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Chapter 13 - मकड़ी की गुफा (द्वितीय)

"मैं कहता हूँ कि हमें इस आदमी को ठेस नहीं पहुंचाना चाहिए" भूमि सप्तम ने गंभीरता से कहा पर उसका मुंह सुषुप्त शेखर की ओर था। 

"सही है 170 या उससे अधिक एपीएम होने के लिए उसे एक महान विशेषज्ञ होना पड़ेगा" एक और आदमी ने सहमति जताते हुए कहा। 

"170 बस एक अंदाजा है। वह बिना कुशलता वाला पात्र है, बिना किसी इक्विपमेंट के बावजूद वह चार बार बीच हवा में भिड़ सकता है। मुझे लगता है कि वह 200 से भी ज्यादा एपीएम वाला है। मैं ठीक कह रहा हूँ ना?"

"200 एपीएम... हमारे संघ, में मुझे लगता है केवल हमारे नेता के पास ही ऐसी कुशलता हो सकती है, नहीं?"

"न सिर्फ हमें इसे ठेस नहीं पहुंचाना चाहिए बल्कि हमें कोशिश करनी चाहिए कि ये हमारे साथ ही रहे" 

"इस तरह के जानकार अक्सर एक खास इतिहास रखते हैं" 

उन्होंने इस मुद्दे को एक एक करके टटोला पर सुषुप्त शेखर ने कुछ नहीं कहा। उसने उनके तर्कों को ध्यान से सुना और समझा। असल में इतनी सारी कोठियों के बाद सुषुप्त शेखर की नफरत ये क्सिउ के लिए वैसे ही कमजोर हो चुकी थी। अगर उसने सफलतापूर्वक इस आदमी को मरने दिया होता तो वह संतुष्ट होता। पर अब वह जानता है कि यह आदमी महान जानकार है और उसके खिलाफ होना आसान नहीं है। उसकी नफरत एक बार फिर हावी हो गई। वह खुद इस भावना को साफ तौर पर समझा नहीं पा रहा था। उसे जलन हो रही थी, ईर्ष्या हो रही थी या सब। जैसे ही वह कुछ कहने जा रहा था उसने देखा कि उसके तीनों साथी विकट देव को मुंह फाड़े देख रहे थे। उनके मुंह आश्चर्य से खुले हुए थे। सुषुप्त शेखर भी मुड़ा और देखने लग गया और उसने पाया कि आदमी अतुलनीय कौशल का धनी है।

हरे जंगलों के राक्षस बहुत ही कमजोर थे। विकट देव के द्वारा पहुंचाए गए भारी नुकसान से, उसने उन राक्षसों को बड़ी जल्दी मार गिराया, जिससे फैसला लेना कठिन हो गया था। हालांकि सरगना के पास अभी जीवन रेखा बची हुई थी। सभी ने एक गुट बनाकर हमला करने की सोची, इसलिए यह भी फैसला लेने में भुत मददगार नही साबित हुआ। क्योंकि अब वह इतने ज्यादा स्वास्थ्य अंक वाले मकड़ियों पर हमला कर रहे था इसलिए उसकी कुशलता का दर्जा साफ दिखाई दे रहा था। 

"उसके लड़ने की क्षमता अभी से 17 वे दर्जे पर पहुंच गई है" 

"जब से उसने हवा में चार लड़ाइयां लड़ी हैं तब से उसकी ताकत टूटी नहीं है" 

"ऐसा लग रहा है वह दीवारों का इस्तेमाल करके बार-बार उछल रहा है और हवाई हमले कर रहा है" 

"मुझे नहीं लगता था कि यह सही में हवाई हमले कर पाएगा" 

"बहुत ही उम्दा"

वह तीनों लोग लगातार ही मंत्रमुग्ध हुए जा रहे थे। सुषुप्त शेखर को बहुत ही ज्यादा बुरा लग रहा था। जैसे ही वह कुछ कहने वाला था भूमि सप्तम उसकी तरफ मुड़ा और बोला "मेरी बात ध्यान से सुनो। हमें इस आदमी के लिए रास्ता और कठिन नहीं बनाना चाहिए। यह ठीक है कि तुम उसके साथ अच्छे से नहीं रह सकते हो, पर हम सबको उससे बात करने दो" 

