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Chapter 3 - Ch 4 - मालिक की दूल्हन मिल गई हैं.......

सुबह का समय था, डाइनिंग टेबल पर अंशिका के मम्मी -डैड वासुधा और मनीष आमने-सामने बैठे थे, वासुधा का चेहरा गुस्से से लाल था, और वह मनीष पर नाराज़ होकर कहने लगी " आपने ही अंशिका को इतना सिर पर चढ़ा रखा है, हर बात में उसकी हाँ में हाँ मिलाते हैं,

वो लड़की हर बार बिना बताए अपना कैमरा उठा कर निकल जाती हैं , और आप उसके लौटने पर उसको डांटते भी नहीं हो , और अगर मैं डांटती हूॅं , तो आप उसे बचाने दौड़ पड़ते हैं , इस बार अंशिका और तुषार को आप तो क्या भगवान भी मेरे गुस्से से नहीं बचा पाएंगे "

मनीष ने गहरी साँस ली और शांत लहजे में जवाब देने की कोशिश की " वो फोटोग्राफी के पीछे पागल हैं , वासु तुम खुद जानती तो हो " लेकिन वासुधा का गुस्सा अभी शांत नहीं हुआ था, वासुधा गुस्से में बोली " मनीष आप नहीं जानते, मेरा दिल कल से कितना घबरा रहा हैं ,

दोनों बच्चे किसी मुसीबत में हैं , ऐसा ख्याल बार - बार मेरे दिमाग में आ रहा हैं " मनीष अपनी वाइफ के गाल पर हाथ रखकर बोले " वासु तुम चिंता मत करों , मैंने दो कांस्टेबल अंशिका और तुषार को ढूंढने के काम पर लगा रखें हैं " मनीष ब्रेकफास्ट करके पुलिस स्टेशन के लिए निकल जाते हैं , वासुधा हाॅल में लगी दोनों बहन -भाई की बड़ी सी फोटो देखती हैं , और परेशान आवाज़ में बोली " तुम दोनों जहां भी हो , बस ठीक हो "

वही दूसरी तरफ अंशिका और तुषार एक दूसरे के हाथों की रस्सियां खोलने की कोशिश करने में लगें थे , इस कोशिश में सुबह से रात हो चुकी थी, और आखिरी कार वो अपनी कोशिश में कामयाब हो गए थे, दोनों फिर अपने पैरों की रस्सियां खोलते हैं , और फिर अंधेरी रात में अंशिका और तुषार गांव वालों की कैद से किसी तरह भाग निकले |

उनकी सांसें तेज चल रही थीं, और शरीर थकान से चूर था, लेकिन डर ने उन्हें रुकने नहीं दिया, वही जब गांव वालों को अंशिका और तुषार के भागने का पता चला , तो वो उसको ढूंढ़ने लगते हैं , कुछ गांव वालों ने अंशिका और तुषार को देखा , और वो उनके पीछे भागने लगते हैं , गांव के लोग उनका पीछा कर रहे थे, और उनके कदमों की आवाज़ दूर-दूर तक गूंज रही थी |

अंशिका ने फुसफुसाते हुए कहा " हमें जल्दी से गांव के बाहर निकलना होगा " और फिर अंशिका तुषार का हाथ कसकर पकड़े हुए घने जंगल की तरफ भागने लगती हैं , रास्ता धुंधला और अनजान था, वो लोग एक बार फिर से जंगल में पहुंच गए थे , वो दोनों जंगल में भागे जा रहे थे, वो एक पुराने फॉरेस्ट हाउस के पास पहुंचे, जो गांव के बाहर सुनसान जंगल में खड़ा था |

वो घर देखने में बेहद पुराना था, जैसे वहां कई सालों से कोई नहीं आया हो, अंशिका ने फॉरेस्ट हाउस का दरवाजा धीरे से खोला और तुषार को अंदर ले गई, अंदर घुप्प अंधेरा था, सिर्फ चाँद की हल्की रोशनी खिड़की से छनकर आ रही थी।

अचानक, कमरे के एक कोने से धीमे कदमों की आवाज सुनाई दी, अंशिका ने चौककर पीछे देखा और वहाँ एक हैंडसम, आदमी अपने हाथों में कैंडल स्टैंड लेकर खड़ा था, उस आदमी ने गंभीर आवाज में पूछा " तुम लोग कौन हो ? यहां क्या कर रहे हो ?" अंशिका ने डरते हुए जवाब दिया, " हम. हम गांव से भागे हैं, उन लोगों ने हमें किडनैप करके रखा था "

वह आदमी कुछ पल तक अंशिका की Dark Hazel आइज़ में देखता रहा, जैसे उसकी बातों को परख रहा हो , फिर उसने एक गहरी सांस ली और धीरे से बोला " तुम यहां सेफ हो. अभी के लिए, लेकिन इस फॉरेस्ट हाउस में भी कुछ रहस्य छुपे हैं, जो तुम्हें आराम से बैठने नहीं देंगे "

