"ऊँ?"
जहाँग यांग का चेहरा लाल और गहरा हो गया और वह अवाक देखता रहा|
"एक बार मुझे एक लड़की से प्रेम हो गया था| फिर....उसने मुझे अपमानित किया लेकिन इसका गुरू जी से कोई सरोकार नहीं है|"
उसको एक बार एक लड़की से प्रेम हुआ था और उसने जोश में लड़की को यह बताया था| लेकिन उस लड़की ने उसे अपमानित कर दिया और इस कारण वह बहुत शर्मिंदा हुआ | उसने इस बात को गुप्त रखा था और मो क्सिओं को भी इसकी जानकारी नहीं थी फिर इस गुरु को इसके बारे में कैसे पता चला|
" क्या यह सच है ? जहाँग यांग, तुमने मुझे क्यों नहीं बताया कि किसी ने तुम्हारा अपमान किया है ? कौन है वह ?" उसको यह बात स्वीकारते देख कर मो क्सिओं हैरान हुआ और उसने तुरंत उससे पूछा|
जहाँग यांग सिर हिलाते हुए बोला, इसके बारे में मैं तुम्हें बाद में बताऊंगा, और उसने इस बारे में यहाँ कुछ भी और बताने से इनकार कर दिया| उसने सामने गुरु को देखते हुए कहा , " गुरु जी ,यह मेरा निजी मामला है, मुझे नहीं पता कि आपको यह कैसे ज्ञात है , लेकिन इस बात का मेरे भाले की काबिलियत से कोई सरोकार नहीं है|"
" कोई सरोकार नहीं है ?" जहाँग वान ने अपना सिर हिलाया| "इसका पूरा सरोकार है|"
" पूरा सरोकार है ?" जहाँग यांग को इस बात पर थोड़ा शक हुआ|
एक टूटे हुये दिल का जहाँग वान के मार्गदर्शन करने से क्या लेना देना हो सकता है?
" तुम्हारा भाला ताकतवर और निर्णायक है| यह तुम्हारे व्यक्तित्व की तरह है| तुम जो चाहे कर लो , लेकिन तुम परिणाम की सोचे बिना, हमेशा एकदम सीधा वार करते हो| यह एक अच्छी बात होनी चाहिए| योद्धा को ऐसा ही होना चाहिए, हमेशा आगे बढ़कर वार करना, छोटी छोटी बातों को ध्यान में लाये बिना|" जहाँग वान ने जहाँग यांग को शांत भाव से देखा| " लेकिन यह दुःख की बात है कि तुम्हारे भावनात्मक अनुभव के बाद तुम्हारे अंदर एक डर उत्पन्न हो गया है| तुम्हें अस्वीकृति और अपमान का डर लगता है| तुम्हारे भाले में संकोच है, इस अतिरिक्त संकोच के कारण तुम्हारे भाले की ताक़त अत्यधिक कम हो जाती है|"
" आप.... आप.... आपने यह सब मेरे भाले को देख कर समझ लिया ? आप यह देख पाए कि मेरा दिल एक बार टूट चूका है ? आप मेरा व्यक्तित्व बता सकते हो ?"
जहाँग यांग आश्चर्यचकित था|
सामने वाले के शब्द गलत नहीं थे बल्कि, वे कुछ अधिक ही सत्य थे, उनमें एक भी गलती नहीं थी|
उसका व्यक्तित्व ऐसा ही था और पहले इस कारण वह बिना डरे वीरतापूर्वक सामने से सीधा वार करता था| लेकिन अब उस भावनात्मक अनुभव के कारण, वह डरपोक हो गया था और हर काम में संकोच करता था|
उसने यह सब सिर्फ उसके भाले का वार देख कर बता दिया, और तो और उसका दिल टूटने वाली बात, कैसी नज़रें है उसकी ?
अकादमी में ऐसा प्रभावशाली गुरु कब से आ गया ?
