डायनिंग हॉल के, मैत्रीपूर्ण माहौल में, बड़ी मैडम ने, सी येहान के बारे में बात करना जारी रखा।
अपनी ही दादी द्वारा बेचे जाने की बात का, सी येहान ने बिल्कुल भी बुरा नहीं माना।
उसने बहुत कम बात करी, लेकिन वह बता सकती थी कि बड़ी मैडम के सामने, उसका व्यवहार भावहीन और एकाकी होने की बजाय अधिक प्रभावशाली और चित्ताकर्षक होता था।।
बड़ी मैडम ने व्यंजनों से भरी एक पूरी मेज़ तैयार की; हर व्यंजन बेहद स्वादिष्ट था। शुरू में, ये वानवन और संयमित होने की,योजना बना रही थी क्योंकि वह पहली बार यहाँ आई थी। सी येहान ज्यादा कुछ नहीं बोला, लेकिन उसका हाथ नहीं रुका और वह उसकी थाली में खाना परोसता रहा। इससे पहले कि उसे पता चलता, उसने चावल के तीन कटोरे खत्म कर दिए थे।
"ओह, मुझे और खाना मत दो, मैं अब और नहीं खा सकती।" जब ये वानवान ने अपनी थाली में भोजन के पहाड़ को देखा, तब वह गिड़गिडा़ई।
वह नहीं चाहती थी कि पहली ही मुलाक़ात में दादी यह सोचें कि उसके पेट का कहीं अंत ही नहीं है, या कि वह बहुत खाऊ लड़की है।
सी येहान ने, लड़की के छोटे से चेहरे को देखा, उसने हाथ बढ़ाकर उसकी थाली ली और भोजन समाप्त कर दिया।
यह आदमी ... क्या यह काफी संवेदनशील नहीं है ...
ये वानवान थोड़ा घबरा गई थी, लेकिन यह देखकर कि सी येहान ने, उसके भार को हल्का करने में मदद की, उसने राहत की सांस ली।
बड़ी मैडम ने उन दोनों को बातचीत करते हुए देखा और उनके दिल को बहुत सुकून पहुँचा।
इसके अलावा, यह लड़की वैसी ही थी, जैसा उसके पोते ने बताया था; वह खाने में मीन-मेख निकलने वाली नहीं थी। उसे अच्छी भूख भी लगती थी। वह देखने में भी वह अच्छी थी। वह उन हाई-फ़ाई लोगों की तरह नहीं थी, जो दिखावे के लिए, सिर्फ दो-चार दाने चुगते हैं।
रात के खाने के बाद, बड़ी मैडम को लगा कि वानवान उनकी कंपनी से ऊब गई होगी। उन्होंने उसका ध्यान रखने के मन से कहा, "छोटे 9 वें, वानवान यहाँ पहली बार आई है, उसे इस जगह पर ज़रा घुमा दो।
"हम्म," सी येहान ने सिर हिलाया,
"फिर हम चलते हैं, दादी माँ" ये वानवान ने बड़ी मैडम से विदा ली और उसके बाद, आज्ञाकारी बन कर,आंगन में सी येहान के साथ चली गई।
रात सर्द थी, ऊपर आकाश तारों से भरा था, हवा में एक खुनक और फूलों की खुशबू थी।
यद्यपि यह जिन गार्डन की अद्भुत कारीगरी से अलग था, पर उस प्राचीन घर का अपना आनंद भी था। रात के खाने के बाद आंगन में टहलना वास्तव में अच्छा था।
ये वानवान को महसूस हुआ कि पुराने घर में प्रवेश करने पर उसे जो बेचैनी महसूस हुई थी, वह गायब हो गई थी।
बिना किसी दुराग्रह के, रात की प्रशंसा करते हुए, सी येहान फिर से कोई परेशानी होने लगी।
जब वे भोजन कर रहे थे, तब वह पूरी तरह से ठीक था, लेकिन वो अब कुछ गड़बड़ महसूस कर रहा था।
उसने, सी येहान के चेहरे को देखने के लिए अपनी आँखें उठाईं और देखा कि उसके चेहरे पर, नाखुशी दिखाई दे रही थी, और यहां तक कि उसके कदम भी तेज हो गए थे।
ये वानवान अपने छोटे पैरों से इतनी जल्दी नहीं चल पा रही थी और बहुत जल्दी ही वह पीछे रह गई थी।
मैंने सी येहान को कब गुस्सा दिलाया? क्या मैंने बड़ी मैडम से बात करते समय कुछ गलत कहा था? मुझे तो ऐसा नहीं लगता ...
ये वानवान, अंधेरे से थोड़ा डरती थी, यह ठीक था कि कोई उसके साथ था, लेकिन अकेले, वह घबरा जाती थी।
यह देखकर कि वह रात के अंधेरे में ग़ायब हो रहा था, ये वानवान के पास सोचने का समय नहीं था। वह जल्दी-जल्दी चल पड़ी और सी येहान के एक हाथ को कसकर पकड़ लिया।
जब उसने सी येहान के हाथ को पकड़ा, उस समय उसे ऐसा लगा कि जो शीतलता उसे पहले महसूस हुई थी, वह तुरंत ग़ायब हो गई थी।
पुनर्जन्म के बाद, वह सी येहान की भावनाओं के प्रति बहुत संवेदनशील हो गई थी, इसलिए उसका अंतर्ज्ञान कभी गलत नहीं था।
ये वानवान ने आश्चर्य में अपनी आँखें झपकाईं।
क्या यह हो सकता है कि उसका साथी इतना चुप था और सिर्फ इसलिए, झल्ला गया,क्योंकि मैंने चलते समय उसका हाथ नहीं पकड़ा था?
सी येहान ... इतना बचकाना नहीं होगा, है ना?