उसकी बातों में एक अजीब सा डर और रहस्य था, जिससे अंशिका और तुषार की धड़कनें फिर से तेज हो गईं , बाहर से गांव वालों की हल्की आवाज़ें अब भी आ रही थीं, और वो समझ नहीं पा रहे थे , कि किस पर भरोसा करें,उस आदमी पर या खुद पर , तुषार अंशिका के कान में बोला " दी यहां रहना , मुझे ज्यादा सेफ लग रहा हैं, हर हम बाहर गए, तो वो गांव वाले हमें पकड़ कर, आप की शादी अपने किसी मालिक से करवा देंगे "

गांव वालों की आवाज़ आनी बंद हो जाती हैं , कुछ देर बाद वो हैंडसम आदमी अपनी रहस्यमई आवाज़ में बोला " वो गांव वाले जा चुके हैं " वो हैंडसम आदमी कैंडल स्टैंड को लिविंग हॉल में मौजूद टेबल पर रख देता हैं , तुषार फटाफट डोर बंद कर देता हैं , वो हैंडसम आदमी अंदर की और अंधेरे में चला जाता हैं, अंशिका और तुषार अगल - अगल सोफे पर बैठ जाती हैं , और तुषार की कुछ देर में ही आंखें लग जाती हैं |

बाहर मूसलाधार बारिश शुरू हो गई थी, और खिड़की के शीशों पर गिरती बारिश की बूंदें एक मधुर संगीत सी बज रही थीं , अंशिका की आंखें खिड़की के बाहर टिकी हुई थीं, जहां बारिश के साथ पेड़ झूम रहे थे और जमीन पर पानी के छोटे-छोटे तालाब बन रहे थे |

वही इस बीच अंशिका की नींद लगा गई , कुछ देर बाद उसको एक आवाज़ सुनाई थी " जागो ." अंशिका उ धीरे से अपनी आंखें बंद करके खोलती हैं , तो वो अपने सिर पर तुषार को खड़ा देखती हैं , जो उसको जाग रहा था , तुषार के चेहरे पर घबराहट के भाव थे |

अंशिका तुषार के चेहरे पर घबराहट देखकर पूछती हैं " क्या हुआ ?" तुषार अंशिका का हाथ पकड़ कर आगे बढ़ने का इशारा करता हैं , वो दोनों धीरे-धीरे एक कमरे की तरफ बढ़े, जिसका दरवाजा हल्का सा खुला हुआ था, उस पुरे घर में कैंडल अपनी रोशनी बिखर रही थी, जैसे ही अंशिका ने तुषार के कहने पर दरवाजा खोला, उनकी आंखों के सामने एक भयानक दृश्य था, कमरे के बीच में हवा में लटकी एक लाश, और ये लाश उस ही हैंडसम आदमी की थी |

अंशिका की चीखें कमरे की दीवारों से टकराने लगीं , तुषार अंशिका से बोला " दी हमें यहां से भागना होगा " वे दोनों तेजी से कमरे से बाहर भागे, अंधेरे जंगल की ओर निकल पड़े ,डर के मारे उनका शरीर कांप रहा था, जैसे कोई अनदेखी शक्ति उन्हें वहां से भागने नहीं देना चाहती, अंशिका और तुषार का दिमाग काम नहीं कर रहा था |

अंशिका और तुषार जंगल में तेजी से भागते हुए गहरी अंधेरी राहों में भटक रहे थे, घबराए हुए, उनके कदमों में ठोकरें लग रही थीं, और उनके आसपास की झाड़ियाँ अजीब आवाजें कर रही थीं, तुषार ने कांपती आवाज में कहा, "दी, अब हम कहां जाएंगे ? कुछ करों " अंशिका ने तुषार को संभालते हुए कहा " डर मत, हम रास्ता ढूंढ लेंगे , हम इतनी बड़ी मुश्किल में भी नहीं फंसे "

लेकिन तभी, झाड़ियों के पीछे से कुछ परछाइयाँ उनकी ओर बढ़ने लगती हैं , वही गांव वाले, जिनसे पहले भी उनका सामना हुआ था, गांव वालों के चेहरे पर डरावनी मुस्कान और हाथों में डंडे थे , एक गांव वाला बोला " अब कहां बच कर भागोगे "

अंशिका ने तुषार को पीछे हटने का इशारा किया, लेकिन इससे पहले कि वे कुछ कर पाते, उन गांव वालों ने अंशिका को घेर लिया, तुषार चिल्लाता हुआ आगे बढ़ा, लेकिन एक गांव वाले ने उसे धक्का देकर गिरा दिया |

गांव वाले अंशिका को पकड़ कर अपने साथ ले जाने लगे, तुषार बेबस होकर देखता रहा, जबकि उसकी बहन को अंधेरे जंगल में कहीं दूर ले जाया जा रहा था , अंशिका अपने हाथ - पैर चला रही थी , चीख रही थी , और उसकी चीखें जंगल में गूंज रही थी , वही तुषार का सिर पत्थर से टकरा गया था , और वो तुरंत ही बेहोशी के आगोश में चला, गांव वाले अंशिका को लेते हुए बोले रहें थे " मालिक की दूल्हन मिल गई हैं "

आखिर ये मालिक कौन हैं ? और उस हैंडसम आदमी को किसने मारा ? जाने के लिए पढ़ते रहिए.

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