उसको लगा कि वह पागल हो रहा है|
पहले, जब वह शिष्य बनने के लिए, भाले के सबसे बड़े गुरु वांग चाओ से मिला था, तो वांग चाओ ने बस उस से यही कहा था कि उसे अभी भाले को ठीक से प्रयोग करना नहीं आता| इसके पीछे के कारण को वह नहीं बता पाया था लेकिन, सिर्फ एक बार देखने भर से यह व्यक्ति बता पाया कि मेरा दिल टूटा है और उस भावुक आघात के कारण मेरा कौशल विकास रुक गया है| क्या इस गुरु की परखने की शक्ति वांग चाओ से भी अधिक है ?
हाथों से संकेत करते हुए अपने चेहरे पर एक विशेषज्ञ के भाव लाकर जहाँग वान बोले, "यह सामान्य बात है|"
" भाला एक इंसान के ह्रदय का प्रतिबिम्ब है| यदि किसी का ह्रदय साफ़ नहीं है तो भाले के प्रयोग में कमी दिखेगी| हालांकि तुम्हारे भाले के उपयोग का कौशल स्पष्ट है ऐसा प्रतीत होता है कि कुछ है जो उसे ढँक रहा है, ऐसा कुछ जो तुम समझ नहीं पा रहे हो, कुछ ऐसा जो तुम अपने से अलग नहीं कर पा रहे| एक नज़र में मैं यह बोल सकता हूँ, कि यह पक्का प्रेम का ही मामला है|"
" यह....."
इस बार सिर्फ जहाँग यांग का ही नहीं, मो क्सिओं का मुंह भी इतना खुला का खुला रह गया कि एक पूरा अंडा उसमें समा जाए|
"हे भगवान्, क्या यह सच है ?"
किसी के भाले के प्रयोग को देखकर, आप उसको घेरी हुई भावनाओं को समझ जाते हो, सब कुछ जैसे की वह किसी बात को समझ नहीं रहा है या बंधनमुक्त नहीं हो पा रहा है…..क्या ये सब इन्सान कि आँखों में ?
मो क्सिओं और जहाँग यांग ने एक दूसरे को घूरा , दोनों की आँखों में अविश्वास के भाव थे|
" गुरु जी, क्या आप मुझे भी देख सकते हैं ?"
इस झटके के बाद, थोडा संयत होते हुए मो क्सिओं आगे आया और उसने यह इच्छा जताई|
जहाँग वान तैयार हुआ नहीं कि, मो क्सिओं के हाथ में भाला हिला और उसने उसका प्रयोग शुरू कर दिया|
उसने वही सब प्रक्रियाएँ की जो जहाँग यांग ने की थी, बस वे उससे अधिक ताकतवर और लचीली थी|
भाले के साथ उसका कौशल जहाँग यांग से निश्चय ही बेहतर था| कोई अचरज की बात नहीं थी कि वांग चाओ लाओशी ने जहाँग यांग को न चुनकर इसको चुना था|
हु |
हवा के एक झोंके के साथ, मो क्सिओं ने अपना भाला समेटा और सीधा खड़ा हो गया|
जब उसका भाला चल रहा था तो वह एक अद्वितीय क्रोधित राक्षस के समान था| जब उसकी ताकत दिख रही थी तो भगवान और प्रेत भी उसके सामने आने से डरते| जब उसने अपना भाला नीचा किया तो वह एक बुत के समान चुपचाप खड़ा हो गया|
उसके हाथ और पैर की एक हरकत से ही उसका स्वाभाव बदल गया था|
हालांकि उसको एक ताकतवर फाइटर नहीं माना जा सकता, लेकिन यह माना जा सकता है कि नंबर एक योद्धा होने के रास्ते की कुछ दुरी उसने तय की है|
"तुम्हारा पेट कमज़ोर है, यदि मैं गलत नहीं हूँ तो आज तुम्हें दस्त भी हुए थे|"
जहाँग वान ने शांत नज़रों से उसको देखा|
" आह ?" मो क्सिओं के अंदर एक थरथराहट सी हुई| " गुरु जी , क्या आप मेरे भाले का कौशल देख कर ही यह बता सकते हो कि मुझे दस्त हुए थे ?"
