उसने घूर कर देखा, वह अभी भी सपने से सदमे में था।
उसके सपने में, उसकी यानयान नदी के किनारे चल रही थी जब वह पीछे से उसका नाम पुकारता रहा, लेकिन वह उसे सुन नहीं पायी और बस चल दी। वह उसकी ओर भागा केवल उसे गायब होते देखने के लिए।
यिशुआन ने अपनी मुट्ठी बांध ली, उसे अभी भी डर से पसीना आ रहा था।
एक बांह धीरे से उसकी कमर पर लिपट गयी।
युवेई असंतोष में डूबी हुई, गुस्से में जल रही थी।
यूवेई गिनती भूल गई कि उसने "यानयान" न जाने कितनी बार पुकारा था, और हर बार यह उसे गुस्सा दिला देता था।
"यिशुआन, क्या बात है? उसे गए अब एक महीना हो गया है, आपको रुकने की जरूरत है।" युवेई ने एक डूबी हुई आवाज़ में शिकायत की,अपनी नाराज़गी को छिपाने के लिए कोई कोशिश नहीं की। वह अपने ज़िंदगी से नफरत करती थी, और वह उस आदमी से नफरत करने लगी थी जिसे अपने वर्तमान को अपनाने और अपने अतीत को छोड़ने में परेशानी हो रही थी। उसने शियान का सारा सामान फेंकवा दिया था, लेकिन ऐसा महसूस हुआ कि घर में अभी भी उसका बसेरा था।
यिशुआन ने अपने सिर पर मुक्का मारा,और इसमें घूमती हुई चमकदार तस्वीरों को दूर करने की कोशिश कर रहा था।
"मुझे माफ़ करना, यूवेई," वह बिस्तर से कूद गया और बाथरूम की ओर चला गया।
उसने शीशे में अपनी परछाई को देखा, थका हुआ और उदास।
यह चांद नए साल का पहला दिन था, लेकिन वह सचमुच जश्न के मूड में नहीं था।
क्या मैं सच में उसे जाने देने के लिए तैयार हूं? उसने खुद से सवाल किया और उसका जवाब उसके खुद के सुस्त चेहरे ने दिया।
उसने ठंडे पानी से लथपथ एक तौलिया पकड़ लिया और उस उदासी को दूर करने की कोशिश की, लेकिन वह नहीं कर पाया। उसके चेहरे ने झूठ बोलने से इनकार कर दिया और उसकी भावना को धोखा दिया।
नहीं! उसने अपनी मुट्ठी फिर से जकड़ ली और फैसला लिया।
वह नहीं मान सकता था कि वो उसकी जिंदगी से पूरी तरह चली जाए। उसे उसकी जरूरत थी कि वह उसी शहर में रहे और तलाक होने पर भी वह काफी पास रहे। वह अब उसकी बीवी नहीं थी, लेकिन वह अभी भी उसे परिवार के रूप में देखता था, एक व्यक्ति जिसकी वह सबसे ज्यादा परवाह करता था। वह उसे जिंदगी भर किसी दूसरे शहर में अकेले और तन्हा रहने की इजाजत नहीं देता,तब भी कि वह उसकी उस तरह से देखभाल नहीं करता था, जैसे वह उसकी करती थी।
बेडरूम में वापस आने के बाद यिशुआन सीधे अलमारी की ओर चला गया और कपड़ों के बीच उन सब चीजों को ढ़ूंढ़ना शुरू कर दिया, जो वह उसके लिए लाई थी, शर्ट, स्वेटर, पैंट, कोट ... उसने उन सभी को छांट दिया।
इस कदम ने युवेई को झकझोर दिया, जिसने तुरंत कुछ गलत महसूस किया और आदमी को रोकने के लिए बिस्तर से कूद गयी।
"यिशुआन, तुम क्या कर रहे हो? अभी सुबह भी नहीं हुई। तुम कहाँ जा रहे हो?" उसने पूछा, उसकी आँखें गुस्से से जल रही थीं।
भगवान जानता है कि वह कितना पागल थी।
यिशुआन ने उसकी बातों पर ध्यान नहीं दिया और कपड़े पहनने की ओर ध्यान देता रहा। वह बाहर जाने के लिए पूरी तरह से कपड़े पहन कर तैयार होने का इंतजार नहीं कर सका।
"यिशुआध," यूवेई ने उसका नाम पुकारा, उसकी आँखों से आँसू बह रहे थे।
"यिशुआन, मत जाओ। हमने तय किया था कि हम आज मेरे माता-पिता से मिल रहे हैं। कृपया मत जाओ।" यह जानकर कि सख्त तरीका काम नहीं करेगा, युवेई ने कुछ दया जीतने के लिए रोना चुना।
लेकिन यह चाल भी काम नहीं आती लग रही थी।
इसने केवल अपने इरादे पर लौटने से पहले आदमी को उसकी ओर नज़र उठाकर देखने के लिए रोक दिया। उसने अपने बटुए से एक सुनहरा कार्ड निकाला और महिला को दे दिया।
"मुझे दुख है, युवेई, लेकिन मुझे किसी चीज़ की देखभाल के लिए कुछ दिन चाहिए। आप अपने या अपने माता-पिता के लिए जो कुछ खरीदना चाहती है, खरीद सकती हैं।" ऐसा कहने के बाद, उसने खुद को युवेई से आज़ाद कर लिया।
महिला जहां खड़ी थी, उसे वहीं जमा हुआ छोड़ दिया गया, जबकि उसकी आँखें उसे जाते हुए देख कर चुभ रही थीं। जब तक वह पलट कर कुछ कह पाती वह नीचे चला गया था।