"अभी भी असहज महसूस हो रहा है?" वह बिस्तर पर वापस बैठ गया, एक हाथ से उसे अपने आलिंगन में खींच लिया, और उसके सिर पर हाथ फेरने लग गया।
जी नुआन अपना सिर हिलाते हुए, उसके आलिंगन में पूरी निर्भरता के साथ झुक गयी। "यह ज़्यादा बेहतर है।"
आंटी छें इस पूरे समय में सिर्फ चिंता कर रही थी। वह आधी रात को उनके दरवाज़े के पास से गुजरी थी और वहाँ कमरे के अंदर हलचल सुनी। वह जल्दी से दलिया परोसने के लिए चली गयी।
"श्री मो, पहले ही इतनी देर हो चुकी है। मैं मैडम को कुछ दलिया खिला देती हूं। उनका बुखार गंभीर था, इसलिए उन्हें कुछ खाने की ज़रूरत थी।"
मो जिंगशेन ने अपने खाली हाथ का इस्तेमाल उनसे कटोरा लेने के लिए किया। "कोई ज़रूरत नहीं है। मैं खिला देता हूं।"
आंटी छें हैरान थीं। जब से जी नुआन को बुखार हुआ था, उन्होंने एक बार के लिए भी उसका साथ नहीं छोड़ा था। ऐसा लग रहा था जैसे कि जो जोड़ा पहले एक-दूसरे के साथ अजनबी जैसा व्यवहार करता था अब वाकई में अपनी खुशहाल जिंदगी की शुरुआत करने वाला था।
आंटी छें मुस्कुराई और उन्हें परेशान करना बंद कर दिया। वो जल्दी से कमरे से चली गयीं और धीरे से दरवाजा बंद कर दिया।
जी नुआन ने सफेद दलिये की खुशबू को सूंघा। उसमें मांस के छोटे-छोटे टुकड़े थे, और यह बहुत सुगंधित था। उसने तुरंत कटोरे के अंदर नज़र डाली।
जिस क्षण उसने इसे देखा, उसे और भी भूख लग गई।
मो जिंगशेन ने उसके हाथ से अपना हाथ हटा लिया। एक हाथ से उन्होंने उसके कंधे को पकड़ा, उसे सीधे हो कर उसे अपनी बाँहों में झुक कर बैठे में मदद की।
हालाँकि जी नुआन को अब चक्कर नहीं आ रहा था, लेकिन वह अभी भी कमजोर महसूस कर रही थीं। उसमें अभी थोड़ी भी ताकत नहीं थी और वह उनकी छाती के सहारे लेटी थी; उसका माथा उनकी ठुड्डी के नीचे दबा हुआ था।
उसकी आँखें कटोरे में दलिये पर टिकी हुई थीं जैसे कि बिल्ली का बच्चा अपने मालिक से भीख मांग रहा हो कि उसे कुछ खाने को दे दे।
उसी समय, वह अपने माथे पर उनकी कोमल श्वास को महसूस कर सकती थी।
यह दिल पिघलाने वाली भावना थी।
मो जिंगशेन ने उसके होंठों के पास एक चम्मच भर कर दलिया लाया। "अपना मुहँ खोलो।"
इस समय, जी नुआन बहुत आज्ञाकारी समान थी और उनकी बात सुन रही थी। जब उसने वह दलिया खाया, तो उसे ऐसा महसूस हुआ कि उसकी स्वाद कलिकाएं जाग गई हैं। यह बहुत सुगंधित था।
यह देखकर कि वह खाने के लिए इच्छुक थी और खुशी से खा रही थी माँनो उसकी भूख बढ़ गई हो, मो जिंगशेन ने धीरे से हँस दिया। धीरे-धीरे उसने पूरा कटोरा उसे खिला दिया।
जी नुआन वापिस बिस्तर पर लेट गयी अच्छी तरह से पेट भर कर खाया हुआ महसूस किया और मो जिंगशेन की देखभाल का आनंद लिया।
"मेरा पूरा शरीर पसीने से लथपथ है। क्या मैं फिर से स्नान कर सकती हूं?" उसने नरम आवाज में पूछा।
"तुम्हारा बुखार पूरी तरह से कम नहीं हुआ है। कल सुबह स्नान करना।"
"लेकिन मेरा पूरा शरीर इतना गीला और चिपचिपा है कि इसे सहन करना मुश्किल है ..."