जैसा कि सामने वाले ने कहा था, उसका पेट आज ठीक नहीं था| उसको कल से ही दस्त लग गए थे| आज उसकी हालत और खराब थी और उसको कमज़ोरी महसूस हो रही थी|
हालांकि, इसका उस पर अधिक असर नहीं पड़ा था| भाले के हाथ में आते ही उसने अपने कौशल का अच्छा प्रदर्शन किया था इस कारण वांग चाओ लाओशी भी उसकी प्रशंसा करने से अपने आप को रोक नहीं पाया था| फिर भी, सामने वाले व्यक्ति ने एक ही क्षण में इस बात को समझ लिया|
क्या यह सत्य है ?
किसी के टूटे हुए दिल और दस्त को सिर्फ उसके भाले के प्रयोग से ही बता देना, इसकी आँखें किस चीज़ से बनी हैं ?
" तुम चाहते हो कि मैं तुम्हारा मार्गदर्शन करूँ तो तुम्हें मुझे अपना गुरु मानना होगा|"
उन दोनों के अचम्भे को नज़रंदाज़ करते हुए जहाँग वान शान्ति से बोला|
उन दोनों की हालत इतने साधारण तरीके से बता देने के कारण वे दोनों अभी तक अचम्भे में थे और पागल होने वाले थे लेकिन , फिर भी गुरु जी को इसमें कोई बड़ी बात नहीं लग रही|
सच तो यह है कि जब उन दोनों ने अपना कौशल दिखाया , तब लाइब्रेरी ऑफ़ हेवन्स पाथ ने अपने आप ही उन दोनों के बारे में एक किताब बना दी और उसमें इन दोनों के दिल टूटने और दस्त लगने की खामियों को सूचीबद्ध कर दिया| जहाँग वान को केवल उस पर एक नज़र डालनी थी और जोर से पढना था| इसमें कोई मुश्किल नहीं थी|
" शिष्य जहाँग यांग आपको अपना गुरु मानता है|"
बिना किसी झिझक के जहाँग यांग ने धरती पर अपने घुटने टेक कर प्रणाम कर दिया|
वह सच में जहाँग वान से प्रभावित हो गया था|
इतनी पारखी नज़रें हों तो उसका मार्गदर्शन साधारण नहीं हो सकता ?
" ऊँ "
यह देख कर कि, जैसे ही उसने इसकी खामियां बताई, उसको मार्गदर्शित करने से भी पहले , तुरंत ही जहाँग यांग उसको अपना गुरु मानने को तत्पर हो गया, जहाँग वान ने अपना सिर संतोषजनक मुद्रा में हिलाया|
उसने एक जेड का टोकन निकाला और उससे कहा , "अपना रिश्ता पक्का करो|"
" ज़रूर " बिना किसी विलम्ब के जहाँग यांग ने तुरंत अपने खून की एक बूँद उस टोकन पर गिरा कर उसपर अपना स्वामित्व पक्का कर दिया|
जल्द ही प्रक्रिया पूरी हो गयी|
"क्योंकि अब तुम मेरे शिष्य हो, मैं तुम्हें एक सुझाव देता हूँ| यदि तुम किसी भी रिश्ते में इज्ज़त पाना चाहते हो तो तुम्हें पहले ताकत चाहिए| बिना ताकत के सामने वाला तुम्हें अपने समान कैसे समझेगा ? इसलिए, पहली बात जो तुम्हें करनी चाहिए वह यह कि दुखी होना छोड़ कर, अपना ध्यान अपने प्रशिक्षण पर लगाओ| तुम्हें सामने वाले को यह जताना है कि उसने तुम्हारा दिल तोड़ कर कितनी बड़ी गलती की है| तुम्हें अपनी ताकत का प्रयोग करके उसको यह साबित करना है....." इस समय जहाँग वान को अपने पिछले जन्म की एक किताब याद आ गई जिसमें लिखा था , "तीस साल में नदी भी अपना रास्ता बदल लेती है , किसी पर सिर्फ इसलिए हेकड़ी न दिखाओ कि वह गरीब है|"
" जवान पर सिर्फ इसलिए धौंस न जमाओ कि वह गरीब है ?"