सुषुप्त शेखर ने अपना सर शांति से हिलाया। वह थोड़ा कड़वाहट से भरा था पर वह जानता था कि भूमि सप्तम और बाकी सब उसे पहले से ही लेने वाले थे। कौन सा संघ ऐसे खिलाड़ी को अपने साथ नहीं रखना चाहेगा? तुलना करके देखा जाए तो वो खुद ही संघ का एक साधारण सदस्य था। इस तरह के माहिर आदमी के लिए कोई भी दिक्कत खड़ी करना नहीं चाहेगा। 

"कितना ज्यादा उम्दा" वह हरे रंग की मकड़ी विकट देव द्वारा एक सांस में मार दिया गई थी। भूमि सप्तम और बाकी लोग तुरंत ही उसे घेरकर खड़े हो गए और उसकी तारीफों के पुल बांधने लगे। उन्हें नाटक करने की जरूरत नहीं थी क्योंकि इस खिलाड़ी की कुशलता अद्भुत थी। 

"भाई, मैं अब देख रहा हूँ कि तुम्हारी कुशलता साधारण खिलाड़ी से बहुत ज्यादा है" भूमि सप्तम ने कहा। 

"ऐसा कुछ नहीं है" वह अभी भी इतनी प्रशंसा को आराम से सुन रहा था। ऐसा लग रहा था जैसे सुषुप्त शेखर ने उन्हें किसी और आदमी को फंसाने के लिए कहा था। 

"भाई, दूसरे सर्वर में से किस संघ ने तुम्हें इस नए सर्वर में भेजा है" भूमि सप्तम ने पूछा। पर उसे जवाब की उम्मीद कम थी। कौन संघ उसे यहां अकेले भेजेगा? यह व्यक्ति खुद ही आया होगा।

"किसी ने नहीं, मैं यहां खुद आया हूँ" जैसी उम्मीद थी। 

"सही में? तुम किसी संघ के सदस्य नहीं हो? भाई इस दर्जे की कुशलता आसानी से नहीं मिलती। कैसे कोई संघ तुम्हें अपना सदस्य नहीं बनाना चाहता?" भूमि सप्तम ने चौंकने का नाटक किया। 

"इस सर्वर में भी तक कोई संघ नहीं है" ये क्सिउ ने कहा।

भूमि सप्तम, आंखें फाड़कर देखा। इस सर्वर में कोई संघ नहीं अभी तक, पर पुराने सर्वर का क्या? इस तरह के विशेषज्ञ के लिए संभव नहीं था कि वह अभी ग्लोरी खेलना शुरू किया हो। वैसे तो ये खिलाड़ी बताएगा नहीं, भूमि सप्तम को लगा कि उसका पुराने संघ से किसी बात पर झगड़ा हो गया होगा इसीलिए वह नए सर्वर में खेलने के लिए तेजी से भाग आया। यह तो एक सुनहरा अवसर है। यह सही समय होगा इस खिलाड़ी को यह महसूस करवाने के लिए की पूर्ण चंद्रमा संघ ही सही जगह है। 

"भाई इससे पहले तुम किस सर्वर का हिस्सा थे" भूमि सप्तम ने फिर से सवाल जवाब शुरू कर दिए। 

"मैं बहुत दिनों से नहीं खेला था" बेतुका सा जवाब। वह पहले सवाल से बच गया। 

"ओह ओह..." भूमि सप्तम केवल ओह कह सका। वह कैसे जमी हुई काई को हटाए? भूमि सप्तम दलदल में धंस गया था। 

अंत में उसे लगा कि वह बात करने में दिलचस्पी नहीं रख रहा था और सिर्फ आगे बढ़ना चाहता था। पर इस समय भूमि सप्तम और बाकी लोग उसे घेरे हुए थे जैसे वह इस दल का मुख्य सदस्य हो। सुषुप्त शेखर को अजीब लग रहा था पर उसके पास चुप रहने के अलावा कोई चारा नहीं था। 

इस तरह के विशेषज्ञ की देख रेख में वे सब कोठरियों में आगे बढ़ते जा रहे थे। चारों सदस्यों ने एंटीडोट ले रखी थी और उन्हें उम्मीद थी कि विकेट देव के होते उन्हें इसकी जरूरत नहीं पड़ेगी क्योंकि विकट देव के पास दौड़ने, लुढ़कने और कूदने की कुशलता थी। यह चारों शायद विकेट देव के उम्दा चाल देखकर ही लड़ना न भूल जाए और खुद ही न हार बैठे। 

