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Chapter 5 - Ch 2 - अह्ह्ह्ह ... यूं मॉन्स्टर लीव मी......

रात की ठंडी हवा, सुनसान सड़कें, और कार की हेडलाइट्स जंगल के रास्ते को रोशन कर रही थीं, तुषार ने मजाक में कहा " दी अगर जंगल में भूत से मिले तो क्या करोगी ?" अंशिका हंस पड़ी, और हंसते हुए बोली "पहले उसकी फोटो खींचूंगी, फिर भागूंगी "

वो दोनों जल्द ही शहर से बाहर जंगल के किनारे पहुंच गए, जहां चारों ओर सन्नाटा पसरा हुआ था , अंशिका कार से कैमरा निकालते हुए बोली " देखना तुषार, आज की रात की फोटो से मैं कंपटीशन जीतूंगी "

तुषार ने मुस्कराते हुए कहा, "और अगर डैड को पता चला, तो हमें क्या मिलेगा?" अंशिका ने हंसकर कहा " मुझे बहुत सारा डांट ,और तुम्हें बहुत सारी मार मिलेगी " फिर अंशिका विंडो से बाहर देखने लगती हैं, वही कुछ देर बाद तुषार कार रोककर,वाॅशरूम के लिए झाड़ियों के पीछे चला जाता हैं |

अंशिका कुछ देर बाद अपना कैमरा लेकर कार से उतर कर आस -पास की और आसमान की फोटोस्टेट खींचने लगती हैं, उसका रात के दृश्य को अपने कैमरे में क़ैद कर रही थी, अंशिका खड़ी थी , तभी कोई उसको पीछे से अपनी बाहों में भर कर, उसके कान में अपनी गर्म सांसें छोड़ते हुए बोला " lovebug कैसी हो "

अंशिका के हाथ से डर कर कैमरा छुट जाता हैं, जिसने अंशिका को अपनी बाहों में पीछे से भर था, वो अंशिका को अपने तरफ मोड़ता हैं , अंशिका अपने सामने शैतान को खड़ा देखती हैं, जिसको देखकर अंशिका हैरानी से बोली " तुम तो मेरे सपने वाले डेविड हो "

शैतान तिरछी मुस्कान मुस्कुराते हुए बोला " मैं तुम्हारे लिए सपनों की दुनिया से बाहर आया हूॅं , सिर्फ़ तुम्हें हासिल करने के लिए " ये बात सुनकर अंशिका की आंखें खौफ से फ़ैल जाती हैं , शैतान की आंखों में एक अजीब सी चमक थी, और उसके होठों पर एक तिरछी मुस्कान थी |

डेविल ने धीरे से अंशिका को अपनी ओर खींचा, और अंशिका को कार के बोनट पर बैठ कर, उसके माथे पर एक नरम, लेकिन जुनून भरी किस की, उसकी सांसें गर्म थीं, और उसकी उंगलियां अंशिका के गालों को हल्के-हल्के सहलाने लगीं |

फिर शैतान अंशिका की नोज को अपने होंठों से छूता हैं ,उसके होंठों के पास पहुंचा, डेविल ने अंशिका के होंठों पर अपने होंठ रख कर किस करने लगता, डेविल की किस से अंशिका मदहोश हो रही थी, और उसकी सांसें तेज़ होने लगीं , डेविल अंशिका के होंठों का रस पीते हुए, वो अंशिका की कमर पर अपनी उंगलियां चला रहा था |

अंशिका आंखें बंद करके किस में डूबी जा रही थी, डेविल अंशिका के होंठों पर बाइट करके, उसके कान के पास था, जहां उसने उसकी नाज़ुक त्वचा पर जोर से बाइट किया , अंशिका और मदहोश हो गई |

शैतान रहस्यमाई मुस्कान मुस्कुराते हुए अंशिका के गालों और चिन को किस और बाइट करते हुए, अंशिका की गर्दन तक पहुंच गया, उसकी होंठ अब अंशिका के कॉलर बोन से होते हुए उसके कंधों को धीरे-धीरे छूने लगा |

