यिशुआन की आँखें उस वक्त चमक उठीं जब उसने उसे देखा और उसके परिचित चेहरे की ओर घूरा।
कुछ भी बदला हुआ नहीं लग रहा था।सुंदर गलतियों के साथ उसका चेहरा, लंबे समय से उसके दिल में उकेरा गया था।
उसके पतले होंठ ऊपर की ओर खिंच कर घूम गये जिससे उसके चेहरे पर मुस्कान आ गई जो उसके चेहरे से गायब हो गई थी।
इतने दिनों के बाद आखिरकार उसने उसे फिर से देखा।
"यानयान," उसने उसके सिकुड़े हुए पतले कंधों के लिए अपना हाथ बढ़ाते हुए, उसका शादी से पहले वाला उपनाम पुकारा।
शियान हाथ को हवा में लटके हुए छोड़कर, पीछे हट गई।
उसका अचानक आ जाना उसके लिए एक बड़ी समस्या थी, जो अभी भी यह समझ बनाने की कोशिश कर रहा था, उसकी पलकें झपक रही थीं।
"तुम क्या चाहते हो?" वह उसका सामना करने के लिए उठी और उसकी आँखों के नीचे गहरे काले घेरों की ओर ध्यान देने में मदद नहीं कर सकी और वह कितना थका हुआ लग रहा था।
उसका दिल दर्द से भर गया, लेकिन उसने किसी भी भावना को न दिखाने के लिए संयम रखा, उसके होंठ सिकुड़ गए।
वे अब जुड़े नहीं थे, न ही उसका कोई मतलब नहीं था अगर वह थका हुआ या बीमार था।
"मैं ..." यिशुआन ने अपने शब्दों को वापस ले लिया, उसके चेहरे पर खुशी दूर हो गई, जबकि उसका दिल उसकी बेपरवाही से दुखी हो गया। उसने यह मानने से इनकार कर दिया कि यह दिखावे से अधिक है।
वह उसके पास अपार्टमेंट में अंदर चला गया,जो हवा में परिचित खुशबू के बावजूद बमुश्किल उस विला जैसा था जिसमें वो रहते थे। सूँघते हुए,उसने लालच से हवा को अपने अंदर महसूस किया।
"यानयान, मुझे भूख लगी है!" वह फिर से बोला, वह बात जो वो सालों से लगातार उससे कहता आया था। जैसा कि उसने याद किया, महिला कुछ खाना बनाने में जुट जाती जो उसे हर बार खुश करता जैसे ही वो ये शब्द कहता, चाहे वह कितनी भी बीमार हो।
जिस यानयान को वो जानता था, वह उसे अपनी जिंदगी से प्यार करती थी और उसके लिए कुछ भी करेगी।
शियान मेज पर खड़ी थी, उसके हाथ नीचे दब रहे थे, उसकी आँखें ऊपर छत की तरफ घूर रही थीं और उसका दिल लड़खड़ा रहा था। वह उसे भुलाने की बहुत कोशिश कर रही थी, या कम से कम कि वह उसके बारे में न सोचे, लेकिन वह उसके घर पर इस तरह अचानक आ कर उसे ऐसे हैरान कर सकता था।
पुराने वक्त की तरह उसके लिए खाना पकाने के बजाय, उसने उसे कुछ स्नैक्स परोसे।
"तो, यिशुआन, तुम यहाँ क्यों आए हो?" उसने पूछा, अपने सफेद चेहरे के पीछे किसी भी भावना को अंदर समेटते हुए।
"मैं तुम्हें घर ले जा रहा हूँ!" यिशुआन ने अपनी काली आँखें झपकीं। वह अपने हमेशा वाले गंभीर और उदासीन चेहरे के बिना एक अलग व्यक्ति की तरह लग रहा था - उम्मीदों के साथ भरा, चमकता हुआ।
उसने सोचा कि वह तलाक के बाद उसे जाने दे सकता है। उसने चौबीसों घंटे काम किया। लेकिन जिस पल वह अपनी आँखें बंद करता था, उसका मुस्कुराया हुआ चेहरा उसे दिखाई देता था। हां, वह उसे खोना नहीं चाहता था।
उसके शब्दों ने उसपर कड़ी चोट की । उसके सिर में सचमुच उसे समझने की कोशिश करने से दर्द हो गया।
उसे घर ले जा रहे है? कहाँ पर? यह उसका घर है।
"आप वास्तव में यहाँ क्यों हैं?"
वह थोड़ा झुक गई, उसकी आँखें एक खतरे की हवा का अनुमान लगा रही थीं। उसके इस तरह अचानक आ जाने से वह परेशान हो गई। उसे यहां नहीं होना चाहिए।
"मैंने कहा कि मैं आपको घर ले जा रहा हूं, फिर से यू शहर में," यिशुआन ने केक का एक टुकड़ा खाया। वह सचमुच में भूखा था क्योंकि उसने एक दिन पहले से कुछ नहीं खाया था।