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Chapter 2 - अध्याय 2: दोस्ती की शुरुआत

अध्याय 2: दोस्ती की शुरुआत

आकाश और बिट्टू की पहली मुलाकात के बाद कुछ अजीब सा हुआ था। यह कोई खास बात नहीं थी, बस एक हलकी सी ताजगी थी जो उनके बीच आई थी। दोनों के बीच कोई बड़ी बातचीत नहीं हुई थी, लेकिन एक दूसरे की मौजूदगी महसूस हो रही थी। जैसे ही क्लास खत्म हुई, आकाश का मन बिट्टू के बारे में सोचने लगा। उसकी मुस्कान, उसकी बातें, और वह आत्मविश्वास जिससे वह हमेशा भरपूर रहती थी, आकाश को बहुत आकर्षित कर रहा था।

अगले कुछ दिनों तक, आकाश ने बिट्टू को जरा ध्यान से देखा। वह जानता था कि अब उसे कुछ कदम उठाने होंगे ताकि वह इस दोस्ती की शुरुआत कर सके। हालांकि, वह यह भी नहीं चाहता था कि बिट्टू उसे किसी अलग नजरिए से देखे। उसके मन में एक सवाल था—क्या यह सिर्फ एक सामान्य दोस्ती हो सकती है, या फिर कुछ और?

एक दिन, जब आकाश और बिट्टू एक साथ कॉलेज के बगीचे में बैठे थे, आकाश ने हलके से कहा, "तुम्हें याद है, पहले दिन तुमने कहा था कि तुम हमेशा अपनी दुनिया में खोई रहती हो? तो क्या उस दुनिया में कभी आकाश मिश्रा के लिए कोई जगह बन सकती है?"

बिट्टू ने कुछ पल के लिए आकाश की तरफ देखा और फिर धीरे से मुस्कुराते हुए बोली, "आकाश मिश्रा, तुम थोड़े अजीब हो, लेकिन कभी-कभी मुझे लगता है कि तुम्हारी बातें मुझे मज़ा देती हैं।"

आकाश थोड़ा झिझकते हुए बोला, "मज़ा तो तब आएगा, जब तुम मुझे अपनी दुनिया में शामिल करोगी।" यह कहते हुए उसने हलके से हंसी मजाक किया, लेकिन उसकी आँखों में एक गहरी भावनाएं छिपी थीं।

बिट्टू ने जवाब दिया, "मुझे लगता है, हमारी दोस्ती का एक अलग ही रंग है।" फिर वह थोड़ी देर चुप रही, और अपनी किताब को खोलते हुए बोली, "शायद ये वह दोस्ती हो, जो धीरे-धीरे अपना रास्ता ढूंढेगी।"

आकाश को उसकी बातों में कुछ ऐसा था, जो उसे सोचने पर मजबूर कर रहा था। यह तो सच था कि उनकी दोस्ती अब एक नए मोड़ पर पहुंच चुकी थी। पहले, जब वे सिर्फ बातें करते थे, तो यह सिर्फ समय बिताने जैसा लगता था, लेकिन अब यह एक गहरी समझ और संबंध में बदलने लगी थी। दोनों की पसंद-नापसंद, आदतें, बातें—यह सब अब धीरे-धीरे साझा होने लगा था।

यह दोस्ती अब सिर्फ एक साधारण रिश्ते से बढ़कर कुछ और बन रही थी। आकाश ने महसूस किया कि उसे बिट्टू से और जानने की इच्छा हो रही थी। वह उसकी हंसी, उसकी शरारतें, उसकी बातें—यह सब कुछ उसे अपनी दुनिया का हिस्सा बनता सा लगता था।

एक दिन, क्लास के बाद, आकाश और बिट्टू कैंटीन में बैठने के लिए गए। जैसे ही वे बैठते हैं, आकाश ने थोड़ी शरारत से पूछा, "तुम हमेशा इतनी मस्त क्यों रहती हो? क्या तुम्हारी दुनिया इतनी रंगीन है?"

बिट्टू मुस्कराते हुए बोली, "रंगीन तो है, लेकिन कभी-कभी जिंदगी की सादगी ही बहुत खूबसूरत होती है।"

आकाश को अब महसूस होने लगा था कि बिट्टू सिर्फ एक दोस्त नहीं, बल्कि उसकी जिंदगी का अहम हिस्सा बन रही थी। वह उसे जानने में कुछ ज्यादा ही दिलचस्पी लेने लगा था। लेकिन वह यह भी जानता था कि अभी समय नहीं आया था, वह बिना किसी दबाव के, बस धीरे-धीरे इस दोस्ती को एक नए मुकाम तक ले जाना चाहता था।

बिट्टू को अब आकाश की बातें भी बहुत अच्छी लगने लगी थीं। उसका सरल तरीका, उसकी सच्चाई, और उसकी जोश से भरी बातें बिट्टू के दिल में एक खास जगह बना रही थीं। वह समझ चुकी थी कि यह दोस्ती धीरे-धीरे एक मजबूत रिश्ते की ओर बढ़ रही है, लेकिन वह इस वक्त को और ज्यादा जल्दी नहीं बढ़ाना चाहती थी।

एक दिन, आकाश ने बिट्टू से पूछा, "तुम हमेशा इतनी चुप क्यों रहती हो? कभी-कभी ऐसा लगता है कि तुम अपने अंदर कुछ छुपा रही हो।"

बिट्टू ने उसकी तरफ देखा और फिर बोली, "हर किसी के पास कुछ राज होते हैं, आकाश। कुछ बातें जो वह खुद से ही बात करता है। और कभी-कभी, चुप रहकर सब कुछ समझना भी जरूरी होता है।"

आकाश अब समझने लगा था कि बिट्टू भी उसे उसी तरह समझने की कोशिश कर रही थी, जैसा वह कर रहा था। उनकी दोस्ती अब एक बुनियादी समझ और आदान-प्रदान पर आधारित हो गई थी। यह दोस्ती अब हर दिन और ज्यादा मजबूत होती जा रही थी।

एक शाम, जब दोनों कॉलेज के गेट पर खड़े थे, आकाश ने बिट्टू से कहा, "मुझे लगता है, हमारी दोस्ती अब सिर्फ एक शुरुआत नहीं, बल्कि एक नई दिशा है।"

बिट्टू ने हंसते हुए कहा, "मैं भी यही सोचती हूं। लेकिन क्या तुम तैयार हो इस दोस्ती को एक कदम और आगे बढ़ाने के लिए?"

आकाश ने मुस्कराते हुए कहा, "बिलकुल, क्योंकि अब मुझे यकीन है कि यह सिर्फ दोस्ती नहीं है। यह कुछ और है।"

यह वही पल था जब आकाश और बिट्टू के बीच दोस्ती का सफर एक नई दिशा में बढ़ने लगा था। दोनों एक-दूसरे के बारे में और जानने के लिए तैयार थे, और यह दोस्ती अब पहले से कहीं ज्यादा गहरी होती जा रही थी।