यह सब कुछ इतना अचानक हो रहा था कि अंशिका खुद को संभाल नहीं पाई , उसके होंठ अब उसके पेट पर थे, और उसकी उंगलियां उसकी थाई के पास पहुंच गईं , एक पल के लिए, ऐसा लगा कि अंशिका पूरी तरह से खुद को शैतान को सौंपने को तैयार हैं |

लेकिन जैसे ही वह अंशिका के कान में फुसफुसाया,उसने खतरनाक आवाज़ में कहा " love bug, कॉन्ट्रैक्ट याद है ना?" डेविल की बात सुनते ही अंशिका के अंदर हलचल मच गई , उसके होश उड़ गए, उस शैतान की बात सुनकर उसके अंदर खौफ भर दिया , अंशिका के चेहरे की मासूमियत अब डर में बदल चुकी थी |

डेविल रहस्यमाई मुस्कान मुस्कुराते हुए अंशिका के कमर को मसलते हुए कोल्ड वाॅइस में बोला " कॉन्ट्रैक्ट ." अंशिका दर्द से तड़पते हुए बोली " अह्ह्ह्ह . यूं मॉन्स्टर लीव मी ." अंशिका के बाकी के शब्द उसके मुंह में रहा गए , और माहौल में एक आवाज़ गूंज रही थी , अम्म्म्म्मम. उम्म्म्म.|

अंशिका हाथ - पैर मारने लगती हैं , डेविल अंशिका के होंठों पर जोर से बाइट करता हैं, अंशिका दर्द के कारण अपनी आंखें बंद कर लेती हैं, और जब अंशिका आंखें खोलती हैं , तो वो खुद को कार में बैठा पाती हैं , अंशिका घबरा कर आस -पास देखती हैं , तो वो तुषार को कार ड्राइव करते देखता हैं |

उसका दिल जोर-जोर से धड़क रहा था ,उसने अपने हाथों को देखा, जो कांप रहे थे ,उसका माथा पसीने से भीगा हुआ था ,अंशिका ने चारों ओर देखा, सब कुछ नाॅर्मल था , लेकिन वो सपना उसके दिमाग में अब भी घूम रहा था |

अंशिका को डेविस का चेहरा कुछ ठीक से याद नहीं हैं , अचानक ही अंशिका को हर उस बाॅडी पार्ट पर दर्द महसूस होता हैं , जहां डेविल ने सपने में बाइट किया था , अंशिका का अब दिल बैठा जा रहा था , तभी तुषार मुस्कुराते हुए बिना अंशिका की तरफ देखते हुए बोला " दी हम अपनी मंजिल पर पहुंच चुके हैं "

अंशिका अपने मंजिल को देखकर खुश हो जाती हैं, और फिर वो अपना कैमरा देकर बोली " वो सिर्फ़ एक बकवास सपना था , उसके बारे में मुझे ज्यादा सोचने की जरूरत नहीं" अंशिका खुद को रिलैक्स करती हैं , फिर दोनों बहन -भाई कार से उतरते हैं |

फिर दोनो बहन -भाई को जंगल के अंदर कदम रखते ही अजीब सी ठंडक महसूस करते हैं , रात का गहरा अंधेरा और पेड़ों के बीच से आती हवा की सिसकती आवाज ने माहौल को और भी डरावना बना दिया था।

अंशिका अपने कैमरे को तैयार करते हुए एक्साइड थी, लेकिन उसके दिल के किसी कोने में एक अनजाना डर भी था, तुषार ने धीमी आवाज़ में कहा " दी, मुझे ये जगह कुछ ठीक नहीं लग रही " अंशिका ने उसके डर को नजर अंदाज करते हुए कहा " बस कुछ देर , परफेक्ट फोटो मिल जाएगी , थोड़ी देर और रुक "

अंशिका अपना कैमरा सेट ही कर रही थी , तभी अजीब सी सरसराहट पेड़ों के बीच से आई , अचानक, उन्हें ऐसा महसूस हुआ कि कोई उनकी ओर देख रहा है , तुषार ने चारों ओर नज़र दौड़ाई, लेकिन अंधेरे के सिवा कुछ नहीं दिखा, तुषार ने अंशिका घबराते हुए पूछा " क्या तुमने सुना ?"

