी। उसमें वास्तव में अपने बाल सुखाने की ताकत भी नहीं बची थी। वह उसे देखने के लिए पलटी। जैसे ही वह कराह कर उससे अपने बाल सुखाने के लिए कहने वाली थी, उसे मो जिंगशेन के हाथों से हेयर ड्रायर की आवाज सुनाई दी।
गर्म हवा उसके बालों को भेदते हुए, हल्के से उसकी खोपड़ी पर फैल रही थी। शुरू में, उसे अब भी थोड़ी घबराहट हो रही थी, और बुरे सपनों के कारण, उसे ऐसा लग रहा था जैसे उसकी हालत एक चट्टान पर खड़े होने जैसी थी लेकिन इस हेयर ड्रायर के ताप ने उसके पूरे शरीर को शिथिल कर दिया। कुछ मिनटों के बाद ही उसे नींद आने लगी।
ठंड, बुखार और दोनों दवाइयों की वजह से उस पर सुस्ती छा गई। जी नुआन ने ऊँघते हुए अपनी आँखें बंद कर लीं।
जब तक उसके बाल सूखे और मो जिंगशेन ने हेअर ड्रायर बंद किया, उसका पूरा शरीर एक ओर झुक गया था और लगभग गिरने वाला था।
मो जिंगशीन ने आगे बढ़कर उसे पकड़ लिया। उसने देखा कि वह एकदम उनींदी हो गई थी और उसके आगोश में झुक गई थी। कमरे में केवल उसकी धीमी, कोमल साँसों की आवाज थी।
उसने हल्के सी आह भरी और उसके शरीर को सहारा देकर बिस्तर पर लिटा दिया।
उसकी टकटकी अनायास ही तौलिए में लिपटे उसके शरीर पर पड़ गई। पहले जब वह उसे बाथरूम से बाहर लेकर आया था, तो वह केवल एक हाथ का उपयोग करके उस पर तौलिया डाल सका था। अब जब उसका शरीर शिथिल हो गया था, तो उसकी छाती की बर्फ-जैसी-सफेद त्वचा लगभग दिख रही थी। उसके मुलायम बाल आधा वक्ष छुपाते हुए, नीचे की ओर वेष्टित थे।
उसके आगोश में वह पूरी तरह से नरम और शिथिल थी। जैसे ही मो जिंगशेन ने उसके ठंडे हाथों को महसूस किया उसकी निगाह गंभीर हो गयी।
उसका शरीर जल रहा था, फिर भी उसके हाथ जमे हुए से ठंडे थे। मो जिंगशेन ने उसके हाथों को पकड़ते हुए गहरी साँस ली। एक पल के बाद, जैसा कुछ सोचकर, उसने जी नुआन के निरावरण बर्फ-से-सफेद छोटे पैरों की ओर देखा।
उन्हें छूते हुए, उसने पाया कि वे ठंडे थे, जैसे उसके हाथ ठंडे थे। उसने उन्हें अपनी हथेली में पकड़ लिया।
जी नुआन अपनी नींद में कराही, शायद आरामदेह गर्माहट की वजह से जो अचानक उसके हाथों और पैरों को मिली थी, "अह..."