"अगर मुझे ठीक तरीके से याद है तो आगे मकड़ियों का गुच्छा होगा। उन्हें मारने के बाद पहला सरगना निकलेगा पर हमें नहीं पता कि वह जहर छोड़ने वाला होगा या जाल छोड़ने वाला। यह इस कोठरी का सबसे मुश्किल प्रश्न है। आओ…" भूमि सप्तम ने इस लम्हे पर देखा कि विकट देव जो पहले ही आगे बढ़ चुका था और लोगों को मार रहा था। उसने ऐसा होता से अपने आप को सही करते हुए कहा "अच्छा तो फिर आगे बढ़ो..." 

भूमि सप्तम की याददाश्त सही थी। इस हिस्से में वाकई बहुत सारी मकड़िया थी। कुल मिलाकर 70 जिसमें से 30 जहर छोड़ने वाली और 40 जाल छोड़ने वाली मकड़ी थी। वह सब आपस में जुड़ी थी। इसलिए जब वह नजदीक आए, 70 मकड़िया एक साथ बाहर आ गई। 

"जल्दी करो" भूमि सप्तम ने अपने बाकी तीनों साथियों को बुलाते हुए कहा। उसमें हिम्मत नहीं थी वह विकट देव को आदेश दे सके। उसे पता नहीं था कि उनके दर्जे में कितना अंतर है। बस इस बार केवल 70 मकड़िया थी। कोई फर्क नहीं पड़ता कि विकेट देव कितना तेज था, कोई रास्ता नहीं था कि वो सबसे अकेले निपट लेता। आखिरकार उसके पास बस 10 वा दर्जा थे। उसके पास भीड़ को संभालने का कोई कुशलता नहीं थी अभी तक। इसलिए उसमें सब को बुलाया और आगे बढ़ने के लिए कहा ताकि विकट देव के ऊपर से दबाव हट सके। 

अंत में "यलगार हो" के साथ विकट देव ने फिर से भाले को अपने हाथ में लिया और आधा पहिया नचाते हुए सा घुमाया। चार मकड़िया आधे से खुल गई। दो मकड़िया ऊपर भागी और दो मकड़ियों ने जाल फेंके। विकट देव पीछे कूद गया ताकि जालों से बच सके। उसी समय वह हवा में कूदा और वापस भाले को हवा में लहराते हुए दो मकड़ियों को मार गिराया। जमीन पर पाँव रखते ही वह बाएं तरफ उछला और मकड़ी के जाले से खुद को बचाया। वह उठा और आकाशीय हमला किया। सातवीं मकड़ी आकाश में ही मारी गई। वह अभी जाला भी नहीं छोड़ पाई थी। 

बाकी चार तुरंत ही इधर उधर भटकने लगे।

"यह इंसान है भी या नहीं?" चारों लोग ऐसा कहना चाह रहे थे पर ग्लोरी इसको सुन सकता था और यह अच्छी बात नहीं थी। पर ऐसा कहने के अलावा उनके पास और कोई शब्द नहीं थे बताने के लिए कि वह कैसा महसूस कर रहे थे। 

"180 डिग्री पर घूमकर मारना। हे, भगवान" सभी लोगों ने अपनी सांसे थाम ली और बस यही लिख पाए। 

"अपने शरीर को पीछे करके कूदना और उसके बाद हवा में दो बार हमला करना"

"और वह बेहतरीन हवाई हमला, लुढ़कने के बाद" 

"यह कोई इंसान नहीं है" सब को विश्वास हो चला था। हालांकि यह सभी आम कुशलता के गठन से संभव था पर हर व्यक्ति ऐसा नहीं कर सकता था। उदाहरण के लिए 180 डिग्री पर घूमकर मारना आम हमला था पर कितने कोण पर मुड़ना है ये माउस पर निर्भर करता था। जितना तेज माउस चलेगा उतना ही बड़ा कौण बनेगा। इसे पात्र के हमला करने की रफ्तार से भी समझा जा सकता था। 10 वे दर्जे पर 180 डिग्री घूमना ऐसा नहीं था कि हर आम आदमी कर सके।