Chapter 19 - माता पिता रह गए आश्चर्यचकित

निंग क्षी काफी देर सोचती रही कि लिटिल को कॉल करे कि नहीं| पाँच साल पहले हुए उस हादसे में जिसमें वह अपना बच्चा खो बैठी थी, उसके बाद से ही वह अपने-आपको बच्चों से दूर रखने लगी थी| बच्चे उसे अपने उस घिनौने अतीत की याद दिला देते थे पर न जाने क्यू लिटिल के साथ उसे अच्छा लगता था। बहुत सोचने के बाद उसने लिटिल को कॉल किया।

"हैलो लिटिल कैसे हो? निंग क्षी की आवाज आई, पर लिटिल ने कुछ जवाब नहीं दिया| निंग सी को मालूम था कि लिटिल जवाब नहीं देगा तो उसने बिना जवाब की उमीद में बोलना शुरू कर दिया, "कैसे हो? खाना खाया? क्या किया आज? तुम्हारे पापा कैसे है? आज उन्हे मैंने टीवी पर देखा| बिजनेस में मिली सफलता के लिए उन्हे मेरी तरफ से बधाई देना और तुम अपना खयाल रखो| कितने दुबले हो, हरी सब्जियाँ भी खाया करो, नहीं तो बड़े कैसे होओगे? खाना समय पर खाना ओर पूरा खत्म करना। अपनी बात खत्म कर के निंग क्षी बोली, चलो बाय लिटिल तुम बहुत प्यारे हो| रखती हूँ फोन।"

10 मिनट के बाद लिटिल अपने उस टेबलेट को लाया जिसे उसने काफी समय से छुआ भी नहीं था ओर उस पर कुछ लिखा| लिटिल काफी होशियार था और चाइनीज़ ओर इंग्लिश दोनों में माहिर था| चाइनीज़ की बजाय उसे इंग्लिश लिखना ज्यादा सरल लगता था पर वो लिखता इसीलिए नहीं क्योंकि उसे किसी से भी बात करना पसंद नहीं| पर आज जब वह इस तरीके से लिखने बैठा तो दोनों दादा-दादी हैरान रह गए| लू टिंग ने निंग सी की बात सुन ली थी इसलिए उसे पता था कि लिटिल क्या लिख रहा होगा पर जब लिटिल टेबलेट लेकर लू टिंग के पास मकुराता हुआ गया तो उस पर लिखे शब्द "बधाई" ने उसे अंदर तक खुश कर दिया।

लू टिंग ने बच्चे के सिर पर हाथ फेरकर कहा " थैंक्स" ।

इसके बाद लिटिल ने अपना खाना पूरा खत्म किया| उसे गाजर बिलकुल भी पसंद नहीं थे पर आज तो गाजर से भी कोई परहेज नहीं| आज लिटिल ने सारी सब्जी ओर अन्य पदार्थ खा कर खत्म किए।

दादी को तो आज काटो तो खून नहीं| आश्चर्य से यह सब बस देख रही थी| फिर लू जींगली से पूछा, उस लड़की ने फोन पर क्या कहा ऐसा? अब तो दादा लू भी उत्सुक थे सुनने को कि फोन पर आखिर क्या बात हुई|

लू जींगली ने बताया, "कुछ खास नहीं, बस यह कहा कि लिटिल तुम अच्छे बच्चे हो तो खाना ठीक से खाया करो| हरी सब्जियाँ भी खाया करो और आपके पापा को मेरी तरफ से बधाई देना।"

दादी लू बोली "बस इतना ही?"

लू जींगली ने अपने कंधो को उचकाते हुए कहा, "हाँ, माँ बस इतना ही|"

दादा लू ने कहा, "एक फोन कॉल से लिटिल में इतना बदलाव? मानना पड़ेगा इस लड़की को | जो काम शहर के अच्छे से अच्छे मानसिक विशेषज्ञ नहीं कर पाये वह इसने 2 मिनिट में कर दिया।"

लू के माँ ओर पिता अब सुखद आनंद महसूस करने लगे, माँ ने टिंग से कहा, "टिंग, इस लड़की के लिए प्रयास करो।"

लू टिंग ने हौले से कहा, "हाँ, माँ!"

फिर माँ ने जींगली से कहा, "तुम्हारा भाई लकड़ी की तरह कडक है, इसको लड़की का दिल कैसे जीता जाए नहीं पता| इस कला में तुम माहिर हो, इसकी मदद करो।"

"माँ आप चिंता न करे, मैं भाई के साथ हूँ, हर हाल में। बस आप लोग बीच में न आना कभी क्योंकि अक्सर घर के बड़ों- बूढों की वजह से ही ऐसे मामलो में बात बिगड़ जाती है।"

दोनों वृद्धों ने एक स्वर मे कहा , जैसा तुम ठीक समझो ! तुम्हारी खुशी में ही हमारी खुशी है।"

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