मो जिंगशेन ने उसका शरीर कंबल से ढँक दिया। यह सुनिश्चित करते हुए कि केवल उसका सिर बाहर निकला हुआ था, उसने हल्के से उसके जलते हुए माथे को छुआ, उनका हाथ उसके नरम बालों से होता हुआ नीचे फिसल गया।
जी नुआन स्थिरतापूर्वक नहीं सोयी। उसका शरीर पहले ही आग जैसा गर्म था। ढँके जाने के बाद, उसे इतना गरम महसूस होने लगा कि वह असहज हो गई। उसने थोड़ा संघर्ष किया लेकिन मो जिंगशेन ने उसे रोक दिया।
"श्री मो।" आंटी छें अंदर आयी और बर्फ की थैली को बगल में रख दिया। यह देखकर कि जी नुआन पहले ही सो गयी थी, वह धीरे से बोली, "अभी-अभी मैंने मैडम के लिए कुछ खाना बनाया है। मैंने दलिया भी बनाया है। क्या हमें उसे जगाना चाहिए और उसे थोड़ा खाने देना चाहिए? उसने अभी तक खाना नहीं खाया है।"
"दलिया को गर्म रखो। जब वह उठ जाए तो उसे खाने देना।"
इस वक्त, अगर वह उठ कर बैठ भी जाती है, तो उसमें इतनी ताकत भी नहीं होगी कि वह अपने होंठ हिला सके।
"ठीक है, फिर ... सर, आपको आराम करने जाना चाहिए। यह मुझ पर छोड़ दीजिए। मैं मैडम का ख्याल रखूँगी।"
"इसकी कोई ज़रूरत नहीं है। मैं आज रात यहीं रहूँगा।"
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हालाँकि जी नुआन बहुत थकी हुई थी, लेकिन वह चैन से सो नहीं पायी। अपनी आधी नींद और आधी स्वप्न की अवस्था में, उसे लगा जैसे उसका बिस्तर थोड़ा नीचे दब गया हो। उसके शरीर ने पहले ही कुछ पसीना छोड़ दिया था। यह गर्म और चिपचिपा और बेहद असुविधाजनक था। उसने त्योरी चढ़ाई; उसका चेहरा के हाव-भाव नापसंदगी झलका रहे थे। कुछ पलों के बाद, उसे आगोश में खींच लिया गया। उसके ऊपर का कंबल उसके चारों ओर और भी कस दिया गया। यहां तक कि छोटी से छोटी दरार भी प्रकट नहीं होने दी।
"बहुत गर्म ..." उसने स्तंभित अवस्था में कहा।
मो जिंगशेन ने उसके बगल में लेटकर उसे पकड़ रखा था। वह बार-बार उसके कंबल को उसके चारों ओर लपेटता रहता था जिसे वह लात मार-मार कर हटाने की कोशिश कर रही थी।
केवल जब उसके हाथ और पैर पहले की तरह ठंडे नहीं रहे, और उसके शरीर का तापमान पसीना निकलने के बाद कई डिग्री नीचे गिर गया था, तब मो जिंगशेन ने उसके पसीने से भरे बालों को धीरे से छुआ। "थोड़ी देर के लिए इसे सहन कर लो। जब तुम्हारा बुखार ठीक हो जाएगा, तो यह इतना असहज नहीं रहेगा, हह?"
वह शांत हो गई।
आधी रात को जी नुआन अचानक जाग गयी। उसने उस आदमी को देखा जो उसके इतने करीब लेटा हुआ था।
तेज बुखार के कारण उसकी आंखों पर कुछ लाल नसें दिखाई दे रही थीं। वह चुपचाप उसे देखती रही।
एक मिनट तक उसके द्वारा घूरे जाने के बाद, मो जिंगशेन ने अपनी आँखें खोलीं। "जाग गई? आंटी छें ने तुम्हारे लिए थोड़ा दलिया गर्म रखा है। आओ थोड़ा खा लो।"
वह उठकर बैठ गया।
जी नुआन ने तेजी से उसका हाथ पकड़ लिया, वह छोड़ने के लिए तैयार नहीं थी। "मैं नहीं खाऊँगी। मत जाओ ..."
उसकी आवाज़ में निर्भरता और प्यार छुप नहीं सका।
मो जिंगशेन जो अपने हाथों को बाहर निकालने के लिए खींचने वाला था, आश्चर्यचकित हो रुक गया।
यदि वह बुखार से हुई बेचैनी के कारण एक बिगड़ी हुई की तरह व्यवहार कर रही थी, तो यह अजीब नहीं था। लेकिन ऐसी कमजोरी और डर जी नुआन में नहीं आना चाहिए।