कुछ समय बाद,एक धनी दिखने वाला बुजुर्ग इंसान कल्याण केंद्र में आया, और उस लड़की को बुलवाया।
बुजुर्ग आदमी ने अपने पास से दूसरे जेड के टुकड़े को निकला,जो बिलकुल उसी के जैसा था। जब दोनों टुकड़ों को एक साथ रखा गया, तो वे पूरी तरह से फिट हो गए।
उस लड़की को जेड के बारे में कुछ पता नहीं था,और उसने झूठ बोल दिया कि, यह उसे उसकी माँ ने दिया था। बुज़ुर्ग आदमी ने उसकी बातों पर विश्वास कर लिया,और उसे म्यू निवास में ले आये,और उसे म्यू वानरू नाम दिया। उन्होंने उसकी सगाई अपने चौदह साल के पोते म्यू याज़हे से करवा दी...
वापिस उस दिन,सीईओ के ऑफिस में,म्यू वानुरु सोफे पर चकराकर बैठ गयी। उसने अपने माथे को अपनी हथेली पर रखा,उसकी पीठ से ठंडा पसीना बह रहा था।
उसने कसकर दस्तावेजों को अपने हाथ में पकड़ लिया,उसकी उंगलियां काँप रही थीं। वो बहुत घबरा गई थी।
म्यू वानुरु को समझ नहीं आ रहा था कि,म्यू याज़हे ने उस लड़की की जानकारी निकालने का क्यों सोचा। क्या म्यू याज़हे को उसपर कुछ शक हो गया था, और वो उसकी असली पहचान पर संदेह कर रहा था,बावजूद इसके कि खुद दादाजी म्यू उसे उस घर में लेकर आये थे?
इस संभावना के बारे में सोचते ही म्यू वानुरु का दिल घबरा रहा था।
उसने सच में,युन शीशी से वह जेड का टुकड़ा चुराया था। क्योंकि म्यू याज़हे बहुत सुंदर और प्यारी थी,इसलिए कल्याण केंद्र में सभी लोग उसे प्यार करते थे,और उसे बहुत सर चढ़ा कर रखते थे ।
तब वो बहुत छोटी थी। उसने कभी कुछ अच्छा नहीं देखा था। इसलिए,जब उसने उस लड़की के जेड के खूबसूरत टुकड़े को देखा,तो उसे लालच आ गया।
उसके बाद,ज़ियाओशी -(जो बाद में युन शीशी के नाम से जानी जाने लगी) - को एहसास हुआ कि उसका जेड चोरी हो गया था। म्यू वनरू के पास उसे देखकर, वो उससे वह वापिस मांगने गयी। ज़ियाओशी के लिए यह दुर्भाग्य की बात थी कि,कल्याण केंद्र में, कोई भी म्यू वानुरु के खिलाफ नहीं था। इस कारण, ज़ियाओशी को डायरेक्टर से मार खानी पड़ी,और टीचर ने भी उसके हाथों पर स्केल से मारा,जिसके कारण वो कुछ रातों तक दर्द के मारे सो नहीं पायी थी।
हालांकि,म्यू वानुरु ने कभी सोचा भी नहीं था कि,जेड का वह टुकड़ा वास्तव में उसके जीवन में एक ऐसा मोड़ लाएगा,और उसे इतने अच्छे परिवार में पंहुचा देगा।
पंद्रह साल पहले,गलतफहमी के कारण, वो म्यू शेंग द्वारा म्यू निवास में लायी गयी थी,जो की म्यू ग्रुप के चेयरमैन थे, और म्यू परिवार के मुखिया भी थे,और उसका नाम तब बदल दिया गया था।
जहाँ तक उस जेड का सवाल था, दादाजी म्यू ने कभी भी इसके बारे में कुछ नहीं बताया था। उन्होंने उसे सिर्फ इतना बताया था कि,वह उसकी माँ की निशानी थी।
म्यू निवास में वानरू के आने पर, दादाजी म्यू ने उससे जेड का टुकड़ा लिया,और उसे दूसरे आधे हिस्से के साथ रख दिया। कभी-कभी,वो देखती थी कि,दादाजी उस जेड को घूरते हुए गहरी सोच में डूब जाते थे,जैसे कि वो किसी को याद कर रहे हों।
सिर्फ जब म्यू वानरू थोड़ी बड़ी हुई,तो म्यू शेंग ने उसे उस महिला के बारे में बस इतना बताया कि,उन्होंने अपनी जवानी में उस महिला को गोद लिया था। दादाजी ने उस महिला के बारे में और कुछ नहीं बताया,ऐसा लग रहा था,जैसे कि वो उससे कुछ छिपा रहे थे।
फिर वो म्यू परिवार की यंग मिस्ट्रेस बन गई,और दादाजी के प्यार में पली-बड़ी। आखिरकार,वो उनके पोते की मंगेतर बन गई,जो कि म्यू याज़हे था।
शुरू से अंत तक,म्यू वानरू ने यह सच्चाई किसी को नहीं बताई कि,उसने उस जेड को कैसे प्राप्त किया था। वो जानती थी कि,अगर किसी को उसकी सच्चाई का पता चल गया,तो अभी उसके पास जो कुछ भी था- धन, दौलत,परिवार,वह सब उससे छिन जाएगा। वो म्यू परिवार की यंग मिस्ट्रेस होने का ओहदा खो देगी और वो म्यू याज़हे को भी खो देगी।
म्यू वानरू...इस सब के लिएतैयार नहीं थी! वो यह सब अपने हाथ से नहीं जाने दे सकती थी,और उसके मन में ऐसा कोई प्लान नहीं था कि,वो इस सब को उसके असली मालिक को लौटा दे!
उसने स्वीकार किया कि वो स्वार्थी थी। उसने उस लड़की के साथ बहुत गलत किया था। हालांकि,उसे ऐसा करने का कोई पछतावा नहीं था। इस सब के बीच,वो कुछ हद तक अपने लालच में खो गई।
सबसे पहले,जब वो म्यू परिवार का हिस्सा बनी, तब भी वो थोड़ा दोषी और असहज महसूस कर रही थी। आखिरकार,यह सब कुछ वास्तव में उसके लिए नहीं था,यह तो उस लड़की के लिए था,जिसका नाम ज़ियाओशी था।