"एक रात के लिए इसे सहन कर लो।" उन्होंने उसकी कोई बात नहीं सुनी और कमरे की बत्ती को बंद कर दिया केवल पलंग के पास वाली पीली रोशनी वाली लैंप को जलता रहने दिया। "कुछ और घंटों के लिए सो जाओ। जब कल सूरज उगेगा, तो हम तुम्हारे तापमान को फिर से मापेंगे।"
मो जिंगशेन भी उसके बगल में लेट गए। जी नुआन ने खुद को उनके पास धकेलना शुरू कर दिया जब तक कि उन्होंने उसे अपनी बाहों में नहीं पकड़ लिया था। उन्होंने अपने हाथ से धीरे से उसकी पीठ थपथपाई ताकि उसे नींद आ जाये। जी नुआन ने अपने सिर को उनके कंधे पे दबा के रख दिया, फुसफुसायी, "इससे पहले, आपने मुझे सीधा बाथ टब से बाहर निकाला था ..."
मो जिंगशेन कुछ न बोले।
वह फिर से हैरान होकर बोली, "आपने पहले ही मुझे पूरी तरह से देख लिया है। तो फिर आपके लिए मुझे फिर से नहलाने के लिए कोई समस्या नहीं होनी चाहिए। मैंने पहले भी इसके बारे में शिकायत नहीं की थी।"
मो जिंगशेन: "..."
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अंत में, चूंकि जी नुआन को स्वच्छता बहुत पसंद थी, तो जब तक कि वह स्नान नहीं करती तब तक वह सो नहीं सकती थी, उसके आग्रह ने मो जिंगशेन को फिर से उसे स्नान करवाने के लिए हाँ कहलवा दिया।
स्नान करने के बाद, उसके पूरे शरीर को आराम मिला और उससे अच्छी खुशबू भी आ रही थी। उसे लगा कि उसकी बीमारी आधी ठीक हो गई है। उसे एक तौलिये में लपेट कर वो एक बार फिर से उसे बिस्तर पर ले आये।
हालांकि इस बार मो जिंगशेन ने उसे सोने के लिए नहीं पकड़ा था।
जी नुआन मुड़ गयी| पलंग के पास वाली लैंप की रोशनी के नीचे उसने उस आदमी को देखा, जो किसी अजीब कारण से, उसकी तरफ पीठ कर के सो रहा था। उसने अपना एक हाथ उठाया और उनकी पीठ को पीछे से धक्का दिया।
"आपकी पीठ मेरे तरफ क्यों है?" उसने पूछा। उसकी आवाज़ अभी भी थोड़ी कर्कश थी।
मो जिंगशेन ने जवाब नहीं दिया, उसके छोटे हाथ को पकड़ा और उसे दबा दिया।
"सो जाओ," उन्होंने शांति से बोला। उनकी धीमी आवाज अजीब तरह से कर्कश थी।
जी नुआन ने सोचा कि उसकी बीमारी के कारण उन दोनों के बीच अचानक कुछ एहसास पैदा हुए थे, लेकिन उनका दिल तुरंत टूट गया था। वह परेशान थी क्योंकि उनकी पीठ उसके तरफ थी और सीधे उसके और करीब आ गई, उनकी पीठ को पीछे से दबाया और अपने हाथों को उनके कंधो पर रखा। उसका चेहरा भी उनकी पीठ के सहारे झुका हुआ था।
"क्या आप घूम सकते हैं? मैं चाहती हूं कि आप मुझे पकड़ें ताकि मैं सो सकूं।"
"..."
"आप अभी पहले तक ठीक थे, आपने अचानक अपनी पीठ मेरी ओर क्यों फेर रहे हो?"
"..."
थोड़ी नाराजगी से भरी उसकी कोमल और शांत आवाज़ सुनकर, उन्होंने आह भरी और मुड़ गए, उसकी इच्छाओं के आगे झुक गए और उसे अपने गले से लगा लिया।
जिस पल वे घूमे; जी नुआन ने अचानक उनके निचले शरीर में आये परिवर्तन का एहसास किया...
वह क्या था ... उसे लगा की उसे कारण मिल गया था ...
फिर से उन्हें मुड़ने के लिए कहना, क्या बहुत देर हो चुकी थी?
मो जिंगशेन उसकी हलकी गीली और विचलित आँखे जो उन्हें घूर रही थीं उन्हें नहीं देख पाए। उन्होंने उसे पकड़ते हुए अपने आलिंगन में उसका सिर दबा दिया।
"जब आप पूरी तरह से ठीक हो जाओगे, तो मुझे फिर से स्नान करने में मदद करने के लिए कहना," उन्होंने धीरे से उसके कान पर काटते हुए कहा। उनकी आवाज़ धीमी और भारी थी, फिर भी उसी समय में, ऐसा लगा जैसे उनकी बातों में छिपी हुई कोई गहराई थी, जिसके कारण उसका चेहरा लाल हो गया और उसका दिल तेज़ी से धड़कने लगा। "मैं आपके साथ पूरी रात स्नान करने के लिए बुरा नहीं मानूंगी!"
