अध्याय 3: पहली हंसी
कॉलेज के दिनों में सबसे खास होती हैं वे हंसी जो बिना किसी वजह के आती हैं, और धीरे-धीरे किसी रिश्ते को गहराई तक जोड़ देती हैं। आकाश और बिट्टू की दोस्ती अब इसी मुकाम पर थी—जहां छोटी-छोटी बातें हंसी में बदल जाती थीं, और वही हंसी एक मीठी याद बनकर दिल में बस जाती थी।
उनकी दोस्ती अब काफी मजबूत हो चुकी थी। क्लास में साथ बैठना, कैंटीन में एक ही टेबल पर खाना, और कॉलेज की सीढ़ियों पर घंटों बैठकर इधर-उधर की बातें करना उनकी आदत बन चुकी थी। पर एक दिन, कुछ ऐसा हुआ जिसने उनके रिश्ते में एक नई मिठास घोल दी।
कॉलेज का एक मजेदार दिन
उस दिन क्लास में सब कुछ सामान्य था। प्रोफेसर गणित का कोई जटिल टॉपिक समझा रहे थे और पूरे क्लासरूम में गहरी शांति थी। सब अपनी कॉपियों में नोट्स लिख रहे थे, और बिट्टू भी ध्यान से बोर्ड पर देख रही थी।
आकाश ने नोट्स लिखने की जगह कुछ और ही करने की ठानी। उसने धीरे से कागज का एक छोटा सा टुकड़ा फाड़ा और उस पर कुछ लिखा—"बिट्टू, अगर मैं यह सवाल हल कर लूं तो क्या तुम मुझे एक कॉफी पिला दोगी?"
उसने बड़ी सावधानी से कागज को मोड़ा और बिट्टू की कॉपी पर रख दिया। बिट्टू ने पहले तो उसे घूरा, फिर चुपचाप कागज खोला। पढ़ते ही उसकी हंसी छूट गई, लेकिन उसने अपने होठों को दबाकर खुद को रोक लिया।
बिट्टू ने भी कागज के पीछे कुछ लिखा और आकाश की ओर खिसका दिया—"अगर तुम सच में सवाल हल कर सकते हो, तो मैं पूरे हफ्ते तुम्हें कॉफी पिलाऊंगी!"
आकाश ने मुस्कुराते हुए किताब खोली और बोर्ड की ओर देखने लगा। उसने मन ही मन सोचा कि अब तो यह सवाल हल करना ही पड़ेगा!
हंसी का सिलसिला
क्लास के बाद दोनों कैंटीन में गए। आकाश ने पूरी शरारत के साथ कहा, "बिट्टू, मैंने आधा सवाल हल कर लिया था, तो क्या आधी कॉफी मिल सकती है?"
बिट्टू ने नकली गुस्से से कहा, "सवाल पूरा हल करने की शर्त थी! मैं बेवकूफ नहीं हूं!"
आकाश ने ठहाका लगाया और बोला, "अरे यार, तुम्हारी हंसी के लिए तो मैं सौ सवाल हल करने को तैयार हूं।"
बिट्टू हंस पड़ी, और पहली बार उसकी हंसी इतनी खुलकर सामने आई थी। अब तक वह मुस्कुराती थी, लेकिन उस दिन उसकी हंसी इतनी जोर से गूंजी कि आस-पास के लोग भी चौंक गए।
वह हंसी सिर्फ एक मजाक पर नहीं थी, बल्कि उनके रिश्ते में बढ़ती नजदीकी की निशानी थी।
एक नई याद
उस दिन के बाद, आकाश ने एक नई आदत बना ली। वह हर दिन किसी न किसी बहाने से बिट्टू को हंसाने की कोशिश करता। कभी वह जोकर की तरह अजीब चेहरे बनाता, कभी कोई मजेदार किस्सा सुनाता, और कभी सिर्फ अपनी बेवकूफियों से उसे हंसाने की कोशिश करता।
एक दिन, जब वे दोनों कॉलेज की सीढ़ियों पर बैठे थे, आकाश ने कहा, "तुम्हारी हंसी बहुत खतरनाक है, बिट्टू!"
बिट्टू ने आश्चर्य से पूछा, "क्यों?"
आकाश ने गंभीर आवाज में कहा, "क्योंकि जब तुम हंसती हो, तो लगता है जैसे दुनिया की सारी परेशानियां गायब हो गई हैं। और अगर मुझे इसकी आदत पड़ गई, तो क्या करूँगा?"
बिट्टू कुछ पलों के लिए चुप रही, फिर मुस्कराकर बोली, "आदत तो अब तुम्हें पड़ ही गई है, आकाश मिश्रा!"
आकाश ने दिल से मुस्कराते हुए कहा, "तो अब बस तुम्हारी हंसी का गुलाम बनकर रहूंगा!"
बिट्टू फिर से हंस पड़ी। उसकी हंसी अब उनके रिश्ते का सबसे खूबसूरत हिस्सा बन चुकी थी। वह दोस्ती से कुछ ज्यादा था, लेकिन अभी इसे कोई भी नाम देना जरूरी नहीं था।
बस इतना तय था कि उस हंसी के बिना आकाश का दिन अधूरा रहता, और आकाश की बातों के बिना बिट्टू की दुनिया अधूरी लगती।
हंसी से जुड़े एक नए रिश्ते की ओर
अब उनके बीच हंसी और मजाक का सिलसिला जारी था। आकाश ने एक बार फिर कागज का टुकड़ा निकाला और बिट्टू की ओर बढ़ाया।
उस पर लिखा था—"क्या अब मेरी कॉफी की शर्त पूरी हो गई?"
बिट्टू ने बिना कुछ कहे कैंटीन के काउंटर की ओर इशारा किया और बोली, "चलो, आज मैं तुम्हें कॉफी पिलाती हूं।"
आकाश ने जीत की मुस्कान के साथ कहा, "तो क्या अब से हर हंसी पर एक कॉफी फ्री होगी?"
बिट्टू ने सिर हिलाया और कहा, "नहीं! लेकिन तुम्हारी हर हंसी की वजह बनने के लिए मैं हमेशा तैयार रहूंगी।"
आकाश को लगा, शायद यही वह लम्हा था जहां दोस्ती, हंसी और रिश्ते का एक नया दौर शुरू हो रहा था