अंशिका ने खुद को रिलैक्स करने की कोशिश की, लेकिन तभी एक और डरावनी सरसराहट पास आती महसूस हुई, दोनों बहन -भाई की डर से सांसे तेज हो गईं , तुषार ने जोर देकर अंशिका से कहा " दी हमें यहाँ से चलना चाहिए " अंशिका को भी अब जंगल आने के फैसले पर पछतावा हो रहा था |

लेकिन जैसे ही वे वापस लौटने लगे, उन्हें एहसास हुआ कि जिस रास्ते से आए थे, वह कहीं खो गया है , चारों तरफ पेड़ एक जैसे दिख रहे थे, और हर दिशा में सिर्फ अंधेरा था , अंशिका की आवाज में अब डर साफ झलक रहा था " छोटे भाई हम भटक गए हैं "

तभी पास की झाड़ियों से हलचल हुई, जैसे कोई उनके आसपास घूम रहा हो, हवा में अचानक एक ठंडी लहर दौड़ गई, और पेड़ों की शाखाएँ एक अजीब सी आवाज़ के साथ हिलने लगीं , तुषार ने अंशिका का हाथ कसकर पकड़ा " दी डैड की कार चुराने का पाप ही हमें लगा है , यहां सब उल्टा-पुल्टा हो रहा हैं "

दोनों अब तेजी से जंगल से बाहर निकलने की कोशिश करने लगे, लेकिन हर कदम पर उन्हें महसूस होता कि कोई अनदेखी ताकत उनके पीछे-पीछे चल रही है, तभी उन्हें दो चमकती आंखें दिखाई देती हैं , वो चमकती आंखें उनकी ओर बढ़ रही थी ,

दोनों बहन भाई बुरी तरह से डर जाते हैं , अंशिका तुषार का हाथ पकड़ कर भागती हैं , और उसका कैमरा और लेंस से भरा बैग वही गिर जाता हैं , वो दोनों जंगल में भागते हैं , और भागते - भागते एक पुरानी सदियों से बंद पड़े महल में पहुँचती है |

महल के दरवाजे पर एक विशाल ताला लटक रहा होता है, जिसे देख वंशिका को एक पल के लिए संदेह होता है , कि शायद उन्हें अंदर नहीं जाना चाहिए, लेकिन जंगल में खतरा था , अंशिका तुषार से घबराई आवाज़ में पूछती हैं " क्या हमें अदंर जाना चाहिए "

तुषार अंशिका के कंधे पर मार कर बोला " दी तुम मुसीबत हो , अगली बार तुम्हारे साथ कहीं जाना ही नहीं हैं , और अंदर जाने की क्या जरूरत हैं , यही आग जाल कर बैठते हैं , अगर कोई जानवर आया, जब महल के अंदर चलेंगे " अंशिका हां में सिर हिलाती हैं , वो दोनों इस - पास से लकड़ी उठा लेती हैं , और आग जला कर महल के दरवाज़े के पास बैठ जाते हैं |

तुषार कुछ देर बाद वही बैठे - बैठे सो जाता हैं , अंशिका को महल के अंदर से कुछ आवाजें सुनाई देती हैं , जैसे कोई उसका नाम पुकारा रहा हो , वो अपनी टॉर्च को जलाती है और अंदर कदम रखती है, अंदर का माहौल डरावना होता था ,हर कदम पर उसकी आवाज़ गूंजती है, जैसे महल के हर कोने में कोई उसकी निगरानी कर रहा हो |

दीवारों पर लगी तस्वीरें , जिनके चेहरे समय के साथ धुंधले हो चुके हैं, अंशिका को घूरते से लगते हैं , अंशिका उन आवाजों के पीछे धीरे-धीरे महल की घुमावदार सीढ़ियों से नीचे उतरती है, हवा में एक अजीब सी ठंडक और नमी होती थी , जिससे उसकी रीढ़ की हड्डी में सिहरन दौड़ जाती है |

