अध्याय 1: पहली मुलाकात
यह एक सामान्य दिन था कॉलेज में, जब आकाश मिश्रा क्लासरूम में दाखिल हुआ। उसकी आंखों में वही उत्साह था, वही जोश था जो हर दिन उसके चेहरे पर झलकता था। वह हमेशा समय पर आता था, ताकि क्लास में सबसे आगे बैठ सके और अपनी ज़िंदगी की बोरियत से बचने के लिए किसी से बात कर सके। लेकिन उस दिन, जैसे ही उसने क्लास में कदम रखा, उसकी नज़र उस एक लड़की पर पड़ी जो पिछली बेंच पर बैठी थी।
बिट्टू मिश्रा। हां, वही लड़की जिसे वह कुछ दिन पहले कैंटीन में देखा था। उसकी हंसी, उसका मुस्कुराना, उसकी बातें—सब कुछ आकाश के दिमाग में एक फिल्म की तरह घूम रहा था। वह लड़का जो हमेशा क्लास के माहौल को हल्का-फुल्का बनाए रखने की कोशिश करता था, आज कुछ शांत था, या शायद थोड़ा अधिक ध्यान दे रहा था।
बिट्टू का चेहरा उसके लिए अब एक अनजानी पहेली बन चुका था। वह अक्सर उसे क्लास के बीच में कुछ न कुछ बोलते हुए देखता था, लेकिन कभी उसने उससे बात करने की कोशिश नहीं की थी। आज भी ऐसा ही था, लेकिन वह महसूस कर रहा था कि कुछ बदलने वाला है। वह थोड़ी देर तक उसे देखकर अपनी सीट पर बैठ गया। बिट्टू की मुस्कान और उसकी खिलखिलाती हंसी कुछ ऐसा था, जो आकाश को खींचता था।
"आकाश, तुम बैठे हो ना?!" क्लास के एक दोस्त ने उसे चिढ़ाते हुए कहा।
आकाश मुस्कराया और उसने अपनी सीट पर बैठते हुए कहा, "हां, हां, बैठा हूं, बस थोड़ा सोच रहा था।"
कुछ देर बाद, क्लास शुरू हो गई और प्रोफेसर ने जब कुछ सवाल पूछे, तो बिट्टू ने बेमुखी सी आवाज़ में जवाब दिया। उसकी आवाज़ सुनकर आकाश को कुछ अलग सा महसूस हुआ, वह उसकी बातों में एक खास तरह का आत्मविश्वास देख पा रहा था।
कक्षा खत्म होने के बाद, आकाश अपने दोस्तों के साथ बाहर जा रहा था, तभी उसे देखा—बिट्टू अकेले क्लास से बाहर निकल रही थी। उसके दोस्त, जो आकाश के हमेशा साथ रहते थे, अब उससे चिढ़ा रहे थे। "क्या तुम उससे बात करने वाले हो? तुम दोनों का अब क्या होगा?"
आकाश ने मुस्कराते हुए कहा, "बिल्कुल नहीं, मैं बस देख रहा हूं कि यह लड़की कितनी दिलचस्प है।"
लेकिन उसके दिल में कुछ और ही था। आज, आकाश ने फैसला किया था कि वह बिट्टू से बात करेगा। उसकी नजरों में जो जिज्ञासा और आकर्षण था, वह उसे किसी भी हालत में शांत नहीं होने देना चाहता था।
आकाश ने धीरे-धीरे बिट्टू के पास जाकर कहा, "तुमसे कुछ पूछना था।"
बिट्टू ने सिर उठाया और मुस्कुराते हुए जवाब दिया, "क्या बात है?"
"तुम्हारे जवाब बड़े दिलचस्प थे आज क्लास में। क्या तुम हर बार ऐसा ही जवाब देती हो?" आकाश ने शरारत से पूछा।
बिट्टू थोड़ी देर चुप रही, फिर हंसते हुए बोली, "नहीं, कभी-कभी तो मैं अपनी ही दुनिया में खोई रहती हूं, लेकिन आज बस वो सवाल कुछ ऐसा था कि मैंने तुरन्त जवाब दे दिया।"
आकाश को उसकी बातों में एक अलग ही आकर्षण दिखा। वह चाह रहा था कि बिट्टू से और बात करे, लेकिन वह समझ नहीं पा रहा था कि कहां से शुरू करें।
"क्या तुम हर रोज़ इस तरह क्लास में फोकस करती हो?" आकाश ने सवाल किया, थोड़ी घबराहट के साथ।
"हां, मुझे पढ़ाई में दिलचस्पी है, लेकिन यह जरूरी नहीं कि मैं हमेशा ध्यान लगाऊं। कभी-कभी मेरी अपनी दुनिया होती है, और मैं उसी में खो जाती हूं।"
आकाश को उसकी बातों में एक सादगी और गहराई महसूस हुई। वह अब बिट्टू को और करीब से जानना चाहता था, लेकिन वह यह भी समझता था कि यह सब धीरे-धीरे होना चाहिए। वह नहीं चाहता था कि बिट्टू को लगे कि वह उसे किसी नज़र से देख रहा है।
"मुझे लगता है, हम दोनों में कुछ समानताएं हैं," आकाश ने धीरे से कहा।
"कैसी समानताएं?" बिट्टू ने उसे चिढ़ाते हुए पूछा।
"हम दोनों अपने-अपने तरीके से जीवन जीते हैं। कभी कोई डर नहीं होता, बस जो करना है वो करते हैं," आकाश ने हल्के से जवाब दिया।
बिट्टू की आँखों में एक हल्की मुस्कान थी। "हो सकता है, लेकिन फिर भी हम दोनों अलग हैं।"
आकाश को उसकी यह बात बहुत अजीब लगी, लेकिन वह समझ गया कि यह एक छोटी सी मुलाकात थी, और ऐसे छोटे-छोटे पल ही एक-दूसरे को जानने का तरीका बनते हैं।
"तुमसे मिलकर अच्छा लगा," आकाश ने कहा, और फिर दोनों धीरे-धीरे अपने-अपने रास्तों पर चल पड़े।
आज उनकी पहली मुलाकात खत्म हो गई, लेकिन आकाश को यह एहसास हो गया कि यह मुलाकात उनके बीच एक नई शुरुआत थी। यह वो पल था जब दोस्ती का पहला कदम उठाया गया था, और आगे आने वाले समय में यह दोस्ती प्यार में बदलने वाली थी।