जी नुआन तुरन्त आज्ञाकारी हो गयी, चुपचाप बिना हिले उनके आलिंगन में सोई रही।
हालाँकि, वह सो नहीं पाई। उसके हाथों ने धीरे से उनकी उच्च गुणवत्ता कपड़े से बनी हुई शर्ट के बटनों को पकड़ लिया, यह महसूस करते हुए कि ऐसी स्थिति में भी वह नहीं हिले, उनके लिए भी ऐसे सोना आसान नहीं होगा।
उसने अपना सिर उठाया, उनकी ठुड्डी के नीचे से इस आदमी को एकटक देखा जिसे किसी भी कोण से दखो तो वह पूर्णता के हद तक रूपवान था।
"क्या आपने महसूस किया है कि मैं बहुत बदल गयी हूं?" उसने पूछा।
पिछले कुछ दिनों से मो जिंगशेन की निगाहें उस पर थीं और उसके दिल के अंदर देखने का प्रयास कर रही थीं। उन्हें उसके परिवर्तनों पर स्पष्ट रूप से संदेह था, फिर भी उन्होंने कभी उससे पूछा नहीं था।
चूंकि यह ऐसा था, वह बस पहल करेगी।
उन्होंने धीरे से उसकी पीठ थपथपाई, जैसे कि एक बच्चे को सहला रहे हो जो सो नहीं पा रहा था और लगातार बात करने के लिए विषयों की तलाश कर रहा था। उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया।
"क्या आप मुझे अब पसंद करते हैं? या, क्या आपको मैं पहले पसंद थी?" पीली रोशनी के नीचे उसकी निगाहें चांद की तरह चमकीली थीं, यहाँ तक कि बुखार भी उसकी आंखों की चमक को कम नहीं कर सका।
"यह तुम ही हो। क्या अंतर है?" उनके शब्द आहिस्ता से बोले गए थे।
"बेशक, बहुत अंतर है। पहले, मैं हमेशा हमारी शादी को अस्वीकार करती थी, लेकिन अभी मैं आपके करीब आने के लिए कड़ी मेहनत कर रही हूं।" जी नुआन ने अपने सिर को उनकी गर्दन में दबा लिया, धीरे से और कर्कश स्वर में कहा, "पहले, आपने हमेशा मेरे साथ अच्छा व्यवहार किया है। भले ही मैंने लगातार आपके लिए परेशानी बढ़ाई हो, लेकिन आपने कभी एक बार भी अपने अच्छे व्यव्हार को मेरे प्रति नहीं बदला था। कोई बात नहीं अगर आपको लगता है कि मुझमें यह परिवर्तन बहुत अचानक हुआ है, कृपया मेरे दिल पर संदेह न करें। भले ही अगर हम दोनों के बीच एक सौ कदमों का फासला है, तो आप पहले ही कई कदम चल चुके हैं। यदि आप यात्रा से थका हुआ महसूस करते हैं, तो कृपया बाकी को मेरे लिए छोड़ दें, मुझे चलने दें। मुझे इसे करने दें। मुझे आप जैसे इंसान को मेरी जिंदगी में संभाल कर रखना सीखने दें, ... अगर यह सब ठीक है तो... "
आस-पास का माहौल अचानक खामोश हो गया।
जी नुआन इस वक़्त मो जिंगशेन के चेहरे के भावों को देखना चाहती थी। अपने पिछले और वर्तमान जीवन में, उसने पहले कभी अपने दिल की भावनाओं को किसी के सामने कबूल नहीं किया था।
उसने अपना सिर उठाने का प्रयास किया लेकिन उसे बाँहों में कसकर पकड़ लिया गया। यहां तक कि उसका सिर भी उनकी गर्दन के पास मजबूती से दबाया गया था। एक पल की कोशिश के बाद भी वह उसे उठा नहीं सकी।
मो जिंगशेन: "..."
वह चुप कर रहे।
"मैंने जो कुछ भी पहले कहा था वह गंभीर था। मैं बुखार से घबराया नहीं हूं। मैं ..."
अचानक, उसने अपने सिर के ऊपर से उनकी धीमी आवाज सुनी। "यदि तुम अब और कुछ भी बोलती हो, तो मैं तुम्हारे शरीर की स्थिति का लिहाज़ नहीं कर पाऊंगा। क्या तुम वाकई में मुझे चिढ़ाते रहना चाहती हो?"
जी नुआन स्तब्ध रह गयी।
उसकी भावनाओं को कबूलना भी उन्हें ऐसा लग रहा था कि जैसे वह उन्हें चिढ़ा रही थी?