कुछ देर भटकने के बाद, अंशिका एक भारी दरवाज़े के सामने पहुँचती है , वो दरवाजा खोलती है और सामने अंधेरे से भरे तैखाने में प्रवेश करती है, तैखाना बुरी तरह धूल और जाले से ढका हुआ था , उसे लगता है कि यहाँ सदियों से कोई नहीं आया , लेकिन तभी उसकी नज़र एक बड़े लकड़ी के बक्से पर पड़ती है |

जो कमरे के बीच में रखा था , बक्से के चारों ओर जंजीरें लिपटी हुई थी , और उसकी सतह पर पुराने जमाने के अभिमंत्रित कवच का निशान था , अंशिका को यह बक्सा अजीब और रहस्यमय लगा , अंशिका को उस ही बक्से के अंदर से धीमी सी आवाज़ आ रही थी |

वो बक्से की जंजीरों को हटाती है, उसके कवच को टटोलती है , और बक्से का ढक्कन खोलने लगती है ,जैसे ही ढक्कन थोड़ा सा खुलता है, हवा में एक अजीब सी सर्द लहर दौड़ जाती है , बक्से के अंदर से गूंजती हुई एक गहरी, डरावनी आवाज़ सुनाई देती है, वो आवाज़ अंशिका के कानों में गूंज उठती है |

उसका दिल तेजी से धड़कने लगता है, और वह बक्से से पीछे हटती है , आवाजें और तेज होती जाती हैं, जैसे किसी ने सदियों से बंद पड़ी आत्माओं को जगा दिया हो, एक पल के लिए उसे लगता है , कि महल की दीवारें हिल रही हैं, और फर्श उसके पैरों तले कांप रहा है , वह बक्से को पूरी तरह से नहीं खोलती, लेकिन जो भी उसमें बंद था, उसकी हलचल अब महसूस की जा सकती थी, अंशिका का दम घुटने लगता है, उसे लगता है कि अगर वह यहाँ और रुकी तो कुछ भयानक हो जाएगा |

हवा में अब एक घुटन भरी गंध भी फैलने लगी थी , जैसे सड़े हुए मांस की गंध हो, अंशिका की आंखें भय से चौड़ी हो जाती हैं, और उसकी सारी हिम्मत जवाब देने लगती है, वह समझ नहीं पाती कि यह सब क्या हो रहा है, लेकिन वह जानती है , कि उसे यहाँ से तुरंत भागना चाहिए ,बक्से के अंदर से आती आवाजें अब और भी विकराल हो चुकी हैं, जैसे कोई उसे अपने पास बुला रहा हो |

अंशिका जल्दी से तैखाने के दरवाजे की ओर दौड़ती है ,उसे लग रहा था ,कि उसके पीछे कोई है, जैसे कोई अदृश्य ताकत उसे पकड़ने की कोशिश कर रही हो , उसकी सांसें तेज हो रही थी ,और उसका दिल धड़कने लगता है, लेकिन वह रुकने का नाम नहीं लेती, महल की सीढ़ियों को पार करते हुए, वह मेन दरवाजे तक पहुँचती है |

जैसे ही वह दरवाजे के पास पहुँचती है, वह दरवाजा जोर से अपने आप बंद हो जाता है, और अंशिका बाहर निकलने के लिए उसे पूरी ताकत से खोलने की कोशिश करती है, बड़ी मुश्किल से बहुत कोशिश करने पर दरवाजा खुलता है और अंशिका बाहर निकलती हैं |

अंशिका महल से बाहर आते ही अपने भाई के बाॅम पर लात मारकर बोली " अबे हो कुंभकरण जाग , अगर हमेशा के लिए नहीं सोना "

क्या अंशिका इस अदृश्य शक्ति से बच पाएगी ? जाने के लिए पढ़ते रहिए.

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