Chapter 129 - मेरा एक सपना है

लिन चे को समझ नहीं आ रहा था कि, गु जिंग्ज क्या कहना चाह रहा था, पर उसने तब तक भी लिन चे का हाथ पकड़ा हुआ था।

थोड़ी देर बाद, वो आखिरकार संतुष्ट होकर, आराम से, रेत पर लेट गया और सूरज की तरफ मुंह कर लिया।

लिन चे जल्दी से अपना हाथ वापस खींचते हुए गुस्से में चिल्लाई, "ये...तुम... अब मैं क्या करूं?..."

हालांकि, गु जिंग्ज अभी भी अपनी दुनिया में खोया हुआ था, सब चीजों से बेखबर।

लिन चे जल्दी से पानी की तरफ दौड़ी और उसने खुद को रगड़कर धोना शुरू कर दिया।

गु जिंग्ज इतने महान मूड में था कि वो अपनी भारी आवाज में फिर से हंसा।

वहां बैठकर, वो उस पल को फिर से जीना चाहता था।

उसे स्वयं करने की तुलना में लिन चे की मदद से करना, दो पूरी तरह से अलग भावनाएं थीं।

उसे उसके सुंदर और नरम हाथ भी याद थे।

जब उसने उसके बारे में सोचा, तो उसे राहत महसूस हुई।

ये देखकर कि लिन चे अभी भी खुद को धो रही थी, गु जिंग्ज उठकर उसके पास चला गया। उसने उसे अपनी बांहों में भर लिया।

लिन चे चिल्लाई, और महसूस किया कि गु जिंग्ज उसे समुद्र के तट पर उठाकर ले गया, और गोल-गोल घुमा रहा था।

लिन चे की त्वचा गु जिंग्ज से छुई और वो शरमा गई।

समुद्री हवा बहुत ही आरामदायक लग रही थी। लिन चे ने चिल्लाई, "मुझे जाने दो ! तुम क्या कर रहे हो?"

"क्या तुम्हें मजा नहीं आ रहा?" गु जिंग्ज ने पूछा।

"हां, आ रहा है!" लिन चे ने उसकी गर्दन में अपना हाथ डाला और कहा।

गु जिंग्ज लिन चे को गोद में उठाकर ले जाने लगा, "मुझे पता है कि इसे इस समय करना मुश्किल था। मैं नहीं चाहता था कि इसमें ज्यादा समय लगे, मैंने पूरी कोशिश की कि इसे जल्दी से कर लूं।"

"गेट लॉस्ट। तुम्हें किसने कहा कि तुम इस बारे में बात कर सकते हो?" लिन चे ने गुस्से में उसके कंधे पर मारा।

गु जिंग्ज दिल खोलकर हंसा। वो बहुत अच्छे मूड में था।

लिन चे ने सोचा, क्या उसे वास्तव में इतना अच्छा लग रहा था? वो इतना खुश क्यों था?

पुरुष ... सही में ना। कोई भी इंसान कितना भी चालाक क्यों न हो, लेकिन कभी-कभी उसे अपने निचले हिस्से की ही सुननी पड़ती है।

गु जिंग्ज लिन चे को गोद में लिए हुए एक बार और घूम गया, "ठीक है। तुम्हारे इनाम के तौर पर, मैं तुमसे किसी भी चीज के लिए वादा करता हूं।"

लिन चे ने पूछा, "कैसी चीज़?"

"तुम मुझसे कोई भी चीज मांग सकती हो।"

लिन चे ने इसके बारे में सोचा, लेकिन उसे पता नहीं था कि क्या कहना है। उस वक्त जो भी हुआ, उससे उसका दिमाग पूरी तरह से खाली हो गया था, "ठीक है, मैं अभी कुछ भी नहीं सोच सकती। क्या मैं तुम्हें बाद में इसके बारे में सोचकर बता सकती हूं?"

गु जिंग्ज ने बहुत उदारता से कहा, "ठीक है, मैं तुमसे वादा करता हूं।"

गु जिंग्ज ने लिन चे को नीचे उतारा और दोनों समुद्र के तट पर एक साथ चल रहे थे। हवा का आनंद उठाते हुए और एक अलग देश के वातावरण का मजा लेते हुए लिन चे ने कहा, "सही में यहां बहुत अच्छा लग रहा है।"

"मैं अगली बार तुम्हें इससे भी अच्छी जगह पर ले जाऊंगा।"

"कोई जरूरत नहीं है। मुझे ये जगह ही बहुत पसंद आई है," लिन चे ने जवाब दिया।

"तुम कितनी जल्दी संतुष्ट हो जाती हो," गु जिंग्ज ने उसकी तरफ देखते हुए कहा।

"बेशक," लिन चे ने कहा। "हर किसी के पास वो सब कुछ नहीं हो सकता जो वे चाहते हैं, इसलिए हमारे जैसे लोग जो अपने सपनों को पूरा नहीं कर सकते हैं, वे आसानी से संतुष्ट हो जाते हैं। इसी तरह हम खुश रह सकते हैं।"

गु जिंग्ज ने उसकी ओर देखा और गंभीरता से कहा, "तुम्हें क्या चाहिए? मैं तुम्हें कुछ भी दे सकता हूं।"

लिन चे ने सुना और जल्दी से कहा, "कोई जरूरत नहीं है। मुझे तुमसे कुछ नहीं चाहिए।"

"मैं सच कह रहा हूं," गु जिंग्ज ने जोर दिया।

लिन चे ने गु जिंग्ज को देखा। वो केवल छोटी सी चीज चाहती थी, लेकिन इसे प्राप्त करना मुश्किल था।

वो चाहती थी कि, वो किसी को प्यार करे और कोई उसे प्यार करे।

हालांकि, इस दुनिया में बहुत से ऐसे लोग थे, जो अपने पूरे जीवन में उस सपने को कभी पूरा नहीं कर पाए थे।

लिन चे ने अपना सिर हिलाया और कहा, "सही में इसकी कोई जरूरत नहीं है। कुछ सपने तभी सच होते हैं, जब आप उन्हें प्राप्त करने के लिए कड़ी मेहनत करते हैं। यदि आप उन्हें इतनी आसानी से प्राप्त कर लेते हैं, तो इसका कोई अर्थ नहीं रह जाएगा।"

गु जिंग्ज ने उसकी तरफ देखा और सोचा कि, जो भी उसने कहा वो सही था।

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