ऐसी बातें सुनकर , जहाँग यांग के हृदय में एक ज्वाला सी उठी| वह इतना उद्वेलित हुआ कि उसका चेहरा लाल हो गया और वह कांपने लगा|
इस धरती के वासी होने के कारण जहाँग यांग ने ऐसे शब्द कहाँ सुने होंगे |
इसी क्षण में मानो उसका युद्ध शुरू हो गया|
उसकी टूटे दिल की दबी हुई भावनाएं, एक हीरे के समान चमकने लगी|
"अब अपना कौशल पुनः प्रदर्शित करो|"
जब जहाँग वान ने देखा कि वह अपने खोल से बाहर आ गया है तो वह बोला|
" ठीक है|"
एक भी शब्द बोले बिना , हाथ में भाला लेकर, जहाँग यांग का स्वभाव बदल गया| वह स्वभाव उसके पिछले स्वभाव से एकदम भिन्न था |
होंग होंग होंग |
जैसे ही उसका प्रभामंडल गरजा , उसका भाला घूमा| उसके भाले से एक प्रभावशाली ताकत निकल कर पूरे वातावरण में समा गयी , संपूर्ण कमरा हिलने लगा|
पेंग |
अंत में उसने प्रस्तर स्तम्भ पर एक तिरछा वार किया|
235
किसने सोचा था कि यह 235 किलो होगा|
पहले जब उसने अपनी पूरी ताकत लगा कर वार किया था तब केवल ११० किलो था| केवल एक सीख के बाद यह दोगुने से ज़्यादा हो गया|
" धन्यवाद , गुरु जी|"
अंक देखकर , जहाँग यांग के ह्रदय की सभी शंकाएं दूर हो गयी| वह धरती पर झुक गया, उसे सामने खड़े गुरु की काबिलियत पर पूरा विश्वास हो गया था|
" अद्भुत |"
प्रस्तर स्तम्भ पर आये अंक को देखकर मो क्सिओं सुर्ख हो गया था और उसका पूरा शरीर कांप रहा था|
वह इस बात से खुश था कि उसके भाई को एक अच्छा गुरु मिल गया था ,लेकिन साथ ही वह निराश भी था|
पहले जब वांग चाओ ने उसका मार्गदर्शन किया था तब उसकी ताकत केवल ३०% ही बढ़ी थी|
और, उसके सामने खड़े गुरु के मार्गदर्शन से इसकी ताक़त दोगुना बढ़ गयी|
यदि उसको पहले पता होता कि यह अप्रसिद्ध गुरु इतना दुर्जयी है तो वह वांग चाओ को ढूँढने में इतना समय बर्बाद न करके सीधा इसी को अपना गुरु मान लेता|
इस समय उसको थोडा पछतावा हुआ|
फिर भी उसके मन में यह शक उठा कि इतना दुर्जयी गुरु अप्रसिध्द कैसे हो सकता है ?
वह पूछने से अपने आप को रोक न सका , "गुरु जी , चूँकि आपने जहाँग यांग को अपना शिष्य मान लिया है, क्या मैं आपका नाम जान सकता हूँ "
ऐसा सुनकर जहाँग यांग भी देखने लगा|
वह अपने गुरु से पूरी तरह आश्वस्त था ,परन्तु उसे एहसास हुआ कि उसे अपने गुरु का नाम भी नहीं पता|
"मैं जहाँग वान हूँ'' जहाँग वान ने शांति से जवाब दिया|
"जहाँग वान''? यह नाम कुछ सुना हुआ सा लगता है...."
वह नाम सुनकर मो क्सिओ ने कुछ देर सोचा| तब उसके मस्तिष्क में एक विचार आया और उसकी आँखें सिकुड़ गयी| उसके होंठ कांपने लगे और उसने पूछा ,"मुझे याद आ रहा है'' कि वह नालायक गुरु जिसे गुरु योग्यता परीक्षा में शून्य अंक प्राप्त हुए थे, उसका नाम भी जहाँग वान ही था| लगता है उस गुरु का और तुम्हारा नाम समान है|"
" ऊँ, मैं ही वह नालायक गुरु हूँ|"
जहाँग वान ने अपना सिर हिलाया|
" आह..."
जहाँग यांग और मो क्सिओं मारे डर के जड